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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अंतर्गत निदेश – एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ

17 अप्रैल 2015

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा
35 क के अंतर्गत निदेश – एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनहित को ध्‍यान में रखते हुए एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ को कतिपय निदेश जारी किए। ये अनुदेश छह माह की अवधि के लिए लागू रहेंगे और समय-समय पर इनकी समीक्षा की जाएगी। तदनुसार, एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ 16 अप्रैल, 2015 को कारोबार की समाप्ति से, भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्व अनुमति लिए बिना कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं कर सकता है या उसका नवीकरण नहीं कर सकता है, कोई निवेश नहीं कर सकता है, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं ले सकता है, कोई भुगतान नहीं कर सकता है और न ही भुगतान करने के लिए सहमत हो सकता है, भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों के निर्वहन से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं कर सकता है और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेच सकता है, न अंतरित कर सकता है या अन्यथा रीति से उसका निपटान कर सकता है। यह बैंक/इस बैंक

i. को प्रत्येक जमाकर्ता को प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते में कुल शेष में से ` 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) तक की राशि अदा करने की अनुमति दी जाएगी। तथापि, यदि ऐसे जमाकर्ता की बैंक के प्रति उधारकर्ता या जमानतदार के रूप में कोई देनदारी हो तो उस राशि को पहले संबंधित उधार खाते/खातों में समायोजित किया जाए;

ii. परिपक्‍वता पर मौजूदा मीयादी जमाराशि का नवीकरण उसी नाम और उसी क्षमता में कर सकता है;

iii. उपर्युक्‍त निदेशों के अंतर्गत अनुमत व्यय कर सकता है;

iv. तब तक न तो कोई अन्य देयता अपने ऊपर लेगा और न ही उनका निपटान करेगा जब तक कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिखित रूप में इस आशय का विशिष्ट अनुमोदन न दिया जाता हो; तथा

v. तब तक प्रतिबंधों के साथ अपना बैंकिंग कारोबार चला सकता है जब तक उसकी वित्‍तीय स्थिति में सुधार नहीं हो जाता हो।

विस्‍तृत निदेश इच्‍छुक लोगों की सूचना के लिए बैंक परिसर में प्रदर्शित किए गए हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये निदेश जारी किए हैं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2198


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