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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश – बीमा (07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन)

भारिबैं/विमुवि/2015-16/5
विदेशी मुद्रा विभाग मास्टर निदेश सं.09/2015-16

1 जनवरी 2016
(07 दिसंबर 2021 तक अद्यतन)
(17 नवंबर 2016 तक अद्यतन)

विदेशी मुद्रा में प्राधिकृत सभी व्यापारी

महोदया / महोदय

मास्टर निदेश – बीमा

दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना संख्या. 1/2000-आरबी और 29 दिसंबर 2015 की अधिसूचना सं. फेमा 12(आर)/2015-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 [1999 का 42] की धारा 47 की उप-धारा [2] के अनुसरण में बीमा जारी करने को विनियमित किया जाता है। इन विनियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि विनियामक ढ़ांचे में किये गये परिवर्तनों को उसमें शामिल किया जा सके और उन्हें संशोधन अधिसूचना के माध्यम से प्रकाशित किया जा सके ।

2. विनियमावली की रूपरेखा के भीतर ही भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 [फेमा] की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को भी निदेश जारी करता है। इन निदेशों में प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ विदेशी मुद्रा कारोबार करने के तौर तरीके निर्धारित किये जाते हैं ताकि बनाये गये विनियमों को अमल में लाया जा सके ।

3. इस मास्टर निदेश में “बीमा” विषय पर जारी किये गये सभी मौजूदा निदेश एक ही स्थान पर समेकित रूप में उपलब्ध कराये गये हैं। यदि रिपोर्टिंग के संबंध में कोई निदेश हों तो वे रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं । (दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश संख्या.18)

4. इस बात को नोट करना जरूरी है कि अगर विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले लेनदेनों के तरीके में कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. [डीआईआर] सीरीज़ परिपत्रों के माध्यम से निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में साथ साथ उसी समय संशोधन किए जाएंगे।

भवदीय

(आर. एस. अमर)
मुख्य महाप्रबंधक


मास्टर निदेश – बीमा

सूचकांक
क्रम सं विषय वस्तु
1. परिचय
2. भारत के बाहर स्थित बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य / जीवन बीमा से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली
3. भारत में स्थित बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य / जीवन बीमा से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली
4. भारत में स्थित बीमा कंपनियों से जीवन बीमा से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली

1. परिचय

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण [आईआरडीए] के पास पंजीकृत कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय -समय पर यथा संशोधित दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना सं. 1 /2000-आरबी तथा दिनांक 29 दिसंबर 2015 की अधिसूचना सं. 12 [आर] 2015 आरबी के अंतर्गत अधिसूचित विनियमावली के अनुसार भारत में जीवन बीमा और सामान्य बीमा कारोबार कर सकती हैं ।

2. भारत के बाहर स्थित बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य / जीवन बीमा से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली

ए-1 भारत के बाहर स्थित बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियाँ

i) भारत का निवासी व्यक्ति भारत के बाहर की किसी बीमा कंपनी द्वारा जारी की गयी स्वास्थ्य बीमा पालिसी ले सकता है अथवा उसे धारित करना जारी रख सकता है बशर्तें प्रीमियम की राशि सहित कुल विप्रेषण की राशि भा.रि.बैंक द्वारा समय-समय पर उदारीकृत विप्रेषण योजना [एल.आर.एस.] के अधीन निर्धारित सीमा से अधिक नहीं हो ।

ii) विशेष आर्थिक क्षेत्र [एसईजेड] में स्थित यूनिट भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] दिशानिर्देश और केन्द्र सरकार की नियमावली के अनुपालन की शर्त पर भारत के बाहर की बीमा कंपनी का बीमा धारण करना जारी रख सकती है बशर्तें इन यूनिटों ने प्रीमियम की राशि का भुगतान अपने विदेशी मुद्रा की शेष राशि में से किया हो ।

iii) कोई भी व्यक्ति भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] की अनुमति लिये बगैर ऐसी किसी भी बीमा कंपनी से, जिसके कारोबार का प्रमुख स्थान भारत के बाहर स्थित हो, भारत में स्थित किसी भी संपदा के लिए अथवा भारत में पंजीकृत किसी जहाज अथवा वेसल या विमान के लिए कोई बीमा पालिसी नहीं लेगा अथवा उसका नवीकरण नहीं करेगा ।

