27 मई 2024
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 मई 2024 के आदेश द्वारा आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड (बैंक) पर 'भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'ऋण और अग्रिम – सांविधिक और अन्य प्रतिबंध' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 करोड़ (एक करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार और उसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक है। बैंक ने कतिपय संस्थाओं को (i) कुछ परियोजनाओं के लिए परिकल्पित बजटीय संसाधनों के बदले में या एवज में; (ii) परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व की ऋण चुकौती देयताओं हेतु पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंक योग्यता पर समुचित सावधानी बरते बिना; (iii) जिसका पुनर्भुगतान/ चुकौती बजटीय संसाधनों से किया गया; और (iv) यह सुनिश्चित किए बिना कि निधीयन प्रस्ताव विशिष्ट निगरानी योग्य परियोजनाओं के लिए थे, मीयादी ऋण स्वीकृत किए।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(पुनीत पंचोली)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/385 |