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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

अधिसूचनाएं


भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए एक स्व-विनियामक संगठन की मान्यता के लिए फ्रेमवर्क

आरबीआई/2020-21/58
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.503/02.12.004/2020-21

22 अक्टूबर 2020

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालक (बैंक और गैर-बैंक)

महोदया / महोदय,

भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए एक स्व-विनियामक संगठन की मान्यता के लिए फ्रेमवर्क

उद्योग स्व-शासन उद्योग जगत में सुचारू संचालन और ईकोसिस्टम के विकास में मदद करता है। भारतीय रिजर्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विजन 2019-21 में इसीलिए भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) के लिए एक स्व-विनियामक संगठन (एसआरओ) की स्थापना की परिकल्पना की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के विकासात्मक और विनियामक नीतियों के बारे में वक्तव्य के छठे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य - 2019-20 (6 फरवरी 2020) में यह घोषणा की गई की एक पीएसओ के लिए एक एसआरओ की स्थापना की जाएगी।

2. आरबीआई ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए एक मसौदा फ्रेमवर्क रखा था और प्राप्त टिप्पणियों और सुझावों के आधार पर, इसने एसआरओ के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप दिया है, जो अनुबंध में दिया गया है।

3.एसआरओ के रूप में मान्यता प्राप्त करने के इच्छुक समूह / पीएसओ का संघ (बैंक और साथ ही साथ गैर बैंक) मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 14 वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट , मुंबई – 400001 पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदनों में फ्रेमवर्क में दिए गए निर्देशों का पालन होना चाहिए।

4. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 10 (2) के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत जारी किया गया है।

भवदीय,

(पी.वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए एक स्व-विनियामक संगठन की मान्यता के लिए रूपरेखा 1

(डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 503/02.12.004/2020-21 दिनांक 22 अक्टूबर 2020)

1 परिचय

1.1. देश में भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियामक के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक एक परामर्शी प्रक्रिया के माध्यम से आवश्यक विनियामक ढांचे को निर्धारित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विभिन्न भुगतान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए देश में अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की भुगतान प्रणालियाँ परिचालित हों। समय के साथ, उपयोगकर्ताओं के विभिन्न क्षेत्रों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के भुगतान लिखत विकसित हुए हैं।

1.2. जैसे जैसे भुगतान ईकोसिस्टम परिपक्व होता है और भुगतान प्रणालियों की संख्या का प्रसार होता है, तो विनियामक संसाधनों के इष्टतम उपयोग के हित में, यह आवश्यक हो जाता है कि भुगतान उद्योग प्रणाली सुरक्षा, मूल्य निर्धारण प्रथाओं, ग्राहक सुरक्षा उपायों, शिकायत निवारण तंत्र इत्यादि के संबंध में मानक विकसित करे। जबकि स्व-विनियमन विनियामक संसाधनों को जारी करेगा, जिनके द्वारा प्रणालीगत महत्व के मुद्दों पर बेहतर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है, यह उद्योग द्वारा स्वयं विकसित किए जाने के कारण, अधिक उपयुक्त होगा और बेहतर अनुपालन को प्रोत्साहित करेगा। जैसा कि उद्योग जगत को सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप विकासशील प्रणालियों के संदर्भ में सोचने के लिए मजबूर किया जाता है, यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है।

1.3 अत: भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) के लिए एक स्व-विनियामक संगठन (एसआरओ) की स्थापना को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया है।

1.4 एक एसआरओ एक गैर-सरकारी संगठन है जो ग्राहक की सुरक्षा और नैतिक और पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग में सदस्य संस्थाओं के संचालन से संबंधित नियमों और मानकों को स्थापित और लागू करता है। एसआरओ से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सदस्यों के बीच आंतरिक रूप से स्वीकृत प्रक्रियाओं के माध्यम से विवादों को हल करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सदस्य एक अनुशासित वातावरण में काम करते हैं और यहां तक ​​कि एसआरओ द्वारा दंडात्मक कार्यवाहियों को भी स्वीकार करते हैं। एक आदर्श एसआरओ उद्योग के संकीर्ण स्वार्थों से परे काम करेगा और बड़ी चिंताओं को दूर करेगा, जैसे कि ग्राहकों की सुरक्षा, प्रशिक्षण और शिक्षा को आगे बढ़ाना और सदस्यों, उद्योग और ईकोसिस्टम के समग्र विकास के लिए प्रयास करेगा।