ए.2 पूर्ण जोखिम बीमा पालिसियाँ

भारतीय मरीन हल्स [hulls] के लिए बीमा जिसमें युद्ध और उससे जुड़े अन्य प्रकार की भी जोखिमों के लिए बीमा लिया गया हो [नागरी अराजकता, राजनैतिक अथवा श्रमिक विवाद से पैदा होनेवाली जोखिमों के लिए] ऐसा बीमा भारत की बीमा कंपनी से ही लिया जाना चाहिए ।

बी. निवासी व्यक्तियों द्वारा भारत से बाहर स्थित बीमा कंपनी से जीवन बीमा पालिसी लेना

  1. भारत का निवासी व्यक्ति भारत से बाहर की किसी भी बीमा कंपनी से जीवन बीमा पालिसी ले सकता है अथवा उसे धारित करना जारी रख सकता है बशर्तें वह पालिसी भारतीय रिज़र्व बैंक की किसी विशिष्ट अथवा सामान्य अनुमति के अंतर्गत धारित हो ।

  2. भारत का निवासी व्यक्ति भारत से बाहर रहते समय बाहर की किसी भी कंपनी से ली गयी जीवन बीमा पालिसी धारित करना जारी रख सकता है । यदि जीवन बीमा पालिसी की देय प्रीमियम राशि भारत से विप्रेषण करते हुए अदा की गयी हो तो वह पालिसी धारक वह पालिसी परिपक्व होने पर उसकी परिपक्वता राशि अथवा उस पालिसी पर देय अन्य कोई दावाकृत राशि उसकी प्राप्ति की तारीख के सात दिनों के अंदर सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित करेगा ।

3. भारत में स्थित बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियों से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली

3.1 परिभाषाएं

(i) "भारत में निवासी व्यक्ति" और "विदेशी मुद्रा" का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 में परिभाषित किया गया है ।

(ii) “बीमाकर्ता” का अर्थ वही होगा जो बीमा विधि [संशोधन] अधिनियम, 2015 की धारा 3(9) में परिभाषित किया गया है और जिन्हें भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के पास सामान्य / स्वास्थ / पुनर्बीमा कारोबार करने के लिए पंजीकृत किया गया है ।

3.2 विदेशी मुद्रा में बीमा प्रीमियम का भुगतान

विदेशी मुद्रा में बीमा प्रीमियम का भुगतान का अर्थ विदेशी मुद्रा में बीमा प्रीमियम का भुगतान है और उसमें विदेशी मुद्रा में बीमा प्रीमियम का भुगतान तथा / अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी को अथवा प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक को विदेशी मुद्रा बेचकर उससे कमायी गयी भारतीय रुपये की राशि में किये गये बीमा प्रीमियम का भुगतान शामिल है । ऐसा भुगतान स्वीकार करते समय विधिवत दस्तावेजों के लिए आग्रह किया जाना चाहिए।

3.3 भारतीय निवासी व्यक्तियों द्वारा सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियां लेना

भारतीय निवासी व्यक्ति भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] द्वारा दी गयी अनुमति के अनुसार भारतीय रुपयों में प्रीमियम का भुगतान करते हुए भारतीय बीमा कंपनी से सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियां ले सकता है । ऐसी पालिसी में यदि भारत के बाहर कोई दावे पैदा होते हैं तो उनको विदेशी मुद्रा में निपटाया जाना चाहिए ।

3.4 भारत के बाहर निवासी व्यक्तियों द्वारा सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियां लेना

भारत के बाहर निवासी व्यक्ति भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] द्वारा दी गयी अनुमति के अनुसार भारत की बीमा कंपनियों से सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियां ले सकते हैं । इन पालिसियों के अंतर्गत जो दावे पैदा होते हैं उनका निपटान यदि प्रीमियम भारतीय रुपये में दिया गया हो तो भारतीय रुपये में और यदि प्रीमियम अन्य किसी भी मुद्रा में दिया गया हो तो विदेशी मुद्रा में किया जाना है । तथापि, विदेशी कंपनियों, बैंकों आदि की भारत में स्थित शाखाओं / कार्यालयों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों को भारत में यदि कोई जोखिम पैदा होता है तो [सभी जोखिम बीमे सहित] उसके बीमे की राशि का भुगतान केवल भारतीय रुपयों में ही किया जाए ।

