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वित्तीय बाजार

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

अधिसूचनाएं


जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेनदेन - गैर-प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी)

आरबीआई/2023-24/36
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र स. 05

06 जून, 2023

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-1 बैंक

महोदया/महोदय,

जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेनदेन - गैर-प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी)

कृपया तटीय गैर-प्रदेय व्युत्पन्नी बाजार को विकसित करने के संबंध में 2023-24 की प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य दिनांक 06 अप्रैल, 2023 के एक भाग के रूप में घोषित विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के पैराग्राफ 1 का संदर्भ ग्रहण करें। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान दिनांक 3 मई, 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा) विनियम, 2000 (दिनांक 3 मई, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000) और दिनांक 5 जुलाई, 2016 के मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेन-देन, समय-समय पर यथासंशोधित, की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. वर्तमान विनियामक ढांचे के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र (आईएफ़एससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) का परिचालन करने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अनिवासियों के साथ गैर-प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी) की पेशकश करने की अनुमति है। इस तरह के व्युत्पन्नी विदेशी मुद्रा में नकद-निपटान किए जाते है। तटीय आईएनआर एनडीडीसी बाज़ार को विकसित करने और निवासियों को अपने हेजिंग कार्यक्रमों को कुशलतापूर्वक डिज़ाइन करने की सुविधा प्रदान करने हेतु, यह अनुमति प्रदान करने का निर्णय लिया गया है:

(क) आईबीयू का परिचालन करने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक हेजिंग के उद्देश्य से निवासी गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं को आईएनआर एनडीडीसी की पेशकश करेंगे। इस तरह के लेनदेन आईएनआर में नकद निपटान किए जाएंगे; और

(ख) दो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों के बीच और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक और अनिवासियों के बीच एनडीडीसी लेनदेन के लिए आईएनआर या किसी भी विदेशी मुद्रा में नकद निपटान की सुविधा होगी।

3. तदनुसार, समय-समय पर यथा संशोधित 5 जुलाई, 2016 के मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेन-देन में किए जा रहे संशोधनों को इसके साथ अनुबंध में संलग्न किया गया है।

4. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किए गए हैं और किसी अन्य कानून के तहत आवश्यक अनुमतियों/ अनुमोदनों, यदि कोई हों, के प्रति पूर्वाग्रह रहित हैं।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

