17 दिसंबर 2013
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में संकटपूर्ण आस्तियों को
पुनर्जीवित करने के ढांचे पर चर्चा पत्र जारी किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर वित्तीय संकट की पहले ही पहचान करने, समाधान के त्वरित उपायों और ऋणदाताओं के लिए निष्पक्ष वसूलीः अर्थव्यवस्था में संकटपूर्ण आस्तियों को पुनर्जीवित करने के ढांचे पर चर्चा पत्र जारी किया है। चर्चा पत्र पर टिप्पणियां 1 जनवरी 2014 तक प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, केन्द्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400 001 पर भेजें या ईमेल करें।
चर्चा पत्र में सुधारात्मक कार्य योजना की रूपरेखा दी गई है जिससे समस्या मामलों की पहले ही पहचान करने, व्यवहार्य लेखों की समयबद्ध पुनर्संरचना करने और बैंकों द्वारा वसूली और अव्यवहार्य लेखों की बिक्री के लिए तत्पर कदम उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। चर्चा पत्र का सार-संक्षेप निम्न प्रकार है:
प्रस्तावों का सारांश
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समाधान योजना पर सहमति के लिए सामयिकता के साथ उधारदाताओं की समिति का पहले ही गठन किया जाना।
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यदि समाधान योजना पर कार्य चल रहा है तो संकटपूर्ण आस्तियों के बेहतर विनियामक निपटान हेतु ऋणदाताओं के लिए किसी योजना पर सामूहिक रूप से और तुरंत सहमति के लिए प्रोत्साहन, यदि कोई करार नहीं हो पाता है तो त्वरित प्रावधानीकरण।
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वर्तमान पुनर्संरचना प्रक्रिया में सुधारः व्यवहार्य योजनाओं तथा प्रवर्तकों और ऋणदाताओं के बीच हानियों की उचित हिस्सेदारी (और भविष्य की संभाव्य वृद्धि) पर ध्यान देते हुए अधिदेशित बड़े मूल्य की संरचनाओं का स्वतंत्र मूल्यांकन।
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उन उधारकर्ताओं के लिए भविष्य का अधिक महंगा उधार जो समाधान में उधारदाताओं का सहयोग नहीं करते हैं।
- आस्ति बिक्री की अधिक उदार विनियामक कार्रवाई
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उधारदाता बिक्री हानि का विस्तार दो वर्षों के लिए कर सकता है बशर्ते हानि को पूरी तरह से प्रकट किया गया हो।
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दीर्घ अवधि के दौरान वित्त की संभावित निकासी/पुनर्वित्तीयकरण और इसे पुनर्संरचना नहीं माना जाएगा।
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‘संकटग्रस्त कंपनियों’ के अधिग्रहण के लिए विशेष संस्थाओं को लिवरेज वाली सीधी खरीद की अनुमति दी जाएगी।
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चर्चित आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों की बेहतर कार्यपद्धति के लिए कदम उठाना।
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क्षेत्र-विशिष्ट कंपनियों/निजी इक्विटी फर्मों को संकटग्रस्त आस्तियों के बाजार में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
पृष्ठभूमि
भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने से अनेक कंपनियां/परियोजनाएं दवाब में हैं। परिणामस्वरूप, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में हाल के वर्षों में अनर्जक आस्तियों और पुनर्संरचित लेखों में वृद्धि हुई है।वित्तीय रूप से संकटग्रस्त आस्तियां न केवल कम उत्पादन करती है बल्कि इनके मूल्य में भी तेज गिरावट होती है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंकिंग प्रणाली में वित्तीय संकट की पहले ही पहचान की जाए, इसे दूर करने के लिए त्वरित उपाय किए जाएं और ऋणदाताओं और निवेशकों के लिए निष्पक्ष वसूली सुनिश्चित की जाए। वास्तविक और वित्तीय पुनर्संरचना तथा ऋण वसूली द्वारा कंपनी संकट और वित्तीय संस्था संकट के निपटान के लिए प्रणाली की क्षमता में सुधार करना भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा पांच स्तंभों में से एक स्तंभ बताया गया है जिनपर अगली कुछ तिमाहियों में वित्तीय प्रणाली में सुधार हेतु रिज़र्व बैंक के विकासात्मक उपाय तैयार किए जाएंगे। यह चर्चा पत्र इस दिशा में एक कदम है।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1220 |