भा.रि.बैंक/2022-23/92
विसविवि.जीएसएसडी.केंका.बीसी.सं.09/09.01.003/2022-23
20 जुलाई 2022
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सरकारी क्षेत्र के बैंक
निजी क्षेत्र के बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित)
महोदया / महोदय,
मास्टर परिपत्र – दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)
कृपया दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) पर दिनांक 01 अप्रैल 2021 के मास्टर परिपत्र विसविवि.जीएसएसडी.केंका.बीसी.सं.04/09.01.01/2021-22, का संदर्भ ग्रहण करें।
2. संलग्न मास्टर परिपत्र इस विषय पर अब तक जारी किए गए सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को समेकित और अद्यतन करता है और इस विषय पर पहले जारी किए गए मास्टर परिपत्रों को प्रतिस्थापित करता है।
भवदीया,
(निशा नम्बियार)
मुख्य महाप्रबंधक
मास्टर परिपत्र
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)
1. पृष्ठभूमि
ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2013 से स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) की पुनर्संरचना करते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरुआत की (रिज़र्व बैंक परिपत्र सं.आरबीआई/2012-13/559, दिनांक – 27 जून 2013)। दिनांक 29 मार्च 2016 से एनआरएलएम का नाम बदलकर डीएवाई - एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) कर दिया गया। डीएवाई – एनआरएलएम, भारत सरकार का गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की सशक्त संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से गरीबी कम करने को बढ़ावा देने, और कई वित्तीय और आजीविका सेवाओं का उपयोग कर पाने के लिए इन संस्थाओं को सक्षम बनाने संबंधी प्रमुख कार्यक्रम है। डीएवाई - एनआरएलएम में राज्यों को अपने राज्यों की विशिष्ट गरीबी निर्मूलनकार्य योजना तैयार करने के लिए सक्षम बनाने के लिए एक मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं अनुबंध I में दी गई हैं।
2. महिला स्वयं सहायता समूह और उनके फेडरेशन
2.1 डीएवाई - एनआरएलएम में समानता आधारित महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा दिया जाता है। हालांकि, केवल विकलांग व्यक्तियों और अन्य विशेष श्रेणियों जैसे बुजुर्गों और ट्रांसजेंडरों के साथ समूहों का गठन करने के मामले में, डीएवाई-एनआरएलएम में स्वयं सहायता समूहों में पुरुष और महिला दोनों शामिल हो सकते हैं।
2.2 डीएवाई - एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) 10-20 व्यक्तियों का होता है। विशेष एसएचजी जैसे दुर्गम क्षेत्रों, विकलांग व्यक्ति युक्त समूहों और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में बने समूहों के मामले में यह संख्या न्यूनतम 5 व्यक्तियों की हो सकती है।
2.3 गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशनों को उनके अपने-अपने राज्य में प्रचलित उचित अधिनियमों के तहत पंजीकृत किया जाए।
स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता
3. परिक्रामी (रिवाल्विंग) फंड
डीएवाई-एनआरएलएम, एमओआरडी, अपनी संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने और समूह के भीतर एक अच्छा ऋण इतिहास बनाने के लिए ₹10,000 - ₹15,000 प्रति एसएचजी के बीच की राशि के रूप में परिक्रामी निधि (आरएफ) सहायता प्रदान करेगा। न्यूनतम 3/6 महीने की अवधि के लिए अस्तित्व में रहने वाले एसएचजी और अच्छे एसएचजी के मानदंडों का पालन करने वाले जिन्हें 'पंचसूत्र' कहा जाता है, जैसे नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, नियमित रूप से वसूली करना और खाता बहियों का उचित रखरखाव करना, और जिन्हें पहले कोई आरएफ प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसी सहायता के लिए पात्र होंगे।
4. पूंजी सब्सिडी
डीएवाई-एनआरएलएम के तहत किसी भी एसएचजी को कोई पूंजी सब्सिडी स्वीकृत नहीं की जाएगी।
5. सामुदायिक निवेश समर्थन कोष (सीआईएफ)
एमओआरडी द्वारा सभी ब्लॉकों में डीएवाई - एनआरएलएम के तहत प्रवर्तित एसएचजी को सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा और फेडरेशनों द्वारा निरंतरता को बनाए रखने के लिए ग्राम स्तर/क्लस्टर स्तर फेडरेशनों के माध्यम से भेजा जाएगा। फेडरेशनों द्वारा उक्त सीआईएफ को स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए और / या सामान्य / सामूहिक सामाजिक - आर्थिक गतिविधियां करने के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
6. ब्याज सबवेंशन
डीएवाई-एनआरएलएम में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए ब्याज सबवेंशन का प्रावधान है। योजना की प्रमुख विशेषताएं अनुबंध II में संलग्न हैं।
7. बैंकों की भूमिका:
7.1 बचत/चालू खाते खोलना: बैंकों की भूमिका सभी एसएचजी के लिए, जिसमें विकलांग सदस्य भी शामिल हैं, और एसएचजी के फेडरेशनों के लिए खाते खोलने के साथ शुरू होगी।
(i) अपने सदस्यों के बीच बचत आदतों को बढ़ावा देने में लगे एसएचजी बचत बैंक खाते खोलने के पात्र होंगे।
(ii) एसएचजी सदस्यों से संबंधित केवाईसी सत्यापन के लिए, केवाईसी पर मास्टर निदेश (दिनांक 25 फरवरी 2016, समय-समय पर अद्यतन) के निर्देशों का पालन किया जाए।