क्र.स.। वर्तमान निर्देश संशोधित/अतिरिक्त निदेश
भाग-क (खंड-I) के मौजूदा पैरा 1(xii) को प्रतिस्थापित किया जाएगा
i. गैर-प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी) का अर्थ है रुपये से जुड़ा एक विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा, जो अनिवासियों के साथ किया जाता है और जिसे रुपये की डिलीवरी किए बिना निपटान किया जाता है। 'गैर-प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी)' का अर्थ है एक ओटीसी विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा जिसमें संविदा की अंतर्निहित मुद्राओं की नॉशनल राशि की कोई डिलीवरी नहीं होती है और जिसका नकद निपटान किया जाता है।
भाग-क (खंड-I) के मौजूदा पैरा 2 (क) (ii) के प्रारंभिक वाक्यों को प्रतिस्थापित किया जाएगा
ii. प्राधिकृत व्यापारी उपर्युक्त पैरा (i) में उपयोगकर्ता के वर्गीकरण के अनुसार उपयोगकर्ता को व्युत्पन्नी संविदा प्रदान करेंगे। उपयोगकर्ता को एनडीडीसी के अलावा अन्य आईएनआर से जुड़े व्युत्पन्नी संविदा की पेशकश करते समय, और ऐसे संविदाओं के कार्यावधि के दौरान, प्राधिकृत व्यापारी यह सुनिश्चित करेंगे कि: ii. प्राधिकृत व्यापारी उपर्युक्त पैरा (i) में उपयोगकर्ता के वर्गीकरण के अनुसार उपयोगकर्ता को व्युत्पन्नी संविदा प्रदान करेंगे। अनिवासियों को दिए जाने वाले एनडीडीसी के अलावा, किसी उपयोगकर्ता को आईएनआर से जुड़े व्युत्पन्नी संविदा की पेशकश करते समय, और ऐसे संविदाओं के कार्यावधि के दौरान, प्राधिकृत व्यापारी यह सुनिश्चित करेंगे कि:
भाग-क (धारा-I) के मौजूदा पैरा 2 (क) (x) को प्रतिस्थापित किया जाएगा
iii. भारत के बैंक जिनके पास फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-1 लाइसेंस है, और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) का परिचालन कर रहे हैं (जैसा कि दिनांक 1 अप्रैल, 2015 के परिपत्र संख्या आरबीआई/201415/533.डीबीआर.आईबीडी.बीसी.14570 23.13.004/2014-15 में निर्दिष्ट है (समय-समय पर यथासंशोधित)), अनिवासीयों को रुपये या अन्यथा से जुड़े एनडीडीसी की पेशकश करने के लिए पात्र होंगे। बैंक अपने आईबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) इस तरह के लेनदेन कर सकते हैं। भारत के बैंक जिनके पास फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-1 लाइसेंस है, और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) का परिचालन कर रहे हैं (जैसा कि दिनांक 1 अप्रैल, 2015 के परिपत्र संख्या आरबीआई/ 2014-15/533.डीबीआर.आईबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15 (समय-समय पर यथासंशोधित), अनिवासियों को रुपये या अन्यथा से जुड़े एनडीडीसी की पेशकश करने के लिए पात्र होंगे। बैंक अपने आईबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) इस तरह के लेनदेन कर सकते हैं। इस तरह के लेनदेन को आईएनआर या किसी भी विदेशी मुद्रा में नकद-निपटान किया जा सकता है।
भाग-क (खंड-I) के मौजूदा पैरा 2 (क) (x) के बाद एक नया पैरा डाला जाएगा
iv. - xi. भारत मे फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I लाइसेंस रखने वाले और आईबीयू का परिचालन करने वाले बैंक उपर्युक्त पैरा 2ए (ii) में निर्धारित निदेशों के अनुपालन के अध्यधीन भारत में अपनी शाखाओं से निवासी गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं को आईएनआर एनडीडीसी की पेशकश करने के लिए पात्र होंगे। इस तरह के लेनदेन को रुपये में नकद-निपटान किया जाएगा।
भाग ग के मौजूदा पैरा 3ए को प्रतिस्थापित किया जाएगा।
v. आईएफएससी बैंकिंग इकाई (आईबीयू) वाले प्राधिकृत व्यापारी (जैसा कि दिनांक 1 अप्रैल, 2015 के परिपत्र संख्या आरबीआई/201415/533.डीबीआर.आईबीडी.बीसी.14570 23.13.004/2014-15 (समय-समय पर यथासंशोधित) में निर्दिष्ट है), आईबीयू वाले अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों और विदेशों में बैंकों के साथ गैर-प्रदेय व्युत्पन्नी संविदाओं (एनडीडीसी) में लेन-देन कर सकते है। बैंक अपने आईबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) इस तरह के लेनदेन कर सकते हैं। आईएफएससी बैंकिंग यूनिट (आईबीयू) वाले प्राधिकृत व्यापारी (जैसा कि दिनांक 1 अप्रैल, 2015 के परिपत्र सं आरबीआई/2014-15/533.डीबीआर.आईबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15 (समय-समय पर संशोधित) में निर्दिष्ट किया गया है), आईबीयू वाले अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों और विदेशों में बैंकों के साथ एनडीडीसी में लेन-देन कर सकते है। बैंक अपने आईबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी समुद्रपारीय शाखाओं के माध्यम से (भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) इस तरह के लेनदेन कर सकते हैं। इस तरह के लेनदेन को आईएनआर या किसी भी विदेशी मुद्रा में नकद-निपटान किया जा सकता है।
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