3.5 नेपाल और भूटान में किये गये लेनदेन

भूटान और नेपाल में निवासी भारतीय, नेपाली और भूटानी व्यक्ति तथा साथ ही, इन दो देशों में भारतीय, नेपाली और भूटानी फर्मों, कंपनियों और अन्य संगठनों को भारतीय रुपयों में लेनदेन के प्रयोजन से भारत में निवासी माना जाता है । ऐसे व्यक्तियों के सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियों संबंधी दावों का निपटान इत्मीनान से भारतीय रुपयों में किया जा सकता है । अगर सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियों संबंधी दावों का निपटान विदेशी मुद्रा में करना है तो उसके लिए, जहां पर उन पालिसियों का प्रीमियम विदेशी मुद्रा में लिया गया हो ऐसे मामलों को छोड़कर, अन्य मामलों में रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी ।

3.6 विदेशी मुद्रा में दावों का निपटान

प्राधिकृत व्यापारी बैंक भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] द्वारा अनुमत भारतीय बीमा कंपनियों द्वारा जारी की गयी सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पालिसियों के अंतर्गत प्राप्त दावों के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन विदेशी मुद्रा के विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं जहां पर बीमा विदेशी मुद्रा में किया गया हो ।

i) दावा बीमा कंपनी के सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रस्तुत किया गया हो ;

ii) दावा, जहां लागू हो वहां सर्वेक्षणकर्ता की रिपोर्ट के अनुसार तथा अन्य दस्तावेजी सबूतों के अनुसार निपटाया गया हो;

iii) पुनर्बीमे के कारण प्राप्त दावे पुनर्बीमाकर्ताओं के पास ही प्रस्तुत किये गये हो और पुनर्बीमा करार के अनुसार प्राप्त हुए हों;

iv) जो लाभार्थी भारत से बाहर का निवासी है उसे उक्त पालिसी के अंतर्गत विप्रेषण किया जा रहा हो । निवासी लाभार्थियों के लिए दावे का निपटान देय विदेशी मुद्रा के समतुल्य भारतीय रुपयों में किया जाए । किसी भी स्थिति में निवासी लाभार्थी को विदेशी मुद्रा में भुगतान नहीं किया जाना चाहिए;

v) भारत में आयात के दावों का निपटान के मामले में बीमा कंपनी इस बात से संतुष्ट हो कि :-

(ए) आयातकर्ता ने विदेशी मुद्रा में पहले ही विप्रेषण कर दिया है और

(बी) यदि आयात लाईसेंस के आधार पर आयात किया गया हो तो बीमा पालिसी के प्रीमियम की राशि आयात लाईसेंस पर पृष्ठांकित हो ;

vi) भारत से निर्यात के बीमा संबंधी दावों के निपटान के मामले में बीमा कंपनी इस बात से संतुष्ट हो कि भारतीय निर्यातक को भुगतान विदेशी मुद्रा में मिल चुका है ;

vii) निवासी भारतीयों द्वारा भारत के बाहर धारित परिसंपत्तियों के संबंध में बीमे के दावों का निपटान करना हो तो वह परिसंपत्ति धारण करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति प्राप्त की गयी है । [जहां आवश्यक हो];

viii) नियोक्ता उत्तरदायित्व अधिनियम और मर्चंट शिपिंग अधिनियम [Employers Liability Act and Merchant Shipping Act] के अंतर्गत जारी की गयी पालिसियों के संबंध में जो दावे पैदा हो रहे हैं उनका भुगतान यथोचित विदेशी मुद्रा में किया जाए । दावों के लिए पूरे ब्योरे प्रस्तुत करने वाले बीमाकर्ताओं के आवेदन पत्रों में किये गये विशिष्ट दावों को निपटाने के लिए विप्रेषण की अनुमति दी जाएगी ;

ix) नकदी रहित अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के मामले में जिस अस्पताल में उपचार लिया गया है उस अस्पताल को / तीसरी पार्टी प्रशासक को, जिसके साथ बीमाकर्ता ने अथवा अस्पताल ने यथा लागू भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] विनियमावली के अनुसार करार किया हो उसमें किये गये प्रावधान के अनुसार विप्रेषण किया जाए ।

टिप्पणी:

(ए) यदि किसी भी कारण से मूल दस्तावेज उपलब्ध नहीं है तो ऐसे मामले में मूल दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारणों के साथ फोटो प्रतिलिपियाँ स्वीकार की जाए । विदेशी मुद्रा की राशि के पुनर्भरण [replenishment] के लिए यह प्रावधान लागू नहीं है । इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का विशिष्ट अनुमोदन आवश्यक होगा ।

