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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने “निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन-टैप’ लाइसेंसिंग के लिए प्रारूप दिशानिर्देश” जारी किए

5 मई 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने “निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन-टैप’
लाइसेंसिंग के लिए प्रारूप दिशानिर्देश” जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन-टैप’ लाइसेंसिंग के लिए प्रारूप दिशानिर्देश” जारी किए। रिज़र्व बैंक ने बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं, औद्योगिक गृहों, अन्य संस्थाओं और आम जनता से प्रारूप दिशानिर्देशों पर विचार/सुझाव मांगे हैं। प्रारूप दिशानिर्देशों पर सुझाव और अभिमत 30 जून 2016 तक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 13वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400 001 को भेज सकते हैं। सुझाव/अभिमत पर ई-मेल किए जा सकते हैं।

प्रारूप दिशानिर्देशों पर प्रतिसूचना, अभिमत तथा सुझाव प्राप्त होने के बाद अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे और निजी क्षेत्र में नए सार्वभौमिक बैंक स्थापित करने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सार्वभौमिक बैंकों पर 22 फरवरी 2013 की पूर्ववर्ती दिशानिर्देशों से अलग वर्तमान दिशानिर्देशों में शामिल होगा - (i) सार्वभौमिक बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकिंग और वित्त में 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले निवासी व्यक्ति और व्यावसायिक पात्र व्यक्तियों के रूप में, (ii) बड़े औद्योगिक/कारोबारी गृहों को पात्र संस्थाओं से बाहर रखा गया है किंतु उन्हें 10 प्रतिशत से कम तक बैंकों में निवेश करने की अनुमति दी गई है, (iii) गैर-परिचालनात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) को गैर-अनिवार्य बनाया गया है यदि प्रवर्तक व्यक्ति या स्टैंडअलोन प्रवर्तक/परिवर्तनीय संस्था हैं जिनके पास अन्य समूह की संस्थाएं नहीं हैं, (iv) एनओएफएचसी के लिए अब आवश्यक है कि प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह के पास उसका पूर्ण स्वामित्व होने की बजाय एनओएफएचसी की कुल चुकता पूंजी के कम से कम 51 प्रतिशत की सीमा तक हो, और (v) वर्तमान विशेषीकृत गतिविधियां एक अलग संस्था से जारी रखने की अनुमति होगी जिन्हें रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के अधीन एनओएफएचसी के तहत किया जाना प्रस्तावित है और यह इस बात के अधीन भी है कि यह सुनिश्चित हो कि ऐसी गतिविधियां बैंक के माध्यम से संचालित नहीं हैं।

दिशानिर्देश की मुख्य विशेषताएं:

(I) पात्र प्रवर्तक

  1. वर्तमान गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) जो निवासियों द्वारा नियंत्रित हैं और उनका 10 वर्ष का सफल ट्रैक रिकार्ड है।

  2. निवासी व्यक्ति / व्यावसायिक जिनके पास बैंकिंग और वित्त का 10 वर्ष का अनुभव है।

  3. निजी क्षेत्र की संस्थाएं / समूह जिनका स्वामित्व और नियंत्रण निवासियों (समय-समय पर यथासंशोधित फेमा विनियमों में यथापरिभाषित) के पास है और जिनका कम से कम 10 वर्षों का सफल ट्रैक रिकार्ड है, बशर्ते कि ऐसी संस्था/समूह की कुल आस्तियां 50 बिलियन या इससे अधिक हैं, कुल आस्तियों / सकल आय के मामले में समूह का गैर-वित्तीय कारोबार 40 प्रतिशत या इससे अधिक नहीं हो।

(II) ‘योग्य और उचित’ मानदंड

प्रवर्तक/प्रवर्तक संस्था/प्रवर्तक समूह का पिछला रिकार्ड अच्छे वित्त, प्रत्यय-पत्र, सत्यनिष्ठा का हो और कम से कम 10 वर्ष का सफल ट्रैक रिकार्ड हो।

(III) कॉर्पोरेट संरचना

गैर-परिचालनात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) की आवश्कता उन व्यक्तिगत प्रवर्तकों या स्टैंडअलोन प्रवर्तक/परिवर्तनीय संस्थाओं के लिए अनिवार्य नहीं है जिनके पास अन्य समूह की संस्थाएं नहीं हैं। व्यक्तिगत प्रवर्तक/प्रवर्तक संस्थाएं जिनकी अन्य समूह संस्थाएं हैं, वे एनओएफएचसी के माध्यम से ही बैंक स्थापित करेंगे। प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह द्वारा एनओएफएचसी का स्वामित्व एनओएफएचसी की कुल चुकता पूंजी की 51 प्रतिशत से कम की सीमा में नहीं होगा। विशेषीकृत गतिविधियां एक अलग संस्था से जारी रखने की अनुमति होगी जिसे रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के अधीन एनओएफएचसी के तहत किया जाना प्रस्तावित है और यह इस बात के अधीन भी है कि यह सुनिश्चित हो कि ऐसी गतिविधियां बैंक के माध्यम से संचालित नहीं हैं।

(IV) न्यूनतम पूंजी आवश्यकता

किसी बैंक के लिए आरंभिक न्यूनतम चुकता वोटिंग इंक्विटी पूंजी बिलियन होगी। इसके बाद बैंक हर समय 5 बिलियन की न्यूनतम निवल मालियत रखेगा।

