आरबीआई/2025-26/82
विवि.एमसीएस.आरईसी.50/01.01.003/2025-26
26 सितंबर 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों के दिवंगत ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निदेश, 2025
I. परिचय
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45ज़ेडए से ज़ेडएफ तथा उक्त अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित प्रावधानों के अनुसार जमा खातों, सुरक्षित जमा लॉकरों और सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं में नामांकन की सुविधा, का उद्देश्य ग्राहक के दिवंगत होने पर बैंकों द्वारा दावों का शीघ्र निपटान करना और परिवार के सदस्यों को होने वाली कठिनाई को कम करना है। इसके साथ, जिन मामलों में नामांकन को पंजीकृत नहीं किया गया है, वहाँ मौजूदा अनुदेशों के अनुसार बैंकों को एक सीमा तक दावों के निपटान के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया अपनानी होगी। हालाँकि, यह देखा गया है कि बैंकों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रथाओं का पालन किया जा रहा है। अतः, इस संबंध में ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और दस्तावेज़ीकरण को मानकीकृत करने हेतु मौजूदा अनुदेशों की समीक्षा करने और संशोधित विनियम जारी करने का निर्णय लिया गया है।
II. प्रारंभिक
ए. प्रस्तावना
2. यह निदेश दिवंगत ग्राहक के जमा खातों, सुरक्षित जमा लॉकर और सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के निपटान हेतु एक सुसंगत फ्रेमवर्क देने और दस्तावेज़ीकरण को मानकीकृत करने तथा नामितियों, उत्तरजीवियों और उत्तराधिकारियों के समक्ष आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए जारी किए गए हैं।
बी. शक्तियों का प्रयोग
3. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए, 45ज़ेडसी(3) और 45 ज़ेडई (4) के साथ पठित अधिनियम की धारा 56 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे आगे रिज़र्व बैंक कहा जाएगा), इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, इसके द्वारा, आगे निर्दिष्ट निदेश जारी करता है।
सी. संक्षिप्त शीर्षक
4. इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों के दिवंगत ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निदेश, 2025 कहा जाएगा।
डी. प्रभावी तिथि
5. इन निदेशों के माध्यम से जारी अनुदेशों का कार्यान्वयन यथासंभव शीघ्रता से परंतु 31 मार्च, 2026 से पहले किया जाएगा।
ई. प्रयोज्यता
6.(ए) यह निदेश सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर लागू होंगे।
(बी) यह निदेश बैंकों द्वारा प्रशासित सरकारी बचत योजनाओं जैसे वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस), लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) आदि के मामले में लागू नहीं होंगे। ऐसे मामलों में दावों का निपटान संबंधित योजनाओं के प्रावधानों के अनुसार होगा।
एफ. परिभाषाएँ
7. इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(ए) 'उत्तरजीविता खंड वाले खाते' से तात्पर्य संयुक्त जमा खातों से है, जिन्हें 'दोनों में से कोई एक या उत्तरजीवी', अथवा 'कोई भी या उत्तरजीवी', अथवा 'पूर्व या उत्तरजीवी' अथवा 'उत्तरवर्ती या उत्तरजीवी' अथवा ऐसे किसी अन्य खंड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
(बी) 'एपोस्टिल' एक ऐसे प्रमाणपत्र को संदर्भित करता है जो किसी सार्वजनिक दस्तावेज़ (जैसे, जन्म, विवाह या मृत्यु प्रमाण पत्र, कोई निर्णय, किसी रजिस्टर का उद्धरण या नोटरी सत्यापन) की मौलिकता को प्रमाणित करता है। एपोस्टिल केवल हेग एपोस्टिल कन्वेंशन के एक पक्षकार देश में जारी किए गए दस्तावेज़ों हेतु जारी किए जा सकते हैं और जिनका उपयोग किसी अन्य देश में किया जाना है जो कन्वेंशन का भी एक पक्षकार है। भारत में, ऐसे सत्यापन विदेश मंत्रालय द्वारा किए जाते हैं।
(सी) 'बैंक दर' से तात्पर्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 49 के अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित दर से है।
(डी) 'ग्राहक' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो जमाकर्ता या लॉकर किराएदार हो अथवा जिसने किसी बैंक में सुरक्षित अभिरक्षा में वस्तुएँ रखी हुई हों।
(ई) 'जमाकर्ता' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति/व्यक्तियों से है जिसका बैंक में किसी भी प्रकार का जमा खाता हो, जैसे बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा खाता आदि।
