Click here to Visit the RBI’s new website

BBBPLogo

बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश

(संदर्भ सं.प.वि.कें.का.एआरजी/एसईसी.01/08.91.001/2021-22 27 अप्रैल 2021)

वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के 'सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देशों पर आरबीआई द्वारा दिनांक 27 अप्रैल, 2021 का परिपत्र जारी किया गया जिसका मूल उद्देश्य स्वामित्व-तटस्थ विनियमों को स्थापित करना, लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, लेखा परीक्षकों की नियुक्तियों में हितों के टकराव से बचना और आरबीआई विनियमित संस्थाओं में लेखा परीक्षा की गुणवत्ता और मानकों में सुधार करना है। ये दिशानिर्देश सभी विनियमित संस्थाओं में सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि नियुक्तियां समय पर, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से की जाती हैं।

मामले में कुछ स्पष्टीकरण मांगे जाने के मद्देनजर निम्नानुसार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और आवश्यक स्पष्टीकरण प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है

1. पैरा 6.4 के अनुसार, क्या समूह की सभी संस्थाओं या समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी गैर-लेखा परीक्षा कार्यों या इसके समूह संस्थाओं के लिए किसी लेखा परीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्यों के बीच एक वर्ष का समय अंतराल सुनिश्चित किया जाना है?

समूह संस्थाएं समूह में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित उन संस्थाओं को संदर्भित करती हैं, जो परिपत्र1 में उल्लिखित समूह संस्था की परिभाषा को पूरा करती हैं। हालांकि, यदि समूह संस्थाओं (जो कि आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं हैं) के लिए लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्य में लगी एक लेखापरीक्षा फर्म को एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति के लिए समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं में से किसी द्वारा विचार किया जा रहा है, तो आरबीआई विनियमित संस्था के बोर्ड/एसीबी/एलएमसी की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि हितों का कोई टकराव न हो और लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो, और इसे बोर्ड/एसीबी/एलएमसी की बैठकों के कार्यवृत्त में उपयुक्त रूप से दर्ज किया जाए।

2. अनुबंध I के पैरा बी (iv) के अनुसार, यदि सनदी लेखाकार फर्म का कोई भागीदार किसी संस्था में निदेशक है, तो उक्त फर्म को उस संस्था की किसी भी समूह संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। क्या यह शर्त समूह की सभी संस्थाओं पर लागू होती है या समूह में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर लागू होती है?

यहां समूह संस्थाएं का अर्थ समूह में आरबीआई विनियमित संस्थाओं को संदर्भित करती हैं, जो परिपत्र में उल्लिखित समूह संस्था की परिभाषा को पूरा करती हैं। इसलिए, यदि सनदी लेखाकार फर्म का कोई भागीदार समूह में आरबीआई विनियमित संस्था में निदेशक है, तो उक्त फर्म को समूह में आरबीआई विनियमित संस्थाओं में से किसी के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, अगर किसी लेखापरीक्षा फर्म को एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति के लिए समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं में से किसी द्वारा विचार किया जा रहा है, जिसका भागीदार किसी भी समूह संस्था (जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं है) में निदेशक है, तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म एसीबी के साथ-साथ बोर्ड/एलएमसी को उचित प्रकटीकरण करेगा।

3. क्या पैरा 6.4 के अनुसार, क्या वित्त वर्ष 2021-22 के लिए किसी लेखापरीक्षा फर्म को एससीए/एसए के रूप में नियुक्त करने से पूर्व संस्थाओं को (संस्थाओं के किसी गैर-लेखापरीक्षा कार्यों या समूह संस्थाओं के लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्यों के संबंध में) एक वर्ष के लिए पीछे देखना आवश्यक है?

आरबीआई विनियमित संस्था के एससीए/एसए के रूप में एक लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति से पहले, इस नियुक्ति और आरबीआई द्वारा विनियमित उसी लेखापरीक्षा फर्म को दिए गए किसी भी गैर-लेखापरीक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/ गैर-लेखापरीक्षा कार्यों को पूरा करने के बीच न्यूनतम एक वर्ष का समय अंतराल होना चाहिए। यह शर्त भविष्यलक्षी प्रभाव से यानी वित्त वर्ष 2022-23 से लागू होगी। इसलिए, यदि कोई लेखा परीक्षा फर्म संस्था के साथ कुछ गैर-लेखापरीक्षा कार्य में शामिल है और/या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्य में शामिल है और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति की तारीख से पहले उक्त कार्य को पूरा करती है या छोड़ देती है तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए / एसए के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगी।

यह दोहराया जाता है कि संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य या उसकी समूह संस्थाओं के लिए किसी लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्यों के बीच का समय अंतराल एससीए/एसए के रूप में लेखापरीक्षा कार्य पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष का होना चाहिए।

4. यदि एससीए/एसए पात्रता मानदंड को पूरा न करते हों तो क्या वे कार्य जारी रख सकते हैं जबकि उनकी नियुक्ति का मूल कार्यकाल पूरा होने को है? क्या संस्थाओं को एससीए/एसए (संयुक्त लेखा परीक्षकों सहित) को तुरंत नियुक्त करने की आवश्यकता है या उन्हें आगामी वार्षिक साधारण बैठक (एजीएम) में नियुक्त किया जा सकता है?

संस्था के मौजूदा एससीए/एसए (संयुक्त लेखा परीक्षकों के रूप में भी) अपना कार्य केवल तभी जारी रख सकते हैं यदि वे पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं और जिन्होंने संस्था के एससीए/एसए के रूप में तीन साल के निर्धारित कार्यकाल को पूरा नहीं किया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए एससीए/एसए की नियुक्ति तक, परिपत्र की आवश्यकताओं और लागू संविधिक प्रावधानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए एससीए/एसए प्रथम तिमाही, द्वितीय तिमाही, आदि, हेतु सीमित समीक्षा के लिए जारी रह सकते हैं।

5. पैरा 6.3 के अनुसार, क्या किसी बड़े एक्सपोजर2 वाली कंपनी/संस्था की लेखापरीक्षा करने वाली लेखापरीक्षा फर्म को संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त होने से प्रतिबंधित किया जाता है?

परिपत्र किसी लेखापरीक्षा फर्म को संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त होने से किसी भी बड़े एक्सपोजर वाली कंपनी/संस्था का लेखापरीक्षा करने से प्रतिबंधित नहीं करता है। यह केवल यह निर्धारित करता है कि लेखा परीक्षक की स्वतंत्रता का आकलन करते समय इस पहलू को भी स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए। इस संबंध में, बोर्ड/एसीबी/एलएमसी यह देखेगा कि हितों का कोई टकराव नहीं है और लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित है।

6. पैरा 8.3 के अनुसार, क्या एक लेखापरीक्षा फर्म के लिए एक वर्ष में चार वाणिज्यिक बैंकों, आठ शहरी सहकारी बैंकों और आठ एनबीएफसी की लेखापरीक्षा की सीमा, रु 1,000 करोड़ से कम आस्ति वाली एनबीएफसी की लेखापरीक्षा के लिए भी लागू है?

ये सीमाएं सभी आरबीआई विनियमित संस्थाओं की लेखापरीक्षा के संबंध में लागू होती हैं, चाहे आस्ति का आकार कुछ भी हो।


1 परिपत्र के अनुबंध 1 के फुटनोट 13 के अनुसार।

2 जैसा कि 'वृहद् एक्सपोजर ढांचा' पर दिनांक 03 जून 2019 के आरबीआई परिपत्र सं.DBR.No.BP.BC.43/21.01.003/2018-19 में परिभाषित है।

Server 214
शीर्ष