प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह/एनओएफएचसी, जो भी स्थिति हो, बैंक की चुकता वोटिंग इक्विटी पूंजी का कम से कम 40 प्रतिशत धारित करेगा जिसे बैंक के कारोबार शुरू करने की तारीख से पांच वर्षों की अवधि के लिए लॉक-इन अवधि में रखा जाएगा। प्रवर्तक समूह की शेयरधारिता बैंक के कारोबार शुरू करने की तारीख से 12 वर्षों की अवधि के अंदर 15 प्रतिशत तक नीचे लाई जाएगी।

(V) बैंक में विदेशी शेयरधारिता

बैंक की विदेशी शेयरधारिता उपर्युक्त पैराग्राफ (IV) में इंगित न्यूनतम प्रवर्तक शेयरधारिता आवश्यकता के अधीन मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुसार होगी। वर्तमान में कुल विदेशी निवेश सीमा 74 प्रतिशत है।

(VI) कॉर्पोरेट अभिशासन के विवेकपूर्ण और एक्सपोज़र मानदंड

बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर यथालागू विवेकपूर्ण मानदंडों पर मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन करेगा। बैंक को इसके प्रवर्तकों, बैंक के चुकता इक्विटी शेयरों के 10 प्रतिशत या इससे अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले प्रमुख शेयरधारकों, प्रवर्तकों के संबंधियों तथा उन संस्थाओं जिन पर उनका काफी प्रभाव या नियंत्रण है, को ऋण देने से प्रतिबंधित किया गया है।

(VII) बैंक के लिए कारोबार योजना

आवेदक द्वारा प्रस्तुत कारोबार योजना यथार्थवादी और व्यवहार्य होनी चाहिए तथा उसमें इस बात का समाधान हो कि बैंक किस प्रकार से वित्तीय समावेशन हासिल करेगा।

(VIII) अन्य शर्तें

बैंक द्वारा कारोबार शुरू किए जाने के छह वर्षों के अंदर बैंक स्टॉक बाजारों में सूचीबद्ध अपने शेयरों को प्राप्त करेगा।

बैंक कम से कम अपनी 25 प्रतिशत शाखाएं बैंकरहित ग्रामीण केंद्रों (नवीनतम जनगणना के अनुसार 9,999 तक की जनसंख्या) में खोलेगा। बैंक को मौजूदा घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के उधार लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों का अनुपालन करना होगा। बैंक के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत होना चाहिए।

(IX) आवेदन की प्रक्रिया

  • लाइसेंसिंग विंडों ऑन-टैप खुली रहेगी और आवश्यक सूचना के साथ निर्धारित फार्म में आवेदन रिज़र्व बैंक को किसी भी समय प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

  • इन आवेदनों को रिज़र्व बैंक द्वारा स्थापित स्थायी बाह्य परामर्श समिति (एसईएसी) को भेजा जाएगा।

  • समिति अपनी सिफारिशों पर विचार करने के लिए इन्हें रिज़र्व बैंक को भेजेगी।

  • बैंक स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन जारी करने का निर्णय रिज़र्व बैंक द्वारा लिया जाएगा।

  • रिज़र्व बैंक द्वारा जारी सैद्धांतिक अनुमोदन की वैधता इस सैद्धांतिक अनुमोदन के जारी होने की तारीख से 18 महीने होगी और इसके बाद यह स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।

  • इस संबंध में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

  • पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बैंक लाइसेंसों के लिए आवेदकों के नाम और सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किए जाने के लिए उपयुक्त पाए जाने वाले आवेदकों के नाम समय-समय पर रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाले जाएंगे।

पृष्ठभूमि

यह स्मरण होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए अंतिम दिशानिर्देश 22 फरवरी 2013 को जारी किए थे। इसके परिणामस्वरूप, रिज़र्व बैंक ने दो आवेदकों को सैद्धांतिक अनुमोदन जारी किया और तब से उन्होंने बैंक स्थापित किए हैं।

नरसिंहम समिति, रघुराम जी. राजन समिति की सिफारिशों के अनुसार और अन्य दृष्टिकोणों से भारत में बैंकिंग संरचना पर एक स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने 27 अगस्त 2013 को भारत में बैंकिंग संरचना – आगामी मार्ग पर एक नीति चर्चा पत्र जारी किया। पक्ष और विपक्षों की पूरी तरह से जांच करने के बाद चर्चा पत्र में वर्तमान ‘स्टॉप एंड गो’ लाइसेंसिंग नीति की समीक्षा करने और एक निरंतर प्राधिकार नीति पर विचार करने के लिए कहा गया जिसका आधार यह होगा कि ऐसी नीति प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ाएगी और प्रणाली में नए विचारों को लाएगी। चर्चा पत्र पर प्रतिसूचना ने पर्याप्त बचाव उपायों के साथ निरंतर प्राधिकार के प्रस्ताव का व्यापक समर्थन किया। 1 अप्रैल 2014 को घोषित वर्ष 2014-15 के पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में अन्य बातों के साथ-साथ तब यह दर्शाया गया कि नए लाइसेंसों के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करने के बाद रिज़र्व बैंक ऑन-टैप लाइसेंसिंग और अलग-अलग बैंक लाइसेंसों के फ्रेमवर्क पर कार्य शुरू करेगा। चर्चा पत्र के आधार पर और हाल की लाइसेंसिंग प्रक्रिया जिसमें वर्ष 2014 में दो सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने और लघु वित्त बैंकों और भुगतानों बैंकों को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करने के अनुभव से प्राप्त सीख का उपयोग हुए रिज़र्व बैंक ने अब सार्वभौमिक बैंकों को निरंतर आधार पर लाइसेंस प्रदान करने की फ्रेमवर्क तैयार की है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2581


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