30 अक्टूबर 2012
मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा
डॉ. डी.सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रेस वक्तव्य
''सबसे पहले भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से वर्ष 2012-13 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में मैं आपका स्वागत करता हूँ।
2. कुछ क्षण पहले हमने वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थिति के एक आकलन के आधार पर दूसरी तिमाही समीक्षा जारी की है। हमने यह निर्णय लिया है कि :
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अनुसूचित बैंकों के प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में 25 आधार अंकों की कमी करते हुए इसे 3 नवंबर 2012 को शुरू होने वाले पखवाड़े से उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 4.5 प्रतिशत से घटाकर 4.25 प्रतिशत किया जाए।
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सीआरआर में इस कमी से बैंकिंग प्रणाली में लगभग `175 बिलियन की प्राथमिक चलनिधि डाली जा सकेगी।
3. नीति ब्याज दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। तदनुसार, चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिपो दर 8.0 प्रतिशत पर बनी रहेगी।
4. इसके परिणामस्वरूप रिपो दर से नीचे 100 आधार अंकों के अंतर पर निर्धारित चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर 7.0 प्रतिशत तथा रिपो दर से नीचे 100 आधार अंकों के अंतर पर निर्धारित सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर 9.0 प्रतिशत पर बनी रहेगी।
इस नीति प्रयास के पीछे के विचार
5. मैं इस मौद्रिक नीति कार्रवाई के पीछे के औचित्य का वर्णन करना चाहता हूँ।
6. सीआरआर में कमी तथा नीति ब्याज दर को अपरिवर्तित रखे जाने का निर्णय उभरती हुई चलनिधि स्थिति और वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता के हमारे आकलन से लिया गया है।
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सबसे पहले चलनिधि पर बात करें। प्रणालीगत चलनिधि घाटा कई कारकों के कारण उच्चतर रहा है जैसेकि जमा और ऋण वृद्धि के बीच अवरोध, सितंबर के मध्य से सरकार के नकदी शेषों का निर्माण तथा त्योहारों के कारण मुद्रा की मांग में हुई बढ़ोतरी से चलनिधि की निकासी। इस उच्चतर प्रणालीगत घाटे का उत्पादक क्षेत्रों को ऋण प्रवाह तथा आगे जाकर अर्थव्यवस्था की समग्र वृद्धि के लिए प्रतिकूल प्रभाव होगा।
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जहां तक वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन का संबंध है, हेडलाईन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति अप्रैल 2010 में 10.9 प्रतिशत की अपनी ऊँचाई से सुधरकर जनवरी-अगस्त 2012 की अवधि के दौरान 7.5 प्रतिशत के औसत दर पर रही है। इस अवधि के दौरान वृद्धि मंद हुई है और वर्तमान में प्रवृत्ति से नीचे है। यह मंदी मौद्रिक कड़ाई सहित विभिन्न कारकों के कारण है।
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अप्रैल 2012 से रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति रूझान ने समायोजित कमी के माध्यम से वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता को संतुलित करना चाहा है। अर्थव्यवस्था के माध्यम से इन नीति आघातों का अंतरण अभी भी जारी है। राजकोषीय तथा सरकार द्वारा हाल में घोषित अन्य उपायों को मिलाकर रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति का रूझान अगले कुछ महीनों के दौरान वृद्धि की गति में कमी को रोकने के प्रति कार्य करेगा। राजकोषीय समेकन के प्रति प्रतिबद्धता को पुन: संपुष्ट करते हुए वित्त मंत्री के कल का वक्तव्य मुद्रास्फीति को रोकने तथा वृद्धि की सहायता के लिए मौद्रिक नीति में गुंजाईश होगी।
