15 मार्च 2012
तिमाही के मध्य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : मार्च 2012
मौद्रिक और चलनिधि उपाय
वर्तमान समष्टि आर्थिक आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) उनकी निवल मॉंग और मीयादी देयताओं का 4.75 प्रतिशत रखते हुए इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जाए; और
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चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर में कोई परिवर्तन किए बिना इसे 8.5 प्रतिशत रखा जाए।
इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर अपरिवर्तित रहते हुए 7.5 प्रतिशत बनी रहेगी तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 9.5 प्रतिशत रहेगी।
परिचय
2. रिज़र्व बैंक ने आरक्षित नकदी निधि अनुपात में 75 आधार अंकों की कमी करते हुए इसे 10 मार्च 2012 से 5.5 प्रतिशत से घटाकर 4.75 प्रतिशत कर दिया है। इस उपाय की आवश्यकता आने वाली इस निर्धारित तिमाही मध्य की समीक्षा के कारण हुई ताकि रिज़र्व बैंक सुविधा स्तर के बाद जारी संरचनात्मक चलनिधि घाटे का समाधान किया जा सके जो अग्रिम कर बहिर्वाह के कारण 12-16 मार्च के सप्ताह के दौरान और खराब हो जाएगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था
3. रिज़र्व बैंक की 24 जनवरी 2012 की तीसरी तिमाही समीक्षा (टीक्यूआर) के बाद से वैश्विक समष्टिआर्थिक स्थिति में बहुत हलका सुधार हुआ है। अमरीकी अर्थव्यवस्था के लिए हाल के समष्टिआर्थिक ऑंकड़ें कुछ सकारात्मक संकेत दर्शाते हैं। विशेषकर, श्रम बाज़ार स्थितियां सुधरी हैं। तथापि, अमरीकी फेडरल को यह आशा है कि आर्थिक स्थितियां विशिष्अ रूप से फेडरल निधि दर के लिए कम-से-कम 2014 के अंत में न्यूनतर स्तरों की ज़रूरत दर्शाती है।
4. यूरो क्षेत्र में तात्कालिक वित्तीय बाज़ार दबाव यूरोपियन सेंट्रल बैंक (इसीबी) द्वारा दो दीर्घावधि पुनर्वित्तीय परिचालनों के माध्यम से एक ट्रीलियन से अधिक चलनिधि डालने के कारण कुछ हद तक बढ़े हैं। तथापि, यूरो क्षेत्र में वृद्धि चौथी तिमाही में नमारात्मक हो गई है। उभरती हुई और विकसित अर्थव्यवस्था (इडीई) वृद्धि में मंदी के संकेत दिखाई दे रहे है। परिणामत: वर्ष 2012 और 2013 के लिए वैश्विक वृद्धि पूर्व में की गई अपेक्षा से कम रहने की आशा है।
5. उन्नत अर्थव्यवस्थाओं तथा उभरती हुई और विकसित अर्थव्यवस्थाएं (इडीई) दोनों में मुद्रास्फीतिकारी दबाव घटती हुई घरेलू मांग तथा गैर-इंधन पण्य वस्तु कीमतों में सुधार के कारण वर्ष 2011 के अंत में नरम हुए हैं। तथापि, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें अचानक तेज़ी से बढ़ी हैं जो भौगोलिक राजनीतिक चिंताएं और स्थिर वैश्विक चलनिधि दोनों में दिखाई देती है जो वृद्धि और मुद्रास्फीति के प्रति जोखिम को बल प्रदान करती है।
घरेलू अर्थव्यवस्था
वृद्धि
6. [वर्ष-दर-वर्ष (वाईओवाइ) आधार पर] सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि मुख्य रूप से औद्योगिक गतिविधि में मंदी को दर्शाते हुए वर्ष 2011-12 की दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत से घटकर तीसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत हो गई है। व्यय पक्ष की ओर वृद्धि में नरमी मुख्य रूप से निवेश गतिविधि में गिरावट तथा कमज़ोर बाह्य मांग के कारण हुई है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने वर्ष 2011-12 के लिए संपूर्ण वर्ष में वृद्धि को 6.9 प्रतिशत अनुमानित किया है जो रिज़र्व बैंक के अनुमान के अनुरूप है।
