रिज़र्व बैंक द्वारा अपनी वैधानिक शक्तियों के तहत पात्र बाजार सहभागियों को जारी किए गए विवेकपूर्ण दिशानिर्देश / निर्देश, सरकारी प्रतिभूति बाजार सहित ब्याज दर बाजारों; सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बॉन्ड्स में रेपो बाजार सहित मुद्रा बाजार; विदेशी मुद्रा बाजार; ब्याज दरों/कीमतों, विदेशी विनिमय दरों और ऋण पर डेरिवेटिव के लिए व्यापक विनियामक ढांचा बनाते हैं ।
सरकारी प्रतिभूति बाजार
सरकारी प्रतिभूति बाजार, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों का व्यापार करता है, में पिछले दो दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसका एक बड़ा प्राथमिक और एक सक्रिय द्वितीयक खंड है। ट्रेडिंग प्रधानत: तयशुदा लेनदेन प्रणाली -ऑर्डर मिलान (एनडीएस-ओएम) पर होती है, जो एक गुमनाम ऑर्डर-मिलान ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। सरकारी प्रतिभूतियों में सभी द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा संचालित वितरण बनाम भुगतान मोड के तहत एक केंद्रीय प्रतिपक्ष तंत्र के माध्यम से किया जाता है। प्रत्येक सदस्य के लिए किसी विशेष निपटान तिथि हेतु बहुपक्षीय नेटिंग एकल निधि निपटान दायित्व के साथ प्राप्त की जाती है। रिज़र्व बैंक में सदस्य द्वारा रखे गए आरटीजीएस (रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) निपटान / चालू खाते में निपटान किया जाता है।
व्यक्ति स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा आरबीआई रिटेल डायरेक्ट के माध्यम से या वाणिज्यिक बैंकों के साथ गिल्ट खातों के माध्यम से सरकारी प्रतिभूति बाजार तक पहुंच सकते हैं।
सरकारी प्रतिभूति बाजार पर एक प्राइमर यहां उपलब्ध है। सरकारी प्रतिभूतियों का बकाया स्टॉक यहां उपलब्ध है।
मुद्रा बाजार: मुद्रा बाजार में शामिल हैं:
(i) गैर-संपार्श्विक खंड (मांग, नोटिस और अवधि मुद्रा बाज़ार) जिसे बैंकों और प्राथमिक डीलर्स द्वारा विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन एक्सेस किया जा सकता है;
(ii) संपार्श्विक खंड (त्रिपक्षीय रेपो, मार्केट रेपो और कॉर्पोरेट बांड में रेपो) जो बैंकों, प्राथमिक डीलरों, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा एक्सेस किए जाते हैं;
(iii) वाणिज्यिक पत्र (सीपी) और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता) - एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता वाले लिखत जो गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) सहित कंपनियों और वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए जा सकते हैं; तथा
(iv) जमा प्रमाणपत्र (सीडी) - बैंकों द्वारा जारी एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता के साथ एक परक्राम्य, असुरक्षित मुद्रा बाजार लिखत ।
मुद्रा बाजार के प्रत्येक खंड पर विनियामकीय दिशानिर्देश इस वेबसाइट पर अधिसूचना खण्ड के तहत उपलब्ध हैं: मांग मुद्रा; रेपो; वाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाण पत्र।
विदेशी मुद्रा बाजार: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42), जिसे फेमा, 1999 के रूप में जाना जाता है, विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव अनुबंधों के विनियमन के लिए वैधानिक ढांचा प्रदान करता है। भारत में निवासी व्यक्ति और भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति अपने प्रत्याशित प्रकटीकरण सहित वैध विदेशी मुद्रा प्रकटीकरण का ओटीसी और एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स के माध्यम से बचाव’ कर सकते हैं। भारत में रहने वाले व्यक्तियों को भी विदेशी बाजारों (सोने, रत्न और कीमती पत्थरों को छोड़कर) में अपने कमोडिटी मूल्य जोखिम और माल ढुलाई जोखिम का बचाव करने की अनुमति है।
अपतटीय और तटवर्ती विदेशी मुद्रा बाजारों के एकीकरण को सक्षम बनाने के लिए, भारत में IFSC बिजनेस यूनिट (IBU) वाले बैंकों को अपतटीय रुपया गैर-सुपुर्दनीय डेरिवेटिव बाजारों में भाग लेने की अनुमति है। अनिवासी एक वैकल्पिक तंत्र के माध्यम से तटवर्ती कीमतों और चलनिधि तक भी पहुंच सकते हैं, जिसमें वे अपने विदेशी बैंकर से डील कर सकते हैं जो बदले में एक तटवर्ती बैंक से कीमत ले सकता है और कवर कर सकता है।
