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सरकार का बैंक और ऋण प्रबंधक

सरकार के बैंकिंग लेनदेनों का प्रबंध करना रिज़र्व बैंक की प्रमुख भूमिका है। सरकार को व्‍यक्ति, कारोबार और बैंकों की भांति अपने वित्‍तीय लेनदेनों, जिसके अंतर्गत जनता से संसाधनों का जुटाया जाना भी शामिल है, को दक्षतापूर्वक और प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए एक बैंकर की आवश्‍यकता पड़ती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


भारतीय रिज़र्व बैंक की सरकार के बैंकर के रूप में भूमिका

(14 अप्रैल 2020 को अद्यतन किया गया)

1. सरकारी बैंकिंग लेनदेनों के संचालन के संबंध में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक की भूमि‍का क्या होती है?

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 20 के अंतर्गत केंद्र सरकार की प्राप्तियों और भुगतानों तथा सरकार के लोक ऋण का प्रबंध करने सहित वि‍नि‍मय, विप्रेषण और अन्य बैंकिंग परिचालनों का उत्तरदायि‍त्व भारतीय रि‍ज़र्व बैंक का है। साथही, उक्त अधि‍नि‍यम की धारा 21 के अनुसार भारतीय रि‍ज़र्व बैंक को भारत सरकार का कारोबार करने का अधि‍कार है।

उक्त अधि‍नि‍यम की धारा 21ए के अनुसार राज्य सरकारों के साथ करार कर भारतीय रि‍ज़र्व बैंक राज्य सरकार के लेनदेन करता है। भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने अब तक यह करार सि‍क्कि‍म सरकार को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के साथ कि‍या है। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करने का अधिकार तथा उत्तरदायित्व दोनों के लिए विधिक प्रावधान हैं।

2. ‘सरकार का बैंकर’ के रूप में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अपना सांवि‍धि‍क उत्तरदायि‍त्व कैसे नि‍भाता है?

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक सरकारों का सामान्य बैंकिंग व्यवसाय अपने स्वयं के कार्यालयों और अपने एजेंट के रूप में नियुक्त वाणिज्यिक बैंकों, सार्वजनिक और निजी दोनों, के माध्यम से करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 में यह निर्धारित है कि वह विभिन्न प्रयोजनों, जिसके अंतर्गत “इस संबंध में जनता के हित में, बैंकिंग की सुविधा, बैंकिंग का विकास और ऐसे अन्य कारक जो इसकी राय में इससे संबंधित हैं” उल्लिखित है, के लिए भारत में सभी स्थानों पर अथवा किसी स्थान पर एजेंट के रूप में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को नियुक्त कर सकता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक अपने केंद्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के प्रधान खाते रखता है। भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने पूरे भारतवर्ष में सरकार की ओर से राजस्व संग्रह करने के साथ-साथ भुगतान करने के लि‍ए सुसंचालि‍त व्यवस्था की है। भारतीय रि‍ज़र्व बैंक का सरकारी बैंकिंग प्रभाग और भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम की धारा 45 के अंतर्गत नि‍युक्त एजेंसी बैंकों की शाखाओं का नेटवर्क सरकारी लेनदेन का कार्य करता है। वर्तमान में सार्वजनि‍क क्षेत्र के सभी बैंक और नि‍जी क्षेत्र के चुने हुए बैंक भारतीय रि‍ज़र्व बैंक के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। केवल एजेंसी बैंकों की नामित शाखाएं ही सरकारी बैंकिंग व्यवसाय कर सकती हैं।

3. सरकारी खातों में भुगतान कैसे कि‍या जाता है?

सरकारी खाते में जमा करने संबंधी सभी राशि‍याँ जैसे कर और अन्य विप्रेषण की राशियाँ, संबंधि‍त सरकार/वि‍भाग के निर्धारित चालान भरकर जमा की जाती हैं। करदाताओं को संबंधित सरकारी पोर्टल में लाग इन करके इलेक्ट्रानिक रूप में सरकारी देय राशियों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तथापि यदि वे देय राशियों का नकद, चेक, मांग ड्राफ्ट से भुगतान करने के इच्छुक हैं, तो इस संबंध में निर्धारित चालान के साथ इन्हें प्राधिकृत एजेंसी बैंक की शाखाओं में प्रस्तुत करना अपेक्षित है।

4. सरकारी खाते में किए गए भुगतान के लि‍ए चालान की रसीद कब उपलब्ध कराए जाते हैं?

