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तयशुदा लेन - देन प्रणाली (एनडीएस)

वर्ष 2002 तक, सरकारी प्रतिभूति बाजार मुख्यवतया टेलीफोन बाजार था। क्रेता और विक्रेता टेलीफोन पर व्या2पार करते थे और सरकारी प्रतिभूतियों के अंतरण के लिए सहायक सामान्यल खाता-बही (एसजीएल) अंतरण फार्म प्रत्यएक्ष रूप में तथा निधि के समायोजन हेतु चेक रिज़र्व बैंक को प्रस्तु त करते थे। ये हस्ताचलित परिचालन उतने सक्षम नहीं थे तथा उनमें विलम्ब हो जाता था। सरकारी प्रतिभूति बाजार की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्यन से भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्या पार तथा निपटान की प्रक्रिया को स्व चलित करने के लिए कदम उठाए और फरवरी 2002 में तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) लागू की गई।

तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) के दो मॉड्यूल है – एक प्राथमिक बाजार के लिए और दूसरा द्वितीयक बाजार के लिए।

I. प्राथमिक बाजार मॉड्यूल

केंद्र सरकार और राज्यप सरकारों, दोनों की दिनांकितप्रतिभूतियों के साथ-साथ खजाना बिलों की नीलामी के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक प्राथमिक नीलामी मंच (एनडीएसनीलामी) का उपयोग करता है। यह मंच सहभागियों को इलेक्ट्रॉ्निक रूप से प्राथमिक नीलामी में अपनी बोलियांप्रस्तुचत करने तथा आबंटन रिपोर्ट प्राप्ते करने की अनुमति देता है।

नीलामीमंच की प्रमुख विशेषताएं निम्ना्नुसार हैं :-

(क)निर्गमों का सृजन –रिज़र्व बैंक प्रतिभूति का ब्योपरा, कुल राशि (अधिसूचित राशि) तथा बोली की तिथि और समय इत्या दि देते हुए प्रतिभूति का सृजन करता है।

(ख)बोलियांप्रस्तुात करना – सहभागी सदस्यक निर्गम संख्याय पर क्लिक करके इलेक्ट्रॉिनिक रूप से, उस राशि और मूल्यय/आय पर विशिष्ट रूप से प्रस्तुयत कर सकते हैं जिस पर वे प्रतिभूतियां खरीदने के इच्छुयक हैं।

(ग)बोलियों पर कार्रवाई –रिज़र्व बैंक बोलियों पर कार्रवाई करता है और नीलामी के फार्मेट के आधार पर निश्चित मूल्यु/आय निर्धारित करता है।

(घ)आबंटन सूचना – एक बार निश्चित मूल्यप/आय निर्धारित होने पर रिज़र्व बैंक इस निश्चित मूल्यप/आय तक अथवा उसके ऊपर की सभी बोलियांस्वी कार कर लेता है। प्रणाली स्वरत: सफल बोलियों की सहभागी वार रिपोर्ट तैयार करती है और इलेक्ट्रॉ निक रूप में ही उन्हेंणसहभागियों को भेजती है।

(ड.)निपटान– प्रणाली एक भुगतान रिपोर्ट का सृजन करती है जिसमें प्रत्येसकसदस्यो द्वारा दी जाने वाली राशि का ब्योररा और प्रत्ये क सहभागी को जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों की मात्रा दी होती है। इस रिपोर्ट के आधार पर रिज़र्व बैंक के पास प्रत्ये कसदस्या के निधि खाते को नामे डाला जाता है तथा रिज़र्व बैंक के पास सदस्यों के प्रतिभूति खाते में प्रतिभूति जमा किया जाता है। ग्राहकों की बोलियों के लिए, उनके अभिरक्षक बैंकों/प्राथमिक व्यामपारियों के खातों को इस प्रकार परिचालित किया जाता है। अभिरक्षक वह बैंक अथवा प्राथमिक व्या पारी है जो व्ययक्तियों और छोटी संस्थातओं की सरकारी प्रतिभूतियों का अनुरक्षण करता है।

II. द्वितीयक बाजार मॉड्यूल

सरकारीप्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार व्याापार काउंटर पर (ओटीसी) हो सकता है। ये व्यासपार आम तौर पर फोन पर होते हैं। सहभागियों से अपेक्षा की जाती है कि वे द्वितीयक बाजार के व्याौपारएनडीएस पर रिपोर्ट करें। एक बार उनकी रिपोर्टिंग प्रक्रिया पूरी होने तथा प्रणाली द्वारा व्याौपारस्वीएकार किए जाने पर आंकड़े स्वोत: ही समाशोधन और भुगतान के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमि. (सीसीआइएल) को चले जाते हैं (सीसीआइएल के लिए बॉक्सक देखें) इससे कागज आधारित निपटान प्रक्रिया से बचा जा सकता है। कागज आधारित प्रणाली में सहभागियों को प्रतिभूतियों के अंतरण के लिए सहायक सामान्यगलेजर (एसजीएल) फार्मों तथा निधियों के अंतरण के लिए चेकों का आदान प्रदान करना होता था।

एनडीएस पर रिपोर्ट किए गए व्याnपारों का ब्योतरा भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाईट http://www.rbi.org.in/scripts/ndsuserxsl.aspx केमाध्यभम से दिया जाता है।

भारतीयसमाशोधन निगम लिमि.

