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गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियां

यद्यपि यह भूमिका हमारी गतिविधियों का एक ऐसा पहलू है, जिसके संबंध में स्‍पष्‍ट रूप से कहीं उल्‍लेख तो नहीं है, किंतु अति महत्‍वपूर्ण गतिविधियों की श्रेणी में इसकी गिनती की जाती है। इसके अंतर्गत अर्थव्‍यवस्‍था के उत्‍पादक क्षेत्रों को ऋण उपलब्‍धता सुनिश्चित करना, देश की वित्‍तीय मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु संस्‍थाओं की स्‍थापना करना, किफायती वित्‍तीय सेवाओं की सुलभता बढ़ाना तथा वित्‍तीय शिक्षण एवं साक्षरता को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

अधिसूचनाएं


मास्टर परिपत्र - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) - निदेश

भारिबैं/2015-16/20
गैबैंविवि(नीप्र)कंपरि.सं.047/03.10.119/2015-16

1 जुलाई 2015

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर)

महोदय,

मास्टर परिपत्र - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) - निदेश

जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है।इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2015 तक अद्यतन किए गए हैं, नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है।

भवदीय,

(सी डी श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


विषय सूची

पैरा नं विवरण
I प्रारंभिक
II गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011
1. एनबीएफसी-एमएफआई की परिभाषा
2. एनबीएफसी-एमएफआई की विनियामक संरचना
3. सांवधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र
4. उचित व्यवहार संहिता
5. भौगोलीक विविधता
6. एसआरओ का निर्माण
7. अनुपालन की निगरानी
8. एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण हेतु आवेदन
  परिशिष्ट

I. परिचय

नवम्बर 2010 के द्वितीय तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में दिये गए संकेत के अनुसार, रिजर्व बैंक की केन्द्रीय समिति की उप समिति (श्री वाई एच मालेगाम की अध्यक्षता) का गठन लघु वित्त संस्थान क्षेत्र के मामलों के अध्यन हेतु किया गया था. समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट जनवरी 2011 में प्रस्तुत किया गया. वर्ष 2011-12 के मौद्रिक निती भाषण में यह घोषणा किया गया कि समिति की व्यापक विनियामक संरचना, बैंक द्वारा स्वीकार कर ली गई है। तदनुसार, एक नई श्रेणी की एनबीएफसी यथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्था (एनबीएफसी-एमएफआई) का निर्माण किया गया तथा 2 दिसम्बर 2011 की अधिसूचना गैबैंपवि.नीप्र.सं.234/सीजीएम(यूएस)2011 द्वारा अन्य निदेश जारी किया गया जिसमें एनबीएफसी-एमआईए के लिए विनियामक संरचना निहित है।

II. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो वित्त संस्थान (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011

1. एनबीएफसी-एमएफआई की परिभाषा

एनबीएफसी-एमएफआई से यह अभिप्रेत है कि जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत लाईसेंस प्राप्त से अलग) जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता हो. :

  1. न्युनतम निवल स्वाधिकृत निधि 5 करोड (देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई को न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि 2 करोड रखने की आवश्यकता है)

  2. इसकी “अर्हक स्वरूप” की निवल आस्तियां 85% से कम नहीं होना चाहिए.

1(केवल 01 जनवरी 2012 या उसके बाद प्रवर्तित परिसंपत्तियों को ही अर्हक स्वरूप की आस्तियों के मानदण्ड का अनुपालन करना होगा। विशेष छूट के रूप में, 01 जनवरी 2012 को मौजूदा आस्तियों को अर्हक स्वरूप की आस्तियों के मानदण्ड के साथ साथ कुल निवल परिसंपत्तियों के मानदण्ड के लिए गणना की जाएगी। इन आस्तियों को परिपक्वता पर निकालने की अनुमति दी जाएगी तथा उनका नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।)

उक्त ii के लिए,

“निवल आस्तियों” से तात्पर्य है नकद तथा बैंक बैलेंस और पूंजी बाजार लिखतों के अतिरिक्त कुल आस्तियां

वह ऋण “अर्हक आस्ति” होगा, जो निम्नलिखित मानदण्डों को पूरा करता है:-

2[ए. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा उधारकर्ता ऋण के संवितरण के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 1,00,000/- तक पारिवारिक आय या अर्ध शहरी तथा शहरी क्षेत्र में 1,60,000/- पारिवारिक आय सीमा निर्धारित की गई है।

