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प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) के निर्गम हेतु प्राधिकार प्रदान करने के लिए अस्थायी आस्थगन

02 सितंबर 2016

प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) के निर्गम हेतु प्राधिकार प्रदान करने के लिए अस्थायी आस्थगन

भारतीय रिज़र्व बैंक भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के अंतर्गत बनाए गए दिशानिर्देशों के अनुसार प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) के निर्गम और परिचालन हेतु गैर-बैंकों और बैंकों को प्राधिकृत कर रहा है। अब तक 47 गैर-बैंक संस्थाएं और 45 बैंक पीपीआई के लिए भुगतान प्रणालियों का परिचालन कर रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों में नई प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और निवेशकों के आने से भुगतान क्षेत्र में महत्वपूर्ण गतिविधियां हुई हैं। ये गतिविधियां और उभरते डिजीटल परिवेश में पीपीआई निर्गम हेतु दिशानिर्देशों की समीक्षा करना आवश्यक हो गया है। तदनुसार, जैसाकि विज़न-2018 में दर्शाया गया है, रिज़र्व बैंक देश में पीपीआई के निर्गम के लिए दिशानिर्देशों और ढांचे की व्यापक समीक्षा करेगा।

इस पृष्ठभूमि में, यह निर्णय लिया गया है कि पीपीएस अधिनियम के अंतर्गत पीपीआई हेतु भुगतान प्रणाली के परिचालन के लिए प्राधिकार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकों से प्राप्त नए आवेदनों की प्राप्तियों को 28 फरवरी 2017 तक अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया जाए। इससे नई संस्थाएं शुरू से ही संशोधित नीति ढांचे का अनुपालन भी कर सकेंगी।

आज कारोबार की समाप्ति तक भारतीय रिज़र्व बैंक को प्राप्त हुए आवेदनों को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार प्रोसेस किया जाएगा।

इस अवधि के दौरान, किसी मौजूदा प्राधिकृत संस्था के स्वामित्व/शेयरधारिता में बदलाव की अनुमति केवल कोर्ट के आदेशों, विलय या समामेलन तथा/या विनियामकीय आवश्यकताओं के कारण अपेक्षित होने पर ही दी जाएगी।

यह अस्थायी आस्थगन उन आवेदनों पर लागू नहीं होगा जो नए लाइसेंस प्राप्त भुगतान बैंकों और लघु वित्त बैंकों द्वारा प्रस्तुत किए जाएं।

अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/588


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