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समष्टि रूप से आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की पहली तिमाही समीक्षा 2012-13

30 जुलाई 2012

समष्टि रूप से आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की पहली तिमाही समीक्षा 2012-13

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज समष्टि रूप से आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की पहली तिमाही समीक्षा 2012-13 जारी किया। यह दस्‍तावेज़ समष्टि रूप से आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की पहली तिमाही समीक्षा 2012-13 की पृष्‍ठभूमि को दर्शाता है। मुख्‍य-मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं:

समग्र संभावना

वृ्द्धि‍ समर्थित नीति कार्रवाईयों को व्‍यवस्थित करने के लिए मुद्रास्‍फीति और समष्टि जोखिम

  • यद्यपि वृद्धि संभावना कमजोर है जबकि मुद्रास्‍फीति को वर्ष 2012-13 के दौरान दृढ़ रहने की संभावना है। इस प्रकार, मुद्रास्‍फीति और समष्टि जोखिम गैर-मुद्रास्‍फीतिकारी तरीके से सुधार में सहायता की दृष्टि से वृद्धि समर्थित नीति कार्रवाइयों को व्‍यवस्थित करने में सहायता करेगें।

  • मुद्रास्‍फीति पर निकटवर्ती संभावना वृद्धि में उल्‍लेखनीय मंदी के बावजूद कई प्रकार की अत्यधिक जोखिमों द्वारा प्रभावित होती रहेगी।

  • व्‍यावसायिक अनुमानकर्ताओं तथा बाह्य एजेंसियों ने वृद्धि अनुमानों को कम दर्शाया है। कारोबारी प्रत्‍याशाओं के सर्वेक्षण यह संपु​ष्टि करते हैं कि विश्‍वास का स्‍तर कम हुआ हैं।

  • मूलभूत सुविधा अंतर में अवरोधों का तुरंत समाधान करने की ओर बढ़ना तथा प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश में बाधाओं को दूर करने के द्वारा निवेश वातावरण में सुधार महत्‍वपूर्ण है।

वैश्विक आर्थिक स्थितियॉं

ईडीई में वृद्धि में हुए ह्रास के साथ वैश्विक वृद्धि संभावना भी धीमी हो रही है

  • जारी यूरो क्षेत्र समस्‍याऍ तथा उभरती हुई और विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाओं (इडीइ) में कमजोर होती हुई वृद्धि, वर्ष 2012 में वैश्विक वृद्धि पर एक बाधा बनेगी।

  • बीआरआइसीएस राष्‍ट्रों में वृद्धि में गिरावट ने जो अभी तक ईडीई की वृद्धि का संचालक रही है, निकटवर्ती सुधार को कठिन बनाते हुए वैश्विक मंदी में एक नया आयाम जोड़ा है। 

  • हाल के संकेत यह प्रस्‍तावित करते हैं कि वैश्विक व्‍यापार वर्ष 2012 की पहली तिमाही में कुछ तेजी के बाद पुन: कम हुआ है। यह प्रवृति कड़ी ऋण स्थितियों, व्‍यापार वित्‍त पर लीवरेज़ नहीं होने के प्रतिकूल प्रभाव और ईडीई में वृद्धि में मंदी के कारण जारी रहेगी। 

  • वैश्विक वित्‍तीय बाज़ार तनाव यूरो क्षेत्र विशेषकर ग्रीस और स्‍पेन में गहराते संकट के कारण पुन: उभरे हैं; लाइबोर निर्धारण अपवादों ने अनिश्चितता को बढ़ाया है।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

उत्‍पादन

वृद्धि के प्रति जोखिम बढ़े हैं; उत्‍पादन वर्ष 2012-13 के दौरान संभावना से कम रहेगा

  • उपलब्‍ध जानकारी यह प्रस्‍तावित करती है कि मंदी, वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में बढ़ी हैं तथा वर्ष 2012-13 में उत्‍पादन विस्‍तार अपनी संभावना से कम रहेगा।