(iii) व्यवसाय प्रतिनिधियों से संबंधित वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुपालन तथा व्यवसाय प्रतिनिधियों पर बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार बैंकों द्वारा तैनात व्यवसाय प्रतिनिधियों को भी एसएचजी के बचत बैंक खाते खोलने हेतु प्राधिकृत किया जा सकता है।
(iv) बैंक के साथ सभी सदस्यों के बचत खाते खोलना, एसएचजी के क्रेडिट लिंकेज हेतु एक शर्त न बनाया जाए। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्वयं सहायता समूहों के लिए बचत और ऋण खातों का रख-रखाव अलग-अलग करें।
(v) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एसएचजी के फेडरेशन के बचत खाते गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर खोलें। इन खातों को ‘व्यक्तियों का संगठन’ हेतु बचत खाते के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। ऐसे खातों के हस्ताक्षरकर्ताओं हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किए गए 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) संबंधी मानदंड लागू होंगे।
(vi) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर डीएवाई-एनआरएलएम के तहत प्रवर्तित उत्पादक समूहों का चालू खाता खोलें। ऐसे खातों के हस्ताक्षरकर्ताओं हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किए गए 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) संबंधी मानदंड लागू होंगे।
7.2 एसएचजी के फेडरेशन और एसएचजी के बचत खातों/ नकदी ऋण खातों में लेन-देन:
(i) एसएचजी और उनके फेडरेशनों को अपने संबंधित बचत खातों/ नकदी ऋण खातों के माध्यम से लेन-देन करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
(ii) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऑन-अस और ऑफ-अस1 दोनों परिवेशों में ‘दोहरे प्रमाणीकरण की सुविधा’ स्थापित करें ताकि एसएचजी व्यवसाय प्रतिनिधियों द्वारा प्रबंधित खुदरा दुकानों पर संयुक्त रूप से संचालित बचत/नकद ऋण खातों में लेनदेन कर सकें। बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार व्यवसाय प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों को ऐसी सभी सेवाएँ मुहैया कराएं।
7.3 एसएचजी और उनके व्यक्तिगत सदस्यों को उधार देना:
7.3.1 ऋण का लाभ उठाने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड
(i) एसएचजी कम से कम उनके पिछले 6 महीनों की खाता बहियों के अनुसार सक्रिय रूप से अस्तित्व में होने चाहिए (न कि बचत खाता खोलने की तिथि से)।
(ii) एसएचजी ‘पंच सूत्रों’ का पालन करने वाले होने चाहिए अर्थात् नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, समय पर चुकौती करना और खाता बहियों को अद्यतन करना।
(iii) स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड द्वारा निर्धारित ग्रेडिंग मानदंडों के अनुसार अर्हता प्राप्त करनी चाहिए। जब कभी स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन अस्तित्व में आएं, बैंकों को समर्थन प्रदान करने के लिए फेडरेशन द्वारा ग्रेडिंग का कार्य किया जा सकता है।
(iv) मौजूदा अकार्यक्षम स्वयं सहायता समूह भी, यदि उन्हें पुनर्जीवित किया जाता है और वे तीन महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए सक्रिय बने रहते हैं तो, ऋण के लिए पात्र होंगे।
7.3.2. ऋण आवेदन:
(i) सभी बैंक एसएचजी को ऋण सुविधा प्रदान करने हेतु भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा तैयार किए गए सामान्य ऋण आवेदन प्रारूप का उपयोग कर सकते हैं।
(ii) बैंक डीएवाई-एनआरएलएम और क्रेडिट लिंक्ड योजनाओं के लिए राष्ट्रीय पोर्टल द्वारा विकसित प्रणाली के माध्यम से एसएचजी को ऑनलाइन ऋण आवेदन जमा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
7.3.3. ऋण राशि:
(i) डीएवाई - एनआरएलएम के तहत सहायता की कई मात्राओं पर बल दिया गया है। इससे आशय है कि एसएचजी को धारणीय आजीविका अपनाने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऋण पाने में समूह को सक्षम बनाने हेतु ऋण मात्राओं की बार-बार सहायता प्रदान करते हुए उसकी एक समयावधि तक मदद करना।
(ii) एसएचजी आवश्यकताओं के आधार पर या तो मीयादी ऋण (टीएल) या नकदी ऋण सीमा (सीसीएल) या दोनों प्राप्त कर सकते हैं। आवश्यकता के समय, एसएचजी के चुकौती व्यवहार और निष्पादन के आधार पर पहले से बकाया ऋण होने के बावजूद भी अतिरिक्त ऋण स्वीकृत किया जा सकता है।
(iii) सीसीएल के मामले में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे प्रत्येक पात्र एसएचजी को वार्षिक आहरण शक्ति (डीपी) के साथ 3 वर्ष की अवधि हेतु रु.6 लाख का न्यूनतम ऋण स्वीकृत करेंगे। एसएचजी के चुकौती निष्पादन के आधार पर आहरण शक्ति को वार्षिक तौर पर बढ़ाया जा सकता है।
आहरण शक्तिसीमा की गणना निम्नानुसार की जा सकती है:
क) प्रथम वर्ष हेतु आहरण शक्तिसीमा : मौजूदा मूल निधि का 6 गुणा या न्यूनतम ₹1.5 लाख, जो भी अधिक हो।
ख) द्वितीय वर्ष हेतु आहरण शक्तिसीमा : समीक्षा/वृद्धि के समय मौजूदा मूल निधि का 8 गुणा या न्यूनतम ₹3 लाख, जो भी अधिक हो।
ग) तृतीय वर्ष हेतु आहरण शक्तिसीमा : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन / सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर न्यूनतम ₹6 लाख।
