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रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित वित्तीय बाजारों में स्व-विनियामक संगठनों की मान्यता के लिए ढाँचा

अध्याय I – प्रस्तावना

परिचय

रिज़र्व बैंक के पास ब्याज दर और विदेशी मुद्रा बाजारों को विनियमित करने के लिए एक विधायी अधिदेश है जो वित्तीय प्रणाली और व्यापक अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ कामकाज के लिए, और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस अधिदेश के एक भाग के रूप में, रिज़र्व बैंक को सरकारी प्रतिभूति बाजार; सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट बॉन्ड में रेपो के लिए बाजार सहित मुद्रा बाजार; विदेशी मुद्रा बाजार; ब्याज दरों/कीमतों, विदेशी विनिमय दरों और ऋण पर व्युत्पन्नी सहित ब्याज दर बाजारों के विनियमन, विकास और निगरानी का कार्य सौंपा गया है। रिज़र्व बैंक इन बाजारों के लिए वित्तीय बाजार बेंचमार्क सहित वित्तीय बाजार अवसंरचना के विनियमन के लिए भी जिम्मेदार है। रिज़र्व बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999, अर्हताप्राप्त वित्तीय संविदाओं की द्विपक्षीय नेटिंग अधिनियम, 2020 और भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के व्यापक सांविधिक ढांचे के भीतर वित्तीय बाजारों को विनियमित करता है।

2. वित्तीय बाजार, संसाधनों के कुशल आवंटन और जोखिमों के साझाकरण की सुविधा प्रदान करके अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके महत्व को देखते हुए, वित्तीय बाजारों का विकास हमेशा रिज़र्व बैंक की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक सरकार और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय समन्वय में नीतिगत सुधार और विनियामक नीतियां चला रहा है ताकि सुरक्षित और स्थिर वित्तीय बाजार विकसित किए जा सकें जो वित्तीय बाजारों के विस्तार और पहुँच को बढ़ाकर कुशल मूल्य निर्धारण की सुविधा प्रदान करते हैं और व्यापार और जोखिम प्रबंधन के लिए उपयुक्त उत्पाद प्रदान करते हैं। इस दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में, यह पहुंच को आसान बनाते हुए, भागीदारी बढ़ाते हुए, नवाचार को सुविधाजनक बनाते हुए, उपयोगकर्ताओं की रक्षा करते हुए और निष्पक्ष आचरण को बढ़ावा देते हुए, बाजारों के आधार को व्यापक बनाने का प्रयास करता है। संख्या के साथ-साथ संचालन के पैमाने के संदर्भ में विनियमित संस्थाओं (आरई) की वृद्धि, नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने में वृद्धि और ग्राहक संपर्क (आउटरीच) में वृद्धि को देखते हुए, स्व-विनियमन के लिए बेहतर उद्योग मानकों को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई है।

3. स्व-विनियामक संगठन (एसआरओ), वित्तीय बाजारों में अपने सदस्यों द्वारा उद्योग मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर और अनुपालन सुनिश्चित कर इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। स्व-विनियमन मौजूदा विधायी/विनियामक ढांचे का पूरक होगा और उच्चतर सत्यनिष्ठा, व्यावसायिकता, अनुपालन, नवाचार और नैतिक आचरण के संदर्भ में वित्तीय बाजारों को और अधिक विकसित करने में मदद करेगा। इस भूमिका के निष्पादन में, एसआरओ अपने सदस्यों द्वारा स्वैच्छिक अंगीकरण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विनियामक ढांचे के भीतर आवश्यक सर्वोत्तम प्रथाओं/मानकों/संहिताओं को तैयार करेगा और ये निर्धारित विनियामक ढांचे का विकल्प नहीं होंगे। आंतरिक अभिशासन के उच्च स्तरों के माध्यम से स्थापित की गई अनुपालन संस्कृति को बढ़ावा देने से, बाजार सहभागियों पर अनुपालन के बोझ को कम करने और वित्तीय बाजारों के विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

4. रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित वित्तीय बाजारों में एसआरओ की मान्यता के लिए ढांचा (इसके बाद "ढांचा") रिज़र्व बैंक द्वारा 21 मार्च, 2024 को जारी विनियमित संस्थाओं के लिए एसआरओ को मान्यता देने के लिए बहुप्रयोजनीय ढांचे पर आधारित है, जिसमें वित्तीय बाजारों के लिए एसआरओ की विशिष्टताओं और विशेषताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए आवश्यक संशोधन शामिल हैं। बहुप्रयोजनीय ढांचे के अनुरूप, यह ढांचा व्यापक उद्देश्यों, कार्यों, पात्रता मानदंडों, अभिशासन मानकों, सदस्यता मानदंडों और रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्रदान करने के लिए एसआरओ द्वारा पालन किए जाने वाले अन्य नियमों और शर्तों को निर्धारित करता है। इस ढांचे में शामिल दिशानिर्देश, न्यूनतम आवश्यकताएँ हैं और मान्यता प्राप्त स्व-विनियामक संगठनों को अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

स्व-विनियामक संगठन की विशेषताएं

5. एक स्व-विनियामक संगठन से अपेक्षा की जाती है कि वह विनियामक की निगरानी में विश्वसनीयता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के साथ काम करे, ताकि वह सत्यनिष्ठा बनाए रखने, व्यावसायिकता सुनिश्चित करने, नैतिक आचरण को बढ़ावा देने और वित्तीय बाजारों के स्वस्थ और सतत विकास के लिए विनियामकीय अनुपालन में सुधार कर सके। एक एसआरओ में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए:

  1. स्व-विनियामक संगठन के पास नैतिक, व्यावसायिक और अभिशासन मानकों को निर्धारित करने और सदस्यों पर इन मानकों को लागू करने के लिए सदस्यता करारों और संस्था के अंतर्नियमों से प्राप्त पर्याप्त अधिकार होना चाहिए। इनमें मजबूत प्रशासन तंत्र होना चाहिए, जिसमें स्वतंत्र बोर्ड, पारदर्शिता और अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रियाओं के अनुपालन पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।

    नोट: इस ढांचे में प्रयुक्त 'सदस्य' शब्द बाजार सहभागियों और अधिकृत बाजार अवसंरचना प्रदाताओं को संदर्भित करता है जो एसआरओ की सदस्यता स्वीकार करते हैं।

  2. स्व-विनियामक संगठन के पास अपने सदस्यों के आचरण से संबंधित नियम बनाने के लिए उद्देश्यपूर्ण, सुपरिभाषित और परामर्शात्मक प्रक्रियाएं होनी चाहिए और वे इन नियमों को लागू करने में सक्षम होने चाहिए। इनके द्वारा आचरण के स्पष्ट मानक स्थापित किए जाने चाहिए और सहमत नियमों/संहिताओं के उल्लंघन के लिए सदस्यों को परामर्श देने, चेतावनी देने, फटकार लगाने और निष्कासित करने जैसे परिणाम निर्दिष्ट करने चाहिए। इस तरह के परिणामों में किसी भी तरह से मौद्रिक दंड नहीं लगेगा।

  3. किसी भी सदस्य या सदस्यों के समूह के प्रभाव से मुक्त रहते हुए, स्वतंत्र रूप से और निष्पक्षता के साथ संचालित करने की क्षमता।

  4. अनुपालन संस्कृति में सुधार लाने और रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए परिपत्रों, निर्देशों, दिशानिर्देशों, नियमों और विनियमों के लिए अपने सदस्यों द्वारा अनुपालन के लिए मानकों का विकास करना।

  5. विवादों को निपटाने के लिए सदस्यों के बीच या आरबीआई द्वारा यथानिर्देशित मानकीकृत प्रक्रियाओं को तैयार और कार्यान्वित करना, जिसमें पारदर्शी और सुसंगत विवाद समाधान/मध्यस्थता तंत्र के माध्यम से इन विवादों को हल करने की प्रक्रियाएं शामिल हैं {नीचे पैराग्राफ 8 (v) में आगे विस्तृत}।