(एफ) 'समतुल्य ई-दस्तावेज' का वही अर्थ होगा जो यथासंशोधित मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 के पैराग्राफ 3(ए)(x) में परिभाषित है।
(जी) 'आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज' से तात्पर्य यथासंशोधित मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 के पैरा 3(ए)(xiv) में वर्णित दस्तावेजों से है।
(एच) 'निर्धारित सीमा' का अर्थ सहकारी बैंक के मामले में ₹5 लाख और किसी अन्य बैंक के मामले में ₹15 लाख या सहकारी बैंक सहित बैंक द्वारा निर्धारित की गई कोई उच्च सीमा है।
अन्य सभी अभिव्यक्तियों का, जब तक कि उन्हें यहाँ परिभाषित न किया गया हो, वही अर्थ होगा जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 या भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 या उसके किसी सांविधिक संशोधन या पुनः अधिनियमन के अंतर्गत या वाणिज्यिक शब्दावली में मामले के अनुसार प्रदान किया गया है।
III. दिवंगत जमाकर्ता के जमा खातों में दावों का निपटान
जी. नामिती(यों)/उत्तरजीविता खंड वाले खाते
8. ऐसा जमा खाता जहाँ जमाकर्ता ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के अनुसार नामांकन किया हो या जहाँ खाता उत्तरजीविता खंड के साथ खोला गया हो, वहाँ जमाकर्ता(ओं) की मृत्यु पर नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को बकाया राशि का भुगतान बैंक के दायित्व से वैध निर्वहन माना जाएगा, बशर्ते:
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बैंक ने नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) की पहचान और खाताधारक(कों) की मृत्यु संबंधी स्थिति को उचित दस्तावेजी साक्ष्य (भौतिक या समकक्ष ई-दस्तावेज) प्राप्त करके स्थापित करने में उचित सावधानी और सतर्कता बरती हो;
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निपटान/भुगतान की तिथि तक बैंक की जानकारी में सक्षम न्यायालय का कोई आदेश नहीं है जो नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को दिवंगत जमाकर्ता(ओं) के खाते से भुगतान प्राप्त करने या बैंक को भुगतान करने से रोकता हो; और
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नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को लिखित रूप में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वे दिवंगत जमाकर्ता(ओं) के उत्तराधिकारियों के ट्रस्टी के रूप में बैंक से भुगतान प्राप्त करेंगे अर्थात उन्हें किया गया ऐसा भुगतान नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) के विरुद्ध किसी भी व्यक्ति के अधिकार या दावे को प्रभावित नहीं करेगा, जो उन्हें किए गए भुगतान की सीमा तक हो सकता है।
उत्तरजीविता खंड के साथ या उसके बिना संयुक्त जमा खाते के मामले में, नामिती का अधिकार की स्थिति सभी जमाकर्ताओं की मृत्यु के बाद ही उत्पन्न होती है।
9. पूर्वोक्त शर्तों के अधीन, नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को किया गया भुगतान, बैंक के दायित्व का पूर्ण और वैध निर्वहन माना जाएगा। अतः, ऐसे मामलों में, दिवंगत जमाकर्ता(ओं) के नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को भुगतान करते समय, बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, प्रशासन पत्र, वसीयत की प्रोबेट आदि जैसे विधिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने पर ज़ोर नहीं देगा, या नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों)/तृतीय पक्ष से क्षतिपूर्ति/ज़मानत का कोई बांड नहीं मांगेगा, चाहे दिवंगत खाताधारक(कों) के खाते में कितनी भी राशि जमा हो। ऐसे मामलों में बैंक निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की अपेक्षा करेगा:
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अनुबंध I-ए में दिए गए दावे का प्रपत्र, नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित;
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दिवंगत जमाकर्ता(ओं) का मृत्यु प्रमाण पत्र; और
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नामिती/उत्तरजीवी की पहचान और पते के सत्यापन हेतु आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़।
एच. नामिती/उत्तरजीविता खंड रहित खाते
10. दावों के निपटान हेतु सरलीकृत प्रक्रिया
