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मास्टर परिपत्र

बैंकों तथा क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता एनबीएफसी के क्रेडि‍ट कार्ड, डेबिट कार्ड तथा रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्राडेंड प्री-पेड कार्ड परि‍चालन पर मास्टर परि‍पत्र

आरबीआइ/2015-16/31
बैंवि‍वि.सं.एफएसडी.बीसी.18/24.01.009/2015-16

1 जुलाई 2015

सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंक,
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) तथा
क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता एनबीएफसी

महोदय/महोदया

बैंकों तथा क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता एनबीएफसी के क्रेडि‍ट कार्ड, डेबिट कार्ड तथा रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्राडेंड प्री-पेड कार्ड परि‍चालन पर मास्टर परि‍पत्र

कृपया बैंकों तथा एनबीएफसी के क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालन पर 1 जुलाई 2014 का हमारा मास्टर परि‍पत्र बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.02/24.01.011/2014-15 देखें जि‍समें बैंकों और एनबीएफसी के क्रेडिट कार्ड परिचालन तथा बै डेबिट कार्ड/प्री-पेड कार्ड परिचालन पर जारी कि‍ए गए अनुदेशों/दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त कि‍या गया है।

2. इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2015 तक बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए क्रेडि‍ट कार्ड परिचालन पर जारी दिशानिर्देशों के साथ-साथ बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड और को-ब्राडेंड प्री-पेड कार्ड जारी करने पर दिशानिर्देशों को समेकित किया गया है।

3. यह नोट करें कि बैंकों के लिए क्रेडिट कार्ड परिचालन पर अनुदेश, क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता गैर बैंकिंग वित्तीय् कंपनियों पर यथोचित संशोधनों सहित लागू हैं।

4. यह मास्टर परि‍पत्र रि‍ज़र्व बैंक की वेबसाइट (http://rbi.org.in) पर उपलब्ध है। क्रेडि‍ट, डेबिट तथा प्री-पेड कार्ड जारी करनेवाले सभी बैंकों /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को इन दि‍शानि‍र्देंशों का कड़ाई से पालन करना चाहि‍ए।

भवदीय

(लिली वढेरा)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक : यथोक्त


वि‍षय-सूची

पैराग्राफ सं. मद
क. उद्देश्य
ख. वर्गीकरण
ग. पि‍छले समेकि‍त दि‍शानि‍र्देश
घ. प्रयोज्यता का दायरा
I बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन
II बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड जारी करना
III बैंकों द्वारा रुपए में मूल्यवर्गित प्री-पेड कार्ड जारी करना
  अनुबंध - अत्यधि‍क महत्ववाली शर्तें (एमआइटीसी)
  परि‍शि‍ष्ट - समेकि‍त परि‍पत्रों की सूची

बैंकों तथा क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता एनबीएफसी के क्रेडि‍ट कार्ड, डेबिट कार्ड और रुपए में मूल्यवर्गित प्री-पेड कार्ड परि‍चालन पर मास्टर परि‍पत्र

क. उद्देश्य

क्रेडि‍ट, डेबिट, प्री-पेड कार्ड जारी करनेवाले बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को उनके क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय के लि‍ए नि‍यमों /वि‍नि‍यमों /मानकों /प्रथाओं का एक ढांचा प्रदान करना तथा यह सुनि‍श्चि‍त करना कि‍ वे सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप हैं। अपने क्रेडि‍ट कार्ड का परि‍चालन भलीभाँति, वि‍वेकपूर्ण और ग्राहक अनुकूल रूप से करना सुनि‍श्चि‍त करने के लि‍ए बैंकों को पर्याप्त सुरक्षा उपाय तथा नि‍म्नलि‍खि‍त दि‍शानि‍र्देशों को अपनाना चाहि‍ए।

ख. वर्गीकरण

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा जारी कि‍या गया सांवि‍धि‍क दि‍शानि‍र्देश।

ग. पि‍छले समेकि‍त दि‍शानि‍र्देश

इस मास्टर परि‍पत्र में परि‍शि‍ष्ट में सूचीबद्ध परि‍पत्रों में नि‍हि‍त अनुदेशों को समेकि‍त कि‍या गया है।

घ. प्रयोज्यता का दायरा

ये दि‍शानि‍र्देश उन सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैँकों को छोड़कर)/गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों पर लागू होते हैं जो प्रत्यक्ष अथवा अपनी सहायक कंपनि‍यों अथवा उनके द्वारा नि‍यंत्रि‍त संबद्ध कंपनि‍यों के माध्यम से क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय करते हैं।

I बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन

1. प्रस्तावना

इस परि‍पत्र का उद्देश्य है बैंकों/गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को उनके क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालनों तथा अपने क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय के प्रबंधन में उनसे अपेक्षि‍त प्रणालि‍यों तथा नि‍यंत्रणों के संबंध में सामान्य मार्गदर्शन प्रदान करना। इसमें उन सर्वोत्तम प्रथाओं को भी नि‍र्धारि‍त कि‍या गया है जि‍न्हें पाना बैंकों /गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों का लक्ष्य होना चाहि‍ए।

यह अनुभव रहा है कि‍ बैंकों के क्रेडि‍ट कार्ड संवि‍भागों की गुणवत्ता उस परि‍वेश को प्रति‍बिंबि‍त करती है जि‍समें वे कार्य करते हैं। आर्थि‍क गि‍रावट तथा ऐसे संवि‍भागों की गुणवत्ता में गि‍रावट में सुदृढ़ संबंध होता है। बैंकों द्वारा बाजार में गहरी प्रति‍योगि‍ता के कारण अपने ऋण हामीदारी मानदंड तथा जोखि‍म प्रबंधन मानकों को शि‍थि‍ल करने की स्थि‍ति‍ में यह गि‍रावट और भी गंभीर हो सकती है। अत: बैंकों के लि‍ए यह आवश्यक है कि‍ वे जि‍स बाजा़र परि‍वेश में अपना क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय करते हैं उससे संबंधि‍त जोखि‍मों के प्रबंधन के लि‍ए वि‍वेकपूर्ण नीति‍यां तथा प्रथाएं बनाए रखें।

2. कार्ड जारी करना

2.1 भारत में कार्यरत बैंक वि‍भागीय अथवा इस प्रयोजन के लि‍ए शुरू की गई कि‍सी सहायक कंपनी के माध्यम से क्रेडि‍ट कार्ड का व्यवसाय प्रारंभ कर सकते हैं। वे ऐसे कि‍सी अन्य बैंक से गठबंधन की व्यवस्था कर घरेलू क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय में प्रवेश कर सकते हैं, जि‍सके पास क्रेडि‍ट कार्ड जारी करने की व्यवस्था पहले से उपलब्ध है।

2.2 स्वतंत्र या अन्य बैंकों से गठबंधन की व्यवस्था करके क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय प्रारंभ करने के इच्छुक बैंकों को रि‍ज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं है। अपने नि‍देशक मंडलों के अनुमोदन से बैंक ऐसा कर सकते हैं। तथापि,‍ 100 करोड़ रुपये और उससे अधि‍क नि‍वल संपत्ति‍ रखने वाले बैंक ही क्रेडि‍ट कार्ड का व्यवसाय कर सकते हैं। तथापि‍ पृथक सहायक कंपनि‍याँ स्थापि‍त कर क्रेडि‍ट कार्ड का व्यवसाय करने वाले बैंकों को रि‍ज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेना होगा।

2.3 प्रत्येक बैंक में क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालनों के लि‍ए एक सुप्रलेखि‍त नीति‍ और उचि‍त व्यवहार संहि‍ता अवश्य होनी चाहि‍ए। जि‍न बैंकों ने बीसीएसबीआइ संहि‍ता को अपनाया है वे क्रेडि‍टकार्ड परि‍चालनों के लि‍ए अपनी उचि‍त व्यवहार संहि‍ता तैयार करते समय क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालनों के लि‍ए भारतीय बैंक संघ (आइबीए) की उचि‍त व्यवहार संहि‍ता के स्थान पर उसमें बीसीएसबीआइ संहि‍ता में नि‍हि‍त सि‍द्धांतों को सम्मि‍लि‍त करे। बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को उचि‍त व्यवहार संहि‍ता को अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करना चाहिए।

2.4 बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को क्रेडि‍ट कार्ड जारी करते समय वि‍वेकशीलता सुनि‍श्चि‍त करनी चाहि‍ए और वि‍शेषत: छात्रों और ऐसे अन्य व्यक्ति‍यों को कार्ड जारी करते समय ऋण जोखि‍म का नि‍र्धारण स्वतंत्र रूप से करना चाहि‍ए जि‍नके स्वतंत्र वि‍त्तीय साधन नहीं हैं।

2.5 हमारे 6 मार्च 2007 के परि‍पत्र बैंपवि‍वि.सं.एलईजी.बीसी.65/09.07.005/2006-07 में नि‍हि‍त अनुदेशों के अनुसार बैंकों को यह सूचि‍त कि‍या गया है कि‍ क्रेडि‍ट कार्ड के आवेदनों सहि‍त ऋण के सभी श्रेणि‍यों के मामले में चाहे उनकी प्रारंभि‍क सीमा कि‍तनी भी क्यों न हो, संबंधि‍त ऋण आवेदनों को ऋण आवेदन अस्वीकार कि‍ये जाने का/ के मुख्य कारण लि‍खि‍त रूप में सूचि‍त कि‍या जाना/कि‍ए जाने चाहि‍ए। इस बात को दोहराया जाता है कि‍ बैंकों को क्रेडि‍ट कार्ड आवेदनों के अस्वीकार कि‍ए जाने का/के मुख्य कारण लि‍खि‍त रूप में सूचि‍त कि‍या जाना /कि‍ये जाने चाहि‍ए।

2.6 चूँकि‍ अनेक क्रेडि‍ट कार्ड रखने से कि‍सी भी उपभोक्ता के लि‍ए उपलब्ध कुल ऋण में वृद्धि‍ होती है, अत: बैंकों / गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को चाहि‍ए कि‍ वे कार्डधारक द्वारा स्वयं की गई घोषणा/ सीआईसी से प्राप्त ऋण सूचना के आधार पर अन्य बैंकों से उसके द्वारा प्राप्त की जा रही ऋण-सीमाओं को ध्यान में रखते हुए क्रेडि‍ट कार्ड के ग्राहक के लि‍ए ऋण-सीमा नि‍र्धारि‍त करें।

