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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम

मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन : संशोधन

भरिबैं/2024-25/32
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 04

03 मई, 2024

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय,

मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन : संशोधन

प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान दिनांक 03 मई 2000 के समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा) विनियम, 2000 [दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना संख्या फेमा.25/आरबी-2000] और दिनांक 05 जुलाई 2016 के समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन (इसके बाद 'मास्टर निदेश' के रूप में संदर्भित') की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. एकल आधार प्राथमिक व्यापारियों (एसपीडी) को 27 जुलाई, 2018 की अधिसूचना सं. डीएनबीआर (पीडी) सीसी.सं.094/03.10.001/2018-19 के अनुसरण में विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकार प्रदान किया गया है। तदनुसार, एसपीडी के प्रावधानों की प्रयोज्यता को प्रतिबिंबित करने के लिए मास्टर निदेश में संशोधन किए जा रहे हैं। ये संशोधन इसके साथ अनुबंध-I में रखे गए हैं। एसपीडी, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी सभी लागू निदेशों का अनुपालन करना जारी रखेंगे।

3. इसके अतिरिक्त, क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की ट्रेड रिपॉजिटरी को ओटीसी विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं और विदेशी मुद्रा ब्याज दर व्युत्पन्नी संविदाओं की रिपोर्टिंग पर निदेशों को मास्टर निदेश के भाग-ड़ में अद्यतित और शामिल किया गया है। प्रारूप, तरीका, समय-सीमा आदि से संबंधित रिपोर्टिंग पर कतिपय निदेश भी अद्यतन किए गए हैं और मास्टर निदेश में किए जा रहे संशोधनों को इसके साथ अनुबंध-II में रखा गया है।

4. मास्टर निदेश के परिशिष्ट-III में सूचीबद्ध परिपत्रों का अधिक्रमण करते हुए, ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

5. इस परिपत्र के उद्देश्य के लिए, प्राधिकृत व्यक्तियों का तात्पर्य फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारी होगा।

6. इस परिपत्र में निहित निदेश, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 के 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के तहत जारी किए गए हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत आवश्यक अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, के प्रति पूर्वाग्रह के बिना हैं।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध-I

क्रम सं. मौजदा निदेश संशोधित/अतिरिक्त निदेश
कवर परिपत्र के पैरा 4 के बाद, नया पारा जोड़ा जाएगा
(i) - 5. प्राधिकृत व्यक्तियों का तात्पर्य फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारी और एक्सचेंज ट्रेडेड मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं के प्रयोजन के लिए, मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज और मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉर्पोरेशन होगा।
भाग क (खंड I) का पैरा 1 (ii) संशोधित किया जाएगा।
(ii) इन निर्देशों के प्रयोजन के लिए, प्राधिकृत व्यापारी का अर्थ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक होगा, जब तक कि अन्यथा न कहा गया हो इन निर्देशों के प्रयोजन के लिए, प्राधिकृत व्यापारी का अर्थ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारी होगा, जब तक कि अन्यथा न कहा गया हो। केवल प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का कोई भी विशिष्ट संदर्भ एकल आधार प्राथमिक व्यापारियों के लिए लागू नहीं होगा।
भाग क (खंड III) के पैरा 4 और 5 को हटा दिया जाएगा और भाग क (खंड III) के पैरा 6 (ख) के बाद एक नया पैरा डाला जाएगा।
(iii) - (ग) ईटीसीडी बाजार में भाग लेने के दौरान, एडी श्रेणी-I बैंक समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सेवाएं) दिशानिर्देश, 2016, दिनांक 26 मई 2016 का अनुपालन करेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारी समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश - स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, दिनांक 23 अगस्त 2016 का अनुपालन करेंगे।
भाग क (खंड III) के पैरा 6 का नाम बदला जाएगा।
(iv) ईटीसीडी बाजार में भाग ले रहे प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के लिए परिचालनात्मक दिशानिर्देश, निबंधन व शर्तें ईटीसीडी बाजार में प्राधिकृत व्यापारी की सहभागिता
भाग ग के पैरा 5 का नाम बदला जाएगा।
(v) ऋण/ओवरड्राफ्ट प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा ऋण/ओवरड्राफ्ट
भाग ग के पैरा 5 के बाद नया पैरा डाला जाएगा
(vi) - 5ए. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारीयो द्वारा विदेशी विदेशी मुद्रा ऋण

क) एकल आधार प्राथमिक व्यापारी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमति के अनुसार भारत के बाहर अपने मूल इकाई या प्रतिनिधि या किसी अन्य इकाई से विदेशी मुद्रा में ऋण और नोस्ट्रो खातों में ओवरड्राफ्ट (पांच दिनों के भीतर समायोजित नहीं), केवल परिचालन कारणों से ले सकते हैं। इस तरह के ऋण समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश - स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, दिनांक 23 अगस्त 2016 में निर्धारित विदेशी मुद्रा ऋण की सीमा के भीतर होंगे।