उत्तराधिकारियों/दावेदारों को असुविधा और अनावश्यक कठिनाई से बचाने की अनिवार्य आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, बैंक उन जमा खातों के संबंध में दावों के निपटान हेतु एक सरलीकृत प्रक्रिया का पालन करेगा जहाँ आवेदन की तिथि तक उपार्जित ब्याज सहित देय कुल राशि, निर्धारित सीमा से कम है, बशर्ते कि
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दिवंगत जमाकर्ता(ओं) ने कोई नामांकन नहीं किया हो या संयुक्त खाते के मामले में, खाता नामिती/उत्तरजीविता खंड रहित हो,
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दिवंगत जमाकर्ता(कों) द्वारा कोई वसीयत नहीं छोड़ी गई हो,
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कोई विवादित दावा न हो, और
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बैंक की जानकारी में किसी सक्षम न्यायालय का कोई आदेश न हो, जो दावेदार(रों) को प्राप्त करने या बैंक को भुगतान करने से रोकता हो।
(ए) निर्धारित सीमा तक दावा राशि
बैंक निर्धारित सीमा तक दावे का निपटान इन के आधार पर करेगा:
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अनुबंध I-बी में दिया गया दावा प्रपत्र, जिसे विधिवत भरा गया हो और जिस पर दावेदार(रों), उन दावेदारों के अलावा जिन्होंने अस्वीकरण/अनापत्ति पत्र पर हस्ताक्षर किए हों, द्वारा हस्ताक्षर किए गए हों।
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दिवंगत जमाकर्ता(ओं) का मृत्यु प्रमाण पत्र;
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दावेदार(रों) की पहचान और पते के सत्यापन हेतु उनका आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़;
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अनुबंध I-सी में दिया गया क्षतिपूर्ति बांड, जिस पर दावेदार(ओं) द्वारा हस्ताक्षर किए गए हों;
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गैर-दावेदार उत्तराधिकारी(यों) से अनुबंध I-डी में दिया गया अस्वीकरण/अनापत्ति पत्र, यदि लागू हो; और
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र;
अथवा
दिवंगत जमाकर्ता(ओं) के उत्तराधिकारियों के संबंध में, किसी स्वतंत्र व्यक्ति, जो दिवंगत के परिवार को भली-भांति जानता हो, दावे का पक्षकार नहीं हो और बैंक को स्वीकार्य हो, द्वारा अनुबंध I-ई में दी गई घोषणा।
निर्धारित सीमा तक के दावों के मामले में किसी तृतीय पक्ष से ज़मानत का कोई बांड नहीं लिया जाएगा।
(बी) निर्धारित सीमा से अधिक दावे की राशि
ऐसे मामलों में जहाँ दावे की राशि निर्धारित सीमा से अधिक है, बैंक दावे का निपटान निम्नलिखित के आधार पर करेगा:
(i) उत्तराधिकार प्रमाणपत्र और उपर्युक्त खंड 10(ए)(i) से (iii) में उल्लिखित दस्तावेज़;
अथवा
(ii) किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र; या
अनुबंध I-ई में दिए गए अनुसार, दिवंगत जमाकर्ता के उत्तराधिकारियों के संबंध में नोटरी पब्लिक/न्यायाधीश/न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक स्वतंत्र व्यक्ति, जो दिवंगत के परिवार को अच्छी तरह से जानता हो, दावे का पक्षकार न हो और बैंक को स्वीकार्य हो, द्वारा दिया गया शपथ पत्र।
ऐसे मामलों में, बैंक उपर्युक्त खंड 10(ए)(i) से (v) में दिए गए दस्तावेज़ों की माँग करेगा। बैंक, तृतीय पक्ष के व्यक्तियों (जिसमें गैर-दावाकर्ता उत्तराधिकारी भी शामिल हो सकते हैं) से, जो बैंक को स्वीकार्य हों तथा दावे की राशि के लिए उपयुक्त हों, जमानत बांड की मांग भी कर सकता है, जैसा कि अनुबंध I-सी में दिया गया है।
11. सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत न आने वाले दावों का निपटान
(ए) बिना किसी विवाद के 'वसीयत' से जुड़े दावे
बैंक, दिवंगत जमाकर्ता द्वारा छोड़ी गई 'वसीयत' से संबंधित दावों का निपटान, उपरोक्त खंड 10(ए)(i) से (iii) में उल्लिखित दस्तावेजों के अतिरिक्त, वसीयत प्रोबेट/प्रशासन पत्र (जैसा भी लागू हो) के आधार पर करेगा। ऐसे मामलों में जहाँ वसीयत में उत्तराधिकारी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को लाभार्थी के रूप में नामित किया गया हो, उससे संबंधित दस्तावेज भी प्राप्त किए जाएँगे।
हालाँकि, बैंक अपने विवेकानुसार वसीयत प्रोबेट प्रस्तुत करने पर ज़ोर न देते हुए दिवंगत की 'वसीयत' के अनुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कि वह लागू कानूनों के साथ असंगत न हो, वसीयत में नामित उत्तराधिकारियों और/या लाभार्थियों के बीच वसीयत को लेकर कोई विवाद न हो और बैंक वसीयत की वास्तविकता से अन्यथा संतुष्ट हो। ऐसे मामलों में, बैंक उपरोक्त खंड 10(ए)(iv) और (v) में उल्लिखित दस्तावेज़ की भी माँग करेगा।
