भारिबैं/2021-22/146
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.सं.एस1264/02-14-003/2021-2022
03 जनवरी 2022
(04 दिसंबर 2024 तक अद्यतन)
(24 अगस्त 2023 तक अद्यतन)
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालक और सहभागी (बैंक और गैर-बैंक)
महोदया / महोदय,
ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतानों की सुविधा प्रदान करने के लिए ढांचा
रिज़र्व बैंक ने दिनांक 06 अगस्त 2020 के परिपत्र के माध्यम से तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल लेनदेनों की एक प्रायोगिक योजना की अनुमति दी थी । उसमें कहा गया था कि ऐसी प्रणाली को औपचारिक रूप देने का निर्णय, प्राप्त हुए अनुभव पर आधारित होगा ।
2. सितंबर 2020 से जुलाई 2021 की अवधि के दौरान कुछ संस्थाओं द्वारा प्रायोगिक परीक्षण किया गया । प्रयोगों से मिली उत्साहवर्धक प्रतिपुष्टि के मद्देनजर, विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर दिनांक 08 अक्तूबर 2021 के वक्तव्य में यह घोषणा की गई थी कि पूरे देश में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतानों को ऑफलाइन मोड में करने के लिए एक ढांचे की संरचना की जाएगी ।
3. तदनुसार, कार्ड, वॉलेट, मोबाइल उपकरणों आदि का उपयोग करके ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतानों को सक्षम बनाने संबंधी ढांचे का विस्तृत विवरण अनुलग्नक में दिया गया है । प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालक (पीएसओ) और भुगतान प्रणाली सहभागी (पीएसपी) - अधिग्राहक और जारीकर्ता (बैंक और गैर-बैंक) – समस्त लागू अनुदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे ।
4. यह निदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के तहत जारी किया गया है एवं तत्काल प्रभाव से लागू होगा ।
भवदीय,
(पी वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक
सीओ.डीपीएसएस.पीओएलसी.नं.एस1264/02-14-003/2021-2022 दिनांकित 03 जनवरी 2022
ऑफलाइन भुगतान से तात्पर्य ऐसे लेनदेन से है जिसके पूरा होने के लिए इंटरनेट अथवा दूरसंचार संबद्धता की आवश्यकता नहीं होती है । भुगतान समाधान प्रदान करने / सक्षम करने के इच्छुक प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालक (पीएसओ) और भुगतान प्रणाली सहभागी (पीएसपी) - अधिग्राहक और जारीकर्ता (बैंक और गैर-बैंक) –जो ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतानों की सुविधा प्रदान करते हैं, निम्नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करेंगे:
i. ऑफलाइन भुगतान किसी भी चैनल अथवा लिखत जैसे कार्ड, वॉलेट, मोबाइल उपकरण आदि का उपयोग करके किए जा सकते हैं ।
ii. ऑफलाइन भुगतान केवल निकटता (फेस-टू-फेस) वाले मोड में किए जाएंगे ।
iii. प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) के बिना ऑफलाइन भुगतान लेनदेनों की पेशकश की जा सकती है ।
iv. ग्राहक की स्पष्ट सहमति के आधार पर भुगतान लिखत ऑफलाइन लेनदेनों के लिए सक्षम किए जाएंगे । कार्ड लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाना विषय पर डीपीएसएस के दिनांक 15 जनवरी 2020 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.सीओ.पीडी सं. 1343/02.14.003/2019-20 की शर्तों में छूट देते हुए संपर्करहित लेनदेन चैनल पर स्विच ऑन होने की आवश्यकता के बिना कार्डों का उपयोग करते हुए इस तरह के लेनदेनों की अनुमति दी जाएगी ।
v. ऑफलाइन भुगतान लेनदेन की अधिकतम सीमा ₹500 होगी। किसी भुगतान लिखत पर ऑफलाइन लेनदेन की कुल सीमा किसी भी समय ₹2,000 होगी। यूपीआई लाइट1 की प्रति लेनदेन तथा कुल सीमा को बढ़ाकर ₹1,000 तथा 5,000 किया गया है। प्रयुक्त सीमा की पुनःपूर्ति की अनुमति केवल एएफए के साथ ऑनलाइन मोड में दी जाएगी।
vi. लेनदेन विवरण के प्राप्त होते ही जारीकर्ता यथाशीघ्र उपयोगकर्ताओं को लेनदेन अलर्ट भेजेगा। प्रत्येक लेनदेन के लिए अलर्ट भेजने की कोई बाध्यता नहीं है; तथापि, प्रत्येक लेनदेन के विवरण पर्याप्त रूप से सूचित किए जाएंगे।
vii. व्यापारी की ओर से तकनीकी अथवा लेनदेन संबंधी सुरक्षा वाले मुद्दों से उत्पन्न होने वाली सभी देनदारियां अधिग्राहक द्वारा वहन की जाएंगी ।
viii. ऑफलाइन भुगतान आरबीआई के सीमित ग्राहक देयता वाले परिपत्रों (समय-समय पर यथा संशोधित) के प्रावधानों के तहत कवर किए जाएंगे - डीबीआर.सं.लेग.बीसी.78/09.07.005/2017-18 दिनांकित 06 जुलाई 2017; डीसीबीआर.बीपीडी. (पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.06/12.05.001/2017-18 दिनांकित 14 दिसंबर 2017 और पूर्वदत्त भुगतान लिखतों पर मास्टर निदेश दिनांकित 27 अगस्त 2021 का पैरा 17 ।
ix. शिकायत निवारण के लिए ग्राहक रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, यथा लागू, का सहारा ले सकेंगे।
x. रिज़र्व बैंक ऐसे किसी भी भुगतान समाधान, जो ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान को सक्षम बनाता है, के परिचालन को रोकने अथवा संशोधित करने का अधिकार रखता है ।
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