बी. पहले चरण में ऋण राशि 60,000/- से अधिक नहीं हो तथा क्रमबद्ध अगले चरण में 1,00,000/- से अधिक नहीं हो।

सी. उधारकर्ता की कुल ऋण ग्रस्तता 1,00,000 से अधिक नहीं हो

बशर्तें, यदि ऋण किसी शैक्षणिक अथवा चिकित्सा के व्यय के लिए है तो उधारकर्ता की कुल ऋण ग्रस्तता में इसे शामिल नहीं किया जाएगा। ]

डी. बिना पूर्वभुगतान दण्ड के साथ 15000/- से अधिक की ऋण राशि के लिए ऋण अवधि 24 माह से कम नहीं हो.

ई. ऋण बिना कोलेटरल (संपार्श्विक जमानत) के दिया जाना चाहिए.

3एफ. एमएफआई द्वारा प्रदत्त कुल ऋण कम से कम 50 प्रतिशन आय सृजन के लिए होना चाहिए।

जी. उधारकर्ता की इच्छानुसार ऋण को साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक किश्तों में चुकाया जा सकता है.

iii. इसके अतिरिक्त शेष आस्तियों के 15 प्रतिशत से व्युत्पन्न गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्था का आय को उस विनिर्दिष्ट निमित्त के अनुसार विनियमन किया जाएगा.

iv. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-लघु वित्त संस्था के लिए योग्य नहीं पायी गई वे उन लघु वित्त क्षेत्र में ऋण नहीं देगी जिसका अपना कुल परिसंपत्ति 10% से अधिक है.

2. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थायें विनियामक संरचना

ए. 4प्रवेश के लिए मानदण्ड

i. मौजूदा एनबीएफसी

ए. एनबीएफसी-एमएफआई में परिवर्तन की इच्छा रखने वाली सभी पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां तत्काल प्रभाव से पंजीकरण हेतु आवेदन करें तथा किसी भी स्थिति में 31 अक्तूबर 2012 के बाद नहीं, बर्शते कि वे 31 मार्च 2012 तक निवल स्वाधिकृत निधि(एनओएफ) रूपये 3 करोड और 31 मार्च 2014 तक रूपये 5 करोड बनाए रखेंगी, इसमें चूक होने की स्थिति पर उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि लघु वित्त क्षेत्र में ऋण देना अर्थात् वैयक्तिक, एसएचजी या जेएलजी जो एमएफआई से ऋण के लिए पात्र हैं, उनको दिया गया ऋण कुल परिसंपत्तियों का 10% तक प्रतिबंधित हैं।

बी. पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यरत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से, 31 मार्च 2012 तक रूपये 1 करोड और 31 मार्च 2014 तक रूपये 2 करोड का न्यूनतम एनओएफ बनाए रखना ही होगा।

ii. नई कंपनियां

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की उन कंपनियां जिनके लिए अगली सूचना तक रू 2 करोड एनओएफ रखना आवश्यक है, उनके अतिरिक्त एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण की इच्छुक सभी नई कंपनियों को न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि रू 5 करोड रखना आवश्यक है, उन्हें निम्न पैराग्राफ में वर्णित अन्य सभी मानदण्डों का अनुपालन, जैसा अब तक किया है, वैसा प्रारंभ से करना होगा।

बी. विवेकपूर्ण मानदण्ड

i. पूंजीगत अपेक्षाएं

सभी नई एनबीएफसी-एमएफआई को टियर I तथा टियर II पूंजी का पूंजी पर्याप्तता के अनुपात सामंजस्य को बनाये रखना होगा जो कि इसके समग्र जोखिम भारित परिसंपत्ति के 15 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए. किसी भी समय टियर II पूंजी टियर I पूंजी से 100 प्रतिशत अधिक नहीं होनी चाहिए. तुलन पत्र परिसंपत्ति तथा तुलन पत्र इत्तर मदों पर ऋण परिवर्तन घटक, गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 के पैरा 16 में दिए गए वर्तमान नियमों के अनुसार जोखिम भारित होंगी.