(बी) जहां सामान का स्वामित्व विदेशी मुद्रा खरीदार को सौंपा जा चुका हो ऐसे मामलों में भी भारतीय निर्यातकों के पक्ष में भारतीय रुपयों में दावे का निपटान किया जाए बशर्तें भारत के बाहर के निवासी ने इस आशय का दावा किया हो । संबंधित ईडीएफ फार्म [जहां लागू हो] की संख्या सहित अन्य सभी ब्योरे दर्शाते हुए एक प्रमाणपत्र और दावे का निपटान करते हुए भुगतान की गयी राशि निर्यातक को जारी की जाए ताकि वह उसके स्थान पर किये गये दूसरे [रिप्लेसमेंट शिपमेंट] के लिए रिज़र्व बैंक से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त कर सके;

(सी) प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशों में स्थित दावों का निपटान करनेवाले सुस्थापित एजेंटों के पक्ष में रिवोल्विंग साख पत्र खोलने की तथा दावे का विवरण, सर्वेक्षण रिपोर्ट अथवा हानि / नुकसान के संबंध में अन्य दस्तावेजी सबूत, मूल पालिसी अथवा बीमे का प्रमाण आदि जैसे आवश्यक दस्तावेजी सबूतों का सत्यापन किये जाने पर इस क्रेडिट के अंतर्गत दावों की प्रतिपूर्ति करने की अनुमति प्रदान की गयी है ।

3.7 पुनर्बीमा

भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] के पास पंजीकृत बीमा कंपनियों की पुनर्बीमा व्यवस्था के बारे में कंपनियों को स्वयं ही वार्षिक आधार पर निर्णय करना होता है । इसके लिए आईआरडीएआई विनियमावली का अनुपालन करते हुए संबंधित बीमा कंपनी के निदेशक बोर्ड का अनुमोदन आवश्यक होगा । इन बीमा कंपनियों द्वारा प्राधिकृत व्यापारी उनके निदेशक बोर्ड द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार ऐसी अनुमोदित पुनर्बीमा व्यवस्था के अंतर्गत देय होनेवाले विप्रेषणों की अनुमति दे सकते हैं ।

3.8 भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] द्वारा लाईसेंस प्रदान किये गये दलालों द्वारा पुनर्बीमें के प्रीमियम का विप्रेषण

भारतीय बीमा और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] द्वारा जिन दलालों को लाईसेंस प्रदान किया गया है वे जहां कहीं बीमाकर्ताओं की ओर से पुनर्बीमे की व्यवस्था करते हैं वहां उपर्युक्त पैरा 9 के अनुसरण में बीमाकर्ता द्वारा नामित प्राधिकृत व्यापारी की शाखा के माध्यम से उस प्रीमियम का निम्नलिखित शर्तों के अधीन विप्रेषण कर सकते हैं:

  1. विदेशी बीमा कंपनी और / अथवा दलाल का संबंधित डेबिट नोट।

  2. व्यक्तिगत बीमा कंपनी द्वारा निपटाये गये प्रीमियम का ब्योरे वार विवरण इस आशय के प्रमाण पत्र के साथ कि पुनर्बीमा कारोबार की राशि बीमा कंपनी के निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित समग्र सीमा के भीतर है और पुनर्बीमा व्यवस्था के अंतर्गत कवर किये गये जोखिम बीमा कंपनी के निदेशक बोर्ड द्वारा आईआरडीएआई विनियमावली के अनुसरण में अनुमोदित पुनर्बीमा कार्यक्रम के दायरे में हैं ।

  3. उक्त दलाल के सनदी लेखाकार [chartered accountant] द्वारा बीमा कंपनियों से प्राप्त किये गये प्रमाणपत्रों और विवरणों के आधार पर जारी किया गया इस आशय का प्रमाणपत्र कि अपेक्षित पुनर्बीमा प्रीमियम का प्रस्तावित विप्रेषण बीमा कंपनी / कंपनियों से प्राप्त विभिन्न विवरणों / प्रमाणपत्रों के अनुसार है ।

  4. आईआरडीएआई से प्रत्यक्ष बीमा दलालों द्वारा भारत के बाहर कारोबार स्थापन करने के लिए प्राप्त अनुमोदन की प्रतिलिपि ।