  6. वित्तीय बाजारों में विकास की प्रभावी निगरानी।

  7. इस क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास करना और यह सुनिश्चित करना कि निर्धारित मानक/सर्वोत्तम प्रथाएं लागू वैधानिक और विनियामकीय निर्देशों के अनुपालन में और उनके भीतर हैं। इसके सदस्यों द्वारा अपनाए जाने के लिए निर्धारित मानक/सर्वोत्तम प्रथाएं किसी लागू कानून, या विनियामकीय परिपत्रों, निर्देशों, दिशानिर्देशों, नियमों और विनियमों का विकल्प नहीं होंगी।

अध्याय II – एसआरओ के उद्देश्य और दायित्व

एसआरओ के उद्देश्य

6. सामान्य तौर पर, एसआरओ से अपेक्षा की जाती है कि वे उस क्षेत्र जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं, की उन्नति को बढ़ावा देने और व्यापक वित्तीय प्रणाली के तहत उद्योग से संबन्धित महत्वपूर्ण चिंताओं का समाधान करने जैसे कुछ व्यापक उद्देश्यों का पालन करेंगे। ये उद्देश्य उनके क्षेत्र को उन्नत व्यावसायिकता, अनुपालन, नवाचार और नैतिक आचरण की दिशा में चलाने के प्रति स्व-विनियामक संगठन की अपेक्षित भूमिका और जिम्मेदारियों को सामूहिक रूप से परिभाषित करेंगे। इसमें मजबूत स्व-विनियामक सिद्धांतों, प्रथाओं और परंपराओं के विकास और अनुपालन पर अधिक बल देना शामिल है जो कि इस क्षेत्र के विस्तार के अनुकूल हों। सद्भाव के सिद्धांतों को बनाए रखना और हितों के टकराव से बचना इनके संचालन की आधारशिला होनी चाहिए।

7. एक एसआरओ से निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती है:

  1. प्रगतिशील प्रथाओं और परंपराओं को बढ़ावा देते हुए अपने सदस्यों के बीच अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा देना। विशेषकर क्षेत्र की लघु संस्थाओं को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने, और वैधानिक और विनियामक नीतियों के साथ संरेखित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए, एसआरओ को अपने सदस्यों के लिए एक व्यापक आचार संहिता तैयार और कार्यान्वित करनी चाहिए।

  2. रिज़र्व बैंक, सरकारी प्राधिकरणों या अन्य विनियामक और वैधानिक निकायों के साथ विचार-विमर्श के समय एसआरओ द्वारा अपने सदस्यों की सामूहिक आवाज के रूप में कार्य करना। इनका उद्देश्य उद्योग से संबन्धित व्यापक समस्याओं का प्रतिनिधित्व और उनका समाधान करना और वित्तीय प्रणाली के कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होना चाहिए। यह अपेक्षा की जाती है कि एसआरओ स्व-हितों से ऊपर उठकर कार्य करे और समग्र रूप से उद्योग और वित्तीय प्रणाली की मुख्य समस्याओ को संबोधित करे। उद्योग प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए, एसआरओ से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सभी सदस्यों के लिए न्यायसंगत और पारदर्शी व्यवहार सुनिश्चित करे।

  3. वित्तीय बाजारों के कामकाज को बढ़ाने के अवसरों की पहचान करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारक निकायों और अन्य अधिकारक्षेत्रों में प्रचलित बाजार प्रथाओं द्वारा निर्धारित मार्गदर्शन और सर्वोत्तम प्रथाओं की जांच करना, जैसा भी लागू हो।

  4. प्रासंगिक क्षेत्रीय जानकारी एकत्र करना और नीति निर्माण में सहायता के लिए रिज़र्व बैंक के साथ साझा करना।

  5. नवाचार को बढ़ावा देना और रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विनियामक ढांचे के भीतर नए उत्पादों की शुरूआत की सुविधा प्रदान करना।

