01 सितंबर 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निधि की सीमांत लागत पद्धति पर आधारित
आधार दर के अभिकलन संबंधी दिशानिर्देशों के प्रारूप पर राय/फीडबैक मांगा
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अग्रिमों पर ब्याज दर-आधार दर पद्धति संबंधी दिशानिर्देशों का प्रारूप राय/फीडबैक हेतु अपनी वेबसाइट पर आज उपलब्ध कराया। इस संबंध में अपनी राय/फीडबैक इस प्रेस प्रकाशनी की तारीख से दो सप्ताह के अंदर अर्थात 15 सितंबर 2015 तक नामक ई-मेल पर या मुख्य महाप्रबंधक, निदेश प्रभाग, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 13वीं मंजि़ल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400 001 को डाक द्वारा भेजा जा सकता है।
पृष्ठभूमि
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 07 अप्रैल 2015 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2015-16 में यह बताया था कि 'मौद्रिक संचरण के लिए ऋण दरों का नीतिगत दर के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। 1 जुलाई 2010 को आधार दर का प्रारंभ होने के साथ ही बैंक अपनी वास्तविक ऋण एवं अग्रिम की दरों को आधार दर के अनुसार निर्धारित कर पाए। वर्तमान में, बैंक अपनी आधार दर की गणना के लिए निधियों की औसत लागत, निधियों की सीमांत लागत या निधियों की मिश्रित लागत (देयताएं) जैसी विभिन्न पद्धतियों के आधार पर कर रहे हैं। निधियों की सीमांत लागत पर आधारित आधार दरें नीतिगत दरों में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील होनी चाहिए। मौद्रिक नीति के संचरण की प्रभावशीलता में सुधार लाने के लिए रिज़र्व बैंक, बैंकों को उनकी आधार दरों के निर्धारण के लिए निधियों की सीमांत लागत आधारित पद्धति को समयबद्ध ढंग से अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।'
तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आधार दरों के परिकलन के लिए निधियों की सीमांत लागत पद्धति अपनाने के संबंध में बैंकों के लिए दिशानिर्देशों का प्रारूप अब जारी किया है। इन दिशानिर्देशों के संबंध में व्यापक स्तर पर राय प्राप्त करने के लिए इनका प्रारूप बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। प्राप्त होने वाले फीडबैक के आधार पर अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
संगीता दास
निदेशक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/553 |