आरबीआई/2022-23/93
एफएमआरडी.डीआईआरडी.02/14.01.023/2022-23
01 जून 2022
प्रति
बाजार के सभी पात्र सहभागी
महोदया / महोदय
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण मार्जिन) निदेश, 2022
कृपया 06 फरवरी 2020 को जारी किए गए द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2019-20 के एक भाग के तौर पर घोषित विकासात्मक और विनियामक नीतियों के बारे में दिए गए वक्तव्य के पैराग्राफ 10 का अवलोकन कीजिए जो केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दिए गए डेरिवेटिव (एनसीसीडी) हेतु विचरण अंतर (वैरिएशन मार्जिन – वीएम) के विनिमय हेतु दिशानिदेशों को जारी करने के बारे है।
2. तदनुसार 07 सितम्बर 2020 को लोक अभिमत हेतु विचरण अंतर (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2020 का प्रारूप जारी किया गया था। बाजार के सहभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर निदेशों के प्रारूप की समीक्षा की गई और अब इन्हें अंतिम रूप दिया गया है। मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण अंतर) निदेश, 2022 इसके साथ संलग्न हैं।
भवदीया,
(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक
वित्तीय बाजार विनियमन विभाग
अधिसूचना सं.एफएमआरडी.03/14.01.023/2022-23 दिनांक 01 जून 2022
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण मार्जिन) निदेश, 2022
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (इसके बाद इसे अधिनियम कहा गया है) की धारा 45U के साथ पठित इसी अधिनियम की धारा 45W के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद रिज़र्व बैंक के रूप में उल्लिखित) एतदद्वारा निम्नलिखित निदेश जारी करता है।
इस संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42), विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000), विदेशी मुद्रा प्रबंधन (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 (अधिसूचना सं. फेमा.396/2019-आरबी दिनांक 17 अक्तूबर 2019) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020 (अधिसूचना सं. फेमा.399/आरबी-2000 दिनांक 23 अक्तूबर 2020) का अवलोकन भी किया जाए
1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन
(1) इन निदेशों को मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (विचरण मार्जिन) निदेश, 2022 कहा जाएगा।
(2) ये निदेश 01 दिसम्बर 2022 से लागू होंगे।
2. अनुमेयता
(1) इन निदेशों के उपबंध निम्नलिखित संविदाओं के लिए अनुमेय होंगे, जो इन निदेशों के लागू होने की तारीख को या इसके बाद निष्पादित की जाती हैं :
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केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दी गई विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) और मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक कारोबार दिनांक 05 जुलाई 2016, समय-समय पर यथासंशोधित के अनुसार निष्पादित की गई हैं;
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केन्द्रीय अनापत्ति नहीं दी गई ब्याज दर डेरिवेटिव संविदाएं जो समय-समय पर यथासंशोधित रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी.20/2019 दिनांक 26 जून 2019 के अनुसार निष्पादित की गई हैं;
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केन्द्रीय से अनापत्ति नहीं दी गई क्रेडिट डेरिवेटिव संविदाएं जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) निदेश, 2022 (अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआइआरडी.11/14.03.004/2021-22 दिनांक 10 फरवरी 2022) के अनुसार निष्पादित की गई हैं; और
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रिज़र्व बैंक द्वारा यथा निर्दिष्ट कोई भी अन्य संविदा जो केन्द्रीय अनापत्ति (एनसीसीडी) नहीं दी गई संविदा है।
(2) इन निदेशों के लागू होने की तारीख से पहले निष्पादित किसी विद्यमान डेरिवेटिव संविदा में यथार्थ संशोधनों (पूर्ववर्ती-नियमाधीन संविदा), निम्नलिखित सहित, इन निदेशों के तहत नवीन डेरिवेटिव संविदा के रूप में अर्हक नहीं होंगे।
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अप्रधान संशोधन जो संविदा के निबंधनों और शर्तों में प्रमुख बदलाव नहीं करते या कोई नया प्रमुख जोखिम सृजित नहीं करते;