  6. अनुपालन और स्वशासन के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करते हुए, नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए अनुसंधान और विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना।

  7. वित्तीय बाजारों तक पहुंच बनाते समय खुदरा और छोटे भागीदारों के लिए पारदर्शिता और उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाएँ अपनाने को बढ़ावा देना।

सदस्यों के प्रति एसआरओ की जिम्मेदारियां

8. अपने सदस्यों के प्रति एसआरओ की प्राथमिक जिम्मेदारी श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है। एसआरओ, अपने सदस्यों के बीच पेशेवर बाजार आचरण के लिए न्यूनतम बेंचमार्क और परंपरा स्थापित करेगा। अपने सदस्यों के हित में, एसआरओ को पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। विशेष रूप से, एसआरओ को अपने सदस्यों के प्रति निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए:

  1. अपने सदस्यों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता तैयार करना और अपने सदस्यों द्वारा संहिता के पालन के साथ-साथ विनियामक निर्देशों के अनुपालन की निगरानी करना।

  2. उचित और गैर-भेदभावपूर्ण सदस्यता शुल्क संरचना विकसित करना। यद्यपि सदस्यता शुल्क आकार, उद्देश्य, क्षमता आदि के आधार पर भिन्न या विभेदित हो सकता है, तथापि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सदस्यता चरित्र गैर-भेदभावपूर्ण रहे, अर्थात, सभी सदस्य, सदस्यता शुल्क के बावजूद, समान अधिकारों और प्रतिनिधित्व का आनंद लें।

  3. अत्यंत सद्भाव में कार्य करना और अपने कार्यों के संचालन में हितों के टकराव से बचना।

  4. सदस्यों के हित के मामलों पर जागरूकता निर्माण करने के लिए बुलेटिनों, पैम्फलेट, पत्रिकाओं आदि के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा से क्षेत्र-विशिष्ट जानकारी का प्रसार करना।

  5. अपने सदस्यों के लिए शिकायत निवारण और विवाद समाधान/ मध्यस्थता रूपरेखा स्थापित करना और प्रतिबंधात्मक, अस्वस्थ और ऐसी अन्य प्रथायें जो कि क्षेत्र के विकास के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उन पर सदस्यों को परामर्श प्रदान करना। विवाद समाधान प्रक्रिया में लगातार कुशल, निष्पक्ष और पारदर्शी नीतियों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाना चाहिए जो विनियामक और वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप हों।

  6. वैधानिक और विनियामक प्रावधानों के ज्ञान को बढ़ावा देना और सदस्यों के बीच विशेषज्ञता और अनुभव के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करना। वे अपने सदस्यों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और समसामयिक मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रमों की भी व्यवस्था कर सकते हैं।

  7. जनता को विनियमित संस्थाओं के संचालन एवं उनके लिए उपलब्ध शिकायत निवारण तंत्र के बारे में शिक्षित करना और इस क्षेत्र के बारे में सामान्य रूप से जागरूकता में वृद्धि करना।

विनियामक के प्रति एसआरओ की जिम्मेदारियां

9. सामान्य तौर पर, एसआरओ से विनियामक दिशानिर्देशों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने, वित्तीय बाजारों के विकास, हितधारक के हितों की सुरक्षा, नवाचार को बढ़ावा देने और प्रारंभिक चेतावनी संकेतों का पता लगाने में रिज़र्व बैंक का सहयोगी होने की अपेक्षा की जाती है। उसे उपरोक्त पैराग्राफ 7 के अंतर्गत एसआरओ के लिए निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। एसआरओ से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सदस्यों और रिज़र्व बैंक के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।

10. विशेष रूप से, एसआरओ विनियामक के प्रति निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा:

  1. रिजर्व बैंक को क्षेत्र के विकास के बारे में नियमित रूप से सूचित करना। अपने सदस्य द्वारा अधिनियमों के प्रावधानों या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी नियमों/ दिशानिर्देशों/ विनियमों/ निर्देशों के किसी भी उल्लंघन, जो उसके संज्ञान में हो, के बारे में रिज़र्व बैंक को तुरंत सूचित करना।