(बी) दावों/विवादों से संबंधित मामले
दिवंगत जमाकर्ता की वसीयत में नामित उत्तराधिकारियों और/अथवा लाभार्थियों में दावों अथवा विवाद की स्थिति में, बैंक वसीयत की प्रोबेट अथवा प्रशासन पत्र अथवा उत्तराधिकार प्रमाणपत्र अथवा न्यायालय के आदेश/डिक्री, जो भी लागू हो और उपरोक्त खंड 10(ए)(i) से (iii) में उल्लिखित दस्तावेजों के आधार पर दावों का निपटान करेगा। इसके अतिरिक्त, जहाँ न्यायालय द्वारा बैंक को भुगतान करने से रोकने का आदेश हो, वहाँ उस आदेश के प्रभावी रहने की अवधि के दौरान दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। दावे के निपटान पर उस आशय के बाद के न्यायालय आदेश के आधार पर विचार किया जाएगा।
(सी) पैरा 11(ए) अथवा 11(बी) के अंतर्गत आने वाले मामलों में किसी तीसरे पक्ष से ज़मानत का कोई बांड नहीं मांगा जाएगा।
आई. निपटान के बाद दिवंगत जमाकर्ता के नाम पर क्रेडिट का प्रबंधन
12. जमा खाते(खातों) के निपटान के बाद, यदि किसी दिवंगत जमाकर्ता के नाम पर कोई जमा राशि प्राप्त होती है, तो बैंक उसे 'खाताधारक दिवंगत' टिप्पणी के साथ प्रेषक को लौटाएगा और नामिती(यों)/ उत्तरजीवी(यों)/विधिक उत्तराधिकारी(यों) को सूचित करेगा।
जे. जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में सावधि जमा खातों की समयपूर्व समाप्ति
13. बैंक को खाता खोलने के फार्म में ही एक खंड शामिल करना होगा कि जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में, सावधि जमा की समय पूर्व समाप्ति बिना किसी दंडात्मक प्रभार के की जा सकेगी, भले ही जमाराशि अवरुद्धता अवधि के भीतर हो।
14. उत्तरजीविता खंड के साथ अथवा उसके बिना संयुक्त रूप से खोले गए सावधि जमा खातों की समय पूर्व समाप्ति के लिए, किसी एक जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में, जीवित जमाकर्ताओं और दिवंगत संयुक्त धारक के उत्तराधिकारियों की सहमति आवश्यक होगी। हालाँकि, उत्तरजीविता खंड वाले संयुक्त खातों के मामले में, यदि सभी जमाकर्ताओं द्वारा बैंक को सावधि जमा करते समय अथवा जमा की अवधि के दौरान किसी भी समय संयुक्त रूप से एक विशिष्ट अधिदेश दिया जाता है, तो किसी भी जमाकर्ता की मृत्यु होने पर, दिवंगत संयुक्त जमा धारक के उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना, उत्तरजीवियों को समयपूर्व निकासी का विकल्प दिया जाएगा।
के. गुमशुदा व्यक्तियों के दावों का निपटान
15. किसी गुमशुदा व्यक्ति के नामिती/उत्तराधिकारी को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 110 अथवा 111 के प्रावधानों के अंतर्गत सक्षम न्यायालय से आदेश प्राप्त करना आवश्यक होगा। ऐसे गुमशुदा व्यक्ति के दावे का निपटारा दिवंगत ग्राहक के संबंध में दावों के निपटान हेतु लागू प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा। ऐसे मामलों में, मृत्यु प्रमाण पत्र के स्थान पर खाताधारक की सिविल मृत्यु घोषित करने वाले न्यायालय के आदेश की प्रति प्राप्त की जाएगी। हालाँकि, आम जन को होने वाली असुविधा और अनुचित कठिनाई के परिवर्जन के लिए, जहाँ आवेदन की तिथि पर उपचित ब्याज सहित कुल देय राशि ₹1 लाख अथवा बैंक द्वारा निर्धारित ऐसी उच्च राशि से कम है, तो दावे के निपटारे के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र अथवा खाताधारक की सिविल मृत्यु घोषित करने वाले सक्षम न्यायालय के आदेश के स्थान पर पुलिस प्राधिकारियों द्वारा जारी प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) और गुमशुदगी की रिपोर्ट की एक प्रति प्राप्त की जाएगी।
IV. दिवंगत ग्राहक द्वारा सुरक्षित जमा लॉकर और सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के दावों का निपटान
एल. नामिती/उत्तरजीवी के दावे
16. (ए) यदि लॉकर का एकमात्र किरायेदार अपनी मृत्यु की स्थिति में लॉकर में रखी सामग्री को प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नामित करता है, तो बैंक ऐसे नामिती (व्यक्तियों) को लॉकर के पहुँच की अनुमति देगा, साथ ही लॉकर की सामग्री निकालने की स्वतंत्रता भी देगा।
(बी) यदि लॉकर को संयुक्त रूप से किराए पर लिया गया हो और उसे संयुक्त हस्ताक्षर के अंतर्गत संचालित करने के निर्देश दिए गए हों, तथा लॉकर के किराएदार किसी अन्य व्यक्ति को नामित करते हों, तो लॉकर किराएदारों में से किसी की मृत्यु होने की स्थिति में बैंक नामिती (नामितियों) तथा उत्तरजीवी (उत्तरजीवियों) को लॉकर पहुंच तथा उसमें रखी सामग्री को संयुक्त रूप से निकालने की छूट देगा।