2.7 कार्ड जारी करते समय, क्रेडि‍ट कार्ड के नि‍र्गम और उपयोग की शर्तें स्पष्ट और सरल भाषा (वरीयत: अंग्रेजी, हि‍न्दी या स्थानीय भाषा) में कार्ड के उपयोगकर्ता के लि‍ए समझने योग्य रूप में नि‍र्दि‍ष्ट की जानी चाहि‍ए। अनुबंध में दी गई शर्तों के मानक सेट के रूप में नामि‍त सर्वाधि‍क महत्वपूर्ण शर्तों (एमआइटीसी) की ओर संभावि‍त ग्राहक / ग्राहकों का सभी चरणों पर अर्थात् वि‍पणन के दौरान, आवेदन करते समय, स्वीकृति‍ के स्तर (स्वागत कि‍ट) पर और बाद के महत्वपूर्ण पत्राचार आदि‍ में वि‍शि‍ष्ट रूप से ध्यान आकर्षि‍त करना चाहि‍ए तथा वे वि‍ज्ञापि‍त की जानी चाहि‍ए /अलग से प्रेषि‍त करनी चाहि‍ए।

2.8 जि‍न मामलों में बैंक अपने क्रेडि‍ट कार्डधारकों को बीमा कंपनि‍यों के साथ गठबंधन कर बीमा कवर देना चाहते हैं वहाँ बैंक दुर्घटनाग्रस्त मृत्यु और अंगहानि‍ की स्थि‍ति‍ में मि‍लनेवाले लाभों के संबंध में बीमा कवर के लि‍ए नामि‍ति‍ /नामि‍ति‍यों के ब्यौरे क्रेडि‍ट कार्डधारक से लि‍खि‍त रूप में प्राप्त करने पर वि‍चार करें। बैंक यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ संगत नामन ब्यौरे बीमा कंपनी द्वारा रि‍कार्ड कि‍ए जाते हैं। बैंक क्रेडि‍ट कार्डधारकों को बीमा कवर से संबंधि‍त दावों का काम देखनेवाली बीमा कंपनी का नाम, पता और टेलीफोन नंबर संबंधी ब्यौरे दर्शानेवाला एक पत्र जारी करने पर भी वि‍चार करें।

3. क्रेडिट कार्ड के प्रकार

3.1 बैंक अपने कारपोरेट ग्राहकों को-ब्राडेंड क्रेडिट कार्डों सहित क्रेडिट कार्ड, कारपोरेट क्रेडिट कार्ड तथा ऐड ऑन कार्ड जारी कर सकते हैं।

3.2 तथापि गैर-बैंक संस्था के साथ को-ब्राडेंड क्रेडिट कार्ड जारी करते समय बैंकों को उचित सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे इस तरह की व्यवस्था के कारण सामने आनेवाली प्रतिष्ठा जोखिम से अपना बचाव कर सकें। जो एनबीएफसी बैंकों के साथ को-ब्राडेंड क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए इच्छूक वे कृपया 4 दिसंबर 2006 का सं.गैबैंपवि(पीडी)सीसीNo.83/03.10.27/2006-07 में निहित निर्देश देखें।

3.3 एड-ऑन कार्ड अर्थात् ऐसे कार्ड जो मुख्य कार्ड के अनुषंगी हैं, इस सुस्पष्ट शर्त पर जारी कि‍ये जा सकते हैं कि‍ देनदारी प्रधान कार्डधारक की होगी । उसी प्रकार कारपोरेट क्रेडिट कार्ड जारी करते समय कारपोरेट तथा उसके कर्मचारियों की देयता स्पष्ट की जानी चाहिए।

4. अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वि‍त्तपोषण का प्रति‍रोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्‍तरदायित्‍व का अनुपालन

केवाईसी/एएमएल/सीएफटी के संबंध में बैंकों पर लागू भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी होने वाले अनुदेशों/दिशानिर्देशों का को-ब्रैंडेड डेबिट कार्डों सहित सभी जारी किए गए कार्डों के संबंध में पालन किया जाए।

5. ब्याज दरें और अन्य प्रभार

5.1 बैंकों को सूचि‍त कि‍या जाता है कि‍ वे क्रेडि‍ट कार्ड के बकाए पर ब्याज का नि‍र्धारण करते समय, समय-समय पर संशोधित अनुदेशों का पालन बैंकों को यह भी सूचि‍त कि‍या गया था कि‍ उन्हें कम मूल्य के वैयक्ति‍क ऋणों और इसी स्वरूप के ऋणों के संबंध में प्रक्रि‍यागत तथा अन्य प्रभारों के साथ-साथ ब्याज दर की उच्चतम सीमा वि‍नि‍र्दि‍ष्ट करनी चाहि‍ए। ये अनुदेश क्रेडि‍ट कार्ड देयताओं पर भी लागू हैं। यदि‍ बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यां कार्डधारक की अदायगी /अदायगी में चूक के मामलों के आधार पर वि‍भि‍न्न ब्याज दर लगाते /लगाती हैं तो इस प्रकार वि‍भेदक ब्याज दर लगाने में पारदर्शि‍ता होनी चाहि‍ए। दूसरे शब्दों में, कि‍सी कार्डधारक को उसकी अदायगी/ अदायगी में चूक के मामलों के आधार पर उच्चतर ब्याज दर लागाई जा रही है तो इस तथ्य से कार्डधारक को अवगत करा दि‍या जाना चाहि‍ए। इस प्रयोजन के लि‍ए बैंकों को चाहि‍ए कि‍ वे अपनी वेबसाइट अथवा अन्य साधनों के जरि‍ए ग्राहकों के संबंध में वि‍भि‍न्न श्रेणि‍यों के संबंध में लगाई गई ब्याज दरों को प्रदर्शि‍त करें। बैंकों /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को चाहि‍ए कि‍ वे क्रेडि‍ट कार्डधारक को वि‍त्त प्रभारों की गणना की पद्धति‍ स्पष्ट रूप से सोदाहरण दर्शाएं, वि‍शेषकर उन मामलों में जहां संबंधि‍त ग्राहक द्वारा केवल बकाया राशि‍ का हि‍स्सा ही अदा कि‍या जाता है।

5.2 इसके अलावा बैंकों/गैर बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को क्रेडि‍ट कार्डों पर लागू ब्याज दरों तथा अन्य प्रभारों से संबंधि‍त नि‍म्नलि‍खि‍त दि‍शानि‍र्देशों का पालन करना होगा:

क) कार्ड जारीकर्ताओं को यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ बि‍ल भेजने में कोई वि‍लंब न हो और ब्याज लगाया जाना शुरू होने से पहले भुगतान करने के लि‍ए ग्राहक को पर्याप्त समय (कम से कम एक पखवाड़ा) मि‍ल सके। देरी से दि‍ये जानेवाले बि‍लों की बार-बार की जानेवाली शि‍कायतों से बचने के लि‍ए क्रेडि‍ट कार्ड जारी करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी बि‍लों और खातों के वि‍वरणों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने पर वि‍चार कर सकती है, जि‍समें इस प्रयोजन के लि‍ए समुचि‍त सुरक्षा का प्रावधान हो। बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय संस्थाएं मासि‍क वि‍वरण प्राप्त होने के संबंध में ग्राहक से पावती लेना सुनि‍श्चि‍त करने हेतु एक प्रणाली लागू करने पर भी वि‍चार कर सकते हैं।

ख) कार्ड जारीकर्ताओं को चाहि‍ए कि‍ वे कार्ड उत्पादों पर वार्षि‍कीकृत प्रति‍शत दरें (एपीआर) उद्धृत करें (फुटकर खरीद और नकदी अग्रि‍म के लि‍ए अलग-अलग, यदि‍ दरें भि‍न्न हांे)। बेहतर समझ के लि‍ए एपीआर की गणना-पद्धति‍ के कुछ उदाहरण दि‍ए जाने चाहि‍ए। प्रभारि‍त एपीआर और वार्षि‍क शुल्क को समान महत्व देते हुए दर्शाया जाना चाहि‍ए। वि‍लंब से भुगतान के प्रभार, ऐसे प्रभारों की गणना की पद्धति‍ और दि‍नों की संख्या सहि‍त प्रमुख रूप से नि‍र्दि‍ष्ट कि‍ये जाने चाहि‍ए। वह तरीका जि‍ससे भुगतान न की गई बकाया राशि‍ ब्याज के परि‍कलन के लि‍ए शामि‍ल की जाएगी, सभी मासि‍क वि‍वरणों में वि‍शि‍ष्ट रूप से प्रमुखता के साथ दर्शाया जाए। उस स्थि‍ति‍ में भी जहाँ कार्ड को वैध रखने के लि‍ए नि‍र्दि‍ष्ट न्यूनतम राशि‍ अदा कर दी गई है, यह मोटे अक्षरों में नि‍र्दि‍ष्ट कि‍या जाना चाहि‍ए कि‍ भुगतान के लि‍ए नि‍यत तारीख के बाद देय राशि‍ पर ब्याज लगाया जाएगा। मासि‍क वि‍वरण में दि‍खाने के अति‍रि‍क्त, इन पहलुओं को स्वागत कि‍ट में भी दर्शाया जाए। सभी मासि‍क वि‍वरणों में इस आशय का नोटि‍स प्रमुख रूप से दर्शाया जाना चाहि‍ए कि‍ "प्रत्येक महीने में सि‍र्फ न्यूनतम भुगतान करने के परि‍णामस्वरूप चुकौती वर्षों तक खिंच जाएगी जि‍ससे आपको शेष उधार राशि‍ पर ब्याज का भुगतान करना होगा" ताकि‍ ग्राहकों को केवल देय न्यूनतम राशि‍ अदा करने में होनेवाले खतरों के बारे में सावधान कि‍या जा सके।