सामान्यत: नकद राशि‍ प्रस्तुत करने संबंधी चालान की रसीद काउंटर पर वि‍प्रेषणकर्ता को तुरंत उपलब्ध करा दी जाती है। चेक/डीडी से भुगतान कि‍ए जाने पर स्थानीय समाशोधन गृह के समाशोधन चक्र के आधार पर लिखतों की वसूली (रि‍यलाइलेशन) होने पर ही रसीदी चालान जारी कि‍ए जाते हैं। ऐसे सभी मामलों में जमाकर्ता को पेपर टोकन जारी कि‍या जाता है, जि‍समें रसीदी चालान सुपुर्दगी की तारीख दर्शाई जाती है। रसीदी चालान, पेपर टोकन में दर्शाई गई तारीख के अनुसार सुपुर्दगी की तारीख से निर्धारित दिनों के भीतर पेपर टोकन को जमा (सरेंडर) कर प्राप्त कर लेना चाहि‍ए।

5. अगर पेपर टोकन खो (मिसप्लेस्ड) गया तो क्या होगा?

मूल पेपर टोकन खो जाने के मामले में, वि‍शेष अनुरोध पर और नि‍र्धारि‍त शुल्क अदा करने पर रसीदी चालान जारी कि‍या जाता है।

6. अगर रसीदी चालान खो गया, तो क्या कि‍या जाए?

कि‍सी भी परिस्थि‍ति‍ में चालान की दूसरी प्रति(डुप्लि‍केट) जारी नहीं की जाएगी। इसके बजाए, अपेक्षित विवरणों के साथ वि‍शेष अनुरोध करने और नि‍र्धारि‍त शुल्क का भुगतान करने पर ‘सर्टि‍फि‍केट ऑफ क्रेडि‍ट’ जारी कि‍या जाता है।

7. क्या एजेंसी बैंकों को केंद्र/राज्य सरकारों का बैंकिंग कार्य करने के लि‍ए मुआवजा दि‍या जाता है?

राज्य/केन्द्र सरकार के लेनदेन करने वाली मान्यता प्राप्त बैकों को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा पारि‍श्रमि‍क अदा कि‍या जाता है। ऐसे पारि‍श्रामि‍क को एजेंसी कमी‍शन कहा जाता है। वर्तमान में (1 जुलाई 2019) से लागू एजेंसी कमीशन की दरें नि‍म्नानुसार हैं :-

क्रम सं. लेनदेन का प्रकार इकाई संशोधित दर
(i) प्राप्तियां – भौतिक मोड प्रति लेनदेन 40/-
  (ii) प्राप्तियां-ई-मोड * प्रति लेनदेन 9/-
(i) भुगतान - पेंशन प्रति लेनदेन 75/-
  (ii) भुगतान - पेंशन के अलावा प्रति 100 टर्नओवर 6.5 पैसे
* इस संदर्भ में, यह नोट करें कि उपरोक्त टेबल में 'प्राप्तियां -ई-मोड' जोकि क्रम संख्या क(ii) के सामने दर्शाई गई हैं, वे ऐसे लेनदेन हैं जो कि इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से प्रेषक के बैंक खाते से निधियों के प्रेषण के रूप में है और ऐसे सभी लेनदेनों में नकद राशि/लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है।

8. वस्तु और सेवा कर व्यवस्था में भारतीय रिज़र्व बैंक की क्या भूमिका है?

भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारी लेखाओं के संबंध में सभी जीएसटी संग्रहण के लेखांकन के लिए संग्रहक का कार्य करता है। एजेंसी बैंक जीएसटी पोर्टल पर करदाताओं द्वारा ऑनलाइन किए गए चालन से जो जीएसटी एकत्र करते हैं, उन संग्रहणों का रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक के सरकारी खातों में निपटान के लिए करते हैं। साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक जीएसटी पोर्टल पर उपलब्‍ध एनईएफटी/आरटीजीएस भुगतान विकल्‍पों का उपयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक में सरकारी लेखाओं में सीधे करदाताओं द्वारा जीएसटी की भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।

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