31 अगस्त 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी की घरेलू स्तर पर प्रणालीगत रूप से
महत्वपूर्ण संस्थाओं (डी-एसआईबी) की सूची
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड को घरेलू स्तर पर प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) के रूप में घोषित किया है।
रिज़र्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को घरेलू स्तर पर प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के संबंध में एक ढांचा जारी किया था। इस डी-एसआईबी ढांचे के तहत रिज़र्व बैंक के लिए यह अपेक्षित है कि वह अगस्त 2015 से लेकर प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में डी-एसआईबी के रूप में वर्गीकृत बैंकों के नाम घोषित करे। इस ढांचे के तहत यह भी अपेक्षित है कि डी-एसआईबी को उनके प्रणालीगत रूप से महत्व के स्कोर (एसआईएस) के अनुसार चार वर्गों में वर्गीकृत किया जाए। डी-एसआईबी ढांचे में बताए अनुसार डी-एसआईबी पर उसके वर्गीकृरण के स्वरूप के मुताबिक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी अपेक्षा लागू की जानी है।
डी-एसआईबी ढांचे के अंतर्गत डी-एसआईबी की पहचान के लिए दो चरणों वाली प्रक्रिया बताई गई है। पहले चरण में ऐसे बैंकों का नमूना निर्धारित किया जाना है, जिनका मूल्यांकन प्रणालीगत रूप से महत्व रखने वाले के रूप में किया जाना है। एसआईएस के अभिकलन की दृष्टि से नमूने हेतु किया जाने वाला इन बैंकों का चयन वार्षिक जीडीपी के प्रतिशत के रूप में उनके आकार के विश्लेषण के आधार पर किया जाएगा।
डी-एसआईबी ढांचे में विनिर्दिष्ट पद्धति और 31 मार्च 2015 की स्थिति के अनुसार बैंकों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर डी-एसआईबी और संबद्ध संरचना के रूप में पहचान किए गए बैंक निम्नानुसार हैं :
बकेट |
बैंक |
जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर-1 अपेक्षा |
5 |
- |
1.0% |
4 |
- |
0.8% |
3 |
भारतीय स्टेट बैंक |
0.6% |
2 |
- |
0.4% |
1 |
आईसीआईसीआई बैंक |
0.2% |
डी-एसआईबी के लिए लागू अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर-1 (सीईटी-1) की अपेक्षाएं 01 अप्रैल 2016 से चरणबद्ध रूप से लागू होंगी तथा ये 01 अप्रैल 2019 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएंगी। यह अतिरिक्त सीईटी-1 अपेक्षा पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी।
इसके अलावा, डी-एसआईबी ढांचे में बताए अनुसार भारत में शाखा रखने वाले ऐसे विदेशी बैंक, जो वैश्विक स्तर पर प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (जी-एसआईबी) है, के मामले में उसकी अपनी जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यू) के अनुपात के आधार पर एक जी-एसआईबी के रूप में भारत में अतिरिक्त सीईटी-1 पूंजी अधिभार बनाए रखना लागू होगा।
संगीता दास
निदेशक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/545
|