ग) बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को चाहि‍ए कि‍ वे कार्डधारकों को यह स्पष्ट करें कि‍ केवल न्यूनतम देय राशि‍ अदा करने के क्या परि‍णाम हो सकते हैं। `अत्यधि‍क महत्वपूर्ण शर्तें एवं नि‍बंधन' के अंतर्गत वि‍शेष रूप से यह स्पष्ट कि‍या जाना चाहि‍ए कि‍ यदि‍ पि‍छले महीने का कोई बि‍ल बकाया है तो `ब्याज रहि‍त ऋण की अवधि‍' खत्म हो जाती है। इस प्रयोजन के लि‍ए बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यां नि‍दर्शी उदाहरण तैयार कर, उन्हें कार्डधारक की स्वागत सामग्री (वेलकम कि‍ट) में शामि‍ल कर सकते हैं और साथ ही साथ अपनी वेबसाइट पर भी प्रदर्शि‍त कर सकते हैं।

घ) बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को ऐसा कोई प्रभार नहीं लगाना चाहि‍ए जो क्रेडि‍ट कार्ड धारक को, संबंधि‍त कार्ड जारी करते समय तथा उसकी सहमति‍ प्राप्त करते समय सुस्पष्ट रूप से दर्शाया नहीं गया हो। तथापि‍, यह सेवा कर आदि‍ जैसे प्रभारों के लि‍ए लागू नहीं होगा जो सरकार अथवा कि‍सी अन्य सांवि‍धि‍क प्राधि‍करण द्वारा बाद में लगाये जाएंगे ।

ड) क्रेडि‍ट कार्ड की देय राशि‍यों के भुगतान की शर्तें, जि‍नमें न्यूनतम अदायगी की देय राशि‍ शामि‍ल है, वि‍नि‍र्दि‍ष्ट की जाएं ताकि‍ यह सुनि‍श्चि‍त कि‍या जा सके कि‍ कोई ऋणात्मक परि‍शोधन नहीं है ।

च) प्रभारों में (ब्याज के अलावा) परि‍वर्तन कम-से-कम एक महीने का नोटि‍स देकर केवल भावी प्रभाव से कि‍ये जाने चाहि‍ए । यदि‍ क्रेडि‍ट कार्ड धारक अपना क्रेडि‍ट कार्ड इस कारण से अभ्यर्पि‍त करना चाहता हो कि‍ क्रेडि‍ट कार्ड प्रभारों में कि‍या कोई परि‍वर्तन उसे हानि‍कारक है तो ऐसी समाप्ति‍ के लि‍ए उससे कोई अति‍रि‍क्त प्रभार लि‍ये बगैर कार्ड समाप्ति‍ की अनुमति‍ दी जाए । क्रेडि‍ट कार्ड को समाप्त करने संबधी कि‍सी अनुरोध को क्रेडि‍ट कार्ड जारीकर्ता द्वारा तत्काल स्वीकार कि‍या जाना होगा, बशर्ते कार्डधारक ने देय राशि‍ का पूरा नि‍पटान कर दि‍या हो।

छ) पहले वर्ष में प्रभार मुक्त क्रेडि‍ट कार्ड जारी करने में पारदर्शि‍ता (कि‍सी छुपे प्रभारों का न होना) होनी चाहि‍ए।

6. गलत बि‍ल बनाना

कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ गलत बि‍ल बनाकर ग्राहकों को जारी नहीं कि‍या जाए। यदि‍ कोई ग्राहक कि‍सी बि‍ल का वि‍रोध करता है तो बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कपंनी को उसका स्पष्टीकरण देना चाहि‍ए और यदि‍ आवश्यक हो तो शि‍कायतों के आपसी नि‍वारण की भावना से ग्राहक को अधि‍कतम साठ दि‍न की अवधि‍ के भीतर दस्तावेजी प्रमाण भी देना चाहि‍ए।

7. प्रत्यक्ष बिक्री एजेंट (डीएसए)/प्रत्यक्ष विपणन एजेंट (डीएमए) और अन्य एजेंटों का उपयोग

7.1 बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी जब क्रेडि‍ट कार्ड के वि‍भि‍न्न परि‍चालनों को बाहरी स्रोतों से (आउटसोर्स) करवाते हैं, तब उन्हें इसकी अत्यधि‍क सावधानी बरतनी होगी कि‍ ऐसी सेवा प्रदान करनेवालों की नि‍युक्ति‍ से ग्राहक सेवा की गुणवत्ता तथा बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की ऋण, चलनि‍धि‍ और परि‍चालनगत जोखि‍मों के प्रबंधन की क्षमता पर वि‍परीत असर नहीं होता है । उक्त सेवा प्रदान करनेवाले के चयन में बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को ग्राहकों के अभि‍लेखों की गोपनीयता, ग्राहक की प्राइवेसी का सम्मान सुनि‍श्चि‍त करने की तथा ऋण वसूली में उचि‍त प्रणालि‍यों का पालन करने की आवश्यकता को आधार बनाना होगा ।

7.2 बैंक के ग्राहकों के प्रति‍ दायि‍त्व संबंधी बीसीएसबीआइ संहि‍ता के अनुसार जि‍न बैंकों ने उक्त संहि‍ता को अपनाया है उन्हें अपने उत्पादों/सेवाओं के वि‍पणन के लि‍ए नि‍युक्त डीएसए के लि‍ए एक आचार संहि‍ता नि‍धार्रि‍त करनी चाहि‍ए। बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ उन्होंने जि‍न डीएसए को अपने क्रेडि‍ट कार्ड उत्पादों के वि‍पणन कार्य में लगाया है वे बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालनों की आचार संहि‍ता का कड़ाई से पालन करते हैं। ऐसी आचार संहि‍ता संबंधि‍त बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की वेबसाइट पर प्रदर्शि‍त की जानी चाहि‍ए और कि‍सी भी क्रेडि‍ट कार्डधारक को आसानी से उपलब्ध होनी चाहि‍ए ।

7.3 बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी के पास आकस्मि‍क जांच और प्रच्छन्न खरीद (मि‍स्टरी शॉपिंग) की एक प्रणाली होनी चाहि‍ए ताकि‍ वे यह सुनि‍श्चि‍त कर सकें कि‍ उनके एजेंटों को उचि‍त रूप से जानकारी दी गयी है तथा सावधानी और सतर्कता से अपनी जि‍म्मेदारि‍यां नि‍भाने का प्रशि‍क्षण दि‍या गया है, वि‍शेषकर इन दि‍शा-नि‍र्देशों में शामि‍ल पहलुओं के संबंध में, जैसे ग्राहक बनाना, कॉल करने का समय, ग्राहक की जानकारी की प्राइवेसी, उत्पाद देते समय सही शर्तें सूचि‍त करना आदि‍ ।

7.4 अवांछित वाणिज्यिक संवाद – राष्‍ट्रीय ग्राहक अधिमान पंजिका (एनसीपीआर) पर जारी दिशानिर्देश का पालन करते समय बैंक यह सुनिश्चित करें कि ट्राई (टीआरएआई) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी नि‍र्देशों/ वि‍नि‍यमों का अनुपालन करेने वाले टेलीमार्केटर्स को ही नियुक्त किया जाता हैं।

8. बिना मांग के कार्ड जारी करना / सुविधा दी जाना

8.1 बि‍ना मांग के कार्ड जारी नहीं कि‍ये जाने चाहि‍ए । यदि‍ बि‍ना मांगे कोई कार्ड जारी कि‍या जाता है और संबंधि‍त प्राप्तकर्ता की लि‍खि‍त सहमति‍ के बगैर कार्यान्वि‍त हो जाता है और उसके लि‍ए उसे बि‍ल भेजा जाता है तो कार्ड जारी करनेवाला बैंक न केवल उक्त प्रभारों को तत्काल वापस करेगा बल्कि‍ वापस कि‍ये गये प्रभारों के मूल्य से दुगुनी राशि‍ कार्ड के प्राप्तकर्ता को दंड के रूप में अवि‍लंब अदा करेगा।

8.2 इसके अलावा, जि‍सके नाम पर कार्ड जारी हुआ है वह व्यक्ति‍ बैंकिंग लोकपाल से भी संपर्क कर सकता है। बैंकिंग लेाकपाल योजना, 2006 के उपबंधों के अनुसार बैंकिंग लोकपाल अवांछि‍त क्रेडि‍ट कार्ड के प्राप्तकर्ता को बैंक की ओर से दी जानेवाली राशि‍ अर्थात् शि‍कायतकर्ता के समय की हानि‍, उसके द्वारा कि‍या गया व्यय, उसें हुई परेशानी तथा मानसि‍क कष्ट के लि‍ए क्षति‍पूर्ति‍ की राशि‍ नि‍र्धारि‍त करेगी।

8.3 कुछ ऐसे भी मामले हैं जि‍नमें अवांछि‍त क्रेडि‍ट कार्ड जि‍नके नाम पर जारी कि‍ए गए हैं उन तक पहुँचने के पहले उनका दुरुपयोग कि‍या गया है। यह स्पष्ट कि‍या जाता है कि‍ ऐसे अवांछि‍त कार्डों के दुरुपयोग के कारण हुई कि‍सी भी प्रकार की हानि‍ के लि‍ए कार्ड जारी करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी ही जि‍म्मेदार होगा /होगी और जि‍सके नाम पर कार्ड जारी कि‍या गया है उस व्यक्ति‍ को जि‍म्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

8.4 जारी कार्डों के लि‍ए अथवा कार्ड के साथ दि‍ए अन्य उत्पादों के लि‍ए दी गई सम्मति‍ सुस्पष्ट होनी चाहि‍ए। दूसरे शब्दों में क्रेडि‍ट कार्ड जारी करने से पहले संबंधि‍त आवेदक की लि‍खि‍त सम्मति‍ आवश्यक होगी।

8.5 क्रेडि‍ट कार्ड के ग्राहकों को बि‍ना मांगे ऋण अथवा अन्य ऋण सुवि‍घाएं न दी जाएं। यदि‍ कोई ऋण सुवि‍धा बि‍ना मांगे प्राप्ति‍कर्ता की सहमति‍ के बगैर दी जाती है और यदि‍ वह इस बात के लि‍ए आपत्ति‍ उठाता है तो ऋण मंजूर करनेवाला बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी न केवल उक्त ऋण सीमा वापस लेगी बल्कि‍ उसे समुचि‍त समझे जानेवाले अर्थ-दंड की अदायगी भी करनी होगी ।