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केवल बेन्चमार्क सुधारों का अनुपालन करने के प्रयोजन से किए गए संशोधन; और
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दायित्व नवीयन, पोर्टफोलियो संक्षेपण और पूर्ववर्ती नियमाधीन संविदाओं के संबंध में मानक व्यापार अनुरक्षण प्रक्रियाओं को लागू करने के परिणामस्वरूप सृजित संविदाएं। तथापि; पूर्ववर्ती नियमाधीन संविदाओं के संक्षेपण के परिणामस्वरूप सृजित संविदाओं के साथ-साथ इन निदेशों के अंतर्गत आने वाली संविदाओं को इन निदेशों के तहत मार्जिन अपेक्षाओं को पूरा करना होगा।
3. परिभाषाएं
(1) इन परिभाषाओं में यदि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित नहीं हो तो :
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केन्द्रीय प्रतिपक्ष का आशय ऐसे प्रतिष्ठान से है जो स्वयं को एक या एकाधिक वित्तीय बाजारों में सौदाकृत संविदाओं के प्रतिपक्षों के बीच अंत:स्थापित करता है और इस प्रकार प्रत्येक विक्रेता के लिए क्रेता और प्रत्येक क्रेता के लिए विक्रेता बन जाता है और इस प्रकार खुली संविदाओं के निष्पादन को सुनिश्चित कर देता है।
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समेकित समूह का आशय ऐसे समूह से है जो भारतीय लेखांकन मानक (इंड एएस) 110 – समेकित वित्तीय विवरणी, अथवा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (आइएफआरएस) 10 – समेकित वित्तीय विवरणी या किसी अन्य समतुल्य लेखांकन मानकों की विवेचनाओं में आता है।
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बाजार से संपार्श्वीकृत का आशय विचरण मार्जिन के विनिमय के प्रति ऐसे दृष्टिकोण से है जिसमें विनिमयकृत मार्जिन की विशिष्टता किसी डेरिवेटिव संविदा के पक्षकारों के बीच वर्तमान बाजार-सहबद्ध जोखिम को निरापद करने के लिए संपार्श्विक के रूप में है।
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वित्तीय क्षेत्र विनियामक का आशय भारतीय रिज़र्व बैंक (भारिबैं), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) और पेन्शन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से है।
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निवर्तन समझौता इसका वही आशय रहेगा जो अर्हक वित्तीय संविदाओं का द्विपक्षीय निवर्तन अधिनियम, 2020 (2020 का 30) की धारा 2(1)(k) के तहत निर्धारित किया गया है।
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केन्द्रीय अनापत्ति रहित डेरिवेटिव (एनसीसीडी) का आशय ऐसी डेरिवेटिव संविदाओं से है, जिनके निपटान को किसी भी केन्द्रीय प्रतिपक्ष ने गारंटीकृत नहीं किया है।
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अनिवासी का आशय ‘भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति’ को शामिल करते हुए वही रहेगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(w) में परिभाषित है।
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संबद्ध पक्ष का वही अर्थ रहेगा जो भारतीय लेखांकन मानक (इन्ड एएस) 24 – संबद्ध पक्ष-प्रकटीकरण अथवा अंतरराष्ट्रीय लेखांकन मानक (आइएएस) 24 – संबद्ध पक्ष-प्रकटीकरण या अन्य समतुल्य लेखांकन मानकों में निर्धारित कर दिया गया है ।
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निवासी का आशय ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ को शामिल करते हुए वही रहेगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(v) में परिभाषित है।
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बाजार के अनुसार निपटान का आशय है विचरण मार्जिन के विनिमय की ऐसी पद्धति जिसमें किसी डेरिवेटिव संविदा के पक्षों के बीच विनिमयकृत मार्जिन को बाजार से सम्बद्ध वर्तमान जोखिम के अनुसार निपटाया हुआ माना जाता है, इसमें विचरण मार्जिन का लौटाने का कोई दायित्व और इस पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं होता है। निपटान के बाद पक्षों के बीच बाजार से सम्बद्ध जोखिम को फिर से शून्य पर कर दिया जाता है।