नोट:

ए. मैजूदा एनबीएफसी के बीच से एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी में आने वाली कंपनियां जिनका परिसंपत्ति आकार 100 करोड से कम है उन्हें 1 अप्रैल 2012 से इन नियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है. जिनका परिसंपत्ति आकार 100 करोड या उससे अधिक है उन्हें पहले से ही न्यूनतम सीआरएआर का 15% बनाये रखना की आवश्यकता है.

बी. आन्ध्र प्रदेश राज्य में 25% से अधिक ऋण देने वाली एनबीएफसी-एमएफआई का सीआरएआर वर्ष 2011-12 के लिए 12% रखना होगा. इसके बाद सीआरएआर का 15% बनाये रखना होगा.

5सी. सीआरएआर की गणना के लिए, आन्ध्र प्रदेश(एपी) पोर्टफोलियों हेतु की गई अनुमानित प्रावधानीकरण को निवल स्वाधिकृत निधियां (एनओएफ) के रूप में गणना किया जाए तथा आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए ऐसी प्रावधानीकरण की गणना 5 वर्षों के लिए बराबर घटते क्रम में किया जाए। तदनुसार आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए 31 मार्च 2013 तक की गई 100 प्रतिशत प्रावधानीकरण को सीआरएआर के लिए निवल स्वाधिकृत निधियां (एनओएफ) के आंकडों हेतु अनुमानित जोडा जा सकता है। यह एड बैक प्रत्येक वर्ष 20 प्रतिशत के घटते क्रम में होगा यथा मार्च 2012 तक। इसका उदाहरण इसके अनुबंध 3 में दिया गया है। प्रतिलेखन या चरणबद्ध प्रावधानीकरण की अनुमति नहीं है।

डी. गैर आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों पर पूंजी पर्याप्ता तथा अनुमानित आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों (तुलन पत्र की तारीख को अतिदेय शेष से पोर्टफोलियों के लिए किया गया प्रावधानीकरण को घटाकर जो काल्पनिक रूप से पुन: जोडा नहीं गया हो) को जोखिम भारित परिसंपत्तियों का 15 प्रतिशत रखना होगा।

बी. आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंड :

प्रभावी 612 अप्रैल 2012 से सभी एनबीएफसी-एमएफआई निम्नलिखित दिशानिर्देश अपनायें (तब तक वे गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 में विनिर्दिष्ट आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंड का पालन करें) परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंड :

ए. आस्ति वर्गीकरण मानदंड :

  1. मानक परिसंपत्ति अर्थात ऎसी परिसंपत्तियां जिनके मूलधन या ब्याज की चुकौती में कोई चुक नहीं माना गया हो तथा इसमें कोई समस्या और न ही यह कारोबार में शामिल सामन्य जोखिम के अतिरिक्त किसी जोखिम का वहन करती हो. ;

  2. अनर्जक परिसंपत्ति अर्थात ऎसी परिसंपत्ति जिसके ब्याज/मूलधन 90 दिन से अधिक के लिए बकाया हो गया हो.

प्रावधानीकरण मानदंड :

7आंध्र प्रदेश में एमएफआई के समक्ष समस्याओं के आलोक में, जिसमे से कईयों को राज्य में काफी बडी राशि का अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए प्रावधान करना पडा था। एनबीएफसी-एमएफआई के तुलन-पत्र में सत्य और उचित वित्तीय छवि प्रदर्शित करने के लिए वर्तमान प्रावधानीकरण नियम जैसे जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के अनुसार आन्ध्र प्रदेश(एपी) पोर्टफोलियों की तरह प्रावधानीकरण करना चाहिए। गैर आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों के लिए प्रावधानीकरण 2 दिसम्बर 2011 के परिपत्र के अनुसार 1 अप्रैल 2013 से लागू होगा।

एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा किसी भी समय समग्र ऋण का प्रावधानीकरण निम्नलिखित से उच्च नहीं होना चाहिए ए) बकाया ऋण पोर्टफोलियो का 1% या बी) समग्र ऋण किस्त का 50% जो 90 दिनों से अधिक किंतु 180 दिनों से कम से बकाया हो तथा समग्र ऋण किस्त का 100% जो 180 दिनों या उससे अधिक समय से बकाया हो.

एनबीएफसी-एमएफआई के लिए अन्य सभी प्रावधान गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि नहीं स्वीकार या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 के अनुसार लागू होंगे, जिसे इसमें शामिल नहीं किया गया है.