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अब मैं मुद्रास्फीति की बात करता हूँ। सितंबर में यह पुन: वापस आयी है जिससे डीज़ल और विद्युत की कीमतों के समायोजन के आंशिक पास-थ्रू तथा गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पादों में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति लक्षित होती है। अत: यह महत्वपूर्ण है कि मौद्रिक नीति रूझान का वृद्धि जोखिमों के समाधान करने के प्रति पुन: सक्रिय होने पर भी मुद्रास्फीति को रोकने तथा मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को व्यवस्थित करने का उद्देश्य शिथिल नहीं होगा।
मौद्रिक नीति रुझान
7. नीति प्रलेख में हमारे मौद्रिक नीति रुझान की तीन स्थूल रुपरेखाएं हैं। ये हैं :
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पहली, अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए चलानिधि का प्रबंध करना;
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दूसरी, जैसे ही मुद्रास्फीति जोखिम कम होता है वृद्धि पर सरकारी नीति कार्रवाइयों के अनुकूल प्रभाव को मजबूत करना, और
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तीसरी, मुद्रास्फीति को सीमित रखने के लिए ब्याज दर परिवेश को बनाए रखना और मुद्रास्फीतिकारी अपेक्षाओं पर अंकुश रखना।
मार्गदर्शन
8. हमने, पहले की तरह, आगामी समय के लिए मार्गदर्शन भी दिया है।
9. रिज़र्व बैंक का विचार है कि सीआरआर को कम करने से पहले से ही चलनिधि की भावी स्थितियों को कसा जाए, जिससे चलनिधि संतोषजनक और वृद्धि के लिए समर्थक हो जाएगी। नीतिगत रूझान में अनुमानित मुद्रास्फीति सीमा का पूर्वानुमान लगाया गया है जो दर्शाता है कि अंतिम तिमाही में मुद्रास्फीति कम हो जाने से पहले आगामी कुछ माह में उसमें वृद्धि होगी। इस सीमा के लिए जोखिम होते हुए ही बेसलाइन परिदृश्य इस राजकोषीय वर्ष की चौथी तिमाही में आगामी नीति सुगम बनाने की पर्याप्त संभावना का संकेत देता है। मैं, फिर भी इसमें और कुछ जोड़ना चाहता हूं कि यह मार्गदर्शन वृद्धि मुद्रास्फीति गतिशीलता के विकास पर निर्भर होगा।
अपेक्षित परिणाम
10. हमें अपेक्षा है कि आज की नीति कार्रवाइयों और हमारे द्वारा दिए गए मार्गदर्शन से निम्नलिखित तीन परिणाम होंगे :
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पहला, चलनिधि स्थितियों से उत्पादक स्रोतों को ऋण वृद्धि पहले की तरह सुविधाजनक होगी जिससे वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
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दूसरा, जैसे ही मुद्रास्फीति जोखिम कम होंगे सरकार द्वारा घोषित नीति कार्रवाइयों के वृद्धि प्रोत्साहन को फिर से मज़बूत किया जाएगा।
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और, अंत में नीति कार्रवाई से कम और स्थिर मुद्रास्फीति के लिए विश्वसनीय प्रतिबद्धता के आधार पर मध्यावधि मुद्रास्फीति अपेक्षाओं पर अंकुश रहेगा।
वैश्विक और देशी गतिविधियां
11. हमेशा की तरह हमारी नीति कार्रवाई वैश्विक और देशी समष्टि आर्थिक स्थिति के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन पर आधारित है। पहले मैं वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मत व्यक्त करता हूं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था