ब्याज दर डेरिवेटिव: खुदरा उपयोगकर्ताओं को हेजिंग के प्रयोजनों के लिए आईआरडी बाजार में भाग लेने की अनुमति है। गैर-खुदरा उपयोगकर्ता, हेजिंग या अन्यथा प्रयोजनों के लिए आईआरडी बाजार में भाग ले सकते हैं| सभी उपयोगकर्ताओं / ग्राहकों के लिए विभिन्न बेंचमार्क पर ब्याज दर स्वैप (आईआरएस), फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए) और यूरोपीय ब्याज दर विकल्पों की अनुमति है। बाजार-निर्माताओं को गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं/ग्राहकों (अर्थात रु.500 करोड़ रुपये और उससे अधिक की निवल संपत्ति वाली संस्थाओं) को संरचित डेरिवेटिव और स्वैपशन की पेशकश करने की भी अनुमति है। बाजार-प्रतिभागी, एक्सचेंज ट्रेडेड आईआरडी उत्पादों, जैसे ब्याज दर फ्यूचर्स (आईआरएफ) में भी लेनदेन कर सकते हैं।
अनिवासी हेजिंग के उद्देश्य से रुपया आईआरडी उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं और हेजिंग व अन्यथा के उद्देश्य हेतु रुपया ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (ओआईएस) बाजार तक भी पहुंच सकते हैं। फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत डीलर श्रेणी- I (एडी कैट- I) लाइसेंस वाले बैंक, और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत स्टैंड-अलोन प्राथमिक डीलर (एसपीडी), गैर-निवासियों और ऐसे अन्य मार्केट-मेकर्स के साथ ऑफशोर फॉरेन करेंसी सेटलड ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (FCS-OIS) मार्केट में लेनदेन कर सकते हैं। एफपीआई स्थिति सीमा के अधीन आईआरएफ में भी लेनदेन कर सकते हैं।
ऋण डेरिवेटिव: बाजार सहभागियों को ओटीसी खण्ड और स्टॉक एक्सचेंजों में एकल-नाम ऋण चूक स्वैप (सीडीएस) अनुबंधों का उपयोग करने की अनुमति है। ओटीसी बाजारों में, खुदरा उपयोगकर्ताओं को केवल हेजिंग के उद्देश्य से संरक्षण खरीदने की अनुमति है, जबकि गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं को हेजिंग या अन्यथा के लिए संरक्षण खरीदने की अनुमति है। गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं जैसे विनियमित वित्तीय संस्थाओं और एफपीआई को भी संरक्षण बेचने की अनुमति है।
ऋण में अनिवासी निवेश: ऋण में अनिवासियों के लिए निवेश व्यवस्था नपे तुले समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रणों के साथ विदेशी निवेश की सुविधा के लिए विकसित हुई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के पास ऋण में निवेश करने के तीन मार्ग हैं:
(ए) मध्यम अवधि रूपरेखा (एमटीएफ): अक्टूबर 2015 में पेश यह मार्ग एफपीआई को सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट बॉन्ड के कुल बकाया स्टॉक के प्रतिशत के रूप में तय की गई एक समग्र सीमा के भीतर ट्रेजरी बिल और कॉरपोरेट बॉन्ड सहित सभी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने में सक्षम बनाता है। इस मार्ग के तहत निवेश कुछ समष्टि विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन हैं।
(बी) स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर): मार्च 2019 में पेश, वीआरआर, एफपीआई को एक संयुक्त निवेश सीमा प्रदान करता है, जिसके माध्यम से वे या तो सरकारी या कॉर्पोरेट ऋण में निवेश कर सकते हैं। वीआरआर के तहत निवेश मोटे तौर पर समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रण से मुक्त हैं, लेकिन तीन वर्ष की न्यूनतम प्रतिधारण अवधि के अधीन हैं।
(सी) पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग (एफएआर): अप्रैल 2020 में पेश, यह मार्ग अनिवासियों को बिना किसी सीमा या समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रण के कुछ विशिष्ट सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने में सक्षम बनाता है। मार्ग के अंतर्गत विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों की सूची यहां उपलब्ध है।
अनिवासियों द्वारा ऋण में निवेश और उनके उपयोग की वर्तमान सीमाएं यहां (सरकारी प्रतिभूतियां) और यहां (कॉर्पोरेट बॉन्ड) उपलब्ध हैं।