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विचरण मार्जिन का आशय है वह संपार्श्विक जो किसी डेरिवेटिव संविदा के बाजार मूल्य में परिवर्तनों से होने वाले बाजार-संबद्ध वर्तमान जोखिम को परावर्तित करने के लिए लिया या चुकाया जाता है।
(2) इन निदेशों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो इनके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में निर्धारित किया गया है।
4. प्रतिष्ठानों का दायरा
4.1 समाहित प्रतिष्ठान
(1) इन निदेशों के तहत निम्नलिखित प्रतिष्ठानों को घरेलू समाहित प्रतिष्ठान के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा :
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वित्तीय क्षेत्र के किसी भी विनियामक द्वारा नियंत्रित प्रतिष्ठान (भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों की शाखाओं सहित) और समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी के बकाया का औसत सकल अनुमानिक रकम (एएएनए) ₹25,000 करोड़ या अधिक है।
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अन्य निवासी प्रतिष्ठान जिनके समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर बकाया एनसीसीडी का एएएनए ₹60,000 करोड़ और अधिक है।
(2) इन निदेशों के तहत निम्नलिखित प्रतिष्ठानों को विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा :
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अनिवासी वित्तीय प्रतिष्ठान समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी का बकाया एएएनए 3 बिलियन अमरीकी डॉलर और इससे अधिक है।1
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अन्य अनिवासी वित्तीय प्रतिष्ठान समेकित समूह व्याप्ति के आधार पर जिनके एनसीसीडी का बकाया एएएनए 8 बिलियन अमरीकी डॉलर और इससे अधिक है।
(3) अनुच्छेद 4.1 (1) और (2) के प्रयोजन से बकाया एनसीसीडी के एएएनए का आकलन अनुच्छेद 4.2 में बताए अनुसार किया जाएगा।
4.2 बकाया एनसीसीडी की औसत सकल अनुमानिक रकम
(1) बकाया एनसीसीडी के एएएनए का आकलन एक वर्ष के मार्च, अप्रैल और मई के अंत की स्थिति के अनुसार बकाया एनसीसीडी की कुल अनुमानिक रकम के साधारण औसत के रूप में किया जाएगा। घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों और विदेशी समाहित प्रतिष्ठानों का निर्धारण करने के लिए एक वर्ष के लिए एएएनए का उपयोग उसी साल के 1 सितम्बर से अगले साल के 31 अगस्त तक की एक वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा।
(2) एएएनए आकलन में इन निदेशों के दायरों से बाहर के समूहों सहित सभी समेकित समूहों की सभी एनसीसीडी संविदाओं को शामिल किया जाएगा लेकिन समूह-गत संव्यवहारों को शामिल नहीं किया जाएगा।
4.3 समाहित प्रतिष्ठानों हेतु निदेश
(1) यदि कोई प्रतिपक्ष घरेलू समाहित प्रतिष्ठान है या विदेशी समाहित प्रतिष्ठान है तो घरेलू समाहित प्रतिष्ठान द्वारा विचरण मार्जिन का विनिमय किसी एनसीसीडी संव्यवहार के प्रतिपक्ष के साथ ही किया जाएगा। घरेलू समाहित प्रतिष्ठान समुचित प्रक्रिया स्थापित करेगा ताकि यह परिनिर्धारित हो सके कि किसी एनसीसीडी संव्यवहार का कोई प्रतिपक्ष घरेलू समाहित प्रतिष्ठान है अथवा विदेशी समाहित प्रतिष्ठान। इस प्रयोजन के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान, अन्य बातों के साथ-साथ, प्रतिपक्षों द्वारा की जाने वाली घोषणा पर निर्भर करे।
(2) इन निदेशों के उपबंध भौतिक रूप से निपटाए गए विदेशी विनिमय वायदा और भौतिक रूप से निपटाए गए विदेशी विनिमय स्वैप संविदाओं पर लागू नहीं होंगे। तथापि, घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों से अपेक्षित है कि ऐसे संव्यवहारों के साथ जुड़े हुए जोखिमों का समुचित रूप से प्रबंधन करे।2
(3) इन निदेशों के उपबंध उन एनसीसीडी संव्यवहारों पर लागू नहीं होंगे जिसमें कोई एक प्रतिपक्ष निम्नलिखित में से हो :
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भारत सरकार और राज्य सरकारें;
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कोई विदेशी संप्रभुत्व सरकार;
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कोई केन्द्रीय बैंक;
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बैंक फॉर इन्टरनेशनल सेटलमेन्ट; और