8.6 कार्ड जारी करनेवाले बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को क्रेडि‍ट कार्ड का एकतरफा उन्नयन नहीं करना चाहि‍ए तथा ऋण सीमा को नहीं बढ़ाना चाहि‍ए । जब भी शर्तों में कोई परि‍वर्तन हो तब अनि‍वार्यत: संबंधि‍त उधारकर्ता की पूर्व सहमति‍ ली जाए।

9. ग्राहक गोपनीयता

9.1 कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को खाता खोलते अथवा क्रेडि‍ट कार्ड जारी करते समय प्राप्त की गयी ग्राहकों से संबंधि‍त जानकारी, वह जानकारी कि‍स प्रयोजन के लि‍ए उपयोग में लायी जाएगी तथा कि‍न संगठनों के साथ बांटी जाएगी, इस संबंध में ग्राहकों की वि‍शि‍ष्ट अनुमति‍ प्राप्त कि‍ए बि‍ना कि‍सी अन्य व्यक्ति‍ अथवा संगठन को बतायी न जाए। बैंकों को चाहि‍ए कि‍ वे ग्राहक को क्रेडि‍ट कार्ड के लि‍ए आवेदन करते समय इस बात का नि‍र्णय करने का वि‍कल्प दें कि‍ वह अपनी जानकारी बैंकों द्वारा अन्य एजेन्सि‍यों के साथ बांट दि‍ए जाने से सहमत है अथवा नहीं। इस प्रयोजन के लि‍ए सुस्पष्ट प्रावधान हेतु क्रेडि‍ट कार्ड के आवेदन का फॉर्म उचि‍त रूप से संशोधि‍त कि‍या जाए। साथ ही, जि‍न मामलों में ग्राहक अन्य एजेन्सि‍यों के साथ जानकारी बांटने के लि‍ए बैंकों को सम्मति‍ देते हैं वहाँ बैंकों को चाहि‍ए कि‍ वे संबंधि‍त ग्राहक को प्रकटीकरण खंड के पूरे आशय /नि‍हि‍तार्थ को साफ-साफ बताएं और स्पष्ट रूप से समझाएं। बैंकों /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को, वि‍शि‍ष्ट वि‍धि‍क परामर्श के आधार पर, अपने आपको इस बात से संतुष्ट करना होगा कि‍ उनसे मांगी गयी जानकारी का स्वरूप ऐसा नहीं है जि‍ससे लेनदेनों में गुप्तता संबंधी कानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। उक्त प्रयोजन से दी गयी जानकारी सही होने अथवा सही न होने के लि‍ए बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी पूर्णत: जि‍म्मेदार होगी।

9.2 डीएसए / वसूली एजेंटों के लिए प्रकटीकरण भी केवल उस सीमा तक ही होना चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए सक्षम हो जाए। कार्ड धारक द्वारा दी गई व्यक्तिगत जानकारी, लेकिन वसूली उद्देश्यों के लिए जो जरूरी नहीं हैं कार्ड जारीकर्ता बैंक / एनबीएफसी द्वारा जारी नहीं की जानी चाहिए। कार्ड जारीकर्ता बैंक / एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डीएसए / डीएमएस क्रेडिट कार्ड उत्पादों के विपणन के दौरान किसी भी ग्राहक की जानकारी का अंतरण अथवा दुरुपयोग नहीं करते हैं।

10. क्रेडि‍ट इंफॉर्मेशन कंपनियों (सीआइसी) को सूचना देना

10.1 कार्डधारक के ऋण इति‍हास /चुकौती रि‍कार्ड से संबंधि‍त जानकारी कि‍सी क्रेडि‍ट इंफॉर्मेशन कंपनी (भारतीय रि‍ज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त) को देने के लिए, बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को उन ग्राहकों के ध्यान में यह बात स्पष्टत: लानी होगी कि‍ यह जानकारी क्रेडि‍ट इंफॉर्मेशन कंपनी (वि‍नि‍यमन) अधि‍नि‍यम, 2005 के अंतर्गत दी जा रही है ।

10.2 क्रेडि‍ट इंफॉर्मेशन कंपनी अथवा भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा प्राधि‍कृत कि‍सी अन्य क्रेडि‍ट कंपनी को कि‍सी क्रेडि‍ट कार्डधारक के संबंध में चूक की स्थि‍ति‍ की सूचना देने से पूर्व, बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍याँ यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ वे अपने बोर्ड द्वारा वि‍धि‍वत् अनुमोदि‍त क्रि‍यावि‍धि‍ का अनुपालन करती हैं जि‍समें ऐसे कार्ड धारक को क्रेडि‍ट इंफॉर्मेशन कंपनी को उसे चूककर्ता के रूप में रि‍पोर्ट करने के उद्देश्य के बारे में पर्याप्त सूचना जारी करना शामि‍ल है । इस क्रि‍यावि‍धि‍ में ऐसी सूचना देने के लि‍ए आवश्यक सूचना अवधि‍ तथा चूककर्ता के रूप में सूचि‍त कि‍ए जाने के बाद ग्राहक द्वारा अपनी देयताओं का नि‍पटान करने की स्थि‍ति‍ में, ऐसी सूचना को जि‍स अवधि‍ के भीतर वापस लि‍या जाएगा, उस अवधि‍ को भी शामि‍ल कि‍या जाए। बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को उन कार्डों के मामले में वि‍शेष रूप से सावधान रहना होगा जि‍नमें वि‍वाद लंबि‍त हैं। जानकारी का प्रकटीकरण/जारी कि‍या जाना, वि‍शेषत: चूक से संबंधि‍त जानकारी, जहां तक संभव हो वि‍वाद के नि‍पटान के बाद ही कि‍या जाए। सभी मामलों में एक सुव्यवस्थि‍त क्रि‍यावि‍धि‍ का पारदर्शि‍ता से अनुपालन कि‍या जाए। इन क्रि‍यावि‍धि‍यों को पारदर्शि‍ता से एमआइटीसी के भाग के रूप में बताया जाए।

11. ऋण वसूली की उचि‍त प्रथाएं

11.1 देय राशि‍यों की वसूली के मामले में, बैंक यह सुनि‍श्चि‍त करें कि‍ वे तथा उनके एजेंट भी उधारदाताओं के लि‍ए उचि‍त व्यवहार संहि‍ता संबंधी मौजूदा अनुदेशों तथा बैंक के ग्राहक के प्रति‍ दायि‍त्व संबंधी बीसीएसबीआइ संहि‍ता (बीसीएसबीआइ संहि‍ता को अपनाने वाले बैंक) का अनुपालन करते हैं। यदि‍ देय राशि‍यों की वसूली के लि‍ए बैंक की अपनी खुद की संहि‍ता है तो उसमें कम-से-कम उपर्युक्त संदर्भि‍त बीसीएसबीआइ संहि‍ता की सभी शर्तों को शामि‍ल कि‍या जाना चाहि‍ए।

11.2 ऋण वसूली के लि‍ए अन्य एजेंसि‍यों को नि‍युक्त करने के संबंध में यह वि‍शेष रूप से आवश्यक है कि‍ ऐसे एजेंट कोई ऐसा कार्य नहीं करते जि‍ससे बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की ईमानदारी तथा प्रति‍ष्ठा को क्षति‍ पहुंचे तथा वे ग्राहक की गोपनीयता का कड़ाई से पालन करते हैं। वसूली एजेंट द्वारा जारी कि‍ए गए सभी पत्रों में कार्ड जारी करने वाले बैंक के जि‍म्मेदार वरि‍ष्ठ अधि‍कारी का नाम तथा पता होना चाहि‍ए जि‍ससे ग्राहक उसके स्थान पर संपर्क कर सके।

11.3 बैंकों /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों /उनके एजेंटों को अपने ऋण वसूली के प्रयासों में कि‍सी व्यक्ति‍ के वि‍रुद्ध कि‍सी भी प्रकार से मौखि‍क अथवा शारीरि‍क रूप से डांट-डपट अथवा परेशान करने का सहारा नहीं लेना चाहि‍ए । इनमें क्रेडि‍ट कार्ड धारकों के परि‍वार के सदस्यों, मध्यस्थों तथा मि‍त्रों को खुलेआम अपमानि‍त करने अथवा उनकी प्राइवेसी में दखल देने के कार्य, धमकी देनेवाले तथा बेनामी फोन कॉल अथवा झूठी तथा गलत जानकारी देना भी शामि‍ल है।

11.4 बैंकों को वसूली एजंटों की नि‍युक्ति‍ के संबंध में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा समय- समय पर जारी दि‍शानि‍र्देश का अनुपालन भी सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए ।

12. शि‍कायत नि‍वारण

12.1 ग्राहकों को अपनी शि‍कायतें प्रस्तुत करने के लि‍ए सामान्यत: साठ (60) दि‍न की समय सीमा दी जाए ।

12.2 कार्ड जारी करने वाले बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी को बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी में ही शि‍कायत नि‍वारण तंत्र गठि‍त करना चाहि‍ए तथा इलैक्ट्रॉनि‍क तथा प्रिंट मीडि‍या के माध्यम से उसका व्यापक प्रचार करना चाहि‍ए। बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी के नामि‍त शि‍कायत नि‍वारण अधि‍कारी के नाम तथा संपर्क नंबर का उल्लेख क्रेडि‍ट कार्ड के बि‍लों में होना चाहि‍ए। नामि‍त अधि‍कारी को सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ क्रेडि‍ट कार्ड के ग्राहकों की वास्तवि‍क शि‍कायतों का बि‍ना वि‍लंब के तत्परता से नि‍वारण कि‍या जाता है ।

12.3 बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ उनका कॉल सेंटर वाला स्टाफ ग्राहकों की सारी शि‍कायतों से संबंधि‍त काम देखने के लि‍ए पर्याप्त रूप से प्रशि‍क्षि‍त है।

12.4 बैंकों/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों के पास एक ऐसी प्रणाली भी होनी चाहि‍ए जि‍ससे कि‍सी कॉल सेंटर से नि‍वारण न की गई शि‍कायतें अपने आप उच्चतर प्राधि‍कारि‍यों के पास चली जाएं तथा ऐसी प्रणाली के ब्यौरे वेबसाइटों के ज़रि‍ए पब्लि‍क डोमेन में प्रदर्शि‍त कि‍ए जाने चाहि‍ए।