12. पिछली तिमाही में विश्वभर के नीति निर्माताओं को अधिकाधिक कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। विश्वभर में वृद्धि की गति कम होने पर भी सरकारों को राजकोषीय समेकन और वृद्धि प्रोत्साहन, यद्यपि दोनों उद्देश्य सुस्पष्ट रूप से एक-दूसरे के विरोधी होते हुए भी दोनों के बीच संतुलन करना पड़ा। यद्यपि विकसित अर्थव्यवस्थाएं इन तनावों का सामना कर रही हैं और वैश्विक मांग कमज़ोर है, उभरती और विकसनशील अर्थव्यवस्थाओं में भी मंदी आ रही है।
13. तिमाही के दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों द्वारा ड़ाली गई चलनिधि से वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में कुछ स्थिरता आ गई। फिर भी यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि चलनिधि ड़ालना केवल कामचलाऊ उपाय जिसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और अधिक मंदी को रोकना है। ये उपाय ऐसा ठोस संरचनात्मक समाधान नहीं है जिससे विकसित अर्थव्यवस्थाएं फिर से सुधार के मार्ग पर आ सकें। इस समय वृद्धि जोखिम बढ़ गए हैं और बढ़ी हुई चलनिधि के सकारात्मक प्रभावों को अच्छी तरह से सामने लाया जा सका है। इसके अलावा, हाल ही में शांत हुई कुछ सुगमता के बावजूद पण्य कीमते अभी भी ऊँचे स्तरों पर हैं। परिणामत: चलनिधि संचालित कीमत वृद्धि का उल्लेखनीय जोखिम है। वैश्विक सुधार प्रक्रिया आगे बढ़ने के बावजूद आगे आनेवाले माह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ी हुई अनिश्चितता का समय है।
भारतीय अर्थव्यवस्था
14. अब मैं देशी समष्टि-आर्थिक स्थिति पर बोलना चाहता हूं। चार क्रमिक तिमाहियों में वृद्धि कम हुई। वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में 9.2 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष से 2011-12 की चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत हो गई। इस वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि 5.5 प्रतिशत पर सीमांत रूप से अधिक रही। पहली तिमाही में सकल देशी उत्पाद वृद्धि में थोड़ा सुधार मुख्यत: निर्माण क्षेत्र में हुई वृद्धि से हुआ और उसे कृषि में अपेक्षा से बेहतर वृद्धि से समर्थन मिला। मांग के पक्ष में सकल स्थिर पूंजी निर्माण में वृद्धि कम रही जबकि निजी उपभोग व्यय की वृद्धि में मंदी जारी रही। बाह्य मांग स्थितियां और कच्चे तेल की कीमतें भी प्रतिकूल रहीं जिससे निवल निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
15. पिछली तिमाही में वैश्विक जोखिम बढ़ गए हैं और लड़खड़ाती निवेश मांग, उपभोग व्यय में संतुलन और कमज़ोर कारोबार और उपभोक्ता विश्वास के साथ निर्यात प्रतियोगिता क्षमता में जारी रही कमी के कारण देशी जोखिम पर प्रभाव पड़ा। औद्योगिक परिदृश्य अनिश्चित रहा। अगस्त और सितंबर माह में बारिश में सुधार के बावजूद 2012 के खरीफ उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान पिछले वर्ष के उत्पादन से लगभग 10 प्रतिशत कम है।
16. उपर्युक्त विचारों के आधार पर 2012-13 के सकल देशी उत्पाद का बेसलाइन अनुमान संशोधित करते हुए इसे 6.6 प्रतिशत से 5.8 प्रतिशत किया गया है।
मुद्रास्फीति
17. अब मैं मुद्रास्फीति के बारे में बताना चाहूंगा। थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति मौजूदा वर्ष की पहली छमाही के दौरान वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 7.5 प्रतिशत के ऊपर कठिन बनी रही। इसके अलावा, सितंबर में ईंधन मूल्यों में बढ़ोतरी और खाद्येतर विनिर्मित उत्पादों के बढ़े मूल्य स्तरों के कारण हेडलाईन मुद्रास्फीति की गति ने ज़ोर पकड़ा। यह आंशिक रूप से पहले के कम मूल्य निर्धारण में सुधार होने के रूप में कुछ दबी हुई मुद्रास्फीति के कारण हुआ। फिर भी, इसके लिए समायोजन करने के बावजूद गति तेज़ बनी हुई है।
