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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

भाषण


सितंबर 13, 2021
खाता संग्रहक के लिए नियामक ढांचा - आईस्पिरिट द्वारा 2 सितंबर 2021 को आयोजित आभासी कार्यक्रम के दौरान श्री एम. राजेश्वर राव, उप गवर्नर की टिप्पणियाँ 257.00 kb
अगस्त 24, 2018
शहरी सहकारी बैंकों को प्रासंगिक बनाए रखने में सक्षक्त गवर्नेंस और सुरक्षित आईटी परिचालनों का महत्व –एन.एस.विश्वनाथन 353.00 kb
फरवरी 10, 2016
ग्रामीण सहकारी समितियां: स्थिति पुनर्निर्धारण- आर.गांधी 121.00 kb
जून 23, 2015
सहकारी बैंकों के बारे में भविष्य एवं नए विचार – आर. गांधी 107.00 kb
जून 22, 2015
बैंकों में क्षमता निर्माण – आर. गांधी 95.00 kb
नवंबर 19, 2014
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में विनियमन और पर्यवेक्षण की उभरती रूपरेखा – एस. एस. मूदड़ा 124.00 kb
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