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दिनांक 01 अप्रैल 2022 को जारी और समय-समय पर यथासंशोधित बासेल-III पूंजी विनियमावली पर भारतीय रिज़र्व बैंक मास्टर परिपत्र के अनुच्छेद 5.5 के तहत सूचीबद्ध बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी)।3
(4) एक ही समेकित समूह से सहबद्ध प्रतिष्ठानों के बीच किसी एनसीसीडी संव्यवहार के लिए इन निदेशों के उपबंध लागू नहीं होंगे।
5. विचरण मार्जिन की संगणना और विनिमय
(1) विचरण मार्जिन की संगणना दैनिक आधार पर की जाएगी और संव्यवहार तारीख (“T”) के बाद या मार्जिन की पुन: संगणना तारीख (“R”) के बाद यथाशीघ्र इसकी मांग और इसका विनिमय किया जाएगा, लेकिन यह समय संव्यवहार की तारीख (“T+3”) अथवा मार्जिन पुन: संगणना की तारीख (“R+3”) से तीन स्थानीय कारोबारी दिनों के बाद का नहीं होना चाहिए।
(2) विचरण मार्जिन का विनिमय पूरी तरह से बाजार के साथ संपार्श्विकृत या बाजार के अनुसार निपटान की गई, किसी एनसीसीडी संविदा के बाजार-से-सहबद्ध जोखिम के साथ किया जाएगा। ऐसी स्थिति जब जोखिमों को बाजार-से-सहबद्ध नहीं किया जा सकता हो तब पूर्व-सहमत वैकल्पिक प्रक्रिया अथवा फॉलबैक व्यवस्था, जैसा कि क्रेडिट समर्थन अनुलग्नक में निर्धारित है, का प्रयोग विचरण मार्जिन की संगणना करने के प्रयोजन से किया जाएगा।
(3) विचरण मार्जिन की संगणना और विनिमय सम्यक निवल आधार पर उन सभी एनसीसीडी संविदाओं के लिए किया जाएगा, जिनका निष्पादन एकल, विधिक रूप से प्रवर्तनीय निवारक करार के तहत किया जाता है।
(4) विचरण मार्जिन के विनिमय हेतु ₹3.5 करोड़ से अनधिक की न्यूनतम अंतरण रकम को प्रयुक्त किया जाए। यदि विचरण मार्जिन की रकम न्यूनतम अंतरण रकम से अधिक हो जाती है तो समस्त मार्जिन रकम का विनिमय किया जाएगा।
(5) किसी घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के बीच एनसीसीडी संव्यवहार हेतु या तो भारत में या किसी विदेशी अधिकार क्षेत्र में, दिनांक 15 फरवरी 2021 को जारी ए.पी. (डीआइआर शृंखला) परिपत्र सं.10 के उपबंधों के अनुसार विचरण मार्जिन की प्रविष्टि/का संग्रह किया जाए।
6. पात्र संपार्श्विक और हेयरकट
(1) किन्ही दो घरेलू समाहित प्रतिष्ठानों के बीच विचरण मार्जिन का विनिमय निम्नलिखित प्रकारों के संपार्श्विक का उपयोग करते हुए किया जाएगा :
(a) भारतीय मुद्रा;
(b) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियों; और
(c) भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी रुपया बॉन्ड :
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जो भारत में किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्ज में सूचीबद्ध हों; और
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जिन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में पंजीकृत किसी रेटिंग एजेन्सी द्वारा AAA की क्रेडिट रेटिंग दी गई हो। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेन्सियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है तो न्यूनतम रेटिंग को ही मान्य किया जाएगा।
(2) किसी घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के बीच विचरण मार्जिन का विनिमय, दिनांक 15 फरवरी 2021 को डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन के बारे में जारी ए.पी. (डीआइआर शृंखला) परिपत्र सं.10 के उपबंधों के अनुसार निम्नलिखित प्रकारों के संपार्श्विक का उपयोग करते हुए किया जाएगा :
(a) भारतीय मुद्रा;
(b) पूर्णतया संपरिवर्तनीय विदेशी मुद्रा;
(c) भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियां;
(d) विदेशी संप्रभुत्व सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियां, जिन्हें एस एन्ड पी ग्लोबल रेटिंग्स / फिच रेटिंग्स द्वारा AA- और इससे उच्च अथवा मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस द्वारा Aa3 और उच्च रेटिंग की क्रेडिट रेटिंग मिली हो। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेन्सियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है तो न्यूनतम रेटिंग को ही मान्य किया जाएगा; और
(e) भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी रुपया बॉन्ड :
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जो भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेन्ज में सूचीबद्ध हों; और
