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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों और प्राधिकृत व्यापारियों को छोड़ कर अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में ऋण और उधार

भा.रि.बैंक/विमुवि/2015-16/15
विमुवि मास्टर निदेश सं.5/2015-16

01 जनवरी 2016
(दिनांक 09 मई 2018 तक अद्यतन)
(दिनांक 16 मार्च 2018 तक अद्यतन)
(दिनांक 16 जनवरी 2018 तक अद्यतन)
(दिनांक 9 अक्तूबर 2017 तक अद्यतन)
(दिनांक 23 फरवरी 2017 तक अद्यतन)
(दिनांक 15 नवम्बर 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 20 अक्तूबर 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 19 सितम्बर 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 30 जून 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 11 मई 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 13 अप्रैल 2016 तक अद्यतन)
(दिनांक 30 मार्च 2016 तक अद्यतन)

समस्त प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक और प्राधिकृत बैंक

महोदया / प्रिय महोदय,

मास्टर निदेश – बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों और प्राधिकृत व्यापारियों को छोड़ कर अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में ऋण और उधार

बाह्य वाणिज्यिक उधार [ ईसीबी ] और व्यापार ऋण पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 [ फेमा ] की धारा 6 की उप-धारा 3 का खंड [ डी ] लागू होता है | विदेशों से इन दो प्रकार के उधारों के संबंध में विभिन्न प्रावधानों को फेमा के अंतर्गत बनाये गये तीन विनियमों में शामिल किया गया है :

  1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन [ विदेशी मुद्रा में उधार अथवा ऋण देना ] विनियमावली, 2000;

  2. दिनांक 07 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120 / 2004 आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन [ किसी भी विदेशी प्रतिभूति को अंतरित अथवा जारी करना ] विनियमावली, 2000 और,

  3. दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3 / 2000 आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन [ गारंटियां ] विनियमावली, 2000.

इन विनियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित विनियामक ढाँचे में किये गये परिवर्तनों को उनमें शामिल किया जा सके |

2. साथ ही, विनियमावली की रूपरेखा के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक भी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम [ फेमा ], 1999 की धारा 11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है | तैयार किये गये विनियमों को कार्यान्वित करने के लिए इन निदेशों में प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों / घटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार किस प्रकार से करना है उसके तौर तरीके निर्धारित किये जाते हैं |

3. इस मास्टर निदेश में उपरोल्लिखित उधार लेनदेन के संबंध में जारी किये गये अनुदेश संकलित किये गये हैं | इस दस्तावेज में प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से ईतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने और ऋण देने से संबंधित शर्तों का उल्लेख किया गया है | नीचे उल्लिखित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची, जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गयी है | रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में देखें जा सकते हैं | [दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18]

4. यह नोट किया जाए कि जहां आवश्यक हो वहां विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों / घटकों के साथ किये जानेवाले संबंधित लेनदेन के तरीके में यदि कोई परिवर्तन होता है तो रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को ए.पी. [ डीआईआर ] परिपत्र शृंखला के माध्यम से निदेश जारी करेगा | इसके साथ जारी किये गये मास्टर निदेशों में उसी समय पर्याप्त संशोधन किया जाएगा |

भवदीय,

[शेखर भटनागर]
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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