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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश - परिसंपत्तियों का विप्रेषण

भा.रि.बैंक/विमुवि/2015-16/8
विमुवि मास्टर निदेश सं.13/2015-16

1 जनवरी 2016
(28 अप्रैल 2016 तक अद्यतन)

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक

महोदया / महोदय

मास्टर निदेश - परिसंपत्तियों का विप्रेषण

किसी व्यक्ति द्वारा, भले ही वह व्यक्ति भारत का निवासी हों, अथवा न हो, भारत में उसकी परिसंपत्तियों का भारत से बाहर विप्रेषण विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 47 के साथ पठित 11 अप्रैल 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 13 (आर)/2016-आरबी के प्रावधानों के तहत नियंत्रित किया जाता है। इन विनियमों के विनियामक ढाँचे में हुए परिवर्तनों को अंतर्निहित करने के लिए समय-समय पर इन्हें संशोधित किया जाता है और संशोधित अधिसूचनाओं के जरिए इन्हें प्रकाशित किया जाता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक इन विनियमों की रूपरेखा के भीतर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है। ये निदेश प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा विनियमों के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ किए जाने वाले विदेशी मुद्रा कारोबार के तौर-तरीके निर्धारित करते हैं।

3. इस मास्टर निदेश में परिसंपत्तियों के विप्रेषण पर जारी विभिन्न अनुदेशों को समेकित किया गया है। इस मास्टर निदेश के आधार स्वरूप निहित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग अनुदेश, रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश में पाये जा सकते हैं (1 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं. 18)।

4. यह नोट किया जाए कि जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों/घटकों के साथ किए जाने वाले संबंधी लेनदेनों के तरीके में किसी परिवर्तन के संबंध में ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्रों के जरिए प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी मास्टर निदेश में साथ-साथ यथोचित रूप से संशोधन किया जाएगा।

भवदीय,

(ए॰ के॰ पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक


2मास्टर निदेश 13/2015-16 - परिसंपत्तियों का विप्रेषण

1. प्रारंभ

किसी व्यक्ति द्वारा, भले ही वह व्यक्ति भारत में निवास करता हो अथवा निवास न करता हो, वह भारत में अपनी परिसंपत्तियों का भारत से बाहर विप्रेषण करने के लिए विनियमावली, समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.13/2000-आरबी में निर्धारित किए गए हैं।

2. परिभाषाएँ

विनियमों की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नानुसार हैं:

2.1 'परिसंपत्तियों के विप्रेषण’ का तात्पर्य भारत से बाहर ऐसी निधियों के विप्रेषण से है जो किसी बैंक / किसी फर्म / किसी कंपनी में जमा धनराशि, भविष्य निधि शेष अथवा अधिवर्षिता लाभ, दावे अथवा बीमा पॉलिसी की परिपक्वता राशि, शेयरों, प्रतिभूतियों, अचल सम्पत्ति की बिक्रीगत राशि अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के उपबंधों अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों / विनियमों के अनुसार भारत में धारित अन्य परिसंपत्तियों को दर्शाता हो।

2.2 ‘अनिवासी भारतीय’ (NRI) अर्थात वह व्यक्ति, जो भारत के बाहर निवास करता है तथा भारतीय नागरिक है।

2.3 3'भारतीय मूल का व्यक्ति’ (PIO) अर्थात वह व्यक्ति, जो भारत के बाहर निवास करता है तथा बांगला देश या पाकिस्तान अथवा केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किसी देश को छोड़कर किसी अन्य देश का नागरिक है और वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है:

ए) जो भारत के संविधान या नागरिकता अधिमियम, 1955 (1955 का 57) के अनुसार भारत का नागरिक है : अथवा

बी) जो उस प्रांत अथवा क्षेत्र से ताल्लुक रखता हो, जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बना हो: अथवा

सी) जो भारतीय नागरिक अथवा खंड (ए) या (बी) में उल्लिखित व्यक्ति की संतान अथवा पोता/ पोती अथवा पड़पोता/ पड़पोती हो: अथवा

डी) जो भारतीय नागरिक का विदेशी मूल का पति/की पत्नी है, या खंड (ए) अथवा (बी) अथवा (सी) में उल्लिखित व्यक्ति का विदेशी मूल का पति/की पत्नी हो:

स्पष्टीकरण: भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7 (ए) के अर्थ में ‘भारत की समुद्रपारीय नागरिकता’ (OCI) संबंधी कार्ड धारक शामिल है।