(सी) यदि लॉकर को उत्तरजीविता खंड के साथ संयुक्त रूप से किराए पर लिया गया था और किराएदारों को निर्देश दिया गया था कि लॉकर तक पहुंच "दोनों में से किसी एक अथवा उत्तरजीवी व्यक्ति", "कोई भी अथवा उत्तरजीवी व्यक्ति" अथवा "पूर्ववर्ती अथवा उत्तरजीवी व्यक्ति" को अथवा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत अनुमत किसी अन्य उत्तरजीविता खंड के अनुसार दी जानी चाहिए, बैंक एक अथवा अधिक संयुक्त लॉकर किराएदारों की मृत्यु की स्थिति में अधिदेश का पालन करेगा।
17. नाबालिग नामिती के मामले में, बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि नाबालिग नामिती की ओर से लॉकर की सामग्री निकालने की मांग किए जाने पर, उसे उस अभिभावक को सौंप दिया जाए जिसका विवरण नामांकन पत्र में दिया गया है। यदि नामांकन पत्र में अभिभावक का विवरण नहीं दिया गया है, तो बैंक लॉकर की सामग्री उस व्यक्ति को सौंप देगा जो विधिक रूप से ऐसे नाबालिग की ओर से सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री प्राप्त करने के लिए सक्षम हो।
18. उपरोक्त पैरा 16(ए) और 16(बी) के अंतर्गत आने वाले मामलों में दावे पर कार्रवाई के लिए बैंक द्वारा निम्नलिखित दस्तावेज प्राप्त किए जाएंगे:
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दावा प्रपत्र, जैसा कि अनुबंध I-ए में दिया गया है, नामिती(यों)/ उत्तरजीवी(यों) द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित;
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सुरक्षित जमा लॉकर किरायेदार(रों) का मृत्यु प्रमाण पत्र; और
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नामिती/उत्तरजीवी की पहचान और पते के सत्यापन के लिए आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज।
19. तथापि, बैंक को नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) व्यक्ति को सामग्री तक पहुंच प्रदान करने से पहले निम्नलिखित सुनिश्चित करना होगा:
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नामिती/उत्तरजीवी व्यक्ति की पहचान और लॉकर किरायेदार के दिवंगत होने की स्थिति स्थापित करने में उचित सावधानी और सतर्कता बरतें;
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बैंक के संज्ञान में आज तक किसी न्यायालय/फोरम से ऐसा कोई आदेश अथवा निदेश नहीं है, जो नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) को दिवंगत किरायेदार(रों) को लॉकर तक पहुंच देने अथवा बैंक को ऐसे लॉकर की सामग्री निकालने की स्वाधीनता देने से रोकता हो; तथा
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नामिती/उत्तरजीवी व्यक्ति को यह स्पष्ट कर दें कि लॉकर की सामग्री को निकालने की पहुंच और स्वाधीनता उन्हें केवल दिवंगत लॉकर किरायेदार के उत्तराधिकारी के ट्रस्टी के रूप में दी गई है, अर्थात, उन्हें दी गई ऐसी पहुंच और सामग्री को निकालने की स्वाधीनता, नामिती/उत्तरजीवी व्यक्ति, जिसे पहुंच दी गई है, के विरुद्ध किसी व्यक्ति के अधिकार अथवा दावे को प्रभावित नहीं करेगी।
20. उपरोक्त पैरा 18 में उल्लिखित दस्तावेज़ प्राप्त और दावे की वास्तविकता से संतुष्ट होने के उपरांत, बैंक नामिती/उत्तरजीवी व्यक्ति से लिखित रूप में पत्राचार करेगा और सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री की सूची बनाने के लिए तिथि और समय निर्धारित करेगा। यह सूची नामिती/उत्तरजीवी व्यक्ति और/अथवा उनके अधिकृत प्रतिनिधियों, दो स्वतंत्र साक्षियों (बैंक के कर्मचारी अथवा भूतपूर्व कर्मचारी नहीं होने चाहिए), सुरक्षित जमा लॉकर के संरक्षक और बैंक के किसी अन्य कर्मचारी, जो लॉकर संचालन से संबद्ध नहीं है, की उपस्थिति में बनाई जाएगी और अनुबंध I-एफ में दी गई वस्तु-सूची प्रपत्र के अनुसार दर्ज की जाएगी । इसके उपरांत बैंक लॉकर की सामग्री का कब्जा नामिती व्यक्ति/उत्तरजीवी व्यक्ति /नाबालिग की ओर से सामग्री प्राप्त करने के लिए सक्षम व्यक्ति, जैसा भी मामला हो, को सौंप देगा और अनुबंध I-एफ में दी गई पावती प्राप्त करेगा कि दिवंगत किरायेदार के लॉकर से सभी सामग्री निकाल ली गई और लॉकर खाली है, और उन्हें बैंक के मानदंडों के अनुसार किसी अन्य लॉकर किरायेदार को लॉकर आवंटित करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