सी. अन्य विनियम

ए. ऋण का किमत निर्धारण

i. सभी एनबीएससी के लिए 8मार्जिन कैप, उनके आकार पर ध्यान दिए बिना, 31 मार्च 2014 तक 12% होगा। तथापि, 1 अप्रैल 2014 से जैसा कि मालेगाम समिति द्वारा परिभाषित है, बड़ी एमएफआई (100 करोड़ रुपये से अधिक ऋण पोर्टफोलियो वाली कंपनी) का मार्जिन कैप 10 प्रतिशत तथा अन्य के लिए 12 प्रतिशत से अधिक न हो।

ii. 9प्रभावी 01 अप्रैल 2014 से प्रारंभ होने वाली तिमाही से एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा अपने उधाकर्ताओं पर प्रभारित ब्याज दर निम्नलिखित से निम्न होगा:

ए. उक्त (i) में विनिर्दिष्ट निधि की लागत तथा मार्जिन; अथवा

बी. परिसंपत्ति आकार की दृष्टिकोण से सबसे बड़े पांच वाणिज्यिक बैंकों का औसत आधार दर का 2.75 गुणा। प्रत्येक समाप्त तिमाही के अंतिम कार्य दिवस पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सबसे बड़े पांच वाणिज्यिक बैंकों का औसत आधार दर सूचित किया जाएगा, जिससे आगामी तिमाही के लिए ब्याज दर का निर्धारण किया जाएगा।

iii. 10एनबीएफसी-एमएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित अधिकतम सीमा के अंतर्गत, वित्तीय वर्ष के दौरान ऋणों पर औसत ब्याज दर वित्तीय वर्ष के दौरान की औसत ऋण लागत और मार्जिन से अधिक नहीं हो। इसके अलावा, जबकि वैयक्तिक ऋण पर ब्याज दर 26% से अधिक हो सकता है तब वैयक्तिक ऋण हेतु ब्याज दर की न्यूनतम और अधिकतम के बीच 4 प्रतिशत से अधिक अंतर की अनुमति नहीं है। ऋणों पर औसत ब्याज भुगतान और एमएफआई द्वारा प्रभारित प्रभार की गणना क्रमश: ऋण की औसत मासिक अतिदेय शेष और ऋण पोर्टफोलियों पर की जाएगी। आंकडें प्रति वर्ष सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित किए जाए तथा तुलन पत्र में भी प्रकट किए जाए।

iv. प्रोसेसिंग शुल्क सकल ऋण राशि का 1% से अधिक नहीं होना चाहिए. प्रोसेसिंग शुल्क को मार्जिन कैप या ब्याज कैप में शामिल नहीं किया जाए.

v. एनबीएफसी-एमएफआई केवल ग्रूप या पशुधन, जीवन, उधारकर्ता या उसके पति/पत्नि का स्वास्थ के लिए बीमा का वास्तविक शुल्क की कटौती करगा. प्राशासनिक शुक्ल आईआरडीए के दिशानिर्देश के अनुसार वसूला किया जायेगा.

बी ऋण देने हेतु उचित व्यवहार संहिता

I. ब्याज दरों में पारदर्शिता

ए. ऋण के मूल्यनिर्धारण में केवल मात्र तीन घटक यथा ब्याज शुल्क, प्रोसेसिंग शुल्क तथा बीमा प्रिमियम (जिसमें प्रशासनिक शुल्क शामिल होंगे) होंगे.

बी. विलम्ब भुगतान के लिए कोई दण्ड प्रभार नहीं लगाया जायेगा.

सी. एनबीएफसी-एमएफआई उधारकर्ता से किसी सिक्युरिटी जमा/मार्जिन जमा वसूल नहीं करेगा.

डी. ऋण करार का प्रपत्र मानक होगा.

ई. प्रत्येक एनबीएफसी-एमएफआई उधारकर्ता को निम्नलिखित दर्शाता हुआ ऋण कार्ड प्रदान करेगा.

(i) ब्याज शुल्क का प्रभावी दर

(ii) ऋण से जुडे हुए अन्य नियम व शर्तें

(iii) उधारकर्ता के पहचान के संबंध में पर्याप्त जानकारी तथा

(iv) एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा किस्त प्राप्ति तथा अंतिम किस्त की प्राप्ति सहित सभी भुगतान के लिए पावती देगा.