2.4 ‘प्राधिकृत व्यापारी’ अर्थात वह व्यक्ति जिसे अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किया गया है।

2.5 ‘प्रवासी स्टाफ’ अर्थात ऐसा व्यक्ति, जिसकी भविष्य निधि/ अधिवर्षिता/ पेंशन निधि संबंधी राशि भारत से बाहर के उसके मूल नियोक्ता द्वारा भारत से बाहर रखी (maintain की) जाती है।

2.6 “स्थायी रूप से भारत में निवास न करने वाले” अर्थात भारत में किसी विशिष्ट अवधि अथवा विशिष्ट जॉब/ असाइनमेंट, जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो, में नियोजन के लिए भारत में निवासी व्यक्ति ।

3. विनियमावली के तहत परिसंपत्तियों के विप्रेषण की अनुमति

3.1 अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति न होने वाले व्यक्तियों द्वारा द्वारा विप्रेषण

प्राधिकृत व्यापारी किसी विदेशी राष्ट्रिक द्वारा परिसंपत्तियों के विप्रेषण तब अनुमत कर सकते हैं जब:

(i) कोई व्यक्ति भारत में किसी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुआ हो;

(ii) अधिनियम की धारा 6 (5) में उल्लिखित किसी व्यक्ति से उसने परिसंपत्तियों को उत्तराधिकार में पाया हो;

(iii) भारत से बाहर की/का निवासी कोई विधवा/4विधुर है और जिसने अपने मृतक पति/ पत्नी, जो भारत का/ की निवासी भारतीय नागरिक था/थी, की परिसंपत्तियां उत्तराधिकार में पायी हों।

ऐसे विप्रेषण प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर से अधिक नहीं होने चाहिए। तथापि, इस सीमा में प्रत्यावर्तन के आधार पर धारित परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आगम राशि सम्मिलित नहीं की जाएंगी। जब कभी एक से अधिक किस्तों में रकम विप्रेषित की जाए तो सभी किस्तों के विप्रेषण दस्तावेजी साक्ष्य के प्रस्तुतीकरण पर एक ही प्राधिकृत व्यापारी के जरिए किए जाने चाहिए।

(iv) कोई व्यक्ति जो भारत में पढ़ाई/ प्रशिक्षण के लिए आया हो और अपनी पढ़ाई/ अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो, वह अपने खाते में मौजूद शेष-राशि का विप्रेषण कर सकता है, बशर्ते इस प्रकार की शेष-राशि विदेश से सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिए आए विप्रेषणों से प्राप्त निधियों अथवा ऐसे व्यक्ति द्वारा लायी गयी और प्राधिकृत व्यापारी को बेची गई विदेशी मुद्रा से रुपये में मिली राशि अथवा भारत में सरकार अथवा किसी संगठन से प्राप्त स्टाइपेंड/ छात्रवृत्ति की शेष-राशि को दर्शाती हो।

ये सुविधाएं नेपाल अथवा भूटान के नागरिकों अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

3.2 अनिवासी भारतीयों (NRIs)/ भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIOs) द्वारा विप्रेषण

प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीयों (NRIs)/ भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIOs) को दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने पर प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर तक की राशि का विप्रेषण करने के लिए अनुमति दे सकते हैं:

(i) अनिवासी (साधारण) खाते (NRO Account) में जमाशेष से / उत्तराधिकार अथवा विरासत के रूप में भारत में अधिग्रहित परिसंपत्तियों/ परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आगम राशि से;

(ii) माता-पिता में से कोई अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 में यथा परिभाषित रिश्तेदार द्वारा निष्पादित निपटान विलेख के अंतर्गत और विलेखकर्ता (सेटलर) की मृत्यु के बाद निपटान होने पर विलेख-धारक द्वारा मूल निपटान विलेख के प्रस्तुत करने पर;

(iii) यदि संपत्ति में आजीवन हित न रखते हुए अर्थात मालिक/ माता-पिता के जीवन काल के दौरान हस्तांतरण किया जाता है तो यह उपहार के रूप में नियमित हस्तांतरण के बराबर होगा और ऐसी संपत्ति की बिक्री आय के विप्रेषण, NRO खाते में शेष के विप्रेषण संबंधी वर्तमान अनुदेशों से नियंत्रित होंगे।