21. नामिती(यों)/उत्तरजीवी(यों) द्वारा विधिक दस्तावेज जैसे उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, प्रशासन पत्र, वसीयत प्रोबेट आदि अथवा क्षतिपूर्ति बांड प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक कि नामांकन में कोई विसंगति न हो।
22. दिवंगत ग्राहक द्वारा बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं की वापसी के लिए उपरोक्त पैरा 16 से 21 में निर्धारित प्रक्रिया का यथोचित परिवर्तनों सहित पालन किया जाएगा। तथापि, ऐसे मामलों में अनुबंध I-जी में दिए गए वस्तु-सूची प्रपत्र का उपयोग किया जाएगा।
एम. नामिती/उत्तरजीविता खंड न होने के मामले
23. सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत आने वाले दावों का निपटान
(ए) उत्तराधिकारियों/दावेदारों को असुविधा और अनुचित कठिनाई के परिवर्जन की अनिवार्य आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, बैंक सुरक्षित जमा लॉकरों में दावों के निपटान के लिए सरल प्रक्रिया अपनाएगा, बशर्ते कि विधिक उत्तराधिकारियों/दावेदारों के बीच कोई विवाद न हो और
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दिवंगत लॉकर किरायेदार ने कोई नामांकन नहीं किया था, अथवा
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संयुक्त किरायेदारों ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था कि एक स्पष्ट उत्तरजीविता खंड द्वारा उत्तरजीवियों में से एक अथवा अधिक को पहुंच प्रदान की जा सकती है, अथवा
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दिवंगत लॉकर किरायेदार द्वारा कोई वसीयत नहीं छोड़ी गई है।
(बी) सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत आने वाले मामलों में, बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, प्रशासन पत्र, न्यायालय आदेश आदि जैसे कोई विधिक दस्तावेज प्राप्त किए बिना दावे का निपटान करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज प्राप्त करेगा।
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अनुबंध I-बी में दिए गए अनुसार दावा प्रपत्र, दावेदार के उत्तराधिकारी(यों) द्वारा विधिवत भरा और हस्ताक्षरित;
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सुरक्षित जमा लॉकर किरायेदार(रों) का मृत्यु प्रमाण पत्र;
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दावेदार(रों) की पहचान और पते के सत्यापन के लिए आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज;
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गैर-दावाकर्ता उत्तराधिकारियों से, यदि लागू हो, अनुबंध I-डी में दिए गए अनुसार अस्वीकरण/अनापत्ति पत्र; और
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र अथवा शपथ पत्र, जैसा कि अनुबंध I-ई में दिया गया है, जो दिवंगत लॉकर किरायेदार के विधिक उत्तराधिकारी के संबंध में नोटरी पब्लिक/न्यायाधीश/न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी व्यक्ति द्वारा शपथ ली गई है, जो दिवंगत व्यक्ति के परिवार को अच्छी तरह से जानता है, दावे का पक्षकार नहीं है और बैंक को स्वीकार्य है।
24. सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत न आने वाले दावों का निपटान
(ए) 'वसीयत' से जुड़े बिना किसी विवाद के दावे
बैंक दिवंगत सुरक्षित जमा लॉकर किरायेदार द्वारा छोड़ी गई 'वसीयत' से संबंधित दावों का निपटान वसीयत के प्रोबेट/प्रशासनिक पत्र, जैसा भी लागू हो, और उपरोक्त खंड 23(बी)(i) से (iii) में उल्लिखित दस्तावेजों के आधार पर करेगा। ऐसे मामलों में जहां विधिक उत्तराधिकारी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को वसीयत में लाभार्थी के रूप में नामित किया गया है, तो उसके भी लागू दस्तावेज प्राप्त किए जाएंगे।
हालाँकि, बैंक द्वारा विवेकाधिकार का प्रयोग किया जा सकता है और दिवंगत की वसीयत के अनुसार, ऐसी वसीयत के प्रोबेट को प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बिना, कार्य किया जा सकता है, बशर्ते कि वह लागू कानूनों के साथ असंगत न हो, वसीयत में नामित विधिक उत्तराधिकारियों और/अथवा लाभार्थियों के बीच वसीयत के संबंध में कोई विवाद न हो और अन्यथा बैंक वसीयत की वास्तविकता के संबंध में संतुष्ट हो। ऐसे मामलों में, बैंक इसके अतिरिक्त उपरोक्त खंड 23(बी)(iv) और (v) में उल्लिखित दस्तावेजों की मांग करेगा।
(बी) दावों/विवादों से संबंधित मामले