3.9 विदेशों में स्थित विदेशी मुद्रा खाते

बीमा कंपनियां भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोल सकती हैं और उसे बनाये रख सकती हैं ताकि उनमें लेनदेन किया जा सके और निर्धारित विनियमावली के अनुसार विदेशों में स्थापित सामान्य / स्वास्थ्य बीमा पुनर्बीमा कारोबार से संबंधित प्रासंगिक व्यय किया जा सके । बीमा कंपनियों को चाहिए कि वे विदेशों में अपने विदेशी मुद्रा खातों में केवल उतनी ही राशि बनाये रखे जितनी सामान्य कारोबार करने के लिए और भारत में नियमित रूप से सभी अधिशेष राशियां अंतरित करने के लिए आवश्यक है ।

3.10 विदेशों में निवेश

सामान्य / स्वास्थ्य बीमा कम्पनियां अपनी विदेशों में स्थित निधियों से भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना निम्नलिखित शर्तों के अधीन इत्मीनान से निवेश कर सकते हैं ।

  1. संबंधित देश की सांविधिक अपेक्षाओं का पालन करना; और,

  2. यदि आईआरडीएआई के कोई दिशानिर्देश हों तो उनका और विदेशों में निवेश से संबंधित फेमा विनियमावली के लागू विनियमों का पालन करना।

4. भारत की बीमा कंपनियों द्वारा जीवन बीमे से संबंधित विदेशी मुद्रा विनियमावली

4.1 परिभाषाएं

  1. "भारत में निवासी व्यक्ति", "भारत से बाहर निवासी व्यक्ति" और "विदेशी मुद्रा" का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 [1999 का 42] में दिया गया है ।

  2. "विदेशी भारतीय नागरिक" अर्थात भारत के बाहर का निवासी ऐसा व्यक्ति, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के तहत ‘विदेशी भारतीय नागरिक कार्डधारक’ के रूप में पंजीकृत है।

  3. ‘स्थायी रूप से निवासी नही' का अर्थ ऐसा व्यक्ति जो भारत में किसी विशिष्ट अवधि के लिए [चाहे यह अवधि कितनी ही क्यों न हो] नौकरी कर रहा हो अथवा किसी विशिष्ट काम अथवा असाईनमेंट पर, जिसकी अवधि तीन वर्षों से अधिक न हो, काम करनेवाला व्यक्ति।

  4. “भारत में बीमा कंपनी [Insurer in India]” का अर्थ भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण [आईआरडीएआई] के पास भारत में जीवन बीमा कारोबार करने के लिए पंजीकृत बीमा कंपनी है ।

4.2 पालिसियां जारी करना और प्रीमियम जमा करना

क) निवासी

(i) भारतीय राष्ट्रीयता रखने वाले अथवा विदेशी भारतीय नागरिक भारत के बाहर निवासी बन कर भारत में लौट आये हैं, उन्हें पालिसियां जारी की जा सकती हैं बशर्तें उन्होंने अपने पास विदेशों में रखी विदेशी मुद्रा में से विप्रेषण करते हुए अथवा भारत में प्राधिकृत व्यापारियों के पास रखे निवासी विदेशी मुद्रा खाते में से उसके प्रीमियम का भुगतान किया हो ।

(ii) विदेशी मुद्रा में अथवा रुपये में डीनॉमिनेटेड पालिसियां विदेशी उन राष्ट्रिकों को जारी की जा सकती हैं, जो भारत में स्थायी निवासी नहीं हैं, बशर्तें उनका प्रीमियम विदेशी मुद्रा निधियों में से अथवा भारत में उनके द्वारा अर्जित आय में से अथवा प्रत्यावर्तित अधिवर्षिता / पेंशन में से अदा किया गया हो ।

(iii) रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना भारत में निवासी व्यक्तियों के जीवन के संबंध में पालिसियों का विदेशी मुद्रा में परिवर्तन अथवा ऐसी पालिसियों के अभिलेख भारत से बाहर किसी देश को अंतरित करने की अनुमति नहीं है ।

ख) भारत के बाहर निवासी [Residents outside India]

(i) भारत की बीमा कंपनियां भारत में अथवा विदेशों में स्थित अपने कार्यालयों के माध्यम से विदेशी मुद्रा में डीनॉमिनेटेड पालिसियां जारी कर सकती हैं बशर्तें उनके प्रीमियम की राशि विदेशों से विदेशी मुद्रा में अथवा जिसका बीमा किया गया है उसके या उसके परिवार के सदस्य के भारत में रखे गये एनआरई / एफसीएनआर खाते में से जमा की गयी हो ।