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जिन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में पंजीकृत किसी रेटिंग एजेन्सी द्वारा AAA की क्रेडिट रेटिंग दी गई हो। यदि दो या अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेन्सियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है तो न्यूनतम रेटिंग को ही मान्य किया जाएगा।
(3) प्राप्त संपार्श्विक के मूल्य पर जोखिम-संवेदी हेयरकट लगाये जाएंगे। संपार्श्विक के प्रकार को आधार बनाते हुए प्राप्त संपार्श्विक पर लगाए जाने वाले न्यूनतम हेयरकट की अनुसूची अनुलग्नक में निर्धारित की गई है। एनसीसीडी संव्यवहार की आधारभूत मुद्रा या क्रेडिट समर्थन अनुसूची में यथा-सहमत पात्र मुद्राओं के अलावा किसी अन्य मुद्रा में प्राप्त सभी गैर-नकदी संपार्श्विक पर 8% का अतिरिक्त हेयरकट लगाया जाएगा।
(4) किसी एनसीसीडी संव्यवहार के प्रतिपक्षों में से किसी भी एक के द्वारा अथवा उनके संबद्ध पक्षों द्वारा जारी प्रतिभूतियों को संपार्श्विक के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
(5) प्राप्त संपार्श्विक के साथ सहबद्ध जोखिमों, के साथ-साथ अनुपयुक्त-साधन के कारण जोखिम4, संकेन्द्रण जोखिम और चलनिधि जोखिम का प्रबंधन करने के लिए प्रतिपक्षों को समुचित नियंत्रण स्थापित करने होंगे।
7. बाजार के साथ संपार्श्वीकृत पद्धति के तहत संपार्श्विक का प्रतिपादन
(1) बैंकों द्वारा विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त किए गए नकद संपार्श्विक को जमाराशियों के रूप में नहीं माना जाएगा और समय-समय पर यथा संशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (जमाराशियों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 इस पर लागू नहीं होंगे।
(2) प्राधिकृत डीलरों द्वारा विचरण मार्जिन के तौर पर प्राप्त किए गए नकद संपार्श्विक को उधारियों के तौर पर नहीं लिया जाएगा और समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक डीलिंग, 2016 के भाग-सी के अनुच्छेद 5 के तहत दिए गए उपबंध इसके लिए अनुमेय नहीं होंगे।
(3) क्रेडिट समर्थन अनुलग्नक की शर्तों के अनुसार प्रतिपक्षों द्वारा विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद संपार्श्विक पर ब्याज दिया जाए।
(4) विचरण मार्जिन के रूप में प्राप्त नकद और गैर-नकद संपार्श्विक को क्रेडिट समर्थन अनुलग्नक के अनुसार पुन: दृष्टिबंधित, पुन: प्रतिभूत या पुन: प्रयुक्त किया जा सकता है।
8. सीमा-पार संव्यवहारों के लिए मार्जिन अपेक्षाएं
(1) किसी घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के बीच एनसीसीडी संव्यवहार विदेशी अधिकारक्षेत्र में मार्जिन अपेक्षाओं की शर्त के अनुसार होगा। घरेलू समाहित प्रतिष्ठान और विदेशी अधिकार क्षेत्र में इसका प्रतिपक्ष इन निदेशों का अनुपालन करने के बारे में या विदेशी अधिकार क्षेत्र में लागू मार्जिन अपेक्षाओं का अनुपालन करने के बारे में निर्णय लें बशर्ते विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन-व्यवस्था का जो आकलन घरेलू समाहित प्रतिष्ठान ने किया हो वह इन निदेशों की अपेक्षाओं के साथ तुलनीय हो।
(2) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान द्वारा निम्नलिखित व्यापक सिद्धांतों के आधार पर विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन-व्यवस्था की तुलनीयता का आकलन किया जाएगा :
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जिस विदेशी अधिकारक्षेत्र की मार्जिन निर्धारित करने की व्यवस्था का आकलन किया जा रहा है वह मार्जिन अपेक्षाओं के बारे में बीसीबीएस-आइओएससीओ कार्यदल का सदस्य हो;
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विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन निर्धारित करने की व्यवस्था को बीसीबीएस और आइओएससीओ द्वारा जारी एनसीसीडी हेतु मार्जिन अपेक्षाओं की नीतिगत व्यवस्था के अनुरूप क्रियान्वित किया जाता है; और
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विदेशी अधिकारक्षेत्र में विधिक रूप से प्रवर्तनीय निवर्तन व्यवस्था है।