(v) ऋण कार्ड में सभी प्रविष्टियां प्रादेशीक भाषाओं में होनी चाहिए.

एफ. एनबीएफसी-एफएफआई द्वारा प्रभारित प्रभावी ब्याज दर प्रमुखता से इसके सभी कार्यालयों तथा इसके द्वारा जारी साहित्य और इसके वेबसाइट पर प्रदर्शित होना चाहिए.

II. बहुविध –ऋण, अति- उधारी तथा छ्द्म –उधारकर्ता

ए. एनबीएफसी- एमएफआई उन व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को ऋण दे सकता है जो संयुक्त देनदारी समूह (जेएलजी)/ स्वंय सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य या जेएलजी / एसएचजी के उधारकर्ता सदस्य नहीं हो.

बी. उधारकर्ता एक से अधिक जेएलजी / एसएचजी का सदस्य नहीं हो.

सी. एक ही उधारकर्ता को दो से अधिक एनबीएफसी- एमएफआई ऋण नहीं देगा.

डी. ऋण स्वीकृति तथा प्रथम किस्त के पुर्नभुगतान के बीच न्यूनतम ऋणस्थगन अवधि होनी आवश्यक है. ऋण स्थगन पुर्नभुगतान की नितंतरता से कम नहीं होनी चाहिए उदाहरण स्वरूप साप्ताहिक पुर्नभुगतान के मामले में ऋण स्थगन एक सप्ताह से कम नहीं होना चाहिए.

ई. ऋण की वसूली की नियमों में दिए गए उल्लंघनको तब तक अस्थगित किया जाना चाहिए जब सभी पूर्व मौजूदा ऋण को पूरी तरह चुकाया जाता है.

एफ. सभी ऋणों की मंजूरी तथा वितरण केवल मात्र केन्द्रीत स्थान से किया जाना चाहिए तथा इसमें एक से अधिक व्यक्ति शामिल होना चाहिए. इसके अतिरिक्त, वितरण कार्य में गहन पर्यवेक्षण किया जाना होना चाहिए.

III. 11सशर्त अनुपालन सुनिश्चित करना

क्रेडिट सूचना कंपनियों की सदस्यता से इस तरह की अनेक शर्तों के संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करना सुविधाजनक होगा। तदनुसार, यह दोहराया गया है कि प्रत्येक एनबीएफसी- एमएफआई को सीआईसी विनियमन अधिनियम, 2005, के तहत स्थापित न्यूनतम एक क्रेडिट सूचना कंपनी (सीआईसी) की सदस्यता लेनी ही होगी, ताकि उस सीआईसी को समय पर और सटिक आंकडें उपलब्ध कराया जाए और उसके पास उपलब्ध आंकडों को एसएचजी या जेएलजी की सदस्यता, ऋणग्रस्तता का स्तर और ऋणों के स्रोतों के संबंध में नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किया जाए। चूंकि सीआईसी के आंकडों का कवरेज़ तथा गुणवत्ता को मजबूत बनने में कुछ समय लगेगा, अत: एनबीएफसी-एमएफआई उधारकर्ता द्वारा स्वत: प्रमाणिकरण और वार्षिक घरेलू आय के साथ साथ इन पहलूओं पर उनके स्वंय के स्थानीय जांच पडताल से भरोसा किया जा सकता है।

IV. चुकौती के गैर अनिवार्य उपाये

ए. एनबीएफसी-एमएफआई फिल्ड स्टॉफ के भर्ती प्रणाली में आचार संहिता, प्रशिक्षण तथा पर्यवेक्षण सुनिश्चित करें. आचार संहिता को उचित व्यवहार संहिता के दिशानिर्देश में भी शामिल किया जाए, जिसे 28 सितम्बर 2006 के कंपनी परिपत्र सं 80 यथा समय संशोधित, द्वारा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिये जारी किया गया है.

बी. वसूली केवल मात्र निर्दिष्ट केन्द्रीय स्थान पर से ही किया जाए. फिल्ड स्टॉफ को उनके घर से या कार्य स्थल से वसूली के लिए तब ही अनुमति दी नहीं है जब उधारकर्ता 2 बार या अधिक लगातार अवसरो पर निर्दिष्ट केन्द्रीय स्थान पर पहुने में विफल होता है.

