20 अक्टूबर 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आमंत्रित किए
भारत बिल भुगतान प्रणाली परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) के प्राधिकार के लिए आवेदन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्तमान में बिल भुगतान संबंधी कार्यों से जुड़ी और भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के अंतर्गत भारत बिल भुगतान प्रणाली परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) के रूप में परिचालन करने हेतु इच्छुक संस्थाओं से प्राधिकार के लिए आज आवेदन आमंत्रित किए हैं। बीबीपीएस भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा परिचालित एक प्राधिकृत भुगतान प्रणाली है।
सर्वप्रथम, बीबीपीएस के अंतर्गत बीबीपीओयू बिजली, पानी, गैस, टेलीफोन और डाइरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) जैसी दैनिक उपयोगी सेवाओं के लिए बार-बार किए जाने वाले भुगतानों की वसूली की सुविधा देने वाली संस्थाओं के रूप में कार्य करेंगी। वर्तमान में ऐसे भुगतान कार्यकलापों से जुड़ी और यह कार्य करने के लिए इच्छुक संस्थाओं के लिए अनिवार्य है कि वे भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन प्रस्तुत करें।
निर्धारित फार्मेट में आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400 001 को भेजा जा सकता है। आवेदन 20 नवंबर 2015 कारोबार समय की समाप्ति तक स्वीकार किए जाएंगे।
सामान्य दिशानिर्देश और गैर-बैंक संस्थाओं के लिए भुगतान प्रणाली के परिचालन हेतु पीएसएस अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने लिए आवेदन का फार्मेट http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Forms/DOCs/PSSACRT130215.DOC पर उपलब्ध है। आवदेक टेम्प्लेट में बताए अनुसार अतिरिक्त जानकारी भी दे सकते हैं।
गैर-बैंकों के लिए
प्राधिकार प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाली और बीबीपीएस दिशानिर्देशों के पैरा 13 में बताए गए पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाली गैर-बैंक संस्थाओं को पीएसएस अधिनियम के अंतर्गत बीबीपीएस से जुड़ने के लिए ‘सैद्धांतिक’ प्राधिकार जारी किया जाएगा। ऐसी संस्थाओं को पात्रता मानदंडों (बीबीपीएस दिशानिर्देशों के पैरा 15 में बताए अनुसार) को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर 2016 तक समय-अवधि में एक-बारगी विस्तार किया जाएगा, जिन्होंने प्राधिकार के लिए आवेदन किया है, लेकिन पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं कर पाया हो। वे इस अवधि के दौरान बिल भुगतान संबंधी कार्य करना जारी रख सकती हैं। किंतु जो संस्थाएं 31 दिसंबर 2016 तक पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं कर पाती हों, उन्हें या तो मौजूदा बीबीपीओयू का एजेंट बनना है या फिर 31 मई 2017 तक बिल भुगतान के कारोबार को बंद करना है।
बैंकों के लिए
बीबीपीओयू बनने के इच्छुक बैंकों से अपेक्षित होगा कि वे भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई से एकबारगी अनुमोदन प्राप्त करने संबंधी पत्र के साथ इस प्रकार का कार्यकलाप करने के लिए अपने बोर्ड के अनुमोदन की एक प्रति प्रस्तुत करें। बिल बनाने वाले के प्रकार तथा बीबीपीओयू के रूप में उनके द्वारा निपटान किए जा रहे तथा/या निपटान का प्रस्ताव किए जाने वाले बिल भुगतानों के ब्योरे भी बैंक उपलब्ध कराएं। वर्तमान में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए बिल बनाने वालों की पूरी सूची भी उपलब्ध कराई जाए। बैंकों के अनुरोध पत्र भी 20 नवंबर 2015 को कारोबार की समाप्ति तक स्वीकार किए जाएंगे।