1.5 एक एसआरओ द्वारा विनियमन, मानक, विवाद समाधान और प्रवर्तन को न केवल अपने सदस्यों के आपसी समझौते से वैधता मिलती है, बल्कि उस दक्षता से भी जिसके साथ स्व-विनियमन माना जाता है। इस तरह के नियम लागू कानूनों या नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करते हैं अपितु ये पूरक हैं।

2. एक एसआरओ के लक्षण

2.1. एक एसआरओ से यह अपेक्षा की जाती है कि उसके पास अपने सदस्यों का भरोसा और विश्वास हासिल करने के लिए निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए :

  • व्यावहारिक और पेशेवर मानकों को निर्धारित करने और उन्हें सदस्यों पर लागू करने के लिए सदस्यता समझौतों से प्राप्त प्राधिकार;

  • नियम बनाने और उन्हें सदस्यों के बीच लागू करने के लिए उद्देश्यपूर्ण और अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रियाएं;

  • संघर्षों और विवादों से निपटने के लिए मानकीकृत प्रक्रियाएं, साथ ही पारदर्शी और सतत विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से उन्हें हल करने के तरीके;

  • अपने सदस्यों पर निगरानी के प्रभावी तरीके और यह सुनिश्चित करना कि वे उद्योग के नियमों और विनियमों का पालन करते हैं और साथ ही व्यवहार के नैतिक और व्यावसायिक मानकों को भी स्वीकार करते हैं; तथा

  • प्रभावी निगरानी के लिए निगरानी के तरीकों का विकास करना।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक एसआरओ की मान्यता के लिए पात्रता

3.1 एसआरओ को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा।

3.2. केवल विनियमित भुगतान प्रणाली इकाइयां जैसे कि बैंक और गैर-बैंक पीएसओ एक एसआरओ के सदस्य हो सकते हैं।

3.3. एसआरओ का प्रबंधन पेशेवर रूप से स्पष्ट उपनियमों से किया जाएगा।

3.4 एसआरओ के ज्ञापन / उपनियमों में सदस्यों के प्रवेश के लिए मानदंड और वे किन कार्यों का निर्वहन करेंगे इस बात को निर्दिष्ट किया जाएगा। यह उस तरीके को भी विहित करेगा कि निदेशक मंडल (शासी निकाय) किस तरह से कार्य करेगा।

3.5. यदि आवश्यक हो तो आरबीआई यह प्रावधान कर सकता है कि एसआरओ के निदेशक मंडल में महत्वपूर्ण पदों की नियुक्ति इसकी पूर्व स्वीकृति के अधीन हो।

3.6. एसआरओ स्वयं द्वारा की जाने वाली अथवा इसे सौंपी गई गतिविधियों को करने के लिए वित्तीय रूप से सक्षम होगा। एसआरओ की सदस्यता के लिए शुल्क सभी सदस्यों के लिए उचित और समान होगा।

4. एसआरओ के मामलों के प्रबंधन से संबंधित आवश्यकताएं

4.1. एसआरओ के निदेशक मंडल और प्रबंधन सतत रूप से फिट और उचित मानदंडों (एफपीसी) को पूरा करेंगे। यहां एफपीसी का मतलब होगा कि व्यक्ति निष्ठावान और बेदाग चरित्र वाला है और भुगतान ईकोसिस्टम में प्रासंगिक क्षेत्रों में अपेक्षित विशेषज्ञता रखता है।

4.2. किसी भी निदेशक के बदलने पर अथवा किसी निदेशक के बारे में कोई प्रतिकूल बात होने पर भारतीय रिज़र्व बैंक को तुरंत सूचित किया जाए।

4.3 निदेशक मंडल में कम से कम एक तिहाई सदस्य स्वतंत्र होंगे और सदस्य संस्थानों से संबद्ध नहीं होंगे।

4.4.बोर्ड अपने सदस्यों द्वारा अपनाई जाने वाली आचार संहिता की रूपरेखा तैयार करेगा।

4.5. एसआरओ को अपने सदस्यों द्वारा नियमों के अनुपालन के साथ-साथ आचार संहिता के पालन की निगरानी करने की स्थिति में होना चाहिए।

4.6. एसआरओ को अपनी शासन प्रक्रियाओं की स्थापना; मानकों को स्थापित करने, बेंचमार्क निर्धारित करने इत्यादि के लिए पारदर्शी प्रथाओं का पालन करना होगा;

