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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

8 फरवरी 2024

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाज़ार (ii) विनियमन (iii) भुगतान प्रणाली और फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।

I. वित्तीय बाजार

1. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा

अक्तूबर 2018 में, रिज़र्व बैंक ने इसके द्वारा विनियमित वित्तीय लिखतों में लेनदेन निष्पादित करने हेतु इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के लिए एक विनियामक ढांचा तैयार किया था। ढांचे, जिसका उद्देश्य पारदर्शी, सुरक्षित और कुशल व्यापार प्रक्रियाओं, सुदृढ़ व्यापार अवसंरचना के माध्यम से उचित पहुंच सुनिश्चित करना और बाजार के दुरुपयोग को रोकना है, के अंतर्गत तब से पांच ऑपरेटरों द्वारा संचालित तेरह ईटीपी को अधिकृत किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में, ऑफशोर बाजारों के साथ ऑनशोर विदेशी मुद्रा बाजार का एकीकरण बढ़ा है, प्रौद्योगिकी परिदृश्य में उल्लेखनीय विकास हुआ है तथा उत्पाद विविधता में वृद्धि हुई है। बाजार निर्माताओं ने अनुमत भारतीय रुपया (आईएनआर) उत्पाद प्रदान करने वाले ऑफशोर ईटीपी को एक्सेस करने का भी अनुरोध किया है। इन गतिविधियों के मद्देनजर, ईटीपी के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। संशोधित विनियामक ढांचा, सार्वजनिक फीडबैक के लिए अलग से जारी किया जाएगा।

2. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में ओवर दि काउंटर (ओटीसी) बाजार में स्वर्ण कीमत संबंधी जोखिम की हेजिंग

घरेलू संस्थाओं को स्वर्ण कीमत संबंधी जोखिम के प्रति अपने जोखिम को कुशलतापूर्वक हेज करने के लिए लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, दिसंबर 2022 में, घरेलू संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों के एक्सेस की अनुमति दी गई थी। अब यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें आईएफएससी में ओवर दि काउंटर (ओटीसी) सेगमेंट में स्वर्ण कीमत को हेज करने की भी अनुमति दी जाए। इससे घरेलू संस्थाओं को स्वर्ण के कीमतों के प्रति अपने जोखिम को कम करने के लिए अधिक लचीलापन और डेरिवेटिव उत्पादों तक आसान पहुंच मिलेगी। संबंधित अनुदेश अलग से जारी किये जा रहे हैं।

II. विनियमन

3. खुदरा और एमएसएमई ऋण एवं अग्रिम के लिए मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस)

रिज़र्व बैंक ने ऋण के मूल्य निर्धारण और ग्राहकों पर लगाए जाने वाले अन्य शुल्कों में विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा अधिक पारदर्शिता और प्रकटीकरण को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में कई उपायों की घोषणा की है। ऐसा ही एक उपाय यह है कि ऋणदाताओं को अपने उधारकर्ताओं को एक मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) प्रदान करना होता है जिसमें ऋण करार संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी होती है और इसमें ऋण की सभी लागत भी शामिल होती है, जो सरल और समझने में आसान प्रारूप में होती है। वर्तमान में केएफएस को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को दिए गए ऋण; आरईएस द्वारा डिजिटल ऋण; और माइक्रोफाइनांस ऋण के संबंध में विशेष रूप से अनिवार्य किया गया है। अब यह निर्णय लिया गया है कि सभी आरईएस को सभी खुदरा और एमएसएमई ऋणों के लिए उधारकर्ताओं को 'मुख्य तथ्य विवरण' (केएफएस) प्रदान करने का आदेश दिया जाए। सर्व-समावेशी ब्याज लागत सहित ऋण करार की शर्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने से उधारकर्ताओं को एक सूचित निर्णय लेने में बहुत लाभ होगा।

III. भुगतान प्रणाली और फिनटेक

4. एईपीएस की मजबूती बढ़ाना

एनपीसीआई द्वारा परिचालित आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) ग्राहकों को सहायता प्राप्त माध्यम से डिजिटल भुगतान लेनदेन करने में सक्षम बनाती है। 2023 में, 37 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं ने एईपीएस लेनदेन किया, जो वित्तीय समावेशन में एईपीएस द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा करता है। एईपीएस लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, प्रस्ताव है कि ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाए जिसमें एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों के लिए बैंकों द्वारा पालन की जाने वाली अनिवार्य उचित जांच शामिल हो। अतिरिक्त धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन आवश्यकताओं पर भी विचार किया जाएगा। इस संबंध में शीघ्र ही अनुदेश जारी किये जायेंगे।

5. डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए सिद्धांत-आधारित रूपरेखा

पिछले कुछ वर्षों में, रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा, विशेष रूप से प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) की आवश्यकता, को प्राथमिकता दी है। हालाँकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोई विशेष एएफए निर्धारित नहीं किया है, लेकिन भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने बड़े पैमाने पर एसएमएस-आधारित वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को अपनाया है। प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ, हाल के वर्षों में वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र उभरे हैं। डिजिटल सुरक्षा के लिए ऐसे तंत्रों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक सिद्धांत-आधारित "डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए रूपरेखा" अपनाने का प्रस्ताव है। इस संबंध में अनुदेश अलग से जारी किये जायेंगे।

6. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पायलट में प्रोग्रामयोग्यता और ऑफ़लाइन कार्यक्षमता की शुरुआत

सीबीडीसी रिटेल (सीबीडीसी-आर) पायलट वर्तमान में पायलट बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल रुपया वॉलेट का उपयोग करके व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) लेनदेन को सक्षम बनाता है। अब प्रोग्रामयोग्यता और ऑफ़लाइन कार्यक्षमता का उपयोग करके अतिरिक्त उपयोग के मामलों को सक्षम करने का प्रस्ताव है। प्रोग्रामयोग्यता, उदाहरण के लिए, सरकारी एजेंसियों जैसे उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने की अनुमति प्रदान करेगी कि भुगतान निर्धारित लाभों के लिए किए गए हैं। इसी प्रकार, कॉरपोरेट अपने कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक यात्रा जैसे निर्दिष्ट व्यय का प्रोग्राम बनाने में सक्षम होंगे। वैधता अवधि या भौगोलिक क्षेत्र, जिसके भीतर सीबीडीसी का उपयोग किया जा सकता है, जैसे अतिरिक्त सुविधाओं को भी प्रोग्राम किया जा सकता है। दूसरा, खराब या सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में लेनदेन को सक्षम करने के लिए सीबीडीसी-आर में एक ऑफ़लाइन कार्यक्षमता शुरू करने का प्रस्ताव है। इस उद्देश्य के लिए पहाड़ी क्षेत्रों, ग्रामीण और शहरी स्थानों में एकाधिक ऑफ़लाइन समाधान (निकटता और गैर-निकटता आधारित) का परीक्षण किया जाएगा। इन कार्यात्मकताओं को पायलटों के माध्यम से क्रमिक तरीके से आरंभ किया जाएगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1827


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