विधिक उत्तराधिकारियों और/अथवा वसीयत में नामित लाभार्थियों के बीच विवाद से संबंधित मामलों का निपटान, जैसा भी लागू हो, वसीयत की प्रोबेट अथवा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र अथवा प्रशासनिक पत्र अथवा न्यायालय के आदेश/डिक्री, जैसा भी मामला हो, और उपरोक्त खंड 23(बी)(i) से (iii) में उल्लिखित दस्तावेजों के आधार पर किया जाएगा।
25. सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री की सूची लेने की प्रक्रिया
उपरोक्त खंड 23 और 24 की श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले दावों में आवश्यक दस्तावेज प्राप्त होने के बाद और दावे की वास्तविकता से संतुष्ट होने पर, बैंक लिखित रूप में दावेदार(रों) के साथ पत्राचार करेगा और सभी दावेदार(रों) अथवा उनके विधिवत अधिकृत प्रतिनिधियों, दो स्वतंत्र साक्षियों (बैंक के कर्मचारी अथवा पूर्व कर्मचारी नहीं होने चाहिए), सुरक्षित जमा कक्ष संरक्षक और बैंक के किसी अन्य कर्मचारी, जो लॉकर परिचालन से संबद्ध नहीं है, की उपस्थिति में सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री की सूची, जैसा कि अनुबंध I-एफ़ में निर्धारित फॉर्म में दिया गया है, बनाने के लिए एक तारीख और समय तय करेगा। सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री का मूल्यांकन एक स्वतंत्र मूल्यांकक द्वारा किया जाएगा तथा अनुबंध I-एच में दिए गए अनुसार क्षतिपूर्ति बांड में दर्ज किया जाएगा। दावेदार/(रों) अथवा उनके विधिवत प्राधिकृत प्रतिनिधि क्षतिपूर्ति बांड जमा करने के बाद लॉकर की सामग्री को निकाल सकते हैं। विधिक दस्तावेजों जैसे वसीयत की प्रोबेट अथवा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र अथवा प्रशासन पत्र अथवा न्यायालय आदेश/डिक्री आदि के आधार पर निपटाए गए दावों के मामलों में क्षतिपूर्ति बांड देने की आवश्यकता नहीं होगी।
26. दिवंगत ग्राहक द्वारा बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गई वस्तुओं को वापस करने के लिए उपर्युक्त पैराग्राफ 23 से 25 में निर्धारित प्रक्रिया का यथावश्यक परिवर्तनों सहित पालन किया जाएगा। तथापि, ऐसे मामलों में अनुबंध I-जी में दिया गया वस्तु-सूची (इन्वेंटरी) फॉर्म उपयोग किया जाएगा।
V. परिचालन और क्षतिपूर्ति से संबंधित पहलू
एन. दावे प्रस्तुत करने की प्रक्रिया का मानकीकरण
27. बैंक को दावे और अन्य दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अनुबंध I-ए से I-एच में दिए गए फार्मेट के अनुसार मानकीकृत प्रपत्रों का उपयोग करना होगा।
28. दिवंगत ग्राहक द्वारा रखे गए जमा खातों/सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के संबंध में दावों के निपटान के लिए आवश्यक मानकीकृत प्रपत्र और अन्य दस्तावेज दावेदार(रों) की सुविधा के लिए सभी शाखाओं के साथ-साथ बैंक की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ, बैंक को अपनी वेबसाइट पर दावेदार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची तथा विभिन्न परिदृश्यों में दावों के निपटान के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया भी प्रदर्शित करनी होगी।
29. दावेदार को पावती के आधार पर किसी भी शाखा में दावा प्रस्तुत करने की अनुमति होगी। यदि दावे की प्रक्रिया के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज दावेदार द्वारा प्रस्तुत कर दिए गए हैं, तो बैंक इस संबंध में एक पुष्टिकरण भी जारी करेगा। हालाँकि, किसी भी लंबित अथवा अपूर्ण/गलत दस्तावेज़ के मामले में, बैंक द्वारा दावे की प्राप्ति की सूचना देते समय दावेदार को ऐसे दस्तावेज़ों की सूची के बारे में सूचित किया जाएगा। सभी आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के बाद, बैंक द्वारा दावेदार को एक पुष्टिकरण जारी किया जाएगा कि दावे की प्रक्रिया के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं।
30. बैंक ऐसे दावों को ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा प्रदान कर सकता है। दावेदार द्वारा आवश्यक दस्तावेजों के साथ दावा प्रपत्र अपलोड करने पर, बैंक उचित माध्यम से पावती/पुष्टि भेजेगा तथा दावे की स्थिति की ऑनलाइन जानकारी (ट्रैकिंग) का प्रावधान भी उपलब्ध कराएगा। ऐसे मामलों में, यदि बैंक दावेदार से प्रस्तुतीकरण/सत्यापन के लिए मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने की अपेक्षा करता है, तो दावेदार को बैंक की किसी भी शाखा में ऐसा करने की अनुमति होगी।
ओ. दावों के निपटान की समय सीमा