ख) यदि उपरोक्त सीमा से अधिक निकासी को पांच दिनों के भीतर समायोजित नहीं किया जाता है, तो एक रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह रोड, फोर्ट, मुंबई - 400 001 को, उस महीने की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर जिसमें सीमा पार हो गई थी, प्रस्तुत की जानी चाहिए। यदि वैल्यू डेटिंग की व्यवस्था मौजूद है तो ऐसी रिपोर्ट आवश्यक नहीं है।
अनुबंध I के पैरा क (i) को प्रतिस्थापित किया जाएगा
(vii) i. विदेशी मुद्रा जोखिम पर पूंजी प्रभार की गणना हेतु नेट ओवरनाइट ओपन पोजिशन लिमिट (एनओओपीएल)।

एनओओपीएल को संबंधित बैंकों के बोर्डों द्वारा तय किया जाना चाहिए और तुरंत रिजर्व बैंक को सूचित किया जाना चाहिए। हालांकि, ऐसी सीमाएं बैंक की कुल पूंजी (टियर I और टियर II पूंजी) के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
i. विदेशी मुद्रा जोखिम पर पूंजी प्रभार की गणना हेतु नेट ओवरनाइट ओपन पोजिशन लिमिट (एनओओपीएल)।

एनओओपीएल को प्राधिकृत व्यापारी संबंधित बैंकों के बोर्डों द्वारा तय किया जाना चाहिए और तुरंत रिजर्व बैंक को सीआईएमएस/ ई-मेल के माध्यम से सूचित किया जाना चाहिए। हालांकि, ऐसी सीमाएं प्राधिकृत व्यापारी की कुल पूंजी (टियर I और टियर II पूंजी) के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
अनुबंध I के पैरा ख (i) को प्रतिस्थापित किया जाएगा
(viii) संबंधित बैंकों के बोर्ड द्वारा गैप सीमा (एजीएल) निर्धारित की जा सकती है और तत्काल इसकी सूचना रिज़र्व बैंक को दी जाएगी। हालांकि, ऐसी सीमाएं बैंक की कुल पूंजी (टियर I और टियर II पूंजी) के 6 गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए। संबंधित प्राधिकृत व्यापारी के बोर्ड द्वारा गैप सीमा (एजीएल) निर्धारित की जा सकती है और तत्काल इसकी सूचना रिज़र्व बैंक को सीआईएमएस/ ई-मेल के माध्यम से दी जाएगी। हालांकि, ऐसी सीमाएं प्राधिकृत व्यापारी की कुल पूंजी (टियर I और टियर II पूंजी) के 6 गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अनुबंध II