5. एसआरओ के रूप में मान्यता प्रदान करना

5.1 भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंक) का एक समूह / संघ भारतीय रिज़र्व बैंक के समक्ष एसआरओ के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन करेगा।

5.2 भारतीय रिज़र्व बैंक किसी आवेदक को एसआरओ के रूप में मान्यता प्रदान करने से पहले यथा आवश्यक अतिरिक्त जानकारी अथवा स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहने का अधिकार रखता है ।

5.3.आवेदक को उपयुक्त पाने के पश्चात , भारतीय रिज़र्व बैंक एक एसआरओ के रूप में "मान्यता पत्र" जारी करेगा।

5.4. भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि अपने विचार में, निष्कर्ष निकालता है कि एसआरओ सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक है, तो वह संस्था को अपने विचार / टिप्पणियों को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करने के बाद एसआरओ की मान्यता वापस ले सकता है।

6. मान्यताप्राप्त एसआरओ के कार्य और उत्तरदायित्व

6.1 मान्यताप्राप्त एसआरओ सार्वजनिक चर्चाओं में या भारतीय रिजर्व बैंक या किसी अन्य प्राधिकरण के साथ या अन्य निकायों के साथ किसी भी संचार में अपने सदस्यों के प्रतिनिधि के रूप में काम करेगा।

6.2. मान्यता प्राप्त एसआरओ न्यूनतम मानदंड, नैतिक और व्यावहारिक मानकों की स्थापना की दिशा में काम करेगा और अपने सदस्यों के बीच व्यावसायिक और स्वस्थ बाजार से संबन्धित व्यवहार लाने में मदद करेगा। यह न केवल उन संस्थाओं की दिशा में काम करेगा, जिनका यह प्रतिनिधित्व करता है बल्कि समस्त भुगतान उद्योग के विकास के लिए भी कार्य करेगा।

6.3 मान्यताप्राप्त एसआरओ, भारतीय रिज़र्व बैंक को भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए किसी भी अन्य दिशानिर्देश / विनियमों / भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों के उल्लंघन के बारे में तुरंत सूचित करेगा।

6.4. मान्यताप्राप्त एसआरओ अंतर-पीएसओ मामलों सहित अपने सदस्यों के बीच एक समान शिकायत निवारण और विवाद समाधान ढांचे की स्थापना करेगा।

6.5. मान्यताप्राप्त एसआरओ अपने सदस्यों और अन्य के कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। यह सुरक्षित भुगतान लेनदेन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा।

6.6. मान्यताप्राप्त एसआरओ सुरक्षित भुगतान ईकोसिस्टम बनाने के लिए अनुसंधान और विकास का संचालन करेगा अथवा इसे बढ़ावा देगा।

6.7. मान्यताप्राप्त एसआरओ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए किसी भी कार्य को करेगा और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संदर्भित किन्हीं भी प्रस्तावों अथवा सुझावों की जांच करेगा।

6.8 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर या जब कभी भी अनुरोध किया जाए तब मान्यताप्राप्त एसआरओ डेटा सहित कोई भी जानकारी प्रदान करेगा।

6.9 मान्यताप्राप्त एसआरओ को भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ समय-समय पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया जाएगा, और यथोचित रूप से इसके विचार / इनपुट / सुझाव देने में सेगमेंट / उद्योग की बड़ी तस्वीर को देखने की उम्मीद की जाएगी। एसआरओ अपनी सदस्यता के हितों से ऊपर उठकर चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेगा अर्थात ईकोसिस्टम में ग्राहकों, प्रतिभागियों और अन्य हितधारकों की चिंताओं का समाधान करने का प्रयास करेगा।

6.10. मान्यताप्राप्त एसआरओ वर्तमान विनियामक / पर्यवेक्षी व्यवस्था के अनुपूरक और पूरक के रूप में में एक रचनात्मक भूमिका निभाएगा।

6.11. मान्यताप्राप्त एसआरओ समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का पालन करेगा।

6.12 मान्यता प्राप्त एसआरओ सदैव उस मानदंड का पालन करना जारी रखेगा जिसके तहत इसे एक एसआरओ के रूप में मान्यता दी गई है।


1 भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के 2 (i) के अंतर्गत यथा परिभाषित 1 'भुगतान प्रणाली'; ऑपरेटर्स में सिस्टम पार्टिसिपेंट्स और सिस्टम प्रोवाइडर्स शामिल हैं, जो अधिनियम की धारा 2 (पी) और 2 (क्यू) के अंतर्गत परिभाषित हैं।

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