  • वैश्विक व्‍यापार में मंदी, घरेलू आपूर्ति बाधाओं, खासकर कोयला और विद्युत्‍त के संबंध में औद्योगिक इनपुट के अवरोध तथा विद्युत्त और संतोषप्रद स्तर से अब तक कम मानसून से वृद्धि के प्रति नए जोखिम उत्पन्न हुए हैं।

  •  27 जुलाई 2012 तक दीर्घाव​धि औसत की तुलना में मासून 21 प्रति​शत कम रहा है। रिज़र्व बैंक उत्पादन के मापित सूचकांक के अनुसार, यह कमी 24 प्रतिशत थी। इससे खरीफ फसल खासकर मोटे अनाजों और दालों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

  • आदेश पुस्तिका, वस्तुसूची और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण वर्ष 2011-12 की चौथी तिमाही में क्षमता उपयोग सर्वेक्षणों में मौसमी सुधार दर्शाते हैं लेकिन औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण यह संकेत देता है ​कि अगली तिमाही में क्षमता उपयोग में गिरावट हुई है। ये सर्वेक्षण रिज़र्व बैंक द्वारा कराए गए हैं।

समग्र मॉंग

सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता कम करनी चाहिए और निवेश प्रोत्‍साहन उपलब्‍ध कराना चाहिए

  • निवेश दृष्टिकोण मंद बना हुआ है। वित्तीय सहायता स्‍वीकृत नई परियोजनाओं में निवेश लक्ष्‍य 2010-11 में 3.9 ट्रीलियन से कम होकर 2011-12 में 2.1 ट्रीलियन हो गया। कॉर्पोरेट निवेश में 2012-13 के दौरान और अधिक कमी आने की संभावना है।

  • निजी, गैर-वित्तीय फर्मों की बिक्री में 2011-12 की चौथी तिमाही में कमी आयी। उच्‍च इन-पुट लागत दबावों के साथ इससे कॉर्पोरेट लाभों में कमी आयी।

  • वर्ष 2012-13 के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्‍य में आर्थिक सहायता अत्‍यधिक बढ़ने की संभावना और प्राप्तियों में कमी के कारण उल्लंघन होने का जोखिम है।

  • इस जोखिम को संबोधित करने के लिए आर्थिक सहायता को कम करते हुए और उल्‍लेखनीय रूप से सरकारी पूँजी खर्च बढ़ाते हुए राजकोषीय जगह बनाने की आवश्‍यकता हैं ताकि अर्थव्‍यवस्‍था में निवेश प्रोत्‍साहन दिया जा सके जो निजी निवेश को जमा करने में मदद करेगा।

बाह्य क्षेत्र

निरंतरता बनाए रखने के बारे में चालू खाता घाटा जोखिमें और चिंताएं

  • वैश्विक कच्‍चे तेल मूल्‍यों में नरमी और स्‍वर्ण आयातों में कमी के कारण 2012-13 में चालू खाता घाटे (सीएडी) में थोड़ी कमी आएगी, किंतु खासकर धीमी हो रही वैश्विक वृद्धि और धीमा हो रहा व्‍यापार तथा आयात मॉंग की कम मूल्‍य लोचता के साथ जोखिम बनी हुई है।

  • वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में 14 बिलियन अमरीकी डॉलर पर सेवा निर्यात (निवल) वर्ष-दर-वर्ष लगभग 12 प्रतिशत से कम हुआ है। वर्तमान संकेत यह है कि सॉफ्टवेयर निर्यात आय सॉफ्टवेयर और सेवा कंपनियों का राष्‍ट्रीय एसोसिएशन (नास्‍कॉम) के आकलन से भी कम हो सकती है।

  • उच्‍च बाह्य उधार, निवल अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश स्थिति में गिरावट और विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में साधारण कमी ने बाह्य आघातों समक्ष लचीलेपन को कमज़ोर कर दिया है।

  • सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात की तुलना में चालू खाता घाटा वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्‍पाद के 4.2 प्रतिशत पर सबसे अधिक रहा। धीमी वृद्धि के चलते चालू खाता घाटे का सहनीय स्‍तर भी कम होकर समग्र घरेलू उत्‍पाद का लगभग 2.5 प्रतिशत हो गया।

मौद्रिक और चलनिधि स्थितियॉं

मौद्रिक और चलनिधि स्थितियॉं सुगम हुई हैं और वृद्धि पर अत्‍यधिक दबाव नहीं डाल रही है

  • 50 आधार अंकों से रिपो दर को घटाना, उसके साथ 125 आधार अंकों से सीआरआर को कम करना और साथ ही सक्रिय खुले बाज़ार परिचालन खरीदों ने 2012-13 के दौरान अब तक मौद्रिक और चलनिधि स्थ्‍ितियों को उल्‍लेखनीय रूप से सुगम बनाया है।

  • जबकि जमाराशि विस्‍तार का दर धीमा है चालू वित्तीय वर्ष में ऋण वृद्धि सांकेतिक अनुमान के अनुरूप बढ़ी है। गैर-बैंक स्‍त्रोतों से संसाधनों का प्रवाह भी अच्‍छा रहा है।

  • हालांकि वर्ष 2011-12 के दौरान सांकेतिक और वास्‍तविक ब्‍याज दरों में कुछ बढ़ोतरी हुई है, गणना किए गए वास्‍तविक भारित औसत उधार दर (डब्‍ल्‍यूएएलआर) वर्तमान में 2003-04 की संकट पूर्व अवधि से 2007-08 में जब निवेश बुम हुआ था, उससे उल्‍लेखनीय रूप से कम है।

वित्तीय बाज़ार

करेंसी और ईक्विटी बाज़ारों पर दबाव; लिवरेज के बढ़ने से तनाव बना रहेगा

  • बिगड़ती समष्टि रूप से आर्थिक परिस्थितियों के बीच वैश्विक वित्तीय बाज़ार अनिश्चितताओं के फैलाव और निवेशकों के कम होते विश्‍वास ने घरेलू करेंसी और ईक्विटी बाज़ारों को दबाव में रखा है।

  • रिज़र्व बैंक के आवास मूल्‍य सूचकांक (एचपीआई) यह दर्शाता है कि कई शहरों में लेनदेन की मात्रा कम होने के बावजूद अधिकतर शहरों में 2011-12 की चौथी तिमाही के दौरान आवास मूल्‍य और अधिक बढ़े हैं।

  • आगे चलकर, गिरती आय और गैर-वित्तीय फर्मों के लिए उच्‍च लिवरेज़ तथा वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वित्तीय तनाव संभवत: बना रहेगा।

मूल्‍य स्थिति

कमज़ोर होती वृद्धि की गति के बावजूद मुद्रास्‍फीति दबाव जारी है

  • खासकर खाद्य और ऊर्जा खण्‍ड के कारण मुद्रास्‍फीति दबाव बना रहा। मुद्रास्‍फीति प्रत्‍याशाएं भी कठिन बनी रही।

  • आगे चलकर, वैश्विक पण्‍य मूल्‍यों में कमी से कुछ राहत मिलेगी किंतु रुपए के मूल्‍यह्रास के कारण मुनाफा कुछ हद तक कम हो गया ​है।

  • वृद्धि मंद होने के कारण मांग दबाव कम होने के बावजूद असंतोषजनक मानसून और एमएसपी में बढ़ोतरी के चलते मुद्रास्‍फीति जोखिमें बनी हुई है। जबकि मुद्रास्‍फीतिकारी दबाव वर्तमान में हल्‍का हुआ है वास्‍तविक मज़दूरी में जारी बढ़ोतरी कोर मुद्रास्‍फीति में फैल सकती है।

  • वृद्धि मंद होने के बावजूद मुद्रास्‍फीति का जारी रहना मौद्रिक नीति के लिए एक प्रमुख चुनौती के रूप में उभरकर आयी है।

आर. आर. सिन्‍हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/159


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