31. बैंक को दिवंगत ग्राहक के जमा खातों के संबंध में दावे का निपटान इससे संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों की प्राप्ति की तारीख से 15 कैलेंडर दिनों के भीतर करेगा।
32. सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के मामले में, बैंक द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेजों की प्राप्ति के 15 कैलेंडर दिनों के भीतर दावे पर कार्रवाई की जाएगी तथा सुरक्षित अभिरक्षा में रखी लॉकर/वस्तुओं की सूची बनाने की तिथि तय करने के लिए दावेदार(रों) से संपर्क किया जाएगा।
पी. दावों के निपटान में विलंब के लिए क्षतिपूर्ति
33. यदि किसी जमा संबंधी दावे का निपटान उपरोक्त पैराग्राफ 31 में निर्धारित समय-सीमा के भीतर नहीं किया जाता है, तो बैंक द्वारा दावेदार(रों) को ऐसे विलंब के कारणों से अवगत कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बैंक के कारण होने वाले विलंब के मामलों में, बैंक द्वारा विलंब की अवधि के लिए देय निपटान राशि पर प्रचलित बैंक दर + 4% प्रति वर्ष से कम नहीं, दर पर ब्याज के रूप में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा। देय राशि और प्रचलित बैंक दर की गणना के लिए संदर्भ तिथि, दावेदार से सभी आवश्यक दस्तावेजों की प्राप्ति की तिथि होगी।
34. सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के लिए, बैंक को दावेदार(रों) को देरी के प्रत्येक दिन के लिए ₹5,000 की दर से मुआवजा देना होगा, उन मामलों में जहां वह उपरोक्त पैराग्राफ 32 में निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं करता है।
VI. विविध
क्यू. एकमात्र स्वामित्व वाली संस्था के जमा खातों के संबंध में दावों का निपटान
35. एकल स्वामित्व वाली संस्था के नाम पर रखी गई जमाराशियों के संबंध में भी नामांकन सुविधा उपलब्ध है। तदनुसार, बैंक द्वारा ऐसे खातों के संबंध में दावों के निपटान के लिए प्रक्रिया का पालन किया जाएगा जैसा कि नामिती/बिना नामिती/उत्तरजीविता खंड के खातों, जैसा भी लागू हो, के लिए ऊपर निर्धारित किया गया है,।
आर. भारत के बाहर जारी किए गए ‘मृत्यु प्रमाण’ दस्तावेज़ के प्रमाणन की विधि
36. भारत के बाहर किसी ग्राहक की मृत्यु के मामलों में, 'मृत्यु प्रमाण' दस्तावेज देश के बाहर के किसी प्राधिकारी द्वारा जारी किया जाता है। बैंक ऐसे मामलों में, 'मृत्यु के प्रमाण' के लिए जारी किए गए दस्तावेज़ की मूल प्रमाणित प्रति स्वीकार करेगा, जो जारी करने वाले देश में निम्नलिखित में से किसी एक तरीके से प्रमाणित हो:
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भारत में पंजीकृत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की विदेशी शाखाओं के प्राधिकृत अधिकारी; अथवा
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विदेशी बैंकों की शाखाएँ जिनके साथ भारतीय बैंकों के प्रतिनिधि बैंकिंग संबंध हैं; अथवा
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एक न्यायालय मजिस्ट्रेट अथवा न्यायाधीश अथवा नोटरी पब्लिक; अथवा
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जारी करने वाले देश में भारतीय दूतावास/महावाणिज्य दूतावास द्वारा वाणिज्य दूतावासीकृत; अथवा
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प्रेरित (एपोस्टिल)
एस. ग्राहक जागरूकता और प्रचार
37. बैंक अपने ग्राहकों के बीच नामांकन सुविधा/उत्तरजीविता खंड के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना जारी रखेगा तथा दावों के निपटान की प्रक्रिया के साथ-साथ इन सुविधाओं का व्यापक प्रचार करेगा।
टी. निरसन प्रावधान
38. इन निदेशों के जारी होने के साथ ही, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी तथा अनुबंध II में उल्लिखित परिपत्रों में निहित अनुदेश, इन निदेशों की प्रभावी तिथि से निरस्त हो जाएंगे।
39. उपरोक्त अनुच्छेद 38 के तहत निरसन प्रावधानों के बावजूद, निरस्त अधिनियमों के तहत की गई कोई भी कार्रवाई अथवा की गई कार्रवाई अथवा दिए गए किसी भी निदेश अथवा की गई किसी भी कार्यवाही अथवा लगाए गए किसी भी दंड अथवा जुर्माने को, जहां तक वह इन निदेशों के प्रावधानों के साथ असंगत नहीं है, इन निदेशों के अनुरूप प्रावधानों के तहत किया गया माना जाएगा।
(वीणा श्रीवास्तव)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध II
निरस्त किए गए परिपत्र/ परिपत्रों का भाग की सूची
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