  2. रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए किसी भी कार्य को पूरा करना और उसे संदर्भित प्रस्ताव या सुझाव की जांच करना। रिज़र्व बैंक द्वारा आवधिक या यथासूचनानुसार मांगा गया डेटा/ सूचना प्रदान करना।

  3. लेखांकन वर्ष पूरा होने के छह महीने के भीतर अपनी वार्षिक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना। रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित आवधिक/तदर्थ रिटर्न प्रस्तुत करना।

  4. रिज़र्व बैंक के साथ समय-समय पर बातचीत करना। उनसे अपने विचार/ निविष्टियाँ/ सुझाव देने में, उद्योग/क्षेत्र के वृहत परिदृश्य को ध्यान मे रखने की अपेक्षा की जाती है।

  5. रिज़र्व बैंक द्वारा साझा किए गए परामर्शों, मसौदा परिपत्रों आदि पर समयबद्ध तरीके से व्यापक हितधारक प्रतिक्रिया प्रदान करना।

  6. समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना और ऐसे अन्य निर्देशों का भी पालन करना।

11. रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक हो, एसआरओ के बही-खातों का निरीक्षण कर सकता है या किसी ऑडिट फर्म द्वारा बहीखातों का निरीक्षण करवाने की व्यवस्था कर सकता है। निरीक्षण के संचालन के उद्देश्य से एसआरओ निरीक्षण दल को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य होगा। ऐसे निरीक्षण का खर्च स्व-विनियामक संगठन द्वारा वहन किया जाएगा।

अध्याय III - पात्रता मानदंड, अभिशासन, और मान्यता के लिए आवेदन

आवेदक के लिए पात्रता मानदंड

12. यह सुनिश्चित करने के लिए कि एसआरओ अपने उद्देश्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करता है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इनकी स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा इनकी स्थापना और संरचना में निहित हों। अतः, एसआरओ के रूप में कार्य करने की इच्छुक संस्थाओं को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:

  1. आवेदक को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। आवेदक के पास 10 करोड़ रुपए की न्यूनतम निवल मालियत होनी चाहिए और उनके पास निरंतर आधार पर एसआरओ की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम करने के लिए बुनियादी ढांचा होना चाहिए या बनाने की क्षमता होनी चाहिए। जहां लागू हो, एसआरओ की शेयरधारिता पर्याप्त रूप से विविधीकृत होनी चाहिए, और कोई भी इकाई अपनी चुकता शेयर पूंजी का 10 प्रतिशत या उससे अधिक नहीं रखेगी, चाहे वह अकेले हो या एक साथ काम कर रही हो।

  2. आवेदक को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि एसआरओ की सदस्यता स्वैच्छिक है।

  3. आवेदक को विभिन्न प्रकार और आकारों की संस्थाओं में सदस्यों के अच्छे मिश्रण के साथ, क्षेत्र / बाजार का पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व करना चाहिए। यदि आवेदन के समय प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है, तो उचित समय सीमा के भीतर पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप, जो दो साल से अधिक नहीं होगा, शामिल किया जाना चाहिए। व्यापक सदस्यता प्रदर्शित करने या प्राप्त करने में विफलता के परिणामस्वरूप, मान्यता को अस्वीकृत या निरस्त कर दिया जाएगा।

  4. आवेदक और उसके निदेशकों के पास व्यावसायिक क्षमता होनी चाहिए, और रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के अनुरूप निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा की सामान्य प्रतिष्ठा होनी चाहिए। न ही आवेदक और न ही उसके किसी निदेशक को अतीत में नैतिक अधमता/आर्थिक अपराध सहित किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो। इसके अलावा, न ही आवेदक और न ही उसके किसी निदेशक को किसी भी कानूनी कार्यवाही में शामिल होना चाहिए, जिसका वित्तीय प्रणाली के हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता हो।