18. जबकि सब्जियों के मूल्यों में सुगमता आने के कारण जुलाई से थोक मूल्य सूचकांक की प्राथमिक खाद्य वस्तुओं में कमी आई लेकिन अनाज़ और प्रोटिनयुक्त वस्तुओं के मूल्य बढ़े। मुख्य रूप से चीनी, खाद्य तेल और अन्न मिल उत्पादों के मूल्यों में बढ़ोतरी के कारण सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक खाद्य उत्पाद मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई।
19. ईंधन समूह मुद्रास्फीति ने सितंबर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जो जून से बिजली के मूल्य में तेज़ वृद्धि, मध्य-सितंबर में डीज़ल के मूल्य में वृद्धि के आंशिक प्रभाव और बढ़ते वैश्विक कच्चे तेल मूल्यों के कारण गैर लागू ईंधन मूल्यों में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाते हैं।
20. गैर खाद्यान्न विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति जुलाई-सितंबर के मध्य में 5.6 प्रतिशत पर कायम रही। यह ऊर्ध्वमुखी दबाव धातु उत्पाद और अन्य निविष्टियाँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ विशेष रुप से रुपये के मूल्यह्रास के कारण उच्च आयात मात्रा की वस्तुओं के मूल्य स्थिर रहने के कारण हुआ।
21. उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति जैसेकि नये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा नापी गयी, उच्च बनी रही जिसने खाद्यान्न मूल्य दबाव के निर्माण को प्रतिबिम्बित किया। खाद्यान्न और इंधन समूहों को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पहले के दुहरे अंकों से जुलाई-सितंबर में थोड़ा कम हो गया।
22.आगे चलकर, मुद्रास्फीति का पथ प्रतिक्रियाशील शक्तियो के दो सेटों से आकार पा लेगा।
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पहले, नीचे की ओर कुछ क्षेत्रों में धीमी वृध्दि और अत्यधिक क्षमता के कारण मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार लाने में सहायता मिलेगी। स्थिर अथवा सर्वोत्तम परिदृश्य में, पण्यों के घटते हुए मूल्य इस प्रवृत्ति को सुदृढ करेंगे। मूल्य वृध्दिकारक रुपया भी आयातों, विशेष रुप से पण्यों की रुपया लागत कम करके मुद्रास्फीति कारक दबाव का समावेश करने में सहायता करेगा।
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इन नीचे की ओर की शक्तियों का संतुलन करने में कुछ शक्तियाँ ऊपर की ओर हैं। निरंतर आपूर्ति बाधाओं के कारण मॉग का फिर से शुरु होना बढ़ सकता हैं जिसके परिणामस्वरूप मूल्य दबाव हो सकते हैं। वैश्विक वित्तीय अस्थिरता रुपये पर नीचे की ओर दबाव डाल सकती है और इसमें आयातित मुद्रास्फीति बढेगी। ग्रामीण और शहरी रोजगार में उछाल भी मुद्रास्फीति पर लगातार दबाव डालेगा।
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अंतिम रुप से कतिपय उत्पादों में कम मूल्य निर्धारण को राजकोषीय समेकन प्रक्रिया के एक भाग के रुप में सुधारा गया है। दबी हुई मुद्रास्फीति स्पष्ट की जा रही है। यह सुधार आवश्यक और महत्वपूर्ण है। फिर भी इस के परिणाम स्वरूप उच्च्तर मुद्रास्फीति की रीडिग मिलेगी।
23. उपर्युक्त कारकों को विचार में लेते हुए, मार्च 2013 के लिए हेडलाईन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के लिए बेसलाइन अनुमान जुलाई में निर्दिष्ट 7.0 प्रतिशत से बढ़कर 7.5 प्रतिशत तक ऊपर उठा है। महत्वपूर्ण रूप से, मुद्रास्फीति तीसरी तिमाही में कुछ हद तक बढ़ने की अपेक्षा है जबकि चौथी तिमाही में वह सुगम बनने की शुरुआत होगी।