सी. उचित व्यवहार संहिता पर अन्य तत्थों का अनुपालन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए जारी 26 सितम्बर 2006 का, यथा समय संशोधित, परिपत्र सं: 80 के के अनुरूप होगा.

सी. कॉर्पोरेट गवर्नेंस

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए कार्पोरेट गवर्नेंस पर जारी 1 जुलाई 2011 का मास्टर परिपत्र यथा सीसी संख्या: 187 भी एनबीएफसी-एमएफआई के लिए लागू होगा.

डी. कार्यनिष्पादन क्षमता बढाना

एनबीएफसी-एमएफआई अपने कार्यालय परिचालन की समीक्षा करें तथा सूचना प्रौद्योगिकी तथा प्रणाली में आवश्यक निवेश करें ताकि तथा कम लागत में बेहतर नियंत्रण और आसान प्रक्रिया को अपनाया जा सके.

ई. अन्य

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के संबंध में दिशानिर्देश पर ग्रामिण आयोजना ऋण विभाग द्वारा जारी “माइक्रो फाइनांस संस्थाओं (एमएफआई) को बैंक ऋण –प्राथमिकता क्षेत्र का दर्जा” पर 3 मई 2011 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आयो.बीसी.सं.66/04.09.01/2010-11 का संदर्भ लें.

3. सांविधिक लेखा परीक्षकों का प्रमाण पत्र

गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 के पैराग्राफ 15 के अनुसार सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च तक की वित्तीय स्थिति का सांविधिक लेखा परीक्षा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्कता है. एनबीएफसी-एमएफआई के लिए, ऎसे प्रमाण पत्र में भी यह दर्शाया जाए कि इस परिपत्र के एनबीएफसी-एमएफआई श्रेणी के लिए निर्धारित सभी शर्तें कंपनी द्वारा पूरी की जा रही है.

4. उचित व्यवहार संहिता

एनबीएफसी-एमएफआई के विशिष्ठ कारोबार प्रकृति पर विचार करते हुए, वे 26 मार्च 2012 का परिपत्र यथा डीएनबीएस.सीसी.पीडी सं:266 द्वारा उचित व्यवहार संहिता पर जारी विशेष दिशानिदेश के अधीन होंगे, इसके अतिरिक्त सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू सामान्य एफपीसी भी लागू होगा। 12उचित व्यवहार संहिता के सभी घटकों पर बैंक द्वारा जारी 02 जुलाई 2014 का अनुपालन एमएफआई द्वारा किया जाना आवश्यक हैं। एनबीएफसी-एमएफआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकतर संसाधन एसएचजी/जेएलजी के प्रवर्तन में व्यावसायिक निविष्टियों और समूहों के निर्माण के बाद क्षमता निर्माण और सशक्तिकरण हेतु उचित प्रशिक्षण और कौशल विकास की गतिविधियों के लिए समर्पित है। 13सभी एनबीएफसी-एमएफआई से अपेक्षित है कि वे विवेकशील रहे तथा अपने ऋण कार्यकलापों में अनावश्यक ऋण राशि का व्यय के संबंध में निहित खतरा के प्रति अपने उधारकर्ताओं को शिक्षित करें।

5. 14भौगोलिक विविधता

विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में किसी अवांछित संकेन्द्रण से बचने हेतु आंतरिक एक्सपोजर सीमा तय करने के लिए एनबीएफसी –एमएफआई अपने बोर्ड से संपर्क करें।

6. एसआरओ बनाना

मालेगाम समिति द्वारा उद्योग संस्थाओं के लिए विनियामक अनुपालन की निगरानी पर और अधिक जिम्मेदारी की सिफारिशें प्रस्तुत की गई है। सभी एनबीएफसी-एमएफआई को कम से कम एक स्वविनियामक संगठन (एसआरओ) का सदस्य बनना होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त हो और जो एसआरओ द्वारा निर्धारित आचार संहिता का अनुपालन करता हो। 15एसआरओ की संरचना पर दिशानिदेश जारी की जा चुकी है।