घ) चौथे वर्ष से आहरण शक्तिसीमा : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन / सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित एमसीपी तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर ₹6 लाख से अधिक।
(iv) मीयादी ऋण के मामले में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऋण राशि की स्वीकृति मात्राओं में निम्नानुसार करेंगे:
क) प्रथम मात्रा : मौजूदा मूल निधि का 6 गुना या न्यूनतम ₹1.5 लाख, जो भी अधिक हो।
ख) द्वितीय मात्रा : मौजूदा मूल निधि का 8 गुना या न्यूनतम ₹3 लाख, जो भी अधिक हो।
ग) तृतीय मात्रा : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन / सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित एमसीपी तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर न्यूनतम ₹6 लाख।
घ) चौथी मात्रा : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन / सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित माइक्रो क्रेडिट प्लान तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर ₹6 लाख से अधिक।
(मूल निधि में उस एसएचजी द्वारा प्राप्त परिक्रामी निधि, यदि कोई हो, अपने स्वयं की बचत और एसएचजी द्वारा अपने सदस्यों को दिए गए ऋण पर अर्जित ब्याज, अन्य स्रोतों से प्राप्त आय तथा अन्य संस्थानों / गैर सरकारी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिए जाने के मामले में अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि शामिल है।)
(v) बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें कि पात्र एसएचजी को दुबारा ऋण प्रदान किया जा सके।
7.3.4 एसएचजी सदस्यों को ऋण सुविधाएं
(i) महिला एसएचजी सदस्यों को उद्यमी बनने में सुविधा प्रदान करने हेतु, बैंक अपनी ऋण नीति के अनुसार चुनिंदा परिपक्व अच्छा प्रदर्शन करने वाले एसएचजी के व्यक्तिगत सदस्यों (स्वयं सहायता समूह जो 2 वर्ष से अधिक पुराने हैं और जिन्होंने समय पर पुनर्भुगतान के साथ बैंक ऋण की कम से कम एक मात्रा प्राप्त की है) को ₹10 लाख तक का ऋण देने पर विचार कर सकते हैं। व्यक्ति एक अर्थक्षम आर्थिक उद्यम चला रहा हो। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे डीएवाई-एनआरएलएम के साथ समय-समय पर और पारस्परिक रूप से सहमत प्रारूप में महिला एसएचजी सदस्यों को व्यक्तिगत ऋण पर डेटा साझा करें।
(ii) डीएवाई-एनआरएलएम के तहत प्रत्येक एसएचजी में एक महिला को मुद्रा योजना के तहत ₹1 लाख तक का ऋण प्रदान किया जा सकता है, यदि वह अन्यथा पात्र है।
(iii) बैंकों को सूचित किया जाता है कि भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पीएमजेडीवाई खाता रखने वाली प्रत्येक महिला एसएचजी सदस्य को न्यूनतम ₹5000 की ओडी सुविधा प्रदान करें। बैंक नियमित रूप से डीएवाई-एनआरएलएम के साथ समय-समय पर और पारस्परिक रूप से सहमत प्रारूप में महिला एसएचजी के सदस्यों को ओडी सीमा पर डेटा साझा करें।
7.3.5 ऋण और चुकौती का उद्देश्य:
(i) एसएचजी द्वारा तैयार किए गए एमसीपी के आधार पर सदस्यों के मध्य ऋण राशि वितरित की जाएगी। सदस्यों द्वारा ऋण का उपयोग, सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति, उच्च लागत वाले कर्ज की अदला-बदली, मकान की मरम्मत या निर्माण, शौचालय का निर्माण तथा एसएचजी के भीतर व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा धारणीय आजीविका प्राप्त करने या एसएचजी द्वारा शुरू किए गए किसी सामूहिक अर्थक्षम गतिविधि हेतु, किया जा सकता है।
(ii) एसएचजी सदस्यों की आजीविका को बढ़ाने की दृष्टि से ऋण के उपयोग को सुगम बनाने हेतु, ₹1 लाख से ऊपर के ऋण का कम से कम 50%, ₹4 लाख से ऊपर के ऋण का 75% और ₹6 लाख से ऊपर के ऋण का कम से कम 85% का उपयोग मुख्य रूप से आय सृजन करने वाले उत्पादक उद्देश्यों के लिए किया जाए। एसएचजी द्वारा तैयार एमसीपी ऋण के उद्देश्य और उपयोग को निर्धारित करने के लिए आधार तैयार करेगा।
(iii) मीयादी ऋण हेतु चुकौती कार्यक्रम निम्नप्रकार से हो सकता है:
क) ऋण की पहली मात्रा 24 से 36 महीनों में मासिक/तिमाही किस्त में चुकाया जाएगा।
ख) ऋण की दूसरी मात्रा 36 से 48 महीनों में मासिक/तिमाही किस्त में चुकाया जाएगा।
ग) ऋण की तीसरी मात्रा 48 से 60 महीनों में नकदी प्रवाह के आधार पर मासिक/तिमाही किस्त में चुकाया जाएगा।
घ) चौथी मात्रा से 60 से 84 महीनों के बीच ऋण नकदी प्रवाह के आधार पर मासिक/तिमाही किस्त में चुकाया जाएगा।
(iv) डीएवाई-एनआरएलएम के तहत स्वीकृत सभी ऋण सुविधाएं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आस्ति वर्गीकरण मानदंडों द्वारा अधिशासित होंगी।
7.3.6 जमानत एवं मार्जिन:
(i) एसएचजी को 10 लाख रुपए तक की सीमा हेतु न कोई संपार्श्विक (कोलेटरल) और न कोई मार्जिन लिया जाएगा। एसएचजी के बचत बैंक खातों के विरुद्ध कोई धारणाधिकार नहीं लगाया जाएगा तथा ऋण मंजूरी के समय जमाराशि के लिए कोई आग्रह न किया जाए।
(ii) एसएचजी को ₹10 लाख रुपए से अधिक और ₹20 लाख तक के ऋण के लिए, कोई संपार्श्विक नहीं लिया जाना चाहिए और एसएचजी के बचत बैंक खाते के खिलाफ कोई धारणाधिकार नहीं होना चाहिए। हालाँकि, संपूर्ण ऋण (बकाया ऋण के बावजूद, भले ही वह बाद में ₹10 लाख से कम हो) माइक्रो यूनिट्स के लिए ऋण गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) के तहत कवरेज के लिए पात्र होगा।
