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भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापार प्राप्य राशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) स्थापित और परिचालित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए

3 दिसंबर 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापार प्राप्य राशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस)
स्थापित और परिचालित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज व्यापार प्राप्य राशि भुनाई प्रणाली (टीआ रईडीएस) स्थापित और परिचालित करने के लिए दिशानिर्देश घोषित किए। व्यापार प्राप्य राशि भुनाई प्रणाली संस्थागत व्यवस्था स्थापित और परिचालित करने की एक योजना है जो सरकारी विभागों और बहु-वित्तपोषकों के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की प्राप्य राशि के वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करती है।

दिशानिर्देशों में व्यापार प्राप्य राशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) को परिचालित करने की आवश्यकताओं और मूलभूत सिद्धांतों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, इसमें ऐसी प्रणाली स्थापित और परिचालित करने की इच्छुक संस्थाओं के लिए पात्रता मानदंड दर्शाने के अतिरिक्त प्रणाली प्रतिभागी, उनकी भूमिका, लेनदेन प्रक्रिया प्रवाह, निपटान प्रक्रिया आदि शामिल हैं। प्रणाली के कार्यकलापों में प्रचलित विधि और विनियामक आवश्यकताओं का पालन करना होगा।

टीआरईडीएस एक प्राधिकृत भुगतान प्रणाली होगी और यह भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक की निगरानी के अधीन भी होगी।

भुगतान प्रणाली परिचालित करने के लिए पीएसएस अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने के लिए किसी गैर-बैंक संस्था के लिए सामान्य दिशानिर्देश और आवेदन फार्मेट http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/86707.pdf पर उपलब्ध हैं। दिशानिर्देशों में दिए गए पात्रता मानदंड पूरा करने वाली और टीआरईडीएस स्थापित करने की इच्छुक संस्थाएं अपना आवेदन निर्धारित फार्मेट में मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400001 को भेज सकते हैं। आवेदन 13 फरवरी 2015 को कारोबार की समाप्ति तक स्वीकार किए जाएंगे।

पृष्ठभूमि

गवर्नर ने 4 सितंबर 2014 को अपने वक्तव्य में देश में इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग विनिमय की सुविधा देने की मंशा की घोषणा की थी जो बड़ी कंपनियों के एमएसएमई बिलों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वीकार कर सकें और उनकी नीलामी कर सकें जिससे कि एमएमएमई को शीघ्रता से भुगतान किया जा सके। एमएसएमई क्षेत्र विलंबित भुगतान की समस्या का सामना करता है और ऐसा सरकारी विभागों/उपक्रमों सहित कार्पोरेट और अन्य क्षेत्रों के अंदर उनके खरीदारों पर उनकी निर्भरता के कारण होता है। वे प्रायः इस प्रयोजन के लिए सृजित उचित संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से विलंबित भुगतानों की समस्या को उठाने में असमर्थ होते हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुछ संस्थाओं के हित को ध्यान में रखते हुए और चयनित स्टेकधारकों के परामर्श से मार्च 2014 में “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) फैक्टरिंग-व्यापार प्राप्त राशि का विनिमय” पर अवधारणा पत्र प्रकाशित किया था।

अवधारणा पत्र पर प्राप्त सार्वजनिक टिप्पणियों के आधार पर टीआरईडीएस स्थापित और परिचालित करने के लिए प्रारूप दिशानिर्देश बनाए गए और 22 जुलाई 2014 को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाले गए थे। आमजनता/स्टेकधारकों से प्राप्त प्रतिसूचना (फीडबैक) से इन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया है जिन्हें भुगतान और निपटान (पीएसएस) अधिनियम, 2007 की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2) के अंतर्गत जारी किया गया है।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1139


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