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पंचायती राज संस्थाओं का वित्त

24 जनवरी 2024

पंचायती राज संस्थाओं का वित्त

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने "पंचायती राज संस्थाओं का वित्त" शीर्षक से अपनी रिपोर्ट जारी की। वर्ष 2020-21 से 2022-23 के लिए 2.58 लाख पंचायतों के आंकड़ों पर आधारित, यह रिपोर्ट उनके वित्त और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनकी भूमिका का आकलन प्रस्तुत करती है।

मुख्य बातें:

  • पंचायतों के राजस्व के अपने स्रोत सीमित हैं, मुख्य रूप से संपत्ति कर, शुल्क और जुर्माना - उनके राजस्व का लगभग 95 प्रतिशत सरकार के उच्च स्तर से अनुदान के रूप में होता है, जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता सीमित हो जाती है जो पहले से ही राज्य वित्त आयोगों की स्थापना में देरी के कारण बाधित है।

  • पंचायतों को शक्तियों और कार्यों के अंतरण में अत्यधिक अंतर-राज्य भिन्नताएं हैं, उच्च अंतरण स्तर वाले राज्यों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे के विकास और हाल के वर्षों में, जल आपूर्ति और स्वच्छता में बेहतर परिणाम प्रदर्शित किए हैं।

  • पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के राजस्व और व्यय पर आंकड़ों की असमान उपलब्धता के कारण उनकी राजकोषीय स्थिति का आकलन चुनौतीपूर्ण है, जिससे यह पता चलता है कि मानकीकृत प्रारूपों में इन आंकड़ों के प्रावधान से राजकोषीय पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और साथ ही यह उनके सशक्तिकरण में योगदान देगा।

यह रिपोर्ट आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में स्थानीय वित्त प्रभाग में तैयार की गई है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। रिपोर्ट पर टिप्पणियाँ और सुझाव निदेशक, स्थानीय वित्त प्रभाग, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, एम.एम. मार्ग, मुंबई सेंट्रल, मुंबई - 400008 को भेजे जा सकते हैं। टिप्पणियाँ ई-मेल के माध्यम से भी भेजी जा सकती हैं।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1732


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