बीबीपीएस के अंतर्गत आने वाले बिलों के दायरे को बढ़ाकर क्रमिक रूप से उसके अंतर्गत बार-बार किए जाने वाले अन्य प्रकार के बिलों को भी शामिल किया जाएगा। ऐसे भुगतानों के निपटान कार्य में लगी संस्थाओं को बीबीपीएस का अंग बनाने के लिए भविष्य में उचित समय पर प्राधिकार विंडो पुनः खोला जाएगा। जबकि बीबीपीएस सुलभ और अंतर-परिचालन योग्य बिल भुगतान परिवेश उपलब्ध कराएगा, बिल बनाने वालों के स्वयं के संग्रह स्थल ग्राहकों के लिए उपलब्ध रहेंगे।
ऐसी सभी संस्थाओं (बैंकों सहित) जो प्राधिकार/अनुमोदन के लिए आवेदन नहीं कर पाती हैं और बीबीपीएस के दायरे में कवर किए जाने वाले भुगतान कार्यकलापों में लगी रहती हैं, को भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत जारी बीबीपीएस दिशानिर्देशों के उल्लंघन में कारोबार करने वाले के रूप में माना जाएगा तथा उन पर रिज़र्व बैंक द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
पृष्ठभूमि
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 28 नवंबर 2014 को भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी किए थे (परिपत्र आरबीआई/2014-15/327/डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.940/02.27.020/2014-15)। परिपत्र में यह दर्शाया गया था कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) प्राधिकृत भारत बिल भुगतान सेंट्रल इकाई (बीबीपीसीयू) के रूप में कार्य करेगा तथा बीबीपीएस प्रक्रियाओं के लिए मानक निर्धारित करेगा जिनका इस प्रणाली के अंतर्गत सभी परिचालन इकाइयों द्वारा पालन किए जाने की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, भावी सहभागियों को भी एनपीसीआई से चर्चा करने के लिए सूचित किया गया था। रिज़र्व बैंक को यथासमय सही तारीख/फार्मेट अधिसूचित करना था जिसमें ऐसे आवेदन प्राधिकार/अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/956
बीबीपीओयू के रूप में प्राधिकार संबंधी आवेदन के साथ प्रस्तुत की जाने वाली अतिरिक्त सूचना
1. |
आवेदन करने वाली संस्था का बहिर्नियम (एमओए) जिसमें प्रासंगिक खंडों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हुए बीबीपीओयू के रूप में परिचालन के प्रस्तावित कार्यकलाप कवर किए गए हों। |
2. |
किसी कंपनी में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) के मामले में आवश्यक अनुमोदन की प्रति जो विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के अंतर्गत एफडीआई पर समेकित नीति और विनियमों के तहत औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा अधिसूचित नीति के अंतर्गत अपेक्षित है। |
3. |
आवश्यक दस्तावेज जो पिछले लेखापरीक्षित तुलन-पत्र के अनुसार कम से कम ₹ 100 करोड़ रुपए की निवल मालियत की उपलब्धता दर्शाते हो। |
4. |
ऑनलाइन और भौतिक पद्धति सहित बिल भुगतानों के क्षेत्र में पिछले अनुभव के ब्योरे |
5. |
बिल बनाने वाले तथा बिल भुगतान का प्रकार जिसका बीबीपीओयू के रूप में प्राधिकृत होने पर निपटान किया जा रहा है और/या निपटान करने के लिए प्रस्तावित किया जा रहा है। बिल बनाने वालों की पूरी सूची उपलब्ध कराना जिनके लिए वर्तमान में सेवाएं प्रदान की जाती हों। |
6. |
आवेदन के लिए महत्व रखने वाले अन्य विशिष्ट इनपुट जो संस्था उपलब्ध कराना चाहती है |
नोट: निवल मालियत के परिकलन के लिए कृपया https://www.rbi.org.in/scripts/FS_Notification.aspx?Id=9490&fn=9&Mode=0 पर उपलब्ध अनुदेश देखें। |