  5. आवेदक को अन्य सभी मामलों में एसआरओ के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए उपयुक्त और योग्य होना चाहिए। आवेदक इस ढांचे के तहत निर्धारित उद्देश्यों और जिम्मेदारियों के अनुसार कार्य करने का वचन देगा।

  6. एसआरओ के रूप में मान्यता प्रदान करते समय, रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक समझे, ऐसी अन्य शर्तें निर्धारित कर सकता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो कि एसआरओ की कार्यप्रणाली सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक नहीं है।

स्व-विनियामक संगठन का अभिशासन ढांचा

13. क्षेत्र की सत्यनिष्ठा में विश्वास को बढ़ावा देने के लिए एसआरओ से पारदर्शिता, व्यावसायिकता और स्वतंत्रता के साथ काम करने की अपेक्षा की जाती है। अभिशासन के उच्चतम मानकों का अनुपालन एक प्रभावी एसआरओ के लिए पूर्वशर्त है। तदनुसार, एसआरओ निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करेंगे:

  1. एसआरओ को पेशेवर रूप से प्रबंधित किया जाएगा और इसे सुनिश्चित करने के लिए उनके संस्था के अंतर्नियमों/उपनियमों में उपयुक्त प्रावधान होगा। अंतर्नियम/उपनियम स्पष्ट रूप से प्रावधान करेंगे जिसके तहत निदेशक मंडल/अभिशासन निकाय, हितों के टकराव के मुद्दों को विधिवत संबोधित करते हुए कार्य करेंगे।

  2. एसआरओ के अंतर्नियमों/उपनियमों में इसके मुख्य उद्देश्यों में से एक के रूप में इसके द्वारा निर्वहन किए जाने वाले कार्यों को विनिर्दिष्ट किया जाएगा। अंतर्नियम/उपनियम सदस्यों के प्रवेश, निष्कासन, निलंबन, पुनः प्रवेश आदि के मानदंड भी स्पष्ट रूप से निर्धारित करेंगे।

  3. निदेशकों को एसआरओ के बोर्ड द्वारा निर्धारित 'उचित और उपयुक्त' मानदंडों को निरंतर आधार पर या रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्देशानुसार पूरा करना होगा और उनके पास प्रासंगिक विशेषज्ञता/ अनुभव होना होगा और वे उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति होंगे। निदेशक मंडल में कम से कम एक-तिहाई सदस्य स्वतंत्र होंगे और विनियमित संस्था की श्रेणी/वर्ग के साथ किसी भी सक्रिय संबंध मे नहीं होंगे जिसके लिए एसआरओ गठित किया गया है। बोर्ड, अन्य बातों के साथ-साथ, बोर्ड में महत्वपूर्ण पदों के लिए निदेशकों के रोटेशन पर एक नीति तैयार करेगा। निदेशक पद में कोई भी बदलाव या किसी निदेशक के बारे में कोई प्रतिकूल जानकारी तुरंत रिज़र्व बैंक को सूचित की जाएगी।

  4. निदेशक मंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि एसआरओ के पास इस क्षेत्र की निगरानी के लिए पर्याप्त रूप से कुशल मानव संसाधन और मजबूत तकनीकी क्षमता है। निदेशक मंडल अपनी अभिशासन प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए पारदर्शी प्रथाओं का पालन करेंगे।

  5. बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि एसआरओ के प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिकों के पास पर्याप्त पेशेवर क्षमता और निष्पक्षता एवं सत्यनिष्ठा की प्रतिष्ठा है।

  6. एसआरओ समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रासंगिक अधिनियमों, लागू विनियमों, दिशानिर्देशों, निदेशों या परिपत्रों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

मान्यता हेतु आवेदन

14. इस ढांचे के तहत एसआरओ के रूप में कार्य करने की इच्छुक और ऊपर पैरा 12 में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाली इकाई, मान्यता प्राप्त करने के लिए, अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन कर सकती है। आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:

