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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


मास्टर निदेश पर अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न (एफ़एक्यू) - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 (एमडी-टीएलई)

प्र 1: एमडी-टीईएल में 'हस्तांतरण का समय' शब्द को शामिल करने वाले विभिन्न खंड हैं। 'हस्तांतरण का समय'का अर्थ क्या है?

उत्तर: यह स्पष्ट किया जाता है कि ‘हस्तांतरण का समय’ का अर्थ वह अवधि है जब संबन्धित जोखिम और प्रतिफल (रिवार्ड), हस्तांतरित आर्थिक हितकी सीमा तक और जैसा कि ऋण भागीदारी, निर्धारण या नवीयन अनुबंध में प्रलेखित है, हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती पर बाध्यकारी हो जाता है।

प्र 2: एमडी-टीएलई का खंड 15, जो इसे अनुबंधित पक्षों के विवेक पर छोड़ देता है कि वे हस्तांतरित ऋणों से मूलधन और ब्याज आय के वितरण पर निर्णय लें, और खंड 34, जिसके तहत पहले प्रतिफल का भुगतान अपेक्षित है, विरोधाभासी प्रतीत होता है।

उत्तर: खंड 34 के प्रावधान, जिसमें ऋण के हस्तांतरण के समय केवल नकद आधार पर हस्तांतरण अपेक्षित है, और जो बनाए रखे गए आर्थिक हित से संबन्धित है का हस्तांतरण खंड 15 के प्रावधानों का अल्पीकरण किए बिना होगा। हालांकि, यह दोहराया जाता है कि हस्तातरणकर्ता द्वारा खंड 15 के तहत आर्थिक हित के किसी भी प्रतिधारण के परिणामस्वरूप क्रेडिट विस्तार नहीं होना चाहिए।

प्र 3: एमडी-टीएलई के खंड 77, एसआर में हस्तांतरणकर्ता द्वारा निवेश का मूल्यांकन निर्धारित करता है जिसे उसके द्वारा दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण द्वारा समर्थित है। क्या यह उपाय सम्पूर्ण होल्डिंग निवेशों के लिए लागू होगा या केवल उन एसआर निवेशों के लिए लागू होगा जो 24 सितंबर, 2021 को एमडी-टीएलई के जारी होने के बाद किए गए हैं?

उत्तर: यह स्पष्ट किया जाता है कि संबंधित खंड (संशोधित खंड 77 क) में हस्तांतरिती द्वारा हस्तांतरित दबावग्रस्त ऋण जो एसआर द्वारा समर्थित हो उनमें निवेश के लिए सूचित उपाय, एमडी जारी करने की तारीख को बकाया सभी एसआर निवेशों पर लागू होती है। हालांकि, खंड 3(ए) और (ई) में निर्दिष्ट के अलावा अन्य उधारदाता खंड 77 क में जोड़े गए परंतुक से निर्देशित होंगे।

प्र 4: खंड 73 धोखाधड़ी खातों को एआरसी को हस्तांतरित करने की अनुमति देता है। क्या धोखाधड़ी वाले खातों को एआरसी के अलावा अन्य अनुमति प्राप्त उधारदाताओं को हस्तांतरित किया जाना चाहिए?

उत्तर: उधारदाताओं द्वारा धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत ऋण खातों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जो एआरसी को छोड़कर एमडी-टीएलई के जारी होने से पहले की स्थिति थी। ऋणदाता खंड 73 का अनुपालन करते हुए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार अनुमति प्राप्त हस्तांतरणकर्ताओं को इस तरह के एक्सपोजर को हस्तांतरित कर सकते हैं।

प्र 5: एमडी-टीएलई का अध्याय III उन ऋणों के प्रबंध के बारे में बताता है जो डिफ़ोल्ट (चूक में) नहीं है। उचित मूल्यांकन पूरा होने और ऋण हस्तांतरण की तारीख के बीच के कुछ दिनों के अंतराल के दौरान होने वाली चूकों के लिए क्या उपाय होना चाहिए?

उत्तर: आदर्श रूप में, हस्तांतरण के समय और उचित मूल्यांकन कट-ऑफ तारीख के बीच का अंतर न्यूनतम होना चाहिए और बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए। तथापि, ऐसे परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए और इस शर्त का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कि अध्याय-III के प्रावधानों के अंतर्गत चूक में कोई ऋण हस्तांतरित नहीं किया जाता है, उधारदाताओं को सभी संगत पहलुओं को शामिल करते हुए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की सूचना दी जाती है।

प्र 6: एमडी-टीएलई के खंड 36 के अनुपालन में ऋणों के पूल के हस्तांतरण के मामले में, क्या पूल स्तर पर विवेकपूर्ण मानदंड लागू किए जा सकते हैं?

उत्तर: खंड 36 में उपाय केवल ऋणों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिए है जहां परिचालन अथवा अन्य बाधाओं के कारण, हस्तांतरिती ऋण स्तर की उचित जांच नहीं करता है। यह व्यक्तिगत ऋण स्तर पर विवेकपूर्ण मानदंडों को लागू करने के लिए खंड 46 के तहत आवश्यकता के प्रति पूर्वाग्रह के बिना है।

प्र 7: क्या सभी सहकारी बैंक अपनी दबावग्रस्त आस्तियों को प्रतिभूति प्राप्तियों (एसआर) के एवज में आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को बेच सकते हैं?

उत्तर: 24 सितंबर 2021 के एमडी-टीईएल के अनुसार, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (पीयूसीबी), राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को दबावग्रस्त ऋणों के पात्र हस्तांतरणकर्ताओं के रूप में मान्यता दी गई है। ‘बहुराज्यीय शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्निर्माण कंपनी (एससी/आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री’ पर दिशा-निर्देश संबंधी दिनांक 28 मार्च 2014 के परिपत्र के प्रासंगिक प्रावधान को निरस्त कर दिए गए हैं, जिनके अनुसार केवल बहुराज्यीय सहकारी बैंक ही एआरसी को दबावग्रस्त आस्तियों को बेच सकते हैं। तदनुसार, सभी सहकारी बैंकों को एमडी-टीईएल और अन्य मौजूदा विनियामक अनुदेशों के प्रावधानों का अनुपालन करते हुए दबावग्रस्त आस्तियों को एआरसी को अंतरित करने की अनुमति है।

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