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भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय आस्ति होल्डिंग को समेकित रूप से देखने के लिए लेखा समूहक कंपनियों के लिए प्रारूप विनियामकीय ढांचा जारी किया

3 मार्च 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय आस्ति होल्डिंग को समेकित रूप से देखने
के लिए लेखा समूहक कंपनियों के लिए प्रारूप विनियामकीय ढांचा जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर प्रारूप निदेश (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – लेखा समूहक (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016) जारी किए हैं जिससे कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के एक नए रूप की अनुमति प्रदान करने के लिए विनियामकीय ढांचे की शुरुआत की जा सके जो एक लेखा समूहक के रूप में कार्य कर सकता है।

लेखा समूहक की आवश्यकता क्यों है?

वर्तमान में वित्तीय आस्तियां जैसे बचत बैंक जमाराशियां, स्थायी जमाराशियां, म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसियां रखने वाले व्यक्ति अपनी वित्तीय आस्ति होल्डिंग्स को समेकित रूप से नहीं देख पाते हैं, विशेषकर जब संस्थाएं भिन्न-भिन्न वित्तीय क्षेत्र विनियामकों के दायरे में आती हैं। लेखा समूहक ग्राहकों की वित्तीय आस्तियों की सूचना प्राप्त कर और ग्राहक को या ग्राहक के अनुदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को एक समेकित, संगठित और पुनःप्राप्त करने योग्य तरीके से सूचना उपलब्ध कराकर इस अंतराल को भरेंगे। निवेशक पूरी तरह से अपने विकल्प के आधार पर लेखा समूहक की सेवा का लाभ उठा सकेंगे।

रिज़र्व बैंक लेखा संग्रहण के कार्यकलाप को नियंत्रित करेगा और उसका पर्यवेक्षण करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उपलब्ध कराई गई सेवाएं और जिन शर्तों पर ये सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं, वे निर्धारित मानकों को पूरा करती हैं।

प्रारूप निदेशों के अनुसार :

  • केवल वही कंपनियां लेखा समूहक का कारोबार कर सकेंगी जो रिज़र्व बैंक के पास एनबीएफसी-एए के रूप में पंजीकृत हैं।

  • अन्य वित्तीय क्षेत्र विनियामकों द्वारा नियमित संस्थाएं और उस विशेष क्षेत्र की वित्तीय आस्तियों से संबंधित लेखों का संग्रह करने वाली संस्थाओं को रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं होगी।

  • ऐसी कंपनियों की निवल स्वधिकृत निधि रु. 2 करोड़ से कम नहीं होनी चाहिए।

  • लेखा समूहक अन्य कारोबार नहीं करेगा, केवल लेखा समूहक का कारोबार ही करेगा।

  • लेखा समूहक का कारोबार पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकीपरक होगा।

  • प्रारंभ में, केवल उन वित्तीय आस्तियों के संग्रह पर विचार किया जाएगा जिनके रिकार्ड इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में रखे गए हैं और जो वित्तीय क्षेत्र विनियामकों जैसे आरबीआई, सेबी, इरडा और पीएफइरडा के नियंत्रणाधीन हैं।

  • लेखा संग्रहण सेवाएं उन ग्राहकों द्वारा विशिष्ट एप्लिकेशन के तहत उपलब्ध कराई जाएंगी जो ऐसी सेवाओं का लाभ उठाना चाहते हैं और इन सेवाओं के लिए उचित करार/प्राधिकार देना होगा।

  • सेवाओं का मूल्यनिर्धारण लेखा समूहक के बोर्ड की अनुमोदित नीति के अनुसार होगा।

  • वित्तीय सेवा प्रदाताओं से लेखा समूहक द्वारा हटाई गई वित्तीय आस्ति से संबंधित ग्राहक सूचना लेखा समूहक के पास नहीं होनी चाहिए।

  • लेखा समूहक वित्तीय आस्तियों के लेनदेनों में सहायता नहीं करेगा।

सभी इच्छुक पार्टियों और आमजनता के विचार/सुझाव जानने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा है कि प्रारूप निदेशों पर सुझाव और टिप्पणियां 18 मार्च 2016 तक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर-बैंकिंग विनियमन विभाग, दूसरी मंजिल, विश्व व्यापार केंद्र, कफ परेड, मुंबई – 400005 पर भेजी जा सकती हैं या यहां क्लिक कर ईमेल की जा सकती हैं। इस विषय पर अंतिम निदेश प्रारूप निदेशों पर प्राप्त प्रतिसूचना पर विचार करने के बाद जारी किए जाएंगे।

रिज़र्व बैंक ने लेखा संग्रहण सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – लेखा समूहक (एनबीएफसी-एए) के नाम से एक अलग श्रेणी की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी का सृजन किया था जैसी 2 जुलाई 2015 की अपनी प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से घोषणा की गई थी।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2077


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