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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रेस प्रकाशनी


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भारतीय रिज़र्व बैंक ने नीति संबंधी घोषणा के अनुसार निदेशों का मसौदा जारी किया

7 अक्तूबर 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नीति संबंधी घोषणा के अनुसार निदेशों का मसौदा जारी किया

दिनांक 1 अक्तूबर 2025 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज निम्नलिखित निदेशों का मसौदा जारी किया:

क. भारतीय रिज़र्व बैंक (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक - ऋण संबंधी जोखिम के लिए पूंजी प्रभार - मानकीकृत दृष्टिकोण) निदेश, 2025 का मसौदा

प्रस्तावित निदेश, बैंकिंग पर्यवेक्षण बासेल समिति (बीसीबीएस) द्वारा कार्यान्वित वैश्विक सुधारों के प्रमुख तत्वों में से एक को भारतीय संदर्भ के अनुरूप लागू करने का प्रयास करते हैं। ये निदेश ऋण संबंधी जोखिम के लिए पूंजी प्रभार की गणना हेतु मौजूदा मानकीकृत दृष्टिकोण ढाँचे में संशोधन करते हैं, जिनका उद्देश्य इसकी सुदृढ़ता, विस्तृत जानकारी और जोखिम संवेदनशीलता को बढ़ाना है।

मुख्य संसोधन निम्नानुसार है:

  1. कॉर्पोरेट्स, एमएसएमई और स्थावर संपदा के एक्सपोजर के लिए सूक्ष्म और विस्तृत जोखिम भार उपाय;

  2. विनियामक खुदरा श्रेणी के अंतर्गत 'लेन-देनकर्ताओं' को शामिल करना, जहां लेन-देनकर्ता पिछले 12 महीनों के दौरान समय पर चुकौती करने वाले क्रेडिट कार्ड हैं;

  3. तुलन-पत्र से इतर एक्सपोज़र हेतु जोखिम की गणना के लिए क्रेडिट रूपांतरण कारकों में संशोधन;

  4. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा मूल्यांकित ऋणों पर लागू जोखिम भार में उपयुक्त समायोजन, जोकि प्रत्येक रेटिंग एजेंसी के लिए ऐसे ऋणों के चूक संबंधी इतिहास और बैंकों द्वारा उचित जांच पर निर्भर होगा।

कुल मिलाकर, प्रस्तावित परिवर्तनों से बैंकों की न्यूनतम विनियामक पूंजी आवश्यकताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है, तथा इससे एमएसएमई, स्थावर संपदा और क्रेडिट कार्ड एक्सपोज़र जैसे कुछ क्षेत्रों को विशेष रूप से लाभ होगा।

बी. भारतीय रिज़र्व बैंक (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान - आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और आय निर्धारण) निदेश, 2025 का मसौदा

प्रस्तावित निदेश, उपगत-हानि-आधारित प्रावधानीकरण ढाँचे को विवेकपूर्ण सीमा के अधीन, ईसीएल-आधारित प्रावधानीकरण से प्रतिस्थापित करने का प्रयास करते हैं। इनसे ऋण जोखिम प्रबंधन पद्धतियों को और सुदृढ़ करने, वित्तीय संस्थानों के बीच बेहतर तुलना को बढ़ावा देने और विनियामक मानदंडों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत विनियामक एवं लेखा मानकों के अनुरूप बनाने की आशा है।

प्रस्तावित ढांचे की मुख्य बातें निम्नवत हैं:

  1. प्रत्याशित ऋण हानि (ईसीएल) दृष्टिकोण के अंतर्गत आस्ति वर्गीकरण के लिए चरणबद्ध मानदंड की शुरूआत, जबकि अनर्जक आस्ति (एनपीए) वर्गीकरण के लिए मौजूदा मानदंडों को बनाए रखना;

  2. चरण-1, चरण-2 और चरण-3 के अंतर्गत अलग-अलग व्यापक एक्सपोजर वर्गों के लिए उपयुक्त रूप से सुविचारित विवेकपूर्ण फ्लोर का विनिर्देशन;

  3. प्रभावी ब्याज दर (ईआईआर) पद्धति के आधार पर आय निर्धारण मानदंडों का संरेखण;

  4. ईसीएल मॉडल को लागू करने के लिए मॉडल जोखिम प्रबंधन पर व्यापक सिद्धांत।

यद्यपि उपरोक्त निदेशों के परिणामस्वरूप अतिरिक्त एकमुश्त प्रावधानीकरण का अनुमान है, बैंकों की न्यूनतम विनियामकीय पूंजी अपेक्षाओं पर समग्र प्रभाव न्यूनतम रहने की आशा है, और सभी बैंक इन अपेक्षाओं को सहजता से पूरा करते रहेंगे। प्रस्तावित 5-वर्षीय ग्लाइड-पथ, निर्बाध रूप से परिवर्तन को और सुगम बनाएगा।

दिशानिर्देशों के मसौदे पर जनता/ हितधारकों से 30 नवंबर 2025 तक टिप्पणियाँ आमंत्रित हैं। टिप्पणियाँ/ प्रतिक्रियाएँ रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध 'कनेक्ट2रेगुलेट' खंड के अंतर्गत दिए गए लिंक के माध्यम से प्रस्तुत की जा सकती हैं। वैकल्पिक रूप से, टिप्पणियाँ मुख्य महाप्रबंधक, ऋण जोखिम समूह, विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, 12वीं/13वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई - 400 001 को या ईमेल द्वारा भेजी जा सकती हैं।

(ब्रिज राज)   
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1261

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