(ii) भारत के बाहर के निवासियों को रुपये में डीनॉमिनेटेड पालिसियां जारी करने के लिए एनआरओ खातों में धारित राशियों को प्रीमियम के रूप में स्वीकार किया जा सकता है ।

(iii) भारतीय राष्ट्रिकों को तथा विदेशों में रह रहे विदेशी भारतीय नागरिकों को विदेशी भारतीय बीमा कंपनियों के विदेशी कार्यालयों द्वारा जारी की गयी पालिसियों को पालिसी धारक के भारत लौटने पर उन पालिसियों के वास्तविक [एक्चुरियल] पारक्षित राशियों समेत भारतीय रजिस्टर में अंतरित किया जा सकता है । ऐसी परिस्थितियों में विदेशी मुद्रा की पालिसियां केवल उन मामलों को छोड़कर जहां वह पालिसी उस पालिसी धारक के भारत लौटने के पहले तीन वर्षों तक जारी बनी रही थी और वह पालिसी धारक वह विदेशी मुद्रा पालिसी अपने बनाये रखना चाहता है, रुपया पालिसियों में परिवर्तित हो जाएँगी । ऐसी पालिसियों के प्रीमियम के लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान करने हेतु प्राप्त अनुरोध की प्राधिकृत व्यापारी अनुमति प्रदान कर सकते हैं, बशर्तें बीमा धारक यह वचन देता है कि वह पालिसी की परिपक्वता अवधि पर प्राप्त राशि अथवा उस पालिसी के प्रति देय अन्य किसी दावे की राशि प्राप्त होने की तारीख से सात दिनों के भीतर सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित करेगा ।

4.3. दावों का निपटान

(i) भारत के बाहर के निवासियों द्वारा रुपये में ली गयी जीवन बीमा पालिसी के दावों का उनके पक्ष में निपटान करने के लिए प्राथमिक नियम यह है कि विदेशी मुद्रा में भुगतान की अनुमति केवल उसी अनुपात में दी जाएगी जिस मात्रा में कुल देय प्रीमियम के संबंध में विदेशी मुद्रा में प्रीमियम की अदायगी की गयी हो ।

(ii) भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति जो विदेशी मुद्रा में निपटाये गये बीमे के दावे / परिपक्वता राशि / अभ्यर्पण मूल्य के लाभार्थी हैं उन्हें यदि वे चाहें तो वह राशि एनआरई / एफसीएनआर खातों में जमा करने की अनुमति दी जा सकती है ।

(iii) (क) निवासी व्यक्ति जो विदेशी मुद्रा में निपटाये गये बीमे के दावे / परिपक्वता राशि / अभ्यर्पण मूल्य के लाभार्थी हैं उन्हें आरएफसी [घरेलू] खाता खोलने और प्राप्त राशि उस खाते में जमा करने की अनुमति दी जा सकती है ।

(ख) जो भारतीय निवासी व्यक्ति भारत से बाहर थे, और जो भारत की बीमा कंपनी द्वारा जारी बीमा पालिसियों के संबंध में विदेशी मुद्रा में बीमे के दावे / परिपक्वता राशि / अभ्यर्पण मूल्य के लाभार्थी हैं उन्हें निवासी बनने के बाद खोले गये आरएफसी खातों में वह राशि जमा करने की अनुमति दी जा सकती है ।

(iv) भारत के बाहर निवासी भारतीयों को जारी किये गये रुपया जीवन बीमा, जिसके लिए प्रीमियम की राशि गैर प्रत्यावर्तनीय रुपये में प्राप्त की गयी थी, उनके दावे / परिपक्वता राशि / अभ्यर्पण मूल्य का भुगतान उस लाभार्थी के एनआरओ खाते में जमा करते हुए किया जाए । यह भारत के बाहर निवासी व्यक्तियों की मृत्यु के मामले में उनके द्वारा नामित / असाइन किये गये व्यक्तियों पर भी लागू होगा ।

(v) भारत में स्थायी रूप से निवासी न रहनेवाले विदेशी राष्ट्रिकों को जारी की गयी बीमा पालिसियों के दावे / परिपक्वता राशि / अभ्यर्पण मूल्य का भुगतान रुपयों में किया जाए अथवा उसे यदि दावा करता चाहता है तो विदेशों में विप्रेषित करने की अनुमति दी जाए ।