(iii) एसएचजी को रु. 10 लाख से अधिक और रु. 20 लाख तक के ऋण के लिए, बैंकों द्वारा अनुमोदित ऋण नीति के अनुसार 10 लाख रुपये से अधिक की ऋण राशि का मार्जिन जो 10% से अधिक न हो, प्राप्त किया जा सकता है।
7.3.7 चूककर्ताओं के साथ व्यवहार:
जान-बूझकर चूक करने वालों को डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत वित्त नहीं दिया जाना चाहिए। यदि जान-बूझकर चूक करने वाले किसी समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह की ऋण गतिविधियों तथा मितव्ययिता के लाभ प्राप्त करने की अनुमति हो सकती है। हालांकि, ऋण सुविधाओं के संबंध में, ऋण का दस्तावेजीकरण करते समय ऐसे चूककर्ताओं को छोड़कर समूह को वित्तपोषित किया जा सकता है। बैंकों को एसएचजी के व्यक्तिगत सदस्यों के परिवार के सदस्यों के बैंक के चूककर्ता होने के आधार पर एसएचजी को ऋण देने से इनकार नहीं करना चाहिए। साथ ही, जान-बूझकर चूक न करने वालों को ऋण प्राप्त करने से रोकना नहीं चाहिए। यदि वास्तविक कारणों से चूक होती है, तो बैंक ऋण सुविधाओं के पुनर्संरचना के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन कर सकते हैं।
7.3.8 दस्तावेज़ीकरण और फॉलो-अप
(i) एसएचजी को प्रांतीय भाषाओं में ऋण पास-बुक या खाता विवरणी जारी की जाएं जिनमें उन्हें संवितरित ऋणों के सभी ब्योरे तथा स्वीकृत ऋण पर लागू शर्तें निहित हों। एसएचजी द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन पर पास-बुक को अद्यतन किया जाना चाहिए। ऋण के दस्तावेजीकरण तथा संवितरण के समय वित्तीय साक्षरता के एक भाग के रूप में बैंक शर्तों को स्पष्ट रूप से समझायें।
(ii) बैंक शाखाएं एक पखवाड़े में ऐसा एक दिवस तय करें जिस दिन स्टाफ फील्ड पर जा सके और एसएचजी और फेडरेशन की बैठकों में उपस्थित हो सके ताकि वे एसएचजी के कार्य देख सके तथा एसएचजी बैठकों की नियमितता और कार्य-निष्पादन की निगरानी कर सके।
8. चुकौती:
कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने हेतु ऋणों की शीघ्र चुकौती करना आवश्यक है। ऋण की वसूली सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को सभी संभव उपाय अर्थात् व्यक्तिगत संपर्क, जिला मिशन प्रबंधन इकाई (डीएमएमयू) / जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के साथ संयुक्त वसूली कैम्पों का आयोजन करना चाहिए। ऋण वसूली के महत्व के मद्देनजर बैंकों को प्रत्येक माह डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत चूक करने वाले एसएचजी की सूची तैयार करनी चाहिए और उस सूची को खंड स्तरीय बैंकर समिति (बीएलबीसी), जिला परामर्शदात्री समिति (डीएलसीसी) बैठकों में प्रस्तुत करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिला / ब्लॉक स्तर का डीएवाई -एनआरएलएम स्टाफ चुकौती शुरू करने में बैंकरों की सहायता करता है।
9. ऋण लक्ष्य योजना और योजना की निगरानी
(i) बैंक, बैंकों के संबंधित क्षेत्रीय / अंचल कार्यालयों में स्वयं सहायता समूहों के लिए कक्ष स्थापित कर सकते हैं। ये कक्ष आवधिक आधार पर स्वयं सहायता समूहों को ऋण के प्रवाह की निगरानी और समीक्षा करेंगे, इस योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे, शाखाओं से डेटा एकत्र करेंगे एवं प्रधान कार्यालय तथा जिलों और ब्लॉकों में डीएवाई-एनआरएलएम इकाइयों को समेकित डेटा उपलब्ध कराएंगे। राज्य स्टाफ और सभी बैंकों के साथ संप्रेषण को प्रभावी रखने के लिए एसएलबीसी, बीएलबीसी और डीसीसी बैठकों में नियमित रूप से इस समेकित डेटा पर चर्चा भी करनी चाहिए।
(ii) राज्य स्तरीय बैंकर समिति: एसएलबीसी एसएचजी-बैंक सहलग्नता पर एक उप-समिति गठित करें। उप-समिति में राज्य में कार्यरत सभी बैंकों, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड से सदस्य, एसआरएलएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, राज्य ग्रामीण विकास विभाग के प्रतिनिधि, सचिव - संस्थागत वित्त और विकास विभागों आदि के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए क्षमता सहबद्ध योजना/स्टेट फोकस पेपर के आधार पर, एसएचजी बैंक लिंकेज पर एसएलबीसी उप-समिति जिला-वार, ब्लॉक-वार और शाखा-वार ऋण योजना तैयार कर सकती है। उप-समिति को मौजूदा एसएचजी, प्रस्तावित नए एसएचजी और एसआरएलएम द्वारा राज्यों के लिए ऋण लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सुझाए गए नए और दोहराए गए ऋणों के लिए पात्र एसएचजी की संख्या पर विचार करना चाहिए। इस प्रकार निर्धारित लक्ष्यों को एसएलबीसी में अनुमोदित किया जाना चाहिए और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर समीक्षा और निगरानी की जानी चाहिए। उप-समिति समीक्षा के विशिष्ट एजेंडा, एसएचजी-बैंक सहलग्नता के कार्यान्वयन और निगरानी और क्रेडिट लक्ष्य प्राप्ति के मामलों / बाधाओं को लेकर चर्चा करें। एसएलबीसी के निर्णय उप-समिति की रिपोर्टों के विश्लेषण से निकाले जाने चाहिए।
(iii) जिला-वार ऋण योजनाओं को जिला परामर्शदात्री समिति (डीसीसी) को सूचित किया जाना चाहिए। ब्लॉक-वार/क्लस्टर-वार लक्ष्यों को नियंत्रकों के माध्यम से बैंक शाखाओं को सूचित किया जाना है।