क्रम सं. मौजदा निदेश संशोधित/अतिरिक्त निदेश
भाग ड़ का पैरा (i) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(i) प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों के प्रधान/प्रधान कार्यालय को अनुबंध-II में दिए गए प्रारूप के अनुसार ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) के माध्यम से फॉर्म एफटीडी में विदेशी मुद्राआवर्त (टर्नओवर) और फॉर्म जीपीबी में गैप, पोजीशन और नकद शेष राशि का दैनिक विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी के प्रधान/प्रधान कार्यालय को अनुबंध-II में दिए गए प्रारूप के अनुसार केंद्रीकृत सूचना प्रबंध प्रणाली (सीआईएमएस) के माध्यम से फॉर्म एफटीडी में विदेशी मुद्राआवर्त (टर्नओवर) और फॉर्म जीपीबी में गैप, पोजीशन और नकद शेष राशि का दैनिक विवरण अगले कार्य दिवस को प्रस्तुत करना चाहिए।
भाग ड़ का पैरा (iv) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(ii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक प्रत्येक तिमाही के अंत में विदेशी मुद्रा में एक्सपोजर के ब्यौरे अनुबंध-V में दिए गए प्रारूप के अनुसार अग्रेषित करें। प्राधिकृत व्यापारी को यह रिपोर्ट संशोधित प्रारूप के अनुसार केवल सितंबर 2013 को समाप्त तिमाही से एक्स्टेंसिबल बिजनेस रिपोर्टिंग लैंग्वेज (एक्सबीआरएल) प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन प्रस्तुत करनी चाहिए, जिसे https://secweb.rbi.org.in/orfsxbrl/ पर देखा जा सकता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक जिन्हें एक्सबीआरएल प्रणाली तक पहुँचने के लिए लॉगिन आईडी/पासवर्ड की आवश्यकता होती है, वे अपना ई-मेल पता और संपर्क नंबर इस ई-मेल पर प्रस्तुत कर सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले सभी कॉर्पोरेट ग्राहकों के जोखिम का विवरण रिपोर्ट में शामिल किया जाना है। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को यह रिपोर्ट बैंक बहियों के आधार पर प्रस्तुत करनी चाहिए न कि कॉर्पोरेट विवरणियों के आधार पर। प्राधिकृत व्यापारी प्रत्येक तिमाही के अंत में विदेशी मुद्रा में एक्सपोजर के ब्यौरे अनुबंध-V में दिए गए प्रारूप के अनुसार सीआईएमएस के माध्यम से तिमाही के बाद के माह की 30 तारीख तक अग्रेषित करें। कृपया ध्यान दें कि निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले सभी कॉर्पोरेट ग्राहकों के जोखिम का विवरण रिपोर्ट में शामिल किया जाना है। प्राधिकृत व्यापारी को यह रिपोर्ट अपने बहियों के आधार पर प्रस्तुत करनी चाहिए, न कि कॉर्पोरेट विवरणियों के आधार पर।
भाग ड़ का पैरा (v) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I को अनुबंध-VIII में दिए गए प्रारूप के अनुसार साप्ताहिक आधार पर किए गए ऑप्शन लेनदेन (FCY-INR) का विवरण अग्रेषित करना चाहिए। रिपोर्ट ई-मेल पर भी अग्रेषित की जा सकती है ताकि अगले माह की 10 तारीख तक विभाग को प्राप्त हो सके। प्राधिकृत व्यापारी, अनुबंध-VIII में दिए गए प्रारूप के अनुसार साप्ताहिक आधार पर किए गए ऑप्शन लेनदेन (FCY-INR) का विवरण सीआईएमएस/ई-मेल के माध्यम से अगले सप्ताह के पहले कार्य दिवस को अग्रेषित करें।
भाग ड़ का पैरा (vi) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(iv) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अनुबंध-IX में दिए गए प्रारूप के अनुसार हर महीने को अंतिम शुक्रवार को सभी श्रेणियों के तहत अपने कुल बकाया विदेशी मुद्रा उधार की सूचना देनी होगी। रिपोर्ट अगले महीने की 10 तारीख तक मिल जानी चाहिए। रिपोर्ट इस ई-मेल पर भी अग्रेषित की जा सकती है ताकि अगले माह की 10 तारीख तक विभाग को प्राप्त हो सके। प्राधिकृत व्यापारी को अनुबंध-IX में दिए गए प्रारूप के अनुसार हर महीने के अंतिम कार्य दिवस को सभी श्रेणियों के तहत अपने कुल बकाया विदेशी मुद्रा उधार की सूचना, अगले माह की 10 तारीख तक सीआईएमएस के माध्यम से देनी होगी।
भाग ड़ का पैरा (x) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(v) प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों की प्रधान/प्रधान कार्यालय को अपनी उन सभी कार्यालयों/शाखाओं जो अनिवासी बैंकों का रुपया खाते रख रहे है की सूची (तीन प्रतियों में) प्रत्येक वर्ष दिसंबर अंत की स्थिति के अनुसार रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना चाहिए जिनमें रिज़र्व बैंक द्वारा आबंटित कोड भी होगा। यह सूची अगले वर्ष की 15 जनवरी से पहले प्रस्तुत की जाए। कार्यालयों/शाखाओं को रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के क्षेत्राधिकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाएं जिनमें वे स्थित हैं। रिपोर्ट इस ई-मेल पर भी अग्रेषित की जाएं ताकि अगले माह की 10 तारीख तक विभाग को प्राप्त हो सके। प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों की प्रधान/प्रधान कार्यालय को अपनी उन सभी कार्यालयों/शाखाओं, जो अनिवासी बैंकों का रुपया खाते रख रहे हैं, की प्रत्येक वर्ष दिसंबर अंत की स्थिति के अनुसार अद्यतन सूची जिनमें रिज़र्व बैंक द्वारा आबंटित कोड भी होगा, रिज़र्व बैंक को अगले वर्ष की 15 जनवरी तक सीआईएमएस/ई-मेल के माध्यम से प्रस्तुत करनी चाहिए। कार्यालयों/शाखाओं को रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के क्षेत्राधिकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाएं, जिनमें वे स्थित हैं।
भाग ड़ का पैरा (xiii) प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(vi) प्राधिकृत व्यापारियो को तिमाही आधार पर अनुबंध XX में दर्शाए गए प्रारूप के अनुसार, योजना के तहत गैर-निवासियों द्वारा हेज लेनदेन और/या अंतर्निहित व्यापार लेनदेन को बार-बार रद्द करने वाले संदिग्ध लेनदेन को रिपोर्ट करनी चाहिए। रिपोर्ट इस ई-मेल पर भी अग्रेषित की जाएं ताकि अगले माह की 10 तारीख तक विभाग को प्राप्त हो सके। प्राधिकृत व्यापारियो को तिमाही आधार पर अनुबंध XX में दर्शाए गए प्रारूप के अनुसार, योजना के तहत गैर-निवासियों द्वारा हेज लेनदेन और/या अंतर्निहित व्यापार लेनदेन को बार-बार रद्द करने वाले संदिग्ध लेनदेन को तिमाही के बाद के माह की 10 तारीख तक सीआईएमएस के माध्यम से रिपोर्ट करनी होगी।
भाग ड़ का मौजूदा पैरा हटा दिया जाएगा।
(vii) रिपोर्ट्स, मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह रोड, फोर्ट, मुंबई - 400 001 को भेजी जाएं जब तक कि अन्यथा निर्दिष्ट न हो। रिपोर्ट्स अधिमानतः ई-मेल के माध्यम से इस ई-मेल पर भेजी जा सकती हैं। -
भाग ड़ के पैरा क के बाद नया पैरा डाला जाएगा
(viii) - ख. ट्रेड रीपॉजिटरी को रिपोर्ट करना