12.5 बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की शि‍कायत नि‍वारण क्रि‍यावि‍धि‍ तथा शि‍कायतों का प्रत्युत्तर देने के लि‍ए नि‍र्धारि‍त समयावधि‍ बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी की वेबसाइट पर दी जाए । बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी के महत्वपूर्ण कार्यपालकों तथा शि‍कायत नि‍वारण अधि‍कारी का नाम, पदनाम, पता तथा संपर्क नंबर वेबसाइट पर प्रदर्शि‍त कि‍या जाए । ग्राहकों की शि‍कायत पर अनुवर्ती कार्रवाई के लि‍ए शि‍कायतों की पावती की प्रणाली हो, जैसे शि‍कायत /डॉकेट नंबर होना चाहि‍ए, भले ही शि‍कायतें फोन पर प्राप्त हुई हों ।

12.6 शि‍कायत दर्ज करने की तारीख से अधि‍कतम 30 दि‍न की अवधि‍ में शि‍कायतकर्ता को यदि‍ बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी जो बैंक की सहायक संस्था है, से संतोषप्रद प्रति‍साद नहीं मि‍लता है तो उसके पास अपनी शि‍कायत के नि‍वारण के लि‍ए संबंधि‍त बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय में जाने का वि‍कल्प होगा। बैंक की गलती के कारण और समय पर शि‍कायत का नि‍वारण न होने के कारण शि‍कायतकर्ता को जो समय की हानि‍, व्यय, वि‍त्तीय हानि‍ तथा परेशानी और मानसि‍क संत्रास भुगतना पड़ा उसकी भरपाई करने के लि‍ए बैंक /गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी जो बैंक की सहायक संस्था है, बाध्य होगी ।

13. आंतरि‍क नि‍यंत्रण और नि‍गरानी प्रणाली

बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी में ग्राहक सेवा की गुणवत्ता नि‍रंतर आधार पर सुनि‍श्चि‍त की जाती है, यह सुनि‍श्चि‍त करने की दृष्टि‍ से प्रत्येक बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी में ग्राहक सेवा से संबंधि‍त स्थायी समि‍ति‍ को क्रेडि‍ट कार्ड के परिचालनों, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत ऋण सूचना कंपनी, जिसका बैंक/एनबीएफसी सदस्य है, को प्रस्तुत चूककर्ता की रि‍पोर्टों तथा क्रेडि‍ट कार्ड से संबंधि‍त शि‍कायतों की समीक्षा मासि‍क आधार पर करनी चाहिए और सेवा में सुधार हेतु तथा क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालन में व्यवस्थि‍त वृद्धि‍ सुनि‍श्चि‍त करने के लिए कदम उठाने चाहिए। बैंकों को क्रेडि‍ट कार्ड से संबंधि‍त शि‍कायतों का ब्योरेवार ति‍माही वि‍श्लेषण अपने वरि‍ष्ठ प्रबंधतंत्र को प्रस्तुत करना चाहि‍ए। मर्चेंट लेनदेनों की सत्यता की नमूना जाँच करने के लि‍ए कार्ड जारीकर्ता बैंक में एक उपयुक्त नि‍गरानी प्रणाली होनी चाहि‍ए। बैंकों को अर्धवार्षिक आधार पर प्रत्येक लेखा वर्ष के सितम्बर और मार्च के अंत की स्थिति के लिए क्रेडिट कार्ड कारोबार पर एक व्यापक समीक्षा रिपोर्ट अपने बोर्ड/प्रबंधन समिति के समक्ष करनी चाहिए, जिसमें क्रेडिट कार्ड कारोबार के आंकड़े, जैसे श्रेणी और जारी किए गए कार्डों की संख्या, न जारी किए गए कार्डों की संख्या, सक्रिय कार्ड, प्रति कार्ड औसत कारोबार, किए गए प्रतिष्ठानों की संख्या, देय राशि की वसूली के लिए गया औसत समय, गैर-निष्पादक के रूप में वर्गीकृत ऋण और उसके लिए किया गया प्रावधान या बट्टे खाते में डाली गयी राशि, क्रेडिट कार्ड पर हुई धोखाधड़ी का विवरण, देय राशि वसूल करने के लिए किए गए उपाय, व्यवसाय की लाभप्रदता का विश्लेषण आदि शामिल हो।

14. धोखाधड़ी पर नि‍यंत्रण – सुरक्षा और अन्य उपाय

14.1 बैंकों /गैर- बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को चाहि‍ए कि‍ वे धोखाधड़ी से नि‍पटने के लि‍ए आंतरि‍क नि‍यंत्रण प्रणाली स्थापि‍त करें और बैंकों को धोखाधड़ी नि‍वारक समि‍ति‍यों/ टास्क फोर्स में सक्रि‍य रूप से भाग लें, ये समि‍ति‍यां /टास्क फोर्स धोखाधड़ी रोकने और धोखाधड़ी नि‍यंत्रण तथा कार्यान्वयन संबंधी पूर्वयोजि‍त उपाय करने के लि‍ए कानून बनाती हैं ।

14.2 खोये हुए/चुराये गये कार्डों के दुरुपयोग के मामलों को कम करने की दृष्टि‍ से बैंकों / गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनि‍यों को यह सि‍फारि‍श की जाती है कि‍ वे (i) कार्डधारक की फोटो के साथ (ii) वैयक्ति‍क पहचान संख्या (पीआइएन) सहि‍त कार्ड (iii) लैमि‍नेटेड हस्ताक्षर वाले कार्ड अथवा समय-समय पर आनेवाली कोई अन्य उन्नत पद्धति‍यों सहि‍त कार्ड जारी करने पर वि‍चार करें।

14.3 डीपीएसएस द्वारा समय समय पर जारी किए गए दिशा निर्देशों के अंतर्गत बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि ईलेक्ट्रानिक लेनदेनों के लिए विभिन्न सुरक्षा और जोखिम को कम करने के उपाय करे।

14.4 बैंकों को यह सूचि‍त कि‍या जाता है कि‍ वे ग्राहक से कार्ड खो जाने की सूचना मि‍लने पर तत्काल खोये हुए कार्ड को ब्लॉक कर दें और यदि‍ एफआइआर दर्ज करने सहि‍त कोई औपचारि‍कताएं हों, तो उचि‍त समयावधि‍ में उन्हें पूरा कि‍या जाए।

14.5 ग्राहक के वि‍कल्प पर बैंक खोये हुए कार्डों से उत्पन्न देयताओं के लि‍ए बीमा कवर आरंभ करने पर वि‍चार कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, केवल उन्हीं कार्डधारकों को खोये हुए कार्डों के संबंध में उचि‍त बीमा कवर प्रदान कि‍या जाना चाहि‍ए जो प्रीमि‍यम की लागत वहन करने के लि‍ए तैयार हैं।

15. दंड लगाने का अधि‍कार

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक इन दि‍शानि‍र्देशों में से कि‍सी के भी उल्लंघन के लि‍ए क्रमश: बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949/भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 के तहत कि‍सी बैंक/गैर-बैंकिंग वि‍त्तीय कंपनी पर दंड लगाने का अधि‍कार रखता है ।

II. बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड जारी करना

1. प्रस्तावना

बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड दिनांक 12 नवंबर 1999 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.123/24.01.019/99-2000 में दिए गए दिशानिर्देशों तथा परवर्ती संशोधनों एवं मेल-बॉक्‍स स्‍पष्‍टीकरणों के अनुसार जारी किए जाते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस) ने भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (पीएसएसए) पारित होने के बाद डेबिट कार्ड के कुछ पहलुओं जैसे सुरक्षा तथा जोखिम शमन, घरेलू डेबिट, प्री-पेड तथा क्रेडिट कार्डों के बीच परस्‍पर निधियां अंतरित करना तथा मर्चेंट डिस्काउंट दरों के संबंध में भी अनुदेश जारी किए हैं। उक्‍त के मद्देनजर तथा हमारे पूर्व अनुदेशों के अधिक्रमण में डेबिट कार्ड पर व्‍यापक अनुदेश जारी किए गए ।

बैंक निम्नलिखित के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन लिए बिना संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार को-ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित डेबिट कार्ड जारी करना सुनिश्चित करें।

2. बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति

बैंक अपने बोर्ड के अनुमोदन से को-ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित डेबिट कार्ड जारी करने की एक व्यापक नीति बना सकते हैं तथा इस नीति के अनुसार अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी कर सकते हैं। डेबिट कार्ड बचत खाता/चालू खाता धारक ग्राहकों को जारी किए जाने चाहिए, नकदी ऋण/ऋण खाता धारकों को नहीं।

3. डेबिट कार्डों के प्रकार

बैंक को–ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित केवल ऐसे ऑन-लाईन डेबिट कार्ड ही जारी कर सकते हैं जिनमें ग्राहकों के खाते से तुरंत डेबिट होता है और जिनमें स्‍ट्रेट थ्रू प्रसंस्‍करण होता है।

4. ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड

अब से बैंकों को ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड जारी करने की अनुमति नहीं है। जो बैंक वर्तमान में ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड जारी कर रहे हैं वे अपने ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड परिचालनों की समीक्षा करें और इस परिपत्र की तिथि से 6 माह की अवधि के भीतर ऐसे कार्डों का परिचालन बंद कर दें। तथापि बैंक यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों को ऑन-लाईन डेबिट कार्ड अपनाए जाने के बारे में समुचित रूप से सूचित किया जाता है। ऑफ-लाईन डेबिट कार्डों के निर्गमन तथा परिचालन को बंद करने संबंधी समीक्षा तथा पुष्टि मुख्‍य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग,केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400001 को प्रेषित की जानी चाहिए। तथापि ऑफ-लाईन कार्डों को बंद किए जाने तक कार्डों में संचित बकाया शेष/खर्च न किए गए शेष आरक्षित अपेक्षाओं की गणना के अधीन होंगी।

5. अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वि‍त्तपोषण का प्रति‍रोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्‍तरदायित्‍व का अनुपालन

केवाईसी/एएमएल/सीएफटी के संबंध में बैंकों पर लागू भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी होने वाले अनुदेशों/दिशानिर्देशों का को-ब्रैंडेड डेबिट कार्डों सहित सभी जारी किए गए कार्डों के संबंध में पालन किया जाए।