मौद्रिक और चलनिधि स्थिति
24. अब मैं मौद्रिक और चलनिधि की स्थिति पर विचार करता हूँ। मौद्रिक नीति (एम3), जमा राशि और ऋण वृद्धि ने अब तक अप्रैल की नीति में निर्दिष्ट और जुलाई की समीक्षा में दोहरायी गयी रिज़र्व बैंक की संकेतात्मक सीमाओं की झलकियाँ प्रस्तुत की हैं। जमाराशियों में विशेष रूप से मीयादी जमाराशियों में ब्याज दर सामान्य होने के कारण कमी आयी। ऋण में वृध्दि के कारण निवेश माँग में विशेष रूप से बुनियादी सुविधाओं के संबंध में और सामान्य रूप से उद्योगों द्वारा ऋण का कम अवशोषण होने के कारण घट आयी। वर्ष के दौरान, अब तक की गतिविधियों और सामान्यतः वर्ष के अंत में तेजी पकडने को ध्यान में लेते हुए 2012-13 के लिए मौद्रिक समग्रता की सीमाओं का एम3 के लिए 14 प्रतिशत, जमाराशि वृध्दि के लिए 15 प्रतिशत और गैर खाद्यान्न की वृध्दि के लिए 15 प्रतिशत अनुमान किया गया है।
25. चलनिधि स्थिति, जैसा कि जुलाई-सितंबर के दौरान 486 बिलियन रुपये पर चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत औसत निवल उधार में प्रतिबिम्बित हुई है, वह निवल मांग और मीयादी देयाताओं के (+/-) एक प्रतिशत के सुगम स्तर के भीतर रही। तथापि, चलनिधि स्थिति अक्टूबर में, कड़ी हुई, यह मुख्यतः सरकार की नकदी शेष राशि सुदृढ़ होने और 15-25 अक्टूबर के दौरान 871 बिलियन रुपये तक के औसत चलनिधि समायोजन सुविधा उधार लेने, जो निवल मॉग और मीयादी देयताओं के (+/-) एक प्रतिशत के बैंड के काफी ऊपर लेने के कारण मौसमी वृद्धि के परिणामस्वरूप हुआ।
जोखिम कारक
26. अब मैं, हमारी वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमानों के लिए जोखिमों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ :
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पहले, वैश्विक समष्टि आर्थिक वातावरण से उत्पन्न, वृद्धि के लिए नीचे की ओर के जोखिम जो पहले सोचे गए थे, उससे अधिक बलवान निकलने की संभावना है। घरेलू रूप से, निवेश गतिविधियों में पुनरुत्थान, जो वृद्धि के लिए प्रोत्साहन की कुंजी है, विशेष रूप से सरकार द्वारा हाल ही की नीति घोषणाओं पर निर्भर है, जो प्रभावी उपायों में अंतरित किया जा रहा है;
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दूसरे, हाल ही के संशोधनों के बावजूद, वैश्विक पण्य वस्तुओं के मूल्य उच्चतर रहे। यद्यपि, लागू पेट्रोलियम उत्पादों के घरेलू मूल्यों के सुधारों के अंतर्गत वे स्थिर रहेंगे और उन में सुधार की आवश्यकता होगी। जबकि समग्र समष्टि आर्थिक स्थिरता के दृष्टिकोण से सुधार आवश्यक है, हमें उनकी मुद्रास्फीति पर दूसरी बार के प्रभाव की स्थिति में रक्षा करनी होगी;
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तीसरे, खाद्यान्न मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति संरचनागत असंतुलनों द्वारा, विशेष रूप से प्रोटीनयुक्त वस्तुओं द्वारा विशेषतावाली पण्यों के संबंध में आपूर्ति कार्रवाई पर निर्भर रहेगा;
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चौथे, ग्रामीण और शहरी रोज़गारों में निरंतर वृद्धि जिसमें आनुपातिक उत्पादकता में वृद्धि न होने के कारण मुद्रास्फीतिकारी दबाव का एक स्रोत बना रहा है और बना रहेगा;
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पांचवें, दो जुड़े हुए घाटे अर्थात् चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटे के कारण वृद्धि और समष्टि-आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण जोखिम खड़े कर दिए हैं; और