4.4 विदेशी एजेंटों को कमीशन

भारत की बीमा कंपनी अपने एजेंटों को, जो भारत बाहर के स्थायी निवासी हैं, इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने जो कारोबार किया है उसका एक हिस्सा भारत के निवासी व्यक्तियों के जीवन से संबंधित है और उसके प्रीमियम भारत में रुपयों में अदा किये गये थे, कमीशन का भुगतान कर सकती है । विदेश में स्थित ऐसे एजेंटों को भारत से विप्रेषित किये जानेवाले कमीशन पर चालू खाते के लेन देनों के संबंध में समय -समय पर यथा संशोधित दिनांक 3 मई 2000 की सरकारी अधिसूचना सं. जी.एस.आर.381 [ई] में निहित अनुदेश लागू होंगे ।

4.5 पुनर्बीमा

मौजूदा अनुदेशों के अनुसार आईआरडीएआई के साथ पंजीकृत बीमा कंपनियों के लिए पुनर्बीमा व्यवस्था के बारे में निर्णय स्वयं उन कंपनियों को ही वार्षिक आधार पर करना है । और उस निर्णय को आईआरडीएआई के विनियमों का अनुपालन करते हुए संबंधित बीमा कंपनी निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदन दिया जाना है । इन बीमा कंपनियों द्वारा नामित प्राधिकृत व्यापारी उस कंपनी के निदेशक बोर्ड द्वारा निर्धारित शर्तों के आधार पर इस प्रकार से बीमा कंपनी द्वारा की गयी अनुमोदित पुनर्बीमा व्यवस्था के अंतर्गत देय होने वाले विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं ।

4.6 विदेशी मुद्रा खातें

भारत की बीमा कंपनी उपरोल्लिखित दिशानिर्देशों के अनुसरण में विदेशों में जीवन बीमा कारोबार करने के प्रयोजन से लेनदेन करने में तथा उससे संबंधित व्यय /प्रासंगिक व्यय करने में सुविधा की दृष्टि से भारत से बाहर किसी बैंक के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल सकती है और बनाये रख सकती है । भारत की बीमा कंपनी को चाहिए कि वह विदेशी केन्द्रों में स्थित अपनी सभी अधिशेष राशियाँ नियमित रूप से भारत में अंतरित करें और सामान्य कारोबार करने के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा ही अपने खातों में बनाये रखाने के प्रयास करें ।

4.7 विदेशों में निवेश

भारत की बीमा कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना विदेशों में स्थित अपनी निधियों का निम्नलिखित शर्तों के अधीन इत्मीनान से निवेश कर सकती हैं :-

(i) संबंधित मेजबान देश की सांविधिक अपेक्षाओं का पालन करना और

(ii) आईआरडीएआई दिशानिर्देशों का, यदि कोई हों, और विदेशों में निवेश से संबंधित फेमा विनियमावली के लागू होनेवाले विनियमों का पालन करना ।

4.8 विदेशी मुद्रा की निधियों का उपयोग

(i) भारत की बीमा कंपनियां करों और अन्य देयताओं सहित अपनी विदेशी शाखाओं का सामान्य व्यय करने के लिए तथा बीमा कंपनी द्वारा विदेशों में स्थित भवनों और अन्य संपदा के रखरखाव तथा साफ-सफाई के लिए और कार्यालयीन प्रयोजन से कार खरीद के लिए अपनी विदेशी मुद्रा की शेष राशियों का इत्मीनान से उपयोग कर सकती हैं ।

(ii) भारत की बीमा कंपनियां अपनी विदेशी शाखाओं के सेवानिवृत्त होनेवाले कर्मचारियों को भविष्य निधि, ग्रैचुइटी, और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने के लिए अपनी विदेशी निधियों का आसानी से उपयोग कर सकती हैं ।

(iii) भारत की बीमा कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बिना अपनी विदेशी शाखाओं के कर्मचारियों को [भारतीय राष्ट्रिकों को छोड़कर जिन्हें भारत से प्रतिनियुक्त अथवा तैनात किया गया है] संबंधित देश में धारित भविष्य निधि में जमा राशि की जमानत पर ऋण प्रदान कर सकती हैं बशर्तें उस ऋण की वसूली विदेशी मुद्रा में की जाएगी ।


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