यदि विप्रेषण एक से अधिक किश्तों में किया जाता है, वहां विप्रेषण की सभी किश्तें उसी (एक ही) प्राधिकृत व्यापारी के जरिए विप्रेषित की जाएंगी। 5जहां विप्रेषण एनआरओ (NRO) खाते में जमाशेष से किया जाता है/ जाना है, वहां खाताधारक व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारी को इस आशय का वचनपत्र प्रस्तुत करेगा कि "विप्रेषक के खाते में जमाशेष से विप्रेषण किया जाना है, जिसमें जमाशेष भारत में उसे वैध रूप में प्राप्त हुई राशि है और जो किसी अन्य व्यक्ति से उधार नहीं लिया गया है अथवा किसी अन्य एनआरओ खाते से अंतरित नहीं किया गया है तथा यदि ऐसा पाया जाएगा तो खाताधारक फेमा के अंतर्गत स्वयं को दण्ड का भागी बनाएगा।"

3.3 कंपनियों/ एंटिटियों द्वारा विप्रेषण

3.3.1 प्राधिकृत व्यापारी समापनाधीन भारतीय कंपनियों द्वारा विप्रेषण के लिए भारत में किसी न्यायालय द्वारा जारी आदेश/ सरकारी समापक अथवा स्वैच्छिक समापन के मामले में ऐसे समापक द्वारा जारी आदेश पर निम्नलिखित की प्रस्तुति पर अनुमति प्रदान कर सकते हैं:

  1. भारत में सभी देयताएं या तो पूरी तरह चुका दी गई हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है, इसे पुष्ट करने वाला लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र।

  2. समापन कंपनी अधिनियम, 1956 के उपबंधों के अनुसार किया गया है, इस आशय का लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र।

  3. यदि समापन न्यायालय से भिन्न रूप में हो रहा हो, तो लेखापरीक्षक का इस आशय का प्रमाणपत्र कि आवेदक अथवा समापनाधीन कंपनी के विरुद्ध भारत के किसी भी न्यायालय में कोई भी विधिक कार्रवाई लंबित नहीं है तथा विप्रेषण की अनुमति देने में कोई अड़चन नहीं है।

3.3.2 प्राधिकृत व्यापारी भारत में किसी संस्था (एंटिटी) द्वारा नौकरी में रखे गए प्रवासी स्टाफ, जो भारत के निवासी है, परंतु “स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं करते”, की भविष्य निधि / अधिवर्षिता / पेंशन निधि में अपने अंशदान की राशि का विप्रेषण करने के लिए भी अनुमति प्रदान कर सकते हैं।

3.4. शाखा / कार्यालय के बंद होने पर परिसंपत्तियों अथवा समापन पर आगम राशि के विप्रेषण

प्राधिकृत व्यापारी शाखा कार्यालय अथवा संपर्क कार्यालय (प्रोजेक्ट कार्यालय को छोड़कर) के बंद होने पर परिसंपत्तियों अथवा समापन पर आगम राशि के विप्रेषण के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण पर अनुमति प्रदान कर सकते हैं:

(i) भारत में शाखा अथवा कार्यालय स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई अनुमति की प्रतिलिपि।

(ii) लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र :

(ए) विप्रेषणीय राशि किस तरीके से आकलित हुई इस बात का उल्लेख हो और उसके साथ आवेदक की परिसंपत्तियों एवं देयताओं के समर्थन में विवरण संलग्न हो तथा परिसंपत्तियों के निपटान के तरीके का उल्लेख हो;

(बी) इस बात की पुष्टि की गई हो कि शाखा /कार्यालय द्वारा कर्मचारियों, आदि की उपदान एवं अन्य लाभों की बकाया राशि सहित भारत में सभी देयताएं या तो पूर्णतः पूरी की गई हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है;

(सी) इस बात की पुष्टि की गई हो कि भारत से बाहर के संसाधनों पर उपचित कोई आय (निर्यात की आगम राशि सहित) ऐसी नहीं है जो भारत में प्रत्यावर्तन हेतु शेष है;

(डी) इस बात की पुष्टि की गई हो कि भारत में ऐसे कार्यालय की कार्यप्रणाली के संबंध में समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट सभी विनियामक अपेक्षाओं का शाखा / कार्यालय ने अनुपालन किया है।

(iii) आवेदक से इस आशय की पुष्टि कि भारत में किसी भी न्यायालय में कोई विधिक कार्रवाई लंबित नहीं है और विप्रेषण करने में कोई अड़चन नहीं है; और

