Click here to Visit the RBI’s new website

BBBPLogo

संक्षिप्‍त इतिहास

भारतीय रिज़र्व बैंक देश का केंद्रीय बैंक है। केंद्रीय बैंक अपेतक्षाकृत हालिया नवोन्मेष हैं और अधिकांश केंद्रीय बैंकों को हम जिस रूप में आज देखते हैं, बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित हुए।

भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों पर की गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 अप्रैल, 1935 को काम करना शुरू किया। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का II) बैंक के कामकाज का वैधानिक आधार है।

Hilton Young Commission Board of Directors Share Certificates Telegram RBI Commencement RBI Nationalisation RBI History
हिल्टन यंग
कमीशन
निदेशक
मंडल
शेयर प्रामण-
पत्र
तार भारतीय रिजर्व बैंक
प्रारंभ
भारतीय रिजर्व बैंक
राष्ट्रीयकरण
आरबीआई इतिहास

बैंक का गठन हुआ था।
  • बैंक नोटों के निर्गमन को विनियमित करने
  • भारत में मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आरक्षित राशियों का रखे जाने तथा
  • करेंसी और प्रत्यय व्यवस्था (क्रेडिट सिस्टम) को देश के लाभार्थ चलाने के लिए

जो कार्य अब तक सरकार द्वारा हो रहे थे, उन कार्यों को हाथ में लेकर रिज़र्व बैंक ने अपना कार्य प्रारंभ किया। इनमें मुद्रा नियंत्रक के जरिये किए जा रहे कार्य तथा इम्पिरीयल बैंक द्वारा सरकारी खातों व लोक ऋण के प्रबंधन के कार्य थे। कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास, रंगून, कराची, लाहौर और कॉनपुर (कानपुर) में उस समय के मौजूदा मुद्रा कार्यालय निर्गम विभाग (इश्यू डिपार्टमेंट) बन गए। कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास, दिल्ली और रंगून में बैंकिंग विभाग के कार्यालय स्थापित किए गए।

बर्मा भारतीय संघ से 1937 में अलग हुआ लेकिन जापान द्वारा बर्मा के अधिग्रहण और बाद में अप्रैल 1947 तक रिज़र्व बैंक ने बर्मा के लिए केंद्रीय बैंक का कार्य करना जारी रखा। भारत के विभाजन के बाद रिज़र्व बैंक ने पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में जून 1948 तक कार्य किया जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कार्य शुरू किया। जो बैंक शेयरधारकों (शेयरहोल्डर्स) के बैंक के रूप में स्थापित हुआ था, 1949 में उसका राष्ट्रीयकरण किया गया।

भारतीय रिज़र्व बैंक की एक खास बात यह थी कि अपने प्रारंभ से ही रिज़र्व बैंक को विकास, विशेषत: कृषि के संदर्भ में विशेष भूमिका में देखा गया था। जब भारत ने अपने योजना प्रयास प्रारंभ किए, रिज़र्व बैंक की विकासात्मक भूमिका केंद्र में आई, विशेषत: साठ के दशक में जब विकास को बढ़ावा देने के लिए रिज़र्व बैंक ने कई प्रकार से वित्त के प्रयोग की अवधारणा व व्यवहार का प्रवर्तन किया। संस्थागत विकास में भी बैंक ने भूमिका निभाई और देश की वित्तीय आधार संरचना बनाने की दिशा में भारतीय निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम, भारतीय यूनिट ट्रस्ट, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, डिस्काउंट एंड फाइनैंस हाउस ऑफ़ इंडिया आदि जैसे संस्थाओं की स्थापना में सहायता की।

उदारीकरण के साथ, बैंक का ध्यान पुन: मौद्रिक नीति, बैंक पर्यवेक्षण व विनियमन और भुगतान प्रणाली को देखने तथा वित्तीय बाजारों के विकास जैसे मूल केंद्रीय बैंक कार्यो पर वापस आ गया। घटनाओं का कालानुक्रम

Server 214
शीर्ष