7. अनुपालन की निगरानी

एमएफआई हेतु निर्धारित सभी विनियमों का अनुपालन की जिम्मेदारी मुख्यत: एनबीएफसी-एमएफआई के स्वयं की हैं। उद्योग संस्थाए/एसआरओ भी विनियामक संरचना के अनुपालन में प्रमुख भूमिका निभाना सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त, एनबीएफसी-एमएफआई को ऋण देने वाले बैंकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि एनबीएससी-एमएफआई में ऋण नीति और प्रणालीगत व्यवस्था विनियामक संरचना के एक समान है।

8. एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन

सभी मौजूदा एनबीएफसी जो एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण कराना चाहती है उन्हें (अनुबंध -1) संलग्न फार्मेट के पैरा 2(i) (ए) में विनिर्दिष्ट अनुसार तत्काल प्रभाव से पंजीकरण के लिए, बैंक द्वारा जारी मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र(सीओआर) के साथ उस क्षेत्रीय कार्यालय को एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी में परिवर्तन के लिए प्रार्थना करना होगा जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय स्थित है। एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में श्रेणी परिवर्तन को पंजीकरण प्रमाण पत्र में दर्ज किया जाएगा। एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण के लिए नई कंपनियों को ऑन-लाईन आवेदन करते समय, अनुबंध -2 में दिए विनिर्दिष्ट अनुसार अतिरिक्त जानकारी कागज़ाती रूप में प्रस्तुत करनी होगी।

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फूट नोट: मूल परिपत्र/अधिसूचना में जब और जैसे परिवर्तन होगा मास्टर परिपत्र में संदर्भित कंपनी अधिनियम, 1956 में भी परिवर्तन होगा।


अनुबंध 1

एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पुन:वर्गीकरण के लिए आवेदन की तारीख ---- को मौजूदा एनबीएफसी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला विवरण

ए. अभ्यावेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि:

बी. 31 मार्च 2012 को बनाए रखी पूंजी पर्याप्तता (सीआरएआर):

सी. अभ्यावेदन की तारीख को ऋण परिसंपत्तियों की रूपरेखा:

श्रेणी खातों की संख्या बकाया राशि
(1). अभ्यावेदन की तारीख को कुल बकाया ऋण    
i. उक्त मद (1) का, 01 जनवरी 2012 को या उसके बाद रूपये 15000/- और उससे कम राशि के मंजूर ऋण    
i.i. उक्त मद (1) का, 1 वर्ष की अवधि से अधिक अवधि के ऋण:    
ii. उक्त मद (1) का, 01 जनवरी 2012 को या उसके बाद रूपये 15000/- और उससे अधिक राशि के मंजूर ऋण    
ii.i. उक्त मद (ii) के ऋण के लिए, 24 माह से कम अवधि के ऋण    
iii. आय उत्पन्न करने के लिए दिए गए ऋण    
iv. ऋण, जहाँ घरेलू वार्षिक आय्र में),
   
iv.i. रूपये 60,000/- से अधिक है (ग्रामीण क्षेत    
iv.ii. रूपये 1,20,000/- से अधिक हैं (शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्र में)    
v. जहाँ उधारकर्ता द्वारा दो से अधिक एमएफआई से ऋण लिया गया हो    
vi. जहाँ उधारकर्ता 1 से अधिक एसएचजी/जेएलजी का सदस्य हैं।    
vii. जहाँ उधारकर्ता द्वारा व्यक्तिगत और एसएचजी/जेएलजी के सदस्य के रूप में ऋण लिया गया हो।    

डी. मूल्य निर्धारण:

ए. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा 31 मार्च 2011 और 2012 को ली गई ऋण राशि पर औसत ब्याज की लागत

बी. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा 31 मार्च 2011 और 2012 को दिए गए उधार पर औसतन लगाया गया ब्याज।

ई. उक्त मद सी (1) की, 31 मार्च 2012 तारीख को आंध्र प्रदेश राज्य में बकाया ऋण राशि और संख्या:

एफ. प्रावधानीकरण की राशि, यदि कोई हो तो, 31 मार्च 2012 को आंध्र प्रदेश राज्य में बकाया ऋण के लिए की गई हो:

जी. क्रेडिट इंफारमेशन ब्यूरो /कंपनी का नाम जिसके द्वारा आवेदक कंपनी को आधिकारिक मान्यता हो:

नाम:
हस्ताक्षर:
तारीख:


अनुबंध-2

एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाली नई कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला विवरण

