27 मार्च 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बड़े एक्सपोज़र ढांचे और बाजार व्यवस्था के माध्यम से
ऋण आपूर्ति बढ़ाने संबंधी चर्चा पत्र अपनी वेबसाइट पर डाला
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर बड़े एक्सपोज़र (एलई) ढांचे और बाजार व्यवस्था के माध्यम से ऋण आपूर्ति बढ़ाने संबंधी चर्चा पत्र अपनी वेबसाइट पर डाला। चर्चा पत्र पर टिप्पणियां प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को 30 अप्रैल 2015 तक भेज सकते हैं या ईमेल कर सकते हैं।
प्रस्तावित बड़े एक्सपोज़र (एलई) ढांचे की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रत्येक काउंटरपार्टी जिसमें आपस में जुड़ी हुई काउंटरपार्टियों का समूह शामिल है, उनके संबंध में बड़े एक्सपोज़र की सीमा पात्र पूंजी आधार का 25 प्रतिशत होगी।
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पात्र पूंजी आधार को वर्तमान में ‘पूंजी निधि’ की तुलना में बैंक की टीयर 1 पूंजी के रूप में प्रतिभाषित किया जाएगा।
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आपस में जुड़ी हुई काउंटरपार्टियों के समूह को रिज़र्व बैंक के वर्तमान एक्सपोज़र मानदंडों के अंतर्गत केवल ‘नियंत्रण’ मानदंडों की तुलना में ‘नियंत्रण’ और ‘आर्थिक अंतर-निर्भरता’ मानदंडों के आधार पर परिभाषित किया जाएगा।
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प्रस्तावित बड़ा एक्सपोज़र ढांचा 1 जनवरी 2019 से पूरी तरह लागू होगा।
यह चर्चा पत्र एक निश्चित शुरुआती सीमा से अधिक सीमा पर कार्यशील पूंजी और मीयादी ऋण का लाभ उठा रही उन बड़ी कंपनियों के लिए वाणिज्यिक पेपरों और कॉर्पोरेट बांडों जैसी बाजार व्यवस्था के माध्यम से अपनी अल्पकालिक और दीर्घकालिक निधियन आवश्यकताओं के एक भाग की पूर्ति करने संबंधी प्रस्ताव पर टिप्पणियां आमंत्रित करता है।
पृष्ठभूमि
बड़े एक्सपोज़र ढांचा का प्रस्ताव रिज़र्व बैंक द्वारा 30 सितंबर 2014 को घोषित चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2014-15 में की गई घोषणा के अनुसार किया गया है। इस घोषणा में 1 जनवरी 2019 से लागू होने वाले बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीबीएस) द्वारा घोषित मानकों के अनुरूप बैंकों के बड़े एक्सपोज़र और भारत में लागू एक्सपोज़र सीमाओं के अभिसरण पर चर्चा पत्र जारी करना शामिल था।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2046 |