(iv) जिला परामर्शदात्री समिति: डीसीसी जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी नियमित रूप से करेगा तथा उन मामलों का समाधान करेगा जो ऋण उपलब्धता में बाधक हो। इस समिति में अन्य सदस्यों के अलावा डीएवाई-एनआरएलएम का प्रतिनिधित्व करने वाले डीएमएमयू स्टाफ और एसएचजी फेडरेशन के पदधारियों को शामिल किया जाना चाहिए।
(v) ब्लॉक स्तरीय बैंकर समिति: बीएलबीसी ब्लॉक स्तर पर एसएचजी - बैंक सहलग्नता के मामलों पर विचार करेंगी। इस समिति में, एसएचजी / एसएचजी के फेडरेशनों को फोरम में अपनी बात रखने हेतु सदस्यों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। बीएलबीसी में एसएचजी ऋण की शाखा-वार स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए।
(vi) अग्रणी जिला प्रबंधकों को रिपोर्टिंग: शाखायें हर माह में डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में हुई प्रगति रिपोर्ट और अपचार रिपोर्ट अनुबंध III और IV में दिए गए फार्मेट में एलडीएम को प्रस्तुत करें जो आगे एसएलबीसी द्वारा गठित विशेष उप समिति को भेज दी जाएगी।
(vii) भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग: बैंक डीएवाई-एनआरएलएम के तहत हुई प्रगति पर राज्यवार समेकित रिपोर्ट संबंधित तिमाही की समाप्ति से एक महीने के भीतर तिमाही आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें।
(viii) लीड बैंक विवरणियां (एलबीआर): एलबीआर प्रस्तुत करने की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।
10. वित्तीय साक्षरता:
वित्तीय साक्षरता, वित्तीय व्यवहार पर जागरूकता फैलाने और परिवारों को विभिन्न वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में सूचित करने के लिए महत्वपूर्ण कार्यनीतियों में से एक है। डीएवाई-एनआरएलएम ने ग्रामीण स्तर पर वित्तीय साक्षरता शिविरों को संचालित करने के लिए वित्तीय साक्षरता समुदाय संसाधन व्यक्ति (एफएल-सीआरपी) के रूप में बड़ी संख्या में कैडर को प्रशिक्षित और तैनात किया है। विभिन्न बैंकों द्वारा स्थापित वित्तीय साक्षरता केंद्र (एफएलसी) संबंधित एसआरएलएम के साथ समन्वय कर सकते हैं तथा वित्तीय साक्षरता पर ग्राम शिविरों का संचालन करने हेतु एफएल-सीआरपी की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
11. डेटा शेयरिंग:
(i) वसूली आदि सहित विभिन्न ऋण नीतियां को शुरू करने के लिए बैंक डीएवाई-एनआरएलएम या राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (एसआरएलएम) को परस्पर स्वीकृत फार्मेट/अंतराल में डेटा उपलब्ध करायें। ऐसा डेटा सीधे सीबीएस प्लेटफॉर्म से लिया जा सकता है।
(ii) बैंक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के आंकड़ों को सहमत प्रारूपों के तहत डीएवाई-एनआरएलएम के साथ साझा करें ताकि उल्लिखित योजनाओं के तहत अधिकाधिक नामांकन और दावा निपटान सुविधाजनक हो सके।
(iii) बैंक को ग्राहक द्वारा सहमति प्राप्त करने के बाद ही पारस्परिक रूप से सहमत प्रारूप / अंतराल पर बैंकों द्वारा शुरू की गई दोहरी प्रमाणीकरण तकनीक का उपयोग करके वयवसाय प्रतिनिधि बिंदुओं पर किए जा रहे सभी एसएचजी लेनदेन से संबंधित डेटा को साझा करना चाहिए। बैंकों को बीसी के पास उपलब्ध ग्राहकों की सूचना की सुरक्षा एवं गोपनीयता की रक्षा तथा संरक्षण को सुनिश्चित करना चाहिए।
12. बैंकरों को डीएवाई - एनआरएलएम समर्थन:
(i) एसआरएलएम प्रमुख बैंकों के साथ विभिन्न स्तरों पर कार्यनीतिक भागीदारी विकसित करें। वह पारस्परिक लाभदायी संबंध के लिए बैंकों और गरीबों दोनों के लिए सक्षमता युक्त परिस्थितियां निर्मित करने में निवेश करें।
(ii) एसआरएलएम एसएचजी को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने, बचत, ऋण, बीमा, पेंशन पर परामर्शी सेवाएं देने, क्षमता निर्माण में सन्निहित माइक्रो-निवेश योजना पर प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगा।
(iii) एसआरएलएम, एसएचजी को वित्त पोषण प्रदान करने में शामिल प्रत्येक बैंक शाखा में ग्राहक सहसंबंध प्रबंधकों (बैंक मित्र/ सखी) की तैनाती द्वारा बकाया राशि की वसूली, यदि कोई हो, के अनुवर्तन सहित गरीब ग्राहकों को प्रदत्त बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हेतु, बैंकों को सहायता प्रदान करेंगे।
(iv) आईटी मोबाइल प्रौद्योगिकी और गरीब एवं युवा संस्थानों या एसएचजी सदस्यों को व्यवसाय सुविधा प्रदाता और व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में प्रोन्नत करना।
(v) समुदाय आधारित वसूली तंत्र (सीबीआरएम) : एसएचजी - बैंक सहलग्नता के लिए गांव / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर एक विशिष्ट उप-समिति बनाई जाए जो बैंकों को ऋण राशि, वसूली आदि का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगी। परियोजना स्टाफ सहित प्रत्येक गांव स्तर फेडरेशन से बैंक सहलग्नता उप-समिति के सदस्य शाखा परिसर में शाखा प्रबंधक की अध्यक्षता में बैंक सहलग्नता संबंधी एजेंडा मदों के साथ माह में एक बार बैठक करेंगे।
अनुबंध I
डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं
1. सर्वव्यापी सामाजिक जागरण: आरंभ में डीएवाई - एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक पहचाने गए ग्रामीण गरीब परिवार से कम से कम एक सदस्य, विशेषकर महिला सदस्य, को समयबद्ध ढंग से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क में लाया गया है। इसके बाद महिला और पुरूष दोनों को आजीविका संबंधी मामलों अर्थात् कृषक संगठन, दूध उत्पादक सहकारी संगठन, बुनकर संघ, आदि, का समाधान करने के लिए संगठित किया जाएगा। ये सभी संस्थाएं समावेशी हैं और इनमें किसी गरीब को वंचित नहीं रखा जाएगा। डीएवाई – एनआरएलएम, सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार कम से कम एक वंचित परिवार और स्वचालित रूप से शामिल मानदंडों के तहत सभी घरों के 100% कवरेज के अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, समाज के दुर्बल वर्गों का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करेगा जिससे कि बीपीएल परिवारों के शत-प्रतिशत कवरेज के अंतिम लक्ष्य के मद्देनजर 50 प्रतिशत लाभार्थी अजा / अजजा, 15 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक और 3 प्रतिशत लाभार्थी दिव्यांग व्यक्ति हो।
2. गरीबों की सहभागितात्मक पहचान (पीआईपी): डीएवाई-एनआरएलएम लक्षित लाभार्थियों को कवर करने के लिए एक समुदाय आधारित प्रक्रिया शुरू करेगा अर्थात लक्ष्य समूह की पहचान करने की प्रक्रिया में गरीबों की भागीदारी। सुदृढ़ पद्धतियों और साधनों (सामाजिक मैपिंग एवं तंदुरूस्ती (सुख) का श्रेणीकरण, हानि के संकेतक) पर आधारित सहभागितात्मक प्रक्रिया और स्थानीय रूप से जाने-पहचाने तथा मान्य मानदंडों में स्थानिकों का ऐसा मतैक्य रहता है, जिससे समावेशन एवं वंचन की भूलें कम हो जाती है और पारस्परिक बंधुत्व के आधार पर समूह निर्माण करना संभव हो जाता है।
एसईसीसी के अनुसार कम से कम एक वंचित मानदंड वाले पहचाने गए परिवारों सहित पीआईपी प्रोसेस के जरिए पहचाने गए परिवारों को डीएवाई - एनआरएलएम लक्ष्य समूह के रूप में स्वीकार किया जाएगा और ये उक्त कार्यक्रम के अंतर्गत सभी लाभों के पात्र होंगे। पीआईपी प्रोसेस के बाद बनी अंतिम सूची ग्राम सभा द्वारा जांची जाएगी तथा ग्राम पंचायत इसे अनुमोदित करेगी।
जब तक राज्य द्वारा पीआईपी प्रोसेस किसी विशेष जिले / ब्लॉक के लिए चलाई नहीं जाती है तब तक एसईसीसी सूची के अनुसार कम से कम एक वंचित मानदंड वाले ग्रामीण परिवार, डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत लक्षित किया जाएगा। जैसाकि डीएवाई - एनआरएलएम के कार्यान्वयन के ढांचे में पहले ही प्रावधान किया गया है, एसएचजी की कुल सदस्यता में से 30 प्रतिशत सदस्य गरीबी की रेखा के मामूली ऊपर की आबादी में से हो सकते हैं जो कि समूह के अन्य सदस्यों के अनुमोदन की शर्त के अधीन होगा। इस 30 प्रतिशत में ऐसे गरीब लोग भी शामिल होंगे जो एसईसीसी की सूची में शामिल लोगों के समान ही वास्तव में गरीब हैं, परंतु इनका नाम एसईसीसी सूची में नहीं है।
3. जन संस्थाओं को बढ़ावा: गरीबों की सुदृढ़ संस्था यथा – स्वयं सहायता समूह और उनके ग्राम स्तरीय तथा उच्च स्तरीय फेडरेशन गरीबों के लिए स्थान, भूमिका और संसाधन उपलब्ध कराना और बाहरी एजेंसियों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक हैं। वे उन्हें अधिकार संपन्न बनाते हैं तथा वे ज्ञान के साधन तथा प्रौद्योगिकी प्रसार और उत्पादन, सामूहिकीकरण और वाणिज्य के केन्द्र के रूप में भी कार्य करते हैं। अत: डीएवाई - एनआरएलएम विभिन्न स्तरों पर ऐसी संस्थाएं स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अतिरिक्त, डीएवाई - एनआरएलएम अधिक उत्पादन, हरसंभव सहायता, सूचना, ऋण, प्रौद्योगिकी, बाजार आदि उपलब्ध कराकर विशिष्ट संस्थाओं यथा – आजीविका समूहों, उत्पादन, सहकारी संघों / कंपनियों को बढ़ावा देगा। उक्त आजीविका समूह गरीबों को अपनी सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की सक्षमता प्रदान करेंगे।
4. सभी विद्यमान एसएचजी और गरीबों के फेडरेशनों को सुदृढ़ बनाना: वर्तमान में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों द्वारा निर्मित गरीब महिलाओं के संगठन मौजूद हैं। डीएवाई - एनआरएलएम सभी मौजूदा संस्थाओं को साझेदारी स्वरूप में सुदृढ़ बनाएगा। सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन दोनों में स्वयं सहायता संवर्द्धन करने वाली संस्थाएं अधिकाधिक पारदर्शिता लाने के लिए सामाजिक जबाबदेही प्रथाएं अपनायेंगी। यह एसआरएलएम और राज्य सरकारों द्वारा बनाए जाने वाले तंत्र के अतिरिक्त होगा। डीएवाई - एनआरएलएम में सीखने की प्रमुख पद्धति होगी एक-दूसरे से सीख प्राप्त करना।
5. प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और कौशल निर्माण पर बल: डीएवाई -एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि गरीबों को अपनी संस्थाओं का प्रबंधन करना, बाजार के साथ संपर्क स्थापित करना, मौजूदा आजीविका का प्रबंधन करना, उनकी ऋण उपयोग क्षमता तथा ऋण साख बढ़ाना, आदि के लिए पर्याप्त कौशल उपलब्ध कराया जाता है । लक्षित परिवारों, स्वयं सहायता समूहों, उनके फेडरेशनों, सरकारी कर्मियों, बैंकरों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य मुख्य स्टेकहोल्डरों के लिए बहु-सूत्रीय दृष्टिकोण की संकल्पना की गई है। स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों तथा 'अन्य समूहों' के क्षमता निर्माण के लिए सामुदायिक पेशेवरों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के विकास एवं उन्हें कार्य में लगाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। डीएवाई - एनआरएलएम ज्ञान-प्रसार और क्षमता निर्माण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का व्यापक उपयोग करेगा।
