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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नाशिक पर मौद्रिक दंड लगाया

26 मार्च 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नाशिक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 12 मार्च 2024 के आदेश द्वारा दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नाशिक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) में प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) के गठन', 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक’ संबंधी कतिपय निदेशों और 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे' के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट आदेश के अननुपालन के लिए 59.90 लाख (उनसठ लाख नब्बे हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2021) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों/ आदेश के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों के परीक्षण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक है। बैंक (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई अतिरिक्त समय-सीमा के भीतर प्रबंधन बोर्ड का गठन करने में विफल रहा; (ii) अपने नाममात्र सदस्यों को निर्धारित सीमा से अधिक के लिए ऋण सुविधाएं स्वीकृत की गईं; और (iii) एक ही अवधि के लिए भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों से अधिक ब्याज दरों पर मियादी जमा खोली/ नवीनीकृत की।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

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