6. बैलेंस पर ब्‍याज का भुगतान

ब्‍याज का भुगतान समय-समय पर जारी होने वाले ब्‍याज दर संबंधी निदेशों के अनुसार होना चाहिए।

7. ग्राहकों को कार्ड जारी करने के लिए नियम एवं शर्तें

i) कोई भी बैंक किसी ग्राहक को बिना मांगे कार्ड प्रेषित नहीं करेगा, सिवाय ऐसे मामले के जिसमें कार्ड ग्राहक द्वारा पहले से धारित किसी कार्ड के एवज में हो।

ii) बैंक तथा कार्डधारक का संबद्ध संविदात्‍मक होगा।

iii) प्रत्‍येक बैंक कार्ड धारकों को लिखित रूप में संविदात्‍मक नियमों एवं शर्तों का एक सेट उपलब्‍ध कराएगा जो ऐसे कार्डों के जारी करने एवं उनके प्रयोग पर लागू होगा। इन शर्तों में संबंधित पक्षों के हितों के संबंध में उचित संतुलन बरता जाएगा।

iv) शर्तें स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यक्‍त की जाएंगी।

v) शर्तों में विभिन्न प्रभारों के आधार को विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा, लेकिन किसी समय लगने वाले प्रभारों की राशि विनिर्दिष्‍ट करना जरूरी नहीं है।

vi) शर्तों में उस अवधि को विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा जिसके भीतर सामान्‍य तौर पर कार्ड धारक के खाते से डेबिट किया जाएगा।

vii) बैंक शर्तों में बदलाव कर सकता है, लेकिन परिवर्तन की पर्याप्‍त अग्रिम सूचना कार्डधारक को दी जाएगी ताकि यदि वह चाहे तो संविदा से संबंध-विच्‍छेद कर सके। ऐसी अवधि विनिर्दिष्‍ट की जाएगी जिसके समाप्‍त होने के बाद यह मान लिया जाएगा कि कार्डधारक ने शर्तें स्‍वीकार कर ली हैं यदि उस विनिर्दिष्‍ट अवधि के दौरान उसने संविदा से संबंध-विच्‍छेद नहीं कर लिया है तो।

viii) (क) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह कार्ड तथा उन साधनों (जैसे कि पिन या कोड) जिनसे कार्ड का परिचालन संभव होता है, को सुरक्षित रखने के लिए सभी समुचित उपाय करेगा।

(ख) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह पिन या कोड को किसी भी रूप में रिकार्ड न करे ताकि ऐसे रिकार्ड तक ईमानदारी या बेईमानी से किसी तृतीय पक्ष की पहुँच हो जाए तो उसे पिन या कोड ज्ञात हो सकता है।

(ग) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह निम्नलिखित के संबंध में जानकारी मिलते ही अविलंब बैंक को सूचित करेगा:

  • कार्ड के खो जाने, चोरी होने या उसकी नकल बनाए जाने या अन्‍य साधनों से उसका दुरुपयोग होने पर,

  • कार्डधारक के खाते में किसी अनधिकृत लेनदेन दर्ज होने पर,

  • बैंक द्वारा उस खाते के परिचालन में किसी प्रकार की त्रुटि या अनियमितता होने पर।

(घ) इन शर्तों में ऐसे संपर्क केंद्र को विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा जहां ऐसी सूचना दी जा सके। ऐसी सूचना दिन या रात में किसी भी समय दी जा सकेगी।

ix) इन शर्तों में यह विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा कि पिन या कोड जारी करते समय बैंक सावधानी बरतेगा तथा कार्डधारक के पिन या कोड को कार्डधारक के अतिरिक्‍त किसी अन्‍य को न प्रकट करने के लिए बाध्‍य होगा।

x) इन शर्तों में यह विनिर्दिष्‍ट किया जाएगा कि किसी कार्डधारक को किसी प्रणालीगत खराबी के कारण हुई प्रत्‍यक्ष हानि के लिए, जो बैंक के प्रत्‍यक्ष नियंत्रण में हो, बैंक उत्‍तरदायी होगा। तथापि, भुगतान प्रणाली के तकनीकी रूप से खराब हो जाने के कारण हुई किसी क्षति के लिए बैंक को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जाएगा यदि प्रणाली के खराब होने की जानकारी उपकरण के डिसप्ले पर किसी संदेश द्वारा या किसी अन्य माध्यम से कार्डधारक को दी गयी हो। लेनदेन पूरा न होने या गलत लेनदेन होने की स्थिति में बैंक की जिम्‍मेदारी शर्तों पर लागू होने वाले कानून के प्रावधानों के अधीन मूलधन राशि तथा नुकसान हुए ब्‍याज तक सीमित है।

8. नकदी आहरण

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व प्राधिकार प्राप्‍त किए बिना किसी भी सुविधा के अंतर्गत बिक्री स्थल (पीओएस) पर डेबिट कार्डों के माध्‍यम से किसी प्रकार के नकदी लेनदेन की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए।

9. सुरक्षा तथा अन्‍य पहलू

i) बैंक डेबिट कार्ड की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। डेबिट कार्डकी सुरक्षा की जिम्‍मेदारी बैंक की होगी तथा सुरक्षा में चूक होने या सुरक्षा प्रणाली के फेल होने के कारण किसी पक्ष को होनेवाली हानि का वहन बैंक को करना होगा।

ii) परिचालनों को ढूंढ़ा जा सके तथा त्रुटियों में सुधार किया जा सके इसके लिए (कालबाधित मामलों के लिए लॉ ऑफ लिमिटेशन को ध्‍यान में रखते हुए) बैंक पर्याप्‍त समयावधि तक आंतरिक अभिलेखों को बनाए रखेंगे।

iii) कार्डधारक को लेनदेन पूरा करने के बाद रसीद के रूप में तुरंत या समुचित समयावधि के भीतर पारंपरिक बैंक विवरणी जैसे किसी अन्‍य रूप में लेनदेन का लिखित रिकार्ड उपलब्‍ध कराया जाएगा।

iv) कार्डधारक कार्ड के खोने, चोरी होने या उसकी नकल बनाए जाने की सूचना बैंक को देने तक हुई हानि का वहन करेगा, किन्तु केवल एक निश्चित सीमा (जिस पर बैंक तथा कार्डधारक के बीच पहले से ही लेनदेन के प्रतिशत या एक निश्चित राशि के रूप में समझौता हुआ होगा) तक ही करेगा सिवाय ऐसे मामले को छोड़कर जहां कार्डधारक ने कपटपूर्ण रीति से, जानबूझकर या अत्‍यधिक लापरवाही से कार्य किया हो।

v) प्रत्‍येक बैंक ऐसे साधन मुहैया कराएगा जिनसे ग्राहक दिन या रात के किसी भी समय अपने भुगतान साधनों के खोने, चोरी हो जाने या उसकी नकल बनाए जाने के संबंध में सूचना दे सके।

vi) कार्ड के खोने, चोरी हो जाने या उसकी नकल बनाए जाने के संबंध में सूचना प्राप्‍त होने पर बैंक ऐसी सभी संभव कार्रवाइयां करेगा जिनसे कार्ड का आगे प्रयोग किया जा सके।

vii) खो गए/चोरी हो जाने वाले कार्डों के दुरुपयोग की घटनाओं में कमी लाने की दृष्टि से, बैंक कार्डधारक के फोटो के साथ या समय-समय पर विकसित होने वाली किसी अन्‍य उन्‍नत युक्तियों का प्रयोग करके कार्ड जारी करने पर विचार कर सकते हैं।

10. डीपीएसएस के अनुदेशों का पालन

एक भुगतान प्रणाली के रूप में डेबिट कार्डों का निर्गम, नकदी आहरण, इंटरनैशनल डेबिट कार्ड जारी करना,सुरक्षा मुद्दों तथा जोखिम कम करने के उपायों, एक कार्ड से दूसरे कार्ड पर निधियों के अंतरण, व्‍यापारियों द्वारा प्रदत्‍त छूट की दरों की संरचना, असफल एटीएम लेनदेन इत्‍यादि, पर दिशानिर्देश, समय-समय पर यथासंशोधित भुगतान एवं निपटान अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग द्वारा जारी संबंधित दिशानिर्देशों के अधीन होगा।

11. अंतरराष्‍ट्रीय डेबिट कार्ड जारी करना

अंतरराष्‍ट्रीय डेबिट कार्ड का जारी किया जाना समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम 1999 के अंतर्गत जारी निदेशों के अधीन होगा।

12. परिचालनों की समीक्षा

बैंकों को छमाही आधार पर अपने डेबिट कार्ड निर्गम/ परिचालन करने की समीक्षा करनी चाहिए। समीक्षा में अन्‍य बातों के साथ-साथ अंतर्निहित जोखिमों की दृष्टि से लंबी अवधियों के लिए प्रयोग में न लाए गए कार्डों सहित कार्ड के प्रयोग से संबंधित विश्‍लेषण शामिल होना चाहिए।

13. रिपोर्टिंग अपेक्षाएं

परा बैंकिंग गतिविधियों पर मास्‍टर परिपत्र के पैरा 14.1 के अंतर्गत यह अपेक्षित था कि बैंकों द्वारा जारी स्‍मार्ट/डेबिट कार्डों के परिचालन संबंधी रिपोर्ट का छमाही आधार पर भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग को प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए और इसकी एक प्रति बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्‍तुत की जानी चाहिए जिसके न्‍याय क्षेत्र में उस बैंक का प्रधान कार्यालय स्थित है। यह अपेक्षा 12 दिसंबर 2012 से समाप्‍त की गयी।