7. औद्यौगिक उत्पादन में वृद्धि जैसाकि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) में दर्शाया गया है वह पिछले वर्ष की तदनुरूपी अवधि में 8.3 प्रतिशत से नरम होकर वर्ष 2011-12 (अप्रैल-जनवरी) में 4.0 प्रतिशत हो गया है। जबकि पूंजीगत वस्तुओं और मध्यवर्ती वस्तु क्षेत्रों में वृद्धि नकात्मक थी, मौलिक वस्तुओं और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्रों में वृद्धि में हल्की गिरावट हुई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) संख्याओं में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव को देखते हुए रिज़र्व बैंक भी समग्र औद्योगिक गतिविधि का आकलन करने के लिए कई अन्य संकेतकों का उपयोग करता है। फरवरी के लिए विनिर्माण पीएमआइ ने प्रस्तावित किया है कि औद्योगिक गतिविधि विस्तारवादी स्वरूप की बनी हुई है जबकि कंपनी बिक्री में वृद्धि वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही में मज़बूत थी। बढ़ती हुई इन-पुट कीमतों से मिलकर बढ़ती हुई कठिनाई को दर्शाते हुए मार्जिन में नरमी आई है।
मुद्रास्फीति
8. अप्रैल-नवंबर 2011 के दौरान 9 प्रतिशत से अधिक रहने के बाद वर्ष-दर-वर्ष हेडलाईन थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) मुद्रास्फीति दर फरवरी में 7.0 प्रतिशत तक बढ़ने के पहले सुधरकर दिसंबर में 7.7 प्रतिशत और पुन: जनवरी 2012 में 6.6 प्रतिशत तक हो गई। जबकि थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में सुधार मुख्य रूप से प्राथमिक खाद्य वस्तुओं, इंधन और विनिर्मित उत्पाद समूहों के योगदान से भी आया।
9. प्राथमिक खाद्य वस्तु मुद्रास्फीति जो दिसंबर में 0.8 प्रतिशत तक नरम थी वह फरवरी में 6.1 प्रतिशत तक बढ़ने के पहले जनवरी 2012 में नकारात्मक (-0.5 प्रतिशत) हो गई। कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेज़ वृद्धि के बावजूद इंधन समूह मुद्रास्फीति दिसंबर में 15.0 प्रतिशत से सुधरकर फरवरी में 12.8 प्रतिशत हो गई जो घरेलू उपभोक्ताओं के प्रति अनुरूप पास-थ्रू को दर्शाती है।
10. गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.9 प्रतिशत से सुधरकर फरवरी 2012 में 5.8 प्रतिशत हो गई जो मौद्रिक कड़ाई के बाद घरेलू मांग में मंदी तथा वैश्विक गैर-तेल पण्य वस्तु कीमतों में नरमी दोनों को दर्शाती है। गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति के गतिशील संकेतक (मौसमी रूप से तीन माह के लिए जारी औसत मुद्रास्फीति दर में समायोजित) ने भी सुधार की प्रवृत्ति को दर्शाया।
11. उल्लेखनीय रूप से जनवरी 2012 महीने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) मुद्रास्फीति (नई श्रृंखलाओं द्वारा मापी गई, आधार वर्ष 2010) 7.7 प्रतिशत थी जो यह प्रस्तावित करती है कि मूल्य दबाव खुदरा स्तर पर बने हुए है।
राजकोषीय स्थितियां
12. मुख्य घाटा संकेतकों द्वारा संपूर्ण वर्ष के लिए बजट अनुमानों को पहले ही पार किए जाने के साथ केंद्र की राजकोषीय स्थितियों में वर्ष 2011-12 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान गिरावट हुई है। कर-राजस्व में मंदी के अलावा सरकार के गैर-योजना व्यय खासकर आर्थिक सहायता में तेज़ी से वृद्धि हुई है। तीसरी तिमाही समीक्षा में यथा उल्लेखित राजकोषीय घाटे में गिरावट मुद्रास्फीतिकारी दबावों को बढ़ा रही है। अत: विश्वसनीय राजकोषीय समेकन मुद्रास्फीति संभावना को स्वरूप प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।