6. परिक्रामी निधि और सामुदायिक निवेश सहायक निधी (सीआईएफ): पात्र एसएचजी को प्रोत्साहन राशि के रूप में एक परिक्रामी निधि उपलब्ध करायी जाएगी ताकि वे बचत की आदत बना सकें तथा अपनी दीर्घकालीन ऋण आवश्यकताओं एवं उपभोग संबंधी अल्पकालीन आवश्यकताओं को सीधे पूरा करने के लिए निधियां संचित कर सकें। सीआईएफ कोष के रूप में होगा और सदस्यों की ऋण संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए और बैंक वित्त का पुन:-पुन: लाभ लेने के लिए प्रेरक पूंजी के रूप में होगा। एसएचजी को फेडरेशनों के माध्यम से सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा। गरीबी से ऊपर उठने के लिए युक्तिसंगत दरों पर वित्त की तबतक सतत एवं सहज उपलब्धता आवश्यक है जब तक कि वे बड़ी मात्रा में अपनी निधियां संचित न कर लें।
7. सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन: डीएवाई - एनआरएलएम सभी गरीब परिवारों, स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के अतिरिक्त सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन हासिल करने के लिए कार्य करेगा। डीएवाई - एनआरएलएम वित्तीय समावेशन के मांग एवं आपूर्ति दोनों पक्ष से संबंधित कार्य करेगा। मांग पक्ष की ओर यह गरीबों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा और स्वयं सहायता समूहों एवं उनके फेडरेशनों को प्रेरक पूंजी उपलब्ध कराएगा। आपूर्ति पक्ष की ओर, यह वित्तीय क्षेत्र के साथ समन्वय करेगा तथा आईसीटी आधारित वित्तीय प्रौद्योगिकियों, व्यवसाय प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरसपोन्डेंट) एवं सामुदायिक सुविधादाता यथा – 'बैंक मित्र' के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा। यह मृत्यु, स्वास्थ्य एवं परिसंपत्तियों के नष्ट होने की स्थिति में ग्रामीण गरीब के सर्वव्यापी कवरेज के लिए कार्य करेगा। साथ ही, यह विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पलायन स्थानिक है, प्रेषण से संबंधित कार्य करेगा।
8. ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराना: ग्रामीण गरीबों को कम ब्याज दर पर तथा विविध मात्रा में ऋण की आवश्यकता होती है ताकि उनके प्रयासों को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। सस्ते ऋण सुनिश्चित करने के लिए, डीएवाई-एनआरएलएम में ब्याज दरों पर सबवेंशन का प्रावधान है।
9. निधि उपलब्धता पद्धति: डीएवाई - एनआरएलएम एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है और इस कार्यक्रम का वित्तपोषण, केंद्र और राज्यों के बीच के 60:40 अनुपात (सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90:10; संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में पूर्णत: केन्द्र से) में होगा। राज्यों के लिए नियत केंद्रीय आवंटन का वितरण मोटे तौर पर राज्यों में गरीबी के अनुपात मेंहोगा।
10. चरणबद्ध कार्यान्वयन: गरीबों की सामाजिक पूंजी में गरीबों की संस्थाएं, उनके नेता, विशेषकर सामुदायिक पेशेवर तथा सामुदायिक स्रोत युक्त (रिसोर्स) व्यक्ति (गरीब महिलाएं जिनका जीवन उनकी संस्थाओं के सहयोग से परिवर्तित हुआ है) शामिल हैं। शुरू के वर्षों में सामाजिक पूंजी के निर्माण में कुछ समय लगता है, परन्तु कुछ समय बाद इसमें तेजी से वृद्धि होती है। डीएवाई -एनआरएलएम में यदि गरीबों की सामाजिक पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका न हो तो, वह जनता का कार्यक्रम नहीं बन सकता। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि पहलों की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में कमी न आए। इसीलिए, डीएवाई - एनआरएलएम के मामले में चरणबद्ध कार्यान्वयन संबंधी दृष्टिकोण अपनाया जाता है।
11. व्यापक ब्लॉक: जिन ब्लॉकों में डीएवाई - एनआरएलएम का व्यापक रूप से कार्यान्वयन किया जाएगा, वहां प्रशिक्षित पेशेवर स्टाफ उपलब्ध कराया जाएगा और सार्वभौम एवं गहन सामाजिक एवं वित्तीय समावेशन, आजीविका, भागीदारी आदि जैसी गतिविधियां निष्पादित की जाएंगी। तथापि, शेष ब्लॉकों या कम सघन ब्लॉकों में गतिविधियां स्कोप एवं सघनता के संदर्भ में सीमित रूप से होंगी।
12. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी): आरसेटी की संकल्पना ग्रामीण विकास स्वरोजगार संस्थान (रूडसेटी) के मार्गदर्शक मॉडेल पर बनाई गई है - यह एसडीएमई न्यास और केनरा बैंक के बीच एक सहयोगपूर्ण साझेदारी है। इस मॉडेल में बेरोजगार युवकों को एक अल्पावधिक अनुभवजन्य अभ्यास कार्यक्रम के माध्यम से निडर स्वनियोजित उद्यमी के रूप में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है जिसमें बाद में सुनियोजित दीर्घकालिक सहायक (हैण्ड होल्ड) समर्थन दिया जाता है। जरुरत आधारित उक्त प्रशिक्षण से उद्यमिता गुणवत्ताएं निर्मित होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ जाता है, नाकामयाबी का जोखिम घट जाता है और प्रशिक्षु परिवर्तित एजेंटों के रूप में विकसित होते हैं। चयन, प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षणोपरांत अनुवर्ती कार्रवाई के चरणों पर बैंक पूरी तरह शामिल रहते हैं। गरीब लोगों की गरीबों की संस्थाओं के माध्यम से पता चलने वाली जरुरतों द्वारा आरसेटी को अपने स्वरोजगार और उद्यमों के व्यवसाय के लिए सहभागियों / प्रशिक्षुओं को तैयार करने में मार्गदर्शन मिलेगा। डीएवाई -एनआरएलएम देश के सभी जिलों में आरसेटी स्थापित करने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंकों को प्रोत्साहित करेगा।