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अंतिम रूप से, जहां चलनिधि दबाव उत्पादन उद्देश्य हेतु ऋण उपलब्धता के लिए जोखिम खड़ा कर देते हैं और समग्र निवेश को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकते हैं, वहीं अतिरिक्त चलनिधि, मुद्रास्फीति जोखिमों को बढ़ा सकते हैं।
विकासात्मक और विनियामक नीतियाँ
27. इस समीक्षा में विकासात्मक और विनियामक नीतियाँ भी शामिल हैं जो वित्तीय प्रणाली को मजबूती देने के लिए किए गए उपायों को आगे ले जाने और समाज के बड़े वर्ग को सक्षमता से वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। मैं यहां इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण उपायों को संक्षिप्त में बताना चाहूंगा।
28. मैं, वित्तीय बाज़ार और बाज़ार की मूलभूत सुविधाओं से शुरू करता हूं। नीति में शामिल कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नानुसार है :
खज़ाना बिलों (टी.बिल) में प्राथमिक नीलामी का निपटान चक्र (साइकिल) को टी+2 से टी+1 तक घटाया जाएगा।
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केंद्रीकृत समाशोधन की सुविधा देने और इन संविदाओं के निपटान के लिए आईआरएस संविदाओं को मानकीकृत किया जाएगा।
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हम ओटीसी डेरिवेटिव्ज़ के लिए एक व्यापार निक्षेपागार विकसित करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
29. अब मैं, वित्तीय समावेशन, ऋण सुपुदर्गी और ग्राहक सेवा के लिए किए गए प्रयासों के बारे में बताना चाहूंगा। बैंकों के साथ व्यापक परामर्श करने के बाद हमने प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार पर दिशानिर्देशों को विवेकसंगत बनाया है। इस संबंध में किए गए महत्वपूर्ण प्रयास निम्नानुसार हैं :
साझेदारी, ग्रामीण सहकारी और कंपनी श्रेणी के अंतर्गत कृषि और सहबद्ध क्रियाकलापों से सीधे जुड़ी साझेदारी फर्मों, सहकारियों और कंपनियों को `20 मिलियन तक के ऋण को भी कृषि के लिए प्रत्यक्ष वित्त के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
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आवास के लिए प्रति उधारकर्ता `1 मिलियन तक की राशि के लिए आगे उधार देने के लिए आवासीय वित्त कंपनियों (एचएफसी) को बैंक ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत शामिल किया जाएगा बशर्तें आवासीय वित्त कंपनियों द्वारा अंतिम उधारकर्ता को लागू ब्याज दर आवासीय ऋणों के लिए उधार देनेवाली बैंक के न्यूनतम ब्याज दर के ऊपर दो प्रतिशत अंकों से अधिक नहीं होनी चाहिए।
30. सहकारी क्षेत्र के संबंध में अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को कॉर्पोरेट बाण्डों में रिपो लेनदेन करने की अनुमति दी गई है।
31. अन्य एक महत्वपूर्ण कदम सूक्ष्म और लघु उद्यमों से संबंधित है। इन उद्यमों की रूग्णता की परिभाषा को संशोधित किया गया ताकि अर्थक्षम रूग्ण इकाईयों का सक्षम रूप से शीघ्र पुर्नवास किया जा सके और क्षेत्र में रूग्ण इकाईयों की सक्षमता का आकलन करने के लिए एक प्रणाली बनाई जाए।
32. विनियमन और पर्यवेक्षण की ओर बढ़ते हुए हम मध्य-नवंबर 2012 तक 'केंद्रीय प्रतिपक्षों को बैंक एक्सपोज़र के लिए पूँजी आवश्यकताएं' तथा दिसंबर 2012 के अंत तक 'पूँजी प्रकटीकरण आवश्यकताओं का संगठन' विषयों पर दिशानिर्देशों का प्रारूप जारी करेंगे।