(i) प्राधिकृत व्यापारियों को उन सभी ओटीसी विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं और विदेशी मुद्रा ब्याज दर व्युत्पन्नी संविदाओं की रिपोर्ट निम्नलिखित समयसीमा के अनुसार क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) के ट्रेड रिपॉजिटरी (टीआर) को करनी चाहिए, जो उनके द्वारा सीधे या उनकी विदेशी संस्थाओं1 (विदेशी शाखाओं, आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों और प्राधिकृत व्यापारियों के संयुक्त उद्यमों सहित) के माध्यम से किए गए हैं:

(क) भारतीय रुपये से जुड़े अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (मुद्रा स्वैप और संरचित व्युत्पन्नी को छोड़कर) को घंटे के पूरा होने से 30 मिनट के भीतर प्रति घंटे के बैच में रिपोर्ट किया जाना चाहिए। सीसीआईएल के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को दिन के लिए बंद करने से 30 मिनट पहले और उसके बाद सीसीआईएल के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को दिन के लिए बंद करने के बाद निष्पादित ऐसी संविदाओं की सूचना अगले कारोबारी दिन सुबह 10 बजे तक दी जानी चाहिए;

(ख) किसी भी दिन शाम 5 बजे तक निष्पादित अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा व्युत्पान्नी संविदा जिनमें आईएनआर (मुद्रा स्वैप और संरचित व्युत्पन्नी को छोड़कर) शामिल नहीं है, की सूचना उस दिन शाम 05:30 बजे तक दी जानी चाहिए। शाम 5 बजे के बाद निष्पादित ऐसी संविदाओं की सूचना अगले कारोबारी दिन सुबह 10 बजे तक दी जानी चाहिए;

(ग) किसी भी दिन शाम 5 बजे तक निष्पादित अंतर-बैंक मुद्रा स्वैप, संरचित व्युत्पन्नी और विदेशी मुद्रा ब्याज दर व्युत्पन्नी संविदाओं को उस दिन के लिए सीसीआईएल के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म के बंद होने से पहले रिपोर्ट किया जाना चाहिए। शाम 5 बजे के बाद निष्पादित ऐसी संविदाओं की सूचना अगले कारोबारी दिन सुबह 10 बजे तक दी जानी चाहिए; और

(घ) ग्राहकों के साथ निष्पादित विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं और विदेशी मुद्रा ब्याज दर व्युत्पन्नी संविदाओं की सूचना अगले कारोबारी दिन दोपहर 12 बजे से पहले दी जानी चाहिए।

नोट: (क) (ख) और (ग) के प्रयोजन के लिए, संरचित व्युत्पन्नी का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्‍टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में मार्केट मेकर्स) निदेश, 2021, दिनांक 16 सितंबर, 2021 में दिया गया है।

(ii) 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था के तहत, अनिवासी ग्राहक के विवरण सहित व्यापार विवरण टीआर को सूचित किया जाना चाहिए।

(iii) टीआर में विदेशी समकक्षों और ग्राहक लेनदेन के साथ मिलान लेनदेन की कोई आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि विदेशी समकक्षों और ग्राहकों को लेनदेन विवरण की रिपोर्ट/पुष्टि करने की आवश्यकता नहीं है। प्राधिकृत व्यापारी रिपोर्ट किए गए लेनदेन के संबंध में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे।

(iv) प्राधिकृत व्यापारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी बहियों और टीआर के बीच बकाया राशि का निरंतर आधार पर समाधान किया जाए।

(v) रिपोर्टिंग प्रारूप रिज़र्व बैंक की पूर्व मंजूरी के साथ सीसीआईएल द्वारा बताए अनुसार होंगे।

1 भारत में संचालित होने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से।


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