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मौद्रिक नीति

"... मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।"


भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की प्रस्तावना

प्रेस प्रकाशनी


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ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकों का उच्च स्तरीय नीतिगत सम्मेलन: आपसी तालमेल बनाना, 21-22 नवंबर 2024

22 नवंबर 2024

ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकों का उच्च स्तरीय
नीतिगत सम्मेलन: आपसी तालमेल बनाना, 21-22 नवंबर 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना के 90वें वर्ष (RBI@90) के उपलक्ष्य में, 21-22 नवंबर 2024 को मुंबई में “ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकों का उच्च-स्तरीय नीतिगत सम्मेलन” आयोजित किया गया। सम्मेलन का विषय था ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकिंग समुदाय के बीच “तालमेल बनाना”। वर्ष के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित किए जा रहे कतिपय सम्मेलनों और संगोष्ठियों के भाग के रूप में यह तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और उभरती प्रौद्योगिकियाँ’ तथा ‘एक महत्वपूर्ण मोड़ पर केंद्रीय बैंकिंग’ विषयों पर पिछले दो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन क्रमशः अगस्त और अक्तूबर 2024 माह में बेंगलुरु और नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे।

इस सम्मेलन में 18 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंक के गवर्नर, उप गवर्नर और अन्य केंद्रीय बैंक अधिकारीगण शामिल थे। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल साउथ के लिए अत्यंत समृद्ध, स्थिर और धारणीय भविष्य हेतु पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए समकालीन प्रासंगिक मुद्दों पर अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा करना था। सम्मेलन में रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक, सचिव और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारीगण, बहुपक्षीय संस्थानों के विशेषज्ञ, रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर और वरिष्ठ प्रबंधन तथा अन्य अधिकारीगण, वाणिज्यिक बैंकों के शीर्ष कार्यपालक, वित्तीय बाजार के प्रतिभागी, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल हुए।

श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक प्रभाव-विस्तार, बाह्य क्षेत्र में असंतुलन, सीमित राजकोषीय स्पेस, ऋण का उच्च स्तर और वित्तीय बाजार में निरंतर अस्थिरता के बीच समग्र स्थिरता बनाए रखना, जिसमें सतत संवृद्धि, मूल्य स्थिरता और वित्तीय स्थिरता शामिल है, ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक कठिन चुनौती है। केंद्रीय बैंकों को अत्यंत सुदृढ़, यथार्थवादी और गतिशील नीतिगत ढांचे की दिशा में काम करने की आवश्यकता है, जो बेहतर सामाजिक परिणाम के लिए मौद्रिक, विवेकपूर्ण, राजकोषीय और संरचनात्मक नीतियों का तालमेलपूर्वक उपयोग करें।

सम्मेलन में महामारी के बाद की अवधि में केंद्रीय बैंकों के समक्ष आने वाले मुद्दों और ट्रेड-ऑफ पर सात सत्र आयोजित किए गए, जोकि इस प्रकार हैं (i) ग्लोबल साउथ में संवृद्धि और मुद्रास्फीति को संतुलित करना; (ii) मौद्रिक नीति संचार; (iii) डिजिटल भुगतान का विस्तार और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव; (iv) गवर्नरों का पैनल - अनुभव और नीतिगत दृष्टिकोण साझा करना; (v) नई वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के लिए आरक्षित निधि प्रबंधन; (vi) विनियमन और उभरती चुनौतियों में सर्वोत्तम पद्धतियाँ; तथा (vii) भावी सोच: उभरते जोखिमों के बीच पर्यवेक्षण। देशों के अनुभवों और सीखों को साझा करके ग्लोबल साउथ के केंद्रीय बैंकों के बीच तालमेल बनाने की कोशिश करते हुए, सम्मेलन में विचार-विमर्श के दौरान भविष्य के संकटों के लिए एक कुशल नीतिगत प्रतिक्रिया की रूपरेखा भी तैयार की गई। यह सम्मेलन इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूत करना तथा वैश्विक नीतिगत एजेंडा को आकार देने के लिए तालमेल बनाना है।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1563

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