33. वित्तीय स्थिरता के बड़े लक्ष्य को देखते हुए और बैंकों के पास पर्याप्त प्रावधानीकरण बफर है, यह सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्ट प्रणालियों को ध्यान में रखते हुए पुनर्गठित मानक खातों के लिए प्रावधान को मौजूदा 2 प्रतिशत से 2.75 प्रतिशत तक बढ़ाया जा रहा है।
34. अनर्जक आस्तियों और बैंकों के पुर्नगठित अग्रिमों में वृद्धि के मामले को संबोधित करने और ऋण, डेरिवेटिव्ज़ तथा अप्रतिरक्षित विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र विषय पर बैंकों के बीच प्रभावी जानकारी एक-दूसरे के साथ बांटने में सुधार लाने की दृष्टि से बैंकों को दिसंबर 2012 के अंत तक सूचना सहभागिता के लिए एक प्रभावी व्यवस्था करने के लिए सूचित किया गया है। 1 जनवरी 2013 से नए अथवा मौजूदा उधारकर्ताओं को नए ऋण / अस्थायी ऋण / ऋणों के नवीकरण की किसी भी मंजूरी केवल आवश्यक जानकारी प्राप्त करने / बांटने के बाद ही किया जाना चाहिए।
35. कंपनियों के बचाव-रहित विदेशी मुद्रा निवेश की बात करते हुए जो उनके साथ-साथ वित्त प्रदान करने वाले बैंकों एवं वित्तीय प्रणाली के प्रति जोखिम के स्रोत हैं, हम बैंकों को यह सूचित कर रहे हैं कि वे कंपनियों के बचाव-रहित विदेशी मुद्रा निवेश से उत्पन्न जोखिमों का मज़बूती से मूल्यांकन करने के लिए एक उचित व्यवस्था लागू करें तथा ऋण जोखिम प्रिमियम में उनका मूल्यनिर्धारण करें। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे बैंक की बोर्ड अनुमोदित नीति के आधार पर कंपनियों के बचाव-रहित स्थिति पर एक सीमा निर्धारित करने पर विचार करें।
36. हम प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थाओं (एसआईएफआई) पर कार्रवाई करने के लिए विनियामक ढांचे को मज़बूत बनाने की प्रक्रिया में हैं जिसपर दबाव पड़ सकता है और जिसके लिए समाधान अपेक्षित होगा। तदनुसार, सरकार और रिज़र्व बैंक भारत में सभी प्रकार की वित्तीय संस्थाओं के लिए एक व्यापक समाधान व्यवस्था की अनुशंसा करने के लिए एक उच्चएक उच्च-स्तरीय कार्यदल का गठन कर रहे हैं।
37. अपनी बात समाप्त करने के पहले मैं यह उल्लेख करना चाहूँगा कि वृद्धि में सुधार के बावजूद मुद्रास्फीति दबावों की निरंतरता एक मुख्य चुनौती बनी हुई है। इसमें विशेष चिंता मुख्य मुद्रास्फीति का आपूर्ति बाध्यताओं तथा रुपया अवमूल्यन से बढ़ी हुई लागत के कारण जमे रहना है। परिणामत: मुद्रास्फीति तथा मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं का प्रबंध मौद्रिक नीति का प्राथमिक ध्यान बना रह सकता है। मौद्रिक नीति की एक केंद्रीय प्रस्तावना यह है कि न्यूनतर तथा स्थायी मुद्रास्फीति एवं सुव्यवस्थित मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं एक अनुकूल निवेश वातावरण और उपभोक्ता विश्वास के प्रति योगदान करेंगी जो मध्यावधि में उच्चतर सीमा पर जारी वृद्धि की कुंजी है।
38. तदनुसार, पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा है, यद्यपि वृद्धि जोखिमें बढ़ी हैं। सरकार द्वारा हाल के नीति प्रयासों ने गतिविधि को पुन: सक्रिय करने के मामले में परिणाम देना शुरू कर दिया है। इससे मौद्रिक नीति को वृद्धि को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कार्य करने की गुंजाइश रहेगी। तथापि, ऐसा करते हुए यह महत्वपूर्ण है कि मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं का प्रबंध करने के प्राथमिक उद्देश्य से ध्यान नहीं हटे।
39. मुझे ध्यानपूर्वक सुनने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। रिज़र्व बैंक की ओर से आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं।''
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/713 |