(3) इस प्रयोजन के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान को तुलनीयता आकलन हेतु अपने बोर्ड से अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी। प्रत्येक विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन निर्धारण व्यवस्था के आकलन को बोर्ड की जोखिम प्रबंधन समिति /समकक्ष निकाय के समक्ष रखना होगा जिसकी आवधिक समीक्षा की जाए।
(4) किसी विदेशी अधिकारक्षेत्र की मार्जिन निर्धारण व्यवस्था का अनुपालन करने का अभिप्राय रखने वाले घरेलू समाहित प्रतिष्ठान को डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन पर ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.10 दिनांक 15 फरवरी 2021 के उपबंधों का अनुपालन करना होगा।
(5) रिज़र्व बैंक किसी भी भावी तारीख को इन निदेशों की तुलना में विदेशी अधिकार क्षेत्र की मार्जिन निर्धारक व्यवस्था की तुलनीयता का आकलन कर सकता है। ऐसे आकलन इस बारे में होंगे कि विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन निर्धारक व्यवस्था को बीसीबीएस और आइओएससीओ द्वारा जारी एनसीसीडी हेतु मार्जिन अपेक्षाओं के बारे में नीतिगत व्यवस्था के अनुरूप लागू किया जाता है।
(6) किसी विदेशी अधिकार क्षेत्र में मार्जिन निर्धारक व्यवस्था के आकलन के आधार पर रिज़र्व बैंक उन प्रतिपक्षों द्वारा पूरी करने के लिए अतिरिक्त शर्तें अधिरोपित करेगा जो उस अधिकार क्षेत्र की मार्जिन निर्धारक व्यवस्था का अनुपालन करने का अभिप्राय रखते हैं।
(7) घरेलू समाहित प्रतिष्ठान किसी विदेशी समाहित प्रतिष्ठान के साथ एनसीसीडी संव्यवहार में विचरण मार्जिन का विनियम नहीं करे यदि निम्नलिखित के अनुसार निवारक के समापन और/या संपार्श्विक व्यवस्थाओं की प्रवर्तनीयता के बारे में महत्त्वपूर्ण संदेह हों :
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घरेलू समाहित प्रतिष्ठान विधिक समीक्षा करेगा और उस अधिकार क्षेत्र का अभिनिर्धारण करने के आधारों का प्रलेखबद्ध करेगा जहां पर निवारक के समापन और/या संपार्श्विक व्यवस्थाओं की प्रवर्तनीयता विधिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं; और
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इस प्रकार से आकलित प्रत्येक अधिकार क्षेत्र के लिए घरेलू समाहित प्रतिष्ठान उस अधिकार क्षेत्र में स्थित प्रतिपक्षों के प्रति अपने जोखिम के लिए समुचित आंतरिक सीमाएं और प्रबंधन हेतु नियंत्रणों की व्यवस्था करेगा।
9. विवादों का समाधान
(1) एनसीसीडी संव्यवहार निष्पादित करने से पहले प्रतिपक्षों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विवाद समाधान हेतु समुचित नीतियों और पद्धतियों की व्यवस्था कर ली गई है। ऐसी नीतियों और पद्धतियों में, अन्य बातों के साथ-साथ विसंगतियों या मूल्यांकनों को विवाद के रूप में वास्तविक दृष्टियों से निर्धारित करने की प्रक्रियाओं, ऐसे विवादों का समाधान करने के लिए क्रियापद्धति और वास्तविक विवादों को वरिष्ठ प्रबंधन या बोर्ड, जैसा भी समुचित हो, के समक्ष ले जाना भी शामिल है।
(2) मार्जिन संबंधी विवाद के मामले में प्रतिपक्षों द्वारा पहले तो अविवादित रकम का विनिमय किया जाएगा और विवाद समाधान प्रोटोकॉल को समय पर आरंभ करने सहित सभी आवश्यक और समुचित प्रयास किया जाएगा ताकि विवाद का समाधान हो और समयबद्ध तरीके से शेष बचे हुए विचरण मार्जिन की रकम का विनिमय कर लिया जाए।
(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक
मानकीकृत हेयरकट अनुसूची
आस्ति वर्ग |
हेयरकट (बाजार मूल्य का %) |
नकद |
0 |
भारत सरकार और राज्य सरकारों / विदेशी केन्द्रीय सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियां |
शेष परिपक्वता ≤ 1 वर्ष |
0.5 |
शेष परिपक्वता > 1 वर्ष, ≤ 5 वर्ष |
2 |
शेष परिपक्वता > 5 वर्ष |
4 |
भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी और AAA क्रेडिट रेटिंग वाले सूचीबद्ध रुपया बॉन्ड |
शेष परिपक्वता ≤ 1 वर्ष |
4 |
शेष परिपक्वता > 1 वर्ष, ≤ 5 वर्ष |
6 |
शेष परिपक्वता > 5 वर्ष |
8 |
वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी सूचीबद्ध रुपया बॉन्डों पर अतिरिक्त (योगात्मक) हेयरकट (अनुपयुक्त साधन से संभावित जोखिम से निपटने के लिए) |
5 |
करेन्सी बेमेलपन के लिए अतिरिक्त (योगात्मक) हेयरकट |
8 |
|