(iv) भारत में कार्यालय के बंद होने के मामले में भारत में कंपनी रजिस्ट्रार से एक रिपोर्ट कि कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों का अनुपालन किया गया है।

4. परिसंपत्तियों का विप्रेषण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति लेना आवश्यक है:-

4.1 निम्नलिखित मामलों में परिसंपत्तियों के विप्रेषण करने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति लेना आवश्यक है:

(ए) (i) भारत से बाहर का निवासी जो किसी अन्य देश का नागरिक है, उसे विरासत, वसीयत अथवा उत्तराधिकार के कारण; (ii) अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) उसके अनिवासी साधारण खाते (NRO Account) में धारित शेष राशियों से / परिसंपत्तियों / उत्तराधिकार / विरासत के तौर पर अधिग्रहीत परिसंपत्तियों की बिक्री से प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर मात्र) से अधिक के विप्रेषण है।

(बी) यदि भारत से विप्रेषण न किया गया तो ऐसे व्यक्ति को बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ेंगी ।

4.2 किसी व्यक्ति, भले ही वह भारत का निवासी हो अथवा नहीं, द्वारा धारित भारत में परिसंपत्तियों की बिक्री से निधियों के विप्रेषण, ऊपर विनिर्दिष्ट निर्देशों के दायरे के अंतर्गत नहीं आता है, के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक होगा।

5. आय कर क्लियरेंस

विप्रेषण भारत में लागू करों के भुगतानों के अधीन होगा। भारतीय रिज़र्व बैंक कर के बाबत स्पष्टीकरण के लिए फेमा के अंतर्गत कोई अनुदेश जारी नहीं करेगा। प्राधिकृत व्यापारियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे यथा लागू कर क़ानूनों की अपेक्षाओं का पालन करें।


परिशिष्ट

इस मास्टर निदेश में समेकित अधिसूचनाओं/ परिपत्रों की सूची

क्रम संख्या अधिसूचना/परिपत्र तारीख
1 6 फेमा 13 (आर)/2016-आरबी 1 अप्रैल 2016
2 7 ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 64/2015-16[(1)/13(आर)] 28 अप्रैल 2016

1 विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) विनियमावली, 2000, 1 अप्रैल 2016 से विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) विनियमावली, 2016 से निरसित और प्रतिस्थापित की गई।

2 28 अप्रैल 2016 तक अद्यतन किया गया [28 अप्रैल 2016 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज)परिपत्र सं.64/2015-16/(1)/13(आर) देखें]। मूल मास्टर निदेश सं.12/2015-16, 1 जनवरी 2016 को जारी किए गए थे।

3 1 अप्रैल 2016 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) विनियमावली, 2016 और 28 अप्रैल 2016 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.64/2015-16/(1)/13(आर) के जरिए अंतर्निहित। अंतर्निहित किए जाने से पहले “भारतीय मूल के व्यक्ति का अर्थ बांगलादेश अथवा पाकिस्तान को छोड़कर किसी देश का नागरिक, जिसके पास (ए) किसी समय भारतीय पासपोर्ट था अथवा (बी) वह अथवा उसके माता पिता दोनों अथवा उसके दादा-दादी में से कोई एक भारतीय संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार भारतीय नागरिक थे अथवा (सी) वह व्यक्ति किसी भारतीय नागरिक का पति/ की पत्नी है अथवा (ए) अथवा (बी) में उल्लिखित व्यक्ति है“ के रूप में संदर्भित व्यक्ति।

4 1 अप्रैल 2016 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) विनियमावली, 2016 और 28 अप्रैल 2016 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.64/2015-16/(1)/13(आर) के जरिए अंतर्निहित।

5 1 अप्रैल 2016 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) विनियमावली, 2016 और 28 अप्रैल 2016 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.64/2015-16/(1)/13(आर) के जरिए अंतर्निहित।

6 3 मई 2000 के फेमा 13/2000-आरबी तथा उसमें सभी संशोधन 1 अप्रैल 2016 के फेमा 13 (आर)/2016-आरबी द्वारा निरसित तथा प्रतिस्थापित ।

7 परिसंपत्तियों के विप्रेषण के संबंध में जारी सभी ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र 28 अप्रैल 2016 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.64/2015-16 द्वारा प्रतिस्थापित किए गए हैं।


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