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गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियां

यद्यपि यह भूमिका हमारी गतिविधियों का एक ऐसा पहलू है, जिसके संबंध में स्‍पष्‍ट रूप से कहीं उल्‍लेख तो नहीं है, किंतु अति महत्‍वपूर्ण गतिविधियों की श्रेणी में इसकी गिनती की जाती है। इसके अंतर्गत अर्थव्‍यवस्‍था के उत्‍पादक क्षेत्रों को ऋण उपलब्‍धता सुनिश्चित करना, देश की वित्‍तीय मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु संस्‍थाओं की स्‍थापना करना, किफायती वित्‍तीय सेवाओं की सुलभता बढ़ाना तथा वित्‍तीय शिक्षण एवं साक्षरता को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

प्रेस प्रकाशनी


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भारतीय रिज़र्व बैंक ने जंबो फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

4 मई 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जंबो फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 3 मई 2021 के आदेश द्वारा जंबो फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड, जयपुर (कंपनी) पर, 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी–प्रणालीबद्ध रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि न स्वीकार करनेवाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार करनेवाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और 'भारतीय रिज़र्व बैंक, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016' में निहित रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए निदेशों के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए 25.50 लाख (पच्चीस लाख पच्चास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में कंपनी की विफलता को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, की धारा 58बी की उपधारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58जी की उपधारा (1) के खंड(बी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

जंबो फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड की 31 मार्च 2019 की वित्तीय स्थिति पर आधारित निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) द्वारा उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/158

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