मुद्रा, ऋण और चलनिधि स्थितियां
13. वर्ष-दर-वर्ष मुद्रा आपूर्ति (एम3) वृद्धि और गैर-खाद्य ऋण वृद्धि अर्थव्यवस्था में मंदी को दर्शाते हुए नरम हुई है। चलनिधि स्थितियां उल्लेखनीय रूप से घाटे के स्वरूप में बनी हुई हैं। चलनिधि कड़ाई को कम करने के लिए रिज़र्व बैंक ने नवंबर 2011- 9 मार्च 2012 के दौरान कुल मिलाकर ` 1,247 बिलियन खुले बाज़ार परिचालनों (ओएमओ) के माध्यम से अधिक स्थायी स्वरूप की प्रारंभिक चलनिधि डालने के लिए कदम उठाया है तथा लगभग ` 800 बिलियन की प्रारंभिक चलनिधि डालते हुए प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात को 125 आधार अंकों (18 जनवरी से 50 आधार अंकों तथा 10 मार्च से 75 आधार अंकों) तक कम किया है। चलनिधियां तबसे सुधरी हैं और यह आशा की जाती है कि आनेवाले सप्ताहों में और सुधार होगा।
बाह्य क्षेत्र
14. जबकि व्यापारिक माल निर्यात वृद्धि में गिरावट हुई है, आयात वृद्धि में सुधार व्यापार घाटे को बढ़ाते हुए कम हुआ है। तीसरी तिमाही समीक्षा के बाद रुपया प्रति अमरीकी डॉलर ` 48.69 से ` 50.58 की श्रेणी में बढ़ता रहा है। निर्यात वृद्धि में अवरोध तथा कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ी से वृद्धि करते हुए उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कम मांग स्थितियों के साथ चालू खाता घाटे (सीएडी) को उच्चतर बने रहने की संभावना है। सीएडी को वित्तीय सहायता तब तक एक चुनौती बनी रहेगी जब तक वैश्विक स्थितियां अनिश्चित बनी हुई हैं।
संभावना
15. जबकि अमरीका में सुधार में प्रगति हो रही है, यूरो क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि संकुचित हो गई है। यद्यपि, यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा प्रचुर चलनिधि डाले जाने से वित्तीय बाज़ारों में तात्कालिक दबाव कम हुए हैं, सरकारी ऋण समस्या के प्रति एक विश्वसनीय समाधान अभी भी किया जाना है। कम होती हुई वैश्विक आर्थिक गतिविधि, यूरो क्षेत्र में अनिश्चितता तथा कच्चे तेल की बढ़ती हुई कीमतें उभरती हुई और विकसित अर्थव्यवस्थाओं (इडीई) की वृद्धि संभावनाओं पर प्रभाव डालेगी।
16. घरेलू मोर्चे पर जबकि अधिकांश संकेतक यह प्रस्तावित करते हैं कि अर्थव्यवस्था मंद हो रही है, वर्ष 2011-12 की चौथी तिमाही में कार्यनिष्पादन को तीसरी तिमाही की अपेक्षा बेहतर रहने की आशा की जाती है। मुद्रास्फीति अब तक व्यापक रूप से अनुमानित सीमा के साथ विकसित हो रही है। तथापि, मुद्रास्फीति के प्रति बढ़ते हुए जोखिम कच्चे तेल की कीमतों मे हाल के उछाल, राजकोषीय गिरावट और रुपया अवमूल्यन से बढ़ गए है। इसके अतिरिक्त इंधन, उर्वरक और ऊर्जा में दबी हुई उल्लेखनीय मुद्रास्फीति बनी हुई है क्योंकि लागू कीमतें उत्पादन लागत को पूरी तरह नहीं दर्शाती हैं।
मार्गदर्शन
17. हाल की वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता ने रिज़र्व बैंक को यह उल्लेख करने के लिए प्रेरित किया है कि और कड़ाई अपेक्षित नहीं है तथा यह कि भविष्य की कार्रवाईयां दरों को कम करने के प्रति की जाएंगी। तथापि, वृद्धि में गिरावट के होते हुए भी मुद्रास्फीति जोखिम बने हुए हैं जो भविष्य की दर कार्रवाईयों के समय और परिमाण दोनों को प्रभावित करेंगे।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1468 |