अनुबंध II
महिला एसएचजी के लिए ब्याज सबवेंशन योजना
I. सभी जिलों में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और लघु वित्त बैंकों के लिए वर्ष 2022-23 के दौरान महिला एसएचजी को ऋण पर ब्याज सबवेंशन योजना
i) यह योजना केवल ग्रामीण क्षेत्रों में डीएवाई - एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों तक ही सीमित है।
ii) इस योजना के तहत ₹3 लाख तक के ऋण के लिए, बैंक 7% प्रति वर्ष की रियायती ब्याज दर पर ऋण प्रदान करेंगे। ₹3 लाख तक के बकाया क्रेडिट बैलेंस के लिए, बैंकों को वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 4.5% प्रति वर्ष की एक समान दर पर सबवेंट किया जाएगा।
iii) योजना के तहत ₹3 लाख से अधिक और ₹5 लाख तक के ऋण के लिए, बैंक अपने 1 वर्ष-एमसीएलआर या किसी अन्य बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दर या 10% प्रति वर्ष, जो भी कम हो, के बराबर ब्याज दर पर ऋण प्रदान करेंगे। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान बैंकों को ₹3 लाख से अधिक और ₹5 लाख तक के बकाया क्रेडिट बैलेंस को 5% प्रति वर्ष की समान दर से सबवेंट किया जाएगा।
iv) ब्याज सबवेंशन केवल उस अवधि के लिए देय होगा, जिसके दौरान खाता मानक श्रेणी में रहता है। ब्याज सबवेंशन की गणना पर उदाहरण अनुबंध V के रूप में दिए गए हैं।
v) अन्य एजेंसियों द्वारा प्रचारित और डीएवाई-एनआरएलएम प्रोटोकॉल का पालन करने वाली महिला एसएचजी भी डीएवाई-एनआरएलएम एसएचजी डेटाबेस पर ऐसे एसएचजी के विवरण को पूर्व प्रस्तुत करने के अधीन सबवेंटेड ऋणों के लाभ के लिए पात्र होंगी।
vi) ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) द्वारा चयनित एक नोडल बैंक के माध्यम से बैंकों के लिए ब्याज सबवेंशन योजना लागू की जाएगी। एमओआरडी की सलाह के अनुसार नोडल बैंक वेब आधारित प्लेटफॉर्म के माध्यम से योजना का संचालन करेगा। वर्ष 2022-23 के लिए, इंडियन बैंक को एमओआरडी द्वारा नोडल बैंक के रूप में नामित किया गया है।
vii) महिला एसएचजी को दिए गए ऋण पर ब्याज सबवेंशन का लाभ उठाने के लिए, बैंक यह सुनिश्चित करें कि डीएवाई-एनआरएलएम के तहत एसएचजी (बचत और ऋण दोनों) के खातों को उनके सीबीएस में डीएवाई-एनआरएलएम/एसएलआरएम द्वारा निर्दिष्ट विशिष्ट कोड के साथ उचित रूप से पहचाना गया है।
viii) ब्याज सबवेंशन योजना में भाग लेने वाले सभी बैंकों के लिए आवश्यक तकनीकी विशिष्टताओं के अनुसार एसएचजी बचत और ऋण खाता और अन्य प्रासंगिक जानकारी संबंधित नोडल बैंक / नोडल एजेंसी पोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक है।
ix) डीएवाई - एनआरएलएम के तहत महिला एसएचजी को दिए गए ₹3 लाख तक के ऋण पर 7% की दर से साथ ही साथ ₹3 लाख से अधिक और ₹5 लाख तक के एसएचजी को दिए गए ऋण पर ब्याज सबवेंशन का लाभ उठाने हेतु सभी बैंकों को तिमाही आधार पर (अर्थात 30 जून 2022; 30 सितंबर 2022; 31 दिसंबर 2022 और 31 मार्च 2023 तक) नोडल बैंक को दावा प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है। किसी भी बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए दावों के साथ दावा प्रमाण पत्र (मूल रूप में) होना चाहिए जो सबवेंशन के दावों को सही और सटीक प्रमाणित करता हो। मार्च 2023 को समाप्त तिमाही के लिए किसी भी बैंक के दावों का निपटारा ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) द्वारा बैंक से संपूर्ण वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सांविधिक लेखा परीक्षक के प्रमाणपत्र प्राप्त होने पर ही किया जाएगा।
x) दावा प्रमाणपत्रों का प्रारूप अनुबंध VI और VII के अनुसार होगा। वित्तीय वर्ष 2022-23 से संबंधित सभी दावों को बैंकों द्वारा 30 सितंबर 2023 तक सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत प्रमाणित करके प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
xi) वर्ष 2022-23 के दौरान किए गए और वर्ष के दौरान शामिल नहीं किए गए संवितरण से संबंधित किसी भी शेष दावे को अलग से समेकित किया जा सकता है और 'अतिरिक्त दावा' के रूप में चिह्नित किया जा सकता है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और लघु वित्त बैंकों द्वारा नोडल बैंक को 30 सितंबर 2023 तक, प्रस्तुत किया जा सकता है, जो सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित किया गया हो।
xii) बैंकों द्वारा दावों में कोई सुधार सांविधिक लेखापरीक्षक के प्रमाणपत्र के आधार पर बाद के दावों से समायोजित किया जाएगा। सभी बैंकों को तदनुसार नोडल बैंक/नोडल एजेंसी के पोर्टल पर आवश्यक सुधार करने की आवश्यकता होगी।
परिशिष्ट
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