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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


निदेशक, उनके रिश्तेदार जिस न्यास (ट्रस्ट) और संस्थान में पदधारी या हितबद्ध है उनके लिए दान

आरबीआई/2013-14/205
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी) परि. सं. 7/09.72.000/2013-14

30 अगस्‍त 2013

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

निदेशक, उनके रिश्तेदार जिस न्यास (ट्रस्ट) और संस्थान में पदधारी या हितबद्ध है उनके लिए दान

कृपया 11 अप्रैल 2005 का हमारा परिपत्र सं.शबैंवि.(पीसीबी)बीपीडी परि.सं.43/09.72.000/2004-05 देखें जिसके अनुसार शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया था कि किसी वर्ष में दिए जाने वाले सामान्य दान को बैंक के पिछले वर्ष के प्रकाशित लाभ के 1 प्रतिशत की उच्चतम सीमा तक सीमित कर दिया जाए और केंद्र/ राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त/ प्रायोजक राष्ट्रीय निधियों और अन्य निधियों में किए जाने वाले दान सहित इस प्रकार के सामान्य दान बैंक के पिछले वर्ष के प्रकाशित लाभ के 2% से अधिक न हों।

2. यह सूचना हमारे ध्यान में लाई गई है कि कुछ शहरी सहकारी बैंक ऐसे योगदान दिए हैं जो धर्मार्थ या उदारता के उद्देश्य से न्यासों को या किसी प्रकार की प्रदर्शिनी के लिए दिया गया दान है, जिसमें निदेशक या रिश्तेदार का हित निहित है। उक्त को देखते हुए तुरंत लागू रूप में शहरी सहकारी बैंकों पर जिन न्यासों और संस्थाओं में निदेशक और या उनके रिश्तेदार पदधारी या हितबद्ध हैं उनको दान देने से रोक लगा दी गई है। बैंक के पिछले वर्ष के प्रकाशित लाभ के 1 प्रतिशत की उच्चतम सीमा के अधीन भी यह लागू होंगे।

3. उक्त प्रयुक्त 'रिश्तेदार', 'हित' आदि शब्द से तात्पर्य अनुलग्नक में बताए अनुसार है।

भवदीय,

(ए.के.बेरा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

सं: अनुलग्नक


अनुलग्नक

'रिश्तेदार' और 'हित' की परिभाषा

1. ''रिश्तेदार''

निदेशक का "रिश्तेदार" से तात्पर्य नीचे बताए गए अनुसार निदेशक के किसी भी रिश्तेदार से है;

कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का रिश्तेदार तभी और केवल तभी माना जाएगा, यदि;
      (ए) वे हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य हैं; या
      (बी) वे पति - पत्नी हैं; या
      (सी) एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से नीचे बताए गए अनुसार संबंधित है;

     रिश्तेदारों की सूची

    1. पिता
    2. माता (सौतेली माँ सहित)
    3. पुत्र (सौतेला पुत्र सहित)
    4. पुत्र की पत्नी
    5. पुत्री (सौतेली पुत्री सहित)
    6. पुत्री का पति
    7. भाई (सौतेले भाई सहित)
    8. भाई की पत्नी
    9. बहन (सौतेली बहन सहित)
    10. बहन का पति

2. ''हित''

न्यास जिसमें निदेशक/ निदेशकों के रिश्तेदार न्यासी के रूप में पदधारी हैं या हितधारी हैं या न्यास के कामकाज में किसी भी हैसियत से शामिल है, जिससे निदेशक(कों) की स्वाधीनता पर प्रभाव डालने की संभावना हो।

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