  1. एसआरओ के गठन से संबंधित संस्था के ज्ञापन की एक प्रति;

  2. एसआरओ के संस्था के अंतर्नियमों/उपनियमों की एक प्रति;

  3. बोर्ड के गठन, निदेशकों का विवरण, प्रबंधन की भूमिकाओं/ जिम्मेदारियों और एसआरओ द्वारा किए जाने वाले संचालन के तरीकों का विवरण;

  4. एसआरओ के प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिकों की शक्तियां एवं कर्तव्य;

  5. निर्धारित समय सीमा के भीतर क्षेत्र/बाजार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए रोडमैप;

  6. एसआरओ से संबंधित गतिविधियों के अलावा अन्य गतिविधियों का विवरण, जो आवेदक करता है/शुरू करना चाहता है, यदि कोई हो; और

  7. एक घोषणा कि बोर्ड के किसी भी सदस्य या किसी भी प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक को अतीत में नैतिक अधमता / आर्थिक अपराध सहित किसी भी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है।

15. रिज़र्व बैंक इकाई से निम्नलिखित आवश्यक मांग कर सकता है (i) जिस क्षेत्र/बाजार में वह प्रतिनिधित्व करना चाहता है उसमें एसआरओ के प्रतिनिधित्व के संबंध में स्वयं को संतुष्ट करने के लिए प्रासंगिक या आवश्यक समझी जाने वाली कोई और सूचना या स्पष्टीकरण, और (ii) एसआरओ और/या उसके निदेशक मंडल के रूप में मान्यता प्रदान करने से पहले एसआरओ और/या उसके निदेशक मंडल के रूप में आवेदन करने वाली इकाई की उपयुक्त और उचित स्थिति। रिज़र्व बैंक सरकारी विभागों/एजेंसियों, अन्य विनियामकों या किसी अन्य प्राधिकारी से भी अतिरिक्त सूचना प्राप्त कर सकता है, जो रिज़र्व बैंक की राय में, आवेदन के निपटान के लिए प्रासंगिक है।

16. कोई भी आवेदन, जो सभी पहलुओं में पूर्ण नहीं है या अपेक्षित मानदंडों को पूरा नहीं करता है, रिज़र्व बैंक द्वारा अस्वीकार किया जा सकता है। तथापि, ऐसे किसी भी आवेदन को अस्वीकृत करने से पहले, रिज़र्व बैंक आवेदक को सूचना प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर ऐसी आपत्तियों का समाधान करने का अवसर देगा।

17. आवेदक को योग्य पाए जाने पर, रिज़र्व बैंक एसआरओ के रूप में कार्य करने हेतु "मान्यता पत्र" जारी करेगा। रिज़र्व बैंक किसी भी एसआरओ को मान्यता न देने का अधिकार सुरक्षित रखता है। इस संबंध में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

मान्यता प्रदान करने की शर्तें

18. एसआरओ को दी गई मान्यता निम्नलिखित शर्तों के अधीन मान्य होगी:

  1. मान्यता प्राप्त एसआरओ द्वारा दी गई जानकारी या विवरण सही है और किसी भी भौतिक पहलुओं में भ्रामक नहीं है।

  2. एसआरओ अपनी मान्यता को नियंत्रित करने वाले नियमों और शर्तों या किसी अन्य शर्त का अनुपालन सुनिश्चित करेगा जो बाद में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं। एसआरओ को दी गई मान्यता रिज़र्व बैंक द्वारा आवधिक समीक्षा, जैसा आवश्यक समझा जाए, के अधीन होगी।

19. यदि रिज़र्व बैंक एसआरओ की कार्यप्रणाली को सार्वजनिक हित या किसी अन्य हितधारक के लिए हानिकारक मानता है और/या एसआरओ ऐसी गतिविधियों का संचालन करता पाया जाता है जो उद्देश्यों के अनुरूप नहीं हैं, तो एसआरओ को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, रिज़र्व बैंक एसआरओ को दी गई मान्यता रद्द कर देगा।


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