ए. अभ्यावेदन की तारीख को निवल स्वाधिकृत निधि :

बी. तीन वर्षों के लिए व्यवसाय की प्रस्तावित व्यावसायिक योजना निम्न का उल्लेख करते हुए (वर्ष वार):

  1. प्रारंभिक ऋण परिसंपत्तियों की राशि
  2. आय उत्पादन के लिए उपलब्ध की जाने वाली ऋण परिसंपत्तियों की राशि
  3. शहरी और अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ की जाने वाली परिसंपत्तियों की राशि के आंकडें
  4. जिन गतिविधियों को कंपनी शहरी और अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सहायता देना चाहती हैं
  5. पूर्वानुमानित लाभ
  6. उधार की औसतन लागत
  7. परिसंपत्तियों पर औसत प्रतिलाभ (आरओए)
  8. अपेक्षित पूंजी व्यय
    ए) भूमी और इमारत और
    बी) आईटी संसाधन
  9. वह स्थान जहां कंपनी कारोबार करना चाहती है
  10. एसएचजी/जेएलजी के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए संसाधनों का विनियोजन

नाम:
हस्ताक्षर:
दिनांक:


अनुबंध - 3

आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों पर प्रावधान करने के पश्चात सीआरएआर की गणना

किया गया प्रावधानीकरण तथा आन्ध्र प्रदेश (एपी) पोर्टफोलियों एड बैक तथा क्रमश: घटना
वर्ष प्रावधान करने के कारण हुई हानी पूंजी पुन: जोडे गए प्रावधान निवल पूंजी (3+4) पूंजी की आवश्यकता (@15%) डाली जाने वाली पूंजी की आवश्कता गैर-एपी एपी
1 2 3 4 5 6 7 8 9
प्राथमिक स्थिति 0       30   100 100
2012-13 -100 -70 100 30 30 0 100 100
2013-14   -70 80 10 27 17 100 80
2014-15   -53 60 7 24 17 100 60
2015-16   -36 40 4 21 17 100 40
2016-17   -19 20 1 18 17 100 20
2017-18   -2 0 -2 15 17 100 0
2018-19   15 0 15 15 0 100 0
          Total 85    

सरलता के लिए, उक्त उदाहरण कुछ धारणाओं पर आधारित है जो निम्नानुसर हैं:

ए) एनबीएफसी-एमएफआई निवेश खाते के कुल के 50% का एपी पोर्टफोलियो में समावेश होगा।    

बी) पूरा एपी पोर्टफोलियो हानी परिसंपत्ति के रूप में लिया गया हो

सी) अगले पांच वर्षों के लिए पोर्टफोलियो गतिहीन बना हो


परिशिष्ट

परिपत्रों की सूची

क्रम परिपत्र दिनांक
1 गैबैंपवि.नीप्र.सं.234 सीजीएम. (यूएस) 2011 02 दिसम्बर 2011
2 गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.263/03.10.038/2011-12 20 मार्च 2012
3 गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.266/03.10.038/2011-12 26 मार्च 2012
4 गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.300/03.10.038/2011-12 3 अगस्त 2012
5. गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.327/03.10.038/2011-12 31 मई 2013
6. प्रेस विज्ञप्ति: 2013-2014/1066 26 नवम्बर 2013
7. गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.369/03.10.038/2011-12 07 फरवरी 2014
8. गैबैंविवि.013/सीजीएम (सीडीएस)-2015 08 अप्रैल 2015

13 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

208 अप्रैल 2015 की अधिसूचना सं:गैबैंविवि.013/सीजीएम(सीडीएस) 2015 द्वारा प्रतिस्थापित।

308 अप्रैल 2015 की अधिसूचना सं:गैबैंविवि.013/सीजीएम(सीडीएस) 2015 द्वारा प्रतिस्थापित।

43 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

53 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

63 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

73 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

813 मई 2013 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.327/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

907 फरवरी 2014 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.369/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

103 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

113 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

123 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

1308 अप्रैल 2015 का गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं.027/03.10.01/2014-15 द्वारा शामिल किया गया।

143 अगस्त 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.300/03.10.038/2012-13 द्वारा शामिल किया गया।

1526 नवम्बर 2013 का प्रेस विज्ञप्ति: 2013-2014/1066

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