14. शिकायतों का निवारण

बैंक ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करने के लिए एक सुदृढ़ प्रणाली की स्‍थापना सुनिश्चित करें। बैंक की शिकायत निवारण प्रक्रिया और शिकायतों पर कार्रवाई शुरू करने हेतु निर्धारित समय-सीमा की जानकारी बैंक की वेबसाइट में दी जाए। वेबसाइट पर महत्‍वपूर्ण कार्यपालकों तथा बैंक के शिकायत निवारण अधिकारी के नाम, पदनाम, पता और संपर्क हेतु दूरभाष सं. दर्शायी जाए। अनुवर्ती कार्रवाई करने के लिए ग्राहकों की शिकायतों के लिए प्राप्ति-सूचना जैसे कि शिकायत संख्‍या/डाकेट संख्‍या देने की प्रणाली होनी चाहिए चाहे शिकायतें फोन से ही क्‍यों न प्राप्‍त हुई हों। यदि किसी शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज करने की तिथि से अधिकतम (30) दिनों के भीतर बैंक से संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं प्राप्‍त होती है, तो उसके पास अपनी शिकायतों के निवारण के लिए संबंधित बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय से संपर्क करने का विकल्‍प होगा। इस संबंध में असफल एटीएम लेनदेनों के समाधान के लिए समय-सीमा के संबंध में समय-समय पर यथासंशोधित डीपीएसएस के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

15. को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था

बैंकों द्वारा जारी किए गए को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड उक्‍त के साथ-साथ निम्‍नलिखित नियमों एवं शर्तों के अधीन होंगेः

15.1 बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति

को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति के अनुसार होनी चाहिए। इस नीति में विनिर्दिष्‍ट रूप से, प्रतिष्‍ठा संबंधी जोखिम सहित, इस प्रकार की व्‍यवस्‍था से जुड़े विभिन्‍न जोखिमों से संबंधित मुद्दों के समाधान तथा जोखिम कम करने हेतु उपयुक्‍त उपायों का उल्लेख होना चाहिए।

15.2 पर्याप्‍त सावधानी

बैंकों को चाहिए कि ऐसे कार्ड जारी करने के लिए वे जिन गैर-बैंकिंग कंपनियों से गठबंधन करने के इच्‍छुक हों, उन कंपनियों के संबंध में पर्याप्‍त सावधानी बरतें, ताकि ऐसी व्‍यवस्‍था के कारण उत्‍पन्‍न होने वाले प्रतिष्‍ठा संबंधी जोखिम से वे स्‍वयं को सुरक्षित कर सकें। किसी वित्‍तीय संस्‍था से गठबंधन प्रस्‍तावित होने पर बैंक यह सुनिश्चित करें कि उस संस्‍था को उसके विनियामक से इस तरह का गठबंधन करने के लिए अनुमोदन प्राप्‍त है।

15.3 कार्यों/गतिविधियों की आउट सोर्सिंग

कार्ड जारी करने वाला बैंक को-ब्रांडिंग पार्टनर के सभी कृत्‍यों के लिए उत्‍तरदायी होगा। बैंक ‘बैंकों द्वारा वित्‍तीय सेवाओं की आउट-सोर्सिंग में आचरण संहिता तथा जोखिम का प्रबंधन’ पर समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 3 नवंबर 2006 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.40/21.04.158/2006-07 में दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

15.4 गैर-बैंक संस्‍था की भूमिका

गठबंधन व्‍यवस्‍था के अंतर्गत गैर-बैंक संस्‍था की भूमिका कार्डों के विपणन/वितरण तक या दी जाने वाली वस्‍तुओं/सेवाओं की उपलब्‍धता कार्डधारक को प्रदान करने तक ही सीमित होनी चाहिए।

16. ग्राहक सूचना की गोपनीयता

कार्ड जारी करने वाले बैंक को खाता खोलते या कार्ड जारी करते समय प्राप्‍त की गई ग्राहक से संबंधित किसी सूचना को प्रकट नहीं करना चाहिए तथा को-ब्रांडिंग गैर-बैंकिंग संस्‍था को ग्राहक के खातों के ऐसे किन्‍हीं ब्‍यौरों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए जिससे बैंक की गोपनीयता के उत्‍तरदायित्‍वों का उल्‍लंघन हो सकता हो।

जिन बैंकों को अतीत में को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड जारी करने के लिए विनिर्दिष्‍ट अनुमोदन प्रदान किए गए हैं उन्‍हें सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था उपर्युक्त अनुदेशों के अनुरूप है। यदि को-ब्रांडिंग व्यवस्था दो बैंकों के बीच है, तो कार्ड जारीकर्ता बैंक उक्‍त शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करे।

17. अवांछित वाणिज्यिक संवाद

जैसा कि पैरा I 7.4 में बताया गया है, अवांछित वाणिज्यिक संवाद – राष्‍ट्रीय ग्राहक अधिमान पंजिका (एनसीपीआर) पर जारी दिशानिर्देश का पालन करते समय बैंक यह सुनिश्चित करें कि ट्राई (टीआरएआई) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी नि‍र्देशों/ वि‍नि‍यमों का अनुपालन करेने वाले टेलीमार्केटर्स को ही नियुक्त किया जाता हैं।

III. रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्रांडेड प्री-पेड कार्ड जारी करना

1. प्रस्तावना

हमारे 12 नवंबर 1999 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.123/24.01.019/99-2000, 18 जून 2001 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.133/24.01.019/2000-01 और 11 अप्रैल 2002 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.88/24.01.019/2001-02 में निहित अनुदेशों के अनुसार बैंकों को स्‍मार्ट कार्ड जारी करने की अनुमति दी गयी थी। जबकि विदेशी मुद्रा में मूल्‍यवर्गित प्री-पेड कार्ड का जारी किया जाना, को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍थाओं सहित, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी दिशानिर्देशों के अधीन होगा। रुपए में मूल्‍यवर्गित प्री-पेड भुगतान लिखत जारी करना, 13 मई 2014 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.2366/02.14.006/2013-14 के माध्यम से भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के अंतर्गत जारी ‟भारत में प्रीपेड भुगतान लिखतों का निर्गम व परिचालन- समेकित संशोधित नीति दिशानिर्देश” के अधीन है। के अधीन है।

तदनुसार, स्मार्ट कार्ड जारी करने पर पूर्व दिशा निर्देशों के अधिक्रमण में यह निर्णय लिया गया कि भारत में रुपया मूल्यवर्गित को- ब्रांडेड प्री-पेड कार्ड जारी करने के लिए निम्नलिखित नियमों और शर्तों के अधीन बैंकों को सामान्य अनुमति प्रदान की जाए।

2. बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति

को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति के अनुसार होनी चाहिए। इस नीति में विनिर्दिष्‍ट रूप से, प्रतिष्‍ठा संबंधी जोखिम सहित, इस प्रकार की व्‍यवस्‍था से जुड़े विभिन्‍न जोखिमों से संबंधित मुद्दों के समाधान तथा जोखिम कम करने हेतु उपयुक्‍त उपायों का उल्लेख होना चाहिए।

3. पर्याप्‍त सावधानी

बैंकों को चाहिए कि ऐसे कार्ड जारी करने के लिए वे जिन गैर-बैंकिंग कंपनियों से गठबंधन करने के इच्‍छुक हों, उन कंपनियों के संबंध में पर्याप्‍त सावधानी बरतें, ताकि ऐसी व्‍यवस्‍था के कारण उत्‍पन्‍न होने वाले प्रतिष्‍ठा संबंधी जोखिम से वे स्‍वयं को सुरक्षित कर सकें। किसी वित्‍तीय संस्‍था से गठबंधन प्रस्‍तावित होने पर ऐसी व्यवस्था करने से पूर्व बैंक यह सुनिश्चित करें कि उस संस्‍था को उसके विनियामक से इस तरह का गठबंधन करने के लिए अनुमोदन प्राप्‍त है।

4. कार्यों/गतिविधियों की आउट सोर्सिंग

कार्ड जारी करने वाला बैंक को-ब्रांडिंग पार्टनर के सभी कृत्‍यों के लिए उत्‍तरदायी होगा। बैंक ‘बैंकों द्वारा वित्‍तीय सेवाओं की आउट-सोर्सिंग में आचरण संहिता तथा जोखिम का प्रबंधन’ पर समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 3 नवंबर 2006 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.40/21.04.158/2006-07 में दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

5. गैर-बैंक संस्‍था की भूमिका

गठबंधन व्‍यवस्‍था के अंतर्गत गैर-बैंक संस्‍था की भूमिका कार्डों के विपणन/वितरण तक या दी जाने वाली वस्‍तुओं/सेवाओं की उपलब्‍धता कार्डधारक को प्रदान करने तक ही सीमित होनी चाहिए।

6. अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक आतंकवाद के वि‍त्तपोषण का प्रति‍रोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्‍तरदायित्‍व का अनुपालन

समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए केवाईसी एएमएल सीएफटी पर बैंकों पर लागू होने वाले अनुदेशों/दिशानिर्देशों का अनुपालन को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था के अंतर्गत जारी किए गए सभी कार्डों के संबंध में किया जाना चाहिए।

7. ग्राहक सूचना की गोपनीयता

कार्ड जारी करने वाले बैंक को खाता खोलते या कार्ड जारी करते समय प्राप्‍त की गई ग्राहक से संबंधित किसी सूचना को प्रकट नहीं करना चाहिए तथा को-ब्रांडिंग गैर-बैंकिंग संस्‍था को ग्राहक के खातों के ऐसे किन्‍हीं ब्‍यौरों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए जिससे बैंक की गोपनीयता के उत्‍तरदायित्‍वों का उल्‍लंघन हो सकता हो।

8. ब्‍याज का भुगतान

प्री-पेड भुगतान कार्डों को अंतरित किए गए शेष पर कोई ब्‍याज न दिया जाए।

9. भारत में प्री-पेड लिखतों को जारी करने तथा उनका परिचालन करने से संबंधित भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस) के दिशानिर्देशों का अनुपालन

यह व्‍यवस्‍था भारत में प्री-पेड लिखतों, जिनमें प्री-पेड कार्ड शामिल हैं, को जारी करने तथा उनका परिचालन करने के संबंध में डीपीएसएस द्वारा जारी अनुदेशों का अनुपालन/ अनुसरण किए जाने के अधीन होगी।

जिन बैंकों को अतीत में रुपये में मूल्‍यवर्गित को-ब्रांडेड प्री-पेड कार्डों को जारी करने के लिए विनिर्दिष्‍ट अनुमोदन दिये गये हैं, उन्‍हें यह सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया जाता है कि को-ब्रांडिंग व्‍यवस्‍था उपरोक्‍त अनुदेशों के अनुसार होनी चाहिए।

10. अवांछित वाणिज्यिक संवाद

जैसा कि पैरा I 7.4 में बताया गया है, अवांछित वाणिज्यिक संवाद – राष्‍ट्रीय ग्राहक अधिमान पंजिका (एनसीपीआर) पर जारी दिशानिर्देश का पालन करते समय बैंक यह सुनिश्चित करें कि ट्राई (टीआरएआई) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी नि‍र्देशों/ वि‍नि‍यमों का अनुपालन करेने वाले टेलीमार्केटर्स को ही नियुक्त किया जाता हैं।


अनुबंध

1. अत्यधि‍क महत्वपूर्ण शर्तें (एमआइटीसी)

(क) फीस एवं प्रभार

(i) प्राथमि‍क कार्डधारक तथा अति‍रि‍क्त जोड़े गये (एड-ऑन) कार्ड धारक के लि‍ए सदस्य बनने की फीस

(ii) प्राथमि‍क कार्डधारक तथा अति‍रि‍क्त जोड़े गये (एड-ऑन) कार्ड धारक के लि‍ए वार्षि‍क सदस्यता फीस

(iii) नकद अग्रि‍म फीस

(iv) कुछ लेन-देनों के लि‍ए लगाये जानेवाले सेवा प्रभार

(v) ब्याज रहि‍त (अनुग्रह) अवधि‍ - उदाहरणों के साथ बतायी जाए

(vi) परि‍क्रामी ऋण (रि‍वाल्विंग क्रेडि‍ट) तथा नकद अग्रि‍मों दोनों के लि‍ए वि‍त्त प्रभार

(vii) अति‍देय ब्याज प्रभार - मासि‍क और वार्षि‍क आधार पर देना होगा

(viii) चूक के मामलों में प्रभार

(ख) आहरण सीमाएं

(i) ऋण सीमा

(ii) उपलब्ध ऋण सीमा

(iii) नकद आहरण सीमा

(ग) बि‍लिंग

(i) बि‍लिंग वि‍वरण - आवधि‍कता एवं प्रेषण का जरि‍या

(ii) न्यूनतम देय राशि

(iii) भुगतान की वि‍धि

(iv) बि‍लिंग संबंधी वि‍वादों का समाधान

(v) कार्ड जारीकर्ता के 24 घंटे काम करनेवाले कॉल सेंटरों के संपर्क वि‍वरण

(vi) शि‍कायत समाधान में वृद्धि‍ - जि‍स अधि‍कारी से संपर्क कि‍या जाए उससे संपर्क करने के संपूर्ण वि‍वरण

(vii) कार्ड जारी करनेवाले बैंक का पूरा डाक पता

(viii) उपभोक्ता सेवाओं के लि‍ए टोल-फ्री नंबर

(घ) चूक और परि‍स्थि‍ति‍यां

(i) नोटि‍स अवधि‍ सहि‍त वह प्रक्रि‍या जि‍समें कि‍सी कार्डधारक को चूककर्ता के रूप में रि‍पोर्ट कि‍या जाता है

(ii) चूक-रि‍पोर्ट वापस लेने के लि‍ए प्रक्रि‍या तथा वह अवधि‍ जि‍समें देय राशि‍यों के नि‍पटारे के बाद चूक-रि‍पोर्ट वापस ली जाएगी ।

(iii) चूक के मामलों में वसूली की प्रक्रि‍या

(iv) कार्डधारक की मृत्यु/स्थायी रूप से असक्षमता के मामले देय राशि‍यों की वसूली

(v) कार्डधारक के लि‍ए उपलब्ध बीमा कवर तथा पॉलि‍सी शुरू होने की तारीख

(ङ) कार्ड सदस्यता की समाप्ति‍/नि‍रसन

(i) कार्डघारक द्वारा कार्ड वापस करने के लि‍ए प्रक्रि‍या - उचि‍त नोटि‍स

(च) कार्ड के गुम/चोरी/दुरु पयोग होने पर

(i) कार्ड के गुम/चोरी/दुरुपयोग होने के मामले में अपनाई जानेवाली प्रक्रि‍या - कार्ड जारीकर्ता को सूचि‍त करने का प्रकार

(ii) उपर्युक्त (i) के मामले में कार्डधारक का दायि‍त्व

(छ) प्रकटीकरण

कार्डधारक से संबंधि‍त सूचना का प्रकार जो कार्डधारक के अनुमोदन से या अनुमोदन बगैर प्रकट करनी है ।

2. एमआइटीसी का प्रकटीकरण - वि‍भि‍न्न चरणों में प्रकट की जानेवाली मदें

i) मार्केटिंग के दौरान - मद संख्या : क

ii) आवेदन के समय - मद संख्या : क से छ तक सभी मदें

iii) स्वागत कि‍ट - मद संख्या : क से छ तक सभी मदें

iv) बि‍लिंग के समय - मद संख्या : क, ख एवं ग

v) नि‍रंतर आधार पर, शर्तों में हुए कोई भी परि‍वर्तन

नोट :

(i) एमआइटीसी का फांट साइज़ कम-से-कम एरि‍यल - 12 होना चाहि‍ए

(ii) कार्ड जारीकर्ता द्वारा कार्डधारकों को वि‍भि‍न्न स्तरों पर सूचि‍त की जानेवाली शर्तें पहले की तरह ही रहेंगी ।


परि‍शि‍ष्ट

मास्टर परि‍पत्र में समेकि‍त परि‍पत्रों की सूची

क्र.सं. परि‍पत्र सं. दि‍नांक वि‍षय
1. बैंपविवि.सं.एफएसडी.बीसी.30/24.01.001/2013-14 15 जुलाई 2013 अवांछित वाणिज्यिक संवाद – राष्‍ट्रीय ग्राहक अधिमान पंजिका (एनसीपीआर)
2. बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.78/24.04.048/2013-14 20 दिसंबर 2013 आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा अग्रिमों के संबंध में प्रावधानीकरण- क्रेडिट कार्ड खाते
3. डीपीएसएस.सीओ.पीडी.1462/02.14.003/2012-13 28 फरवरी 2013 इलेक्ट्रानिक भुगतान लेनदेनों में सुरक्षा संबंधी और जोखिम कम करने के उपाय
4. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.67/24.01.019/2012-13 12 दिसंबर 2012 रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्रांडेड प्री- पेड/ कार्ड जारी करना
5. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.66/24.01.019/2012-13 12 दिसंबर 2012 बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड जारी करने हेतु दिशानिर्देश
6. डीपीएसएस.सीओ.पीडी.223/02.14.003/2011-12 4 अगस्त 2011 जिन लेनदेनों में कार्ड प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं, उनसे संबंधित सुरक्षा मुद्दे और जोखिम कम करने वाले उपाय
7. डीपीएसएस.सीओ.पीडी.2224/02.14.003/2010-11 29 मार्च 2011 सुरक्षा मुद्दे तथा जोखिम कम करने के उपाय – क्रेडिट/डेबिट कार्ड के प्रयोग के लिए कार्डधारकों को ऑन-लाइन अलर्ट
8. डीपीएसएस.सीओ.सं.1503/02.14.003/2010-11 31 दिसंबर 2010 कार्ड नॉट प्रेजेन्ट लेनदेन से जुड़े सुरक्षोपाय तथा जोखिम कम करने के उपाय
9. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.25/24.01.011/2010-11 09 जुलाई 2010 बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन
10. डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.147/02.14.003/2009-10 22 जुलाई 2009 पॉइंट ऑफ सेल पर नकद आहरण
11. डीपीएसएस.सं.1501/02.14.003/2008-2009 18 फरवरी 2009 बैंकों के क्रेडि‍ट/ डेबिट कार्ड लेन देन से जुड़े सुरक्षोपाय तथा जोखिम कम करने के उपाय
12 बैंपवि‍वि.सं.एफएसडी.बीसी.45/24.01.011/2008-09 17 सि‍तंबर 2008 अवांछि‍त वाणि‍ज्यि‍क संवाद - राष्ट्रीय कॉल न करें रजि‍स्ट्री
13. बैंपवि‍वि.सं.एफएसडी.बीसी.23/24.01.011/2008-09 23 जुलाई 2008 बैंकों के क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालन
14. बैंपवि‍वि.सं.एलईजी.बीसी.75/09.07.005/2007-08 24 अप्रैल 2008 बैंकों द्वारा नि‍युक्त वसूली एजेंट
15. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.35/24.01.011/2007-08 19 अक्तूबर 2007 अनचाहे वाणि‍ज्यि‍क संवाद - `कॉल न करें' की राष्ट्रीय सूची (नेशनल डू नॉट कॉल रजि‍स्ट्री)
16. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.19/24.01.011/2007-08 3 जुलाई 2007 अनचाहे वाणि‍ज्यि‍क संवाद - `कॉल न करें' की राष्ट्रीय सूची (नेशनल डू नॉट कॉल रजि‍स्ट्री)
17. बैंपवि‍वि.सं.डीआइआर.बीसी.93/13.03.00/2006-07 07 मई 2007 बैंकों द्वारा अत्यधिक ब्याज लगाए जाने के विरुद्ध शिकायतें
18. बैंपवि‍वि.सं.एलईजी.बीसी.65/09.07.005/2006-07 06 मार्च 2007 उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता संबंधी दिशानिर्देश
19. बैंपवि‍वि.एफएसडी.बीसी.सं.49/24.01.011/2005-06 21 नवंबर 2005 बैंकों के क्रेडि‍ट कार्ड परि‍चालन
20. बैंपवि‍वि.सं.एलईजी.बीसी.104/09.07.007/2002-03 5 मई 2003 उधारदाताओं के लि‍ए उचि‍त व्यवहार संहि‍ता पर दि‍शानि‍र्देश
21. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 12 मई 2001 बैंकों का क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय
22. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 30 अक्तूबर 2000 बैंकों द्वारा क्रेडिट /डेबिट कार्ड जारी करना
23. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 2 जून 1998 देशी क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय में बैंकों का प्रवेश
24. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 9 दिसंबर 1997 बैंकों का देशी क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय
25. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 7 नवंबर 1990 देशी क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय में बैंकों का प्रवेश
26. बैंपवि‍वि.सं.एफएससी.बीसी.120/24.01.011/2000-01 30 जून 1989 देशी क्रेडि‍ट कार्ड व्यवसाय में बैंकों का प्रवेश

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