भारतीयसमाशोधन निगम लिमि. (सीसीआइएल) मिश्रित पूंजीकंपनी है जिसमें बड़े बैंकों और वित्तीएयसंस्थािनों का शेयर पूंजी अंशदान है। सीसीआइएल केवल सरकारी प्रतिभूति बाजार के लिए समाशोधन और भुगतान एजेंसी है। सरकारी प्रतिभूति बाजार में सीसीआइएल प्रणाली द्वारा स्वी कार किए गए सभी व्यारपारों के निपटान की गारंटी देता है। यह दायित्वि नवीकरण के माध्याम से किया जाता है। सीसीआइएलदायित्वा नवीकरण के माध्य म से सभी द्वितीयक बाजार व्याीपारों में केंद्रीय प्रतिपक्ष (सीसीपी) के रूप में कार्य करता है। दायित्व /नवीकरण में ‘क’ और ‘ख’ दो पक्षों के बीच में व्‍यापार दो अलग-अलग व्याेपारों के रूप में होता है – एक व्यारपार‘क’ और सीसीपी के बीच तथा दूसरा ‘ख’ और सीसीपी के बीच। दोनों मामलों में केंद्रीय प्रति पक्ष सीसीआइएल होगा। दूसरे शब्दों में,सीसीआइएल क्रेता के लिए विक्रेता और विक्रेता के लिए क्रेताहोता है। रिज़र्व बैंक भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के अंतर्गत सीसीआइएल का विनियमन करता है।

एनडीएस-ओएम

भारतीयरिज़र्व बैंक ने तयशुदा लेन-दन प्रणाली-ऑर्डरमैचिंग अथवा एनडीएस-ओएम, जैसा कि उसे कहा जाता है,अगस्तय 2005 में आरंभ किया। सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार के लिए एनडीएस-ओएम, एक इलेक्ट्रॉ निक,क्रीन आधारित, नाम रहित, आदेश चालित व्या पार प्रणाली है। एनडीएस-ओएम भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिकृत है,सीसीआइएल इसका अनुरक्षण करता है। यह मंच, सरकारी प्रतिभूतियों में ओटीसी अथवा पेन पर, संबंधी वर्तमान सुविधाओं के अतिरिक्तं है।

सरकारीप्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजारलेन-देनों में एनडीएस-ओएम पारदर्शिता लाता है। सदस्यण अपनी बोलियां (खरीदने के आदेश) तथा ऑफ्र (बिक्री आदेश) सीधे ही एनडीएस-ओएमक्रीन पर रख सकतेहैं। आदेश चालित होने के कारणप्रणाली सभी बोलियों और ऑफर्स को मूल्य /समय की प्राथमिकता पर मैच करती है, अर्थात् उसी मूल्यं के आदेश में यह सबसे पुराने आदेश को पहले मैच करती है। प्रणाली सहभागियों के नाम गुप्त रखती है क्योंेकिसीसीआइएल सभी व्याकपारों के भुगतान के लिए केंद्रीय प्रतिपक्ष (सीसीपी)के रूप में कार्य करता है। एनडीएस-ओएम में सीधे प्रक्रिया (एसटीपी) की सुविधा भी उपलब्धर है, अर्थात् प्रणाली पर सभी कारोबार भुगतान के लिए स्वकत: सीसीआइएल को भेज दिए जाते हैं। परिचालनों की सक्षमता और सुविधा के कारण सरकारी प्रतिभूतियों के व्यािपार की मात्रा का 80 प्रतिशत से अधिक कारोबार एनडीएस-ओएम पर होता है।

एनडीए-ओएम के कारोबार का ब्योरा सीसीआइएल की वेबसाइट www.ccilindia.com/OMHome.aspx परउपलब्धक है। सदस्योसंस्था.ओं के केवल प्राधिकृत प्रयोगकर्ता ही प्रणाली में ‘लॉग इन’ कर सकते हैं।

सहभागी

एनडीए-ओएम में दो प्रकार के सहभागी हैं –प्रत्यमक्ष और अप्रत्यनक्ष। प्रत्ययक्षसदस्योंा के चालू और एसजीएल खाते रिज़र्व बैंक में होते हैं और वे अपने व्याडपार के संबंध में निपटान एनडीएस-ओएम पर सीधे ही कर सकते हैं। अप्रत्यैक्षसदस्यड वे सदस्यं हैं जिनका रिज़र्वबैंक के पास चालू और एसजीएल खाता नहीं है अत: उन्हेंेएनडीएस-ओएम पर उन सदस्यों के माध्यवम से व्याऔपार करना होता है जिनके खाते रिज़र्व बैंक के पास हैं।

सभी निवासी संस्थािन,कार्पोरेट्स सहित लेकिन व्य क्तियों को छोड़कर, की पहुंच एनडीएस-ओएम तक प्रत्य क्ष अथवा अप्रतयक्ष रूप से है। विदेशी संस्थावगत निवेशकों को अप्रत्याक्ष रूप से पहुंच प्रदान की गई है।

विशिष्टव रूप से, वर्तमान में बैंकों,राज्यर सहकारी बैंकों सहित, प्राथमिक व्या पारियों (पीडी) बीमा कंपनियों,म्यु च्यु अलफंडों के चालू और एसजीएल खाते रिज़र्व बैंक में हैं अत: वे सीधे एनडीएस-ओएम से व्याईपार कर सकते हैं।

अर्हताप्राप्तासंस्थापन, जैसे गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी), छोटी भविष्योनिधियां, पेंशन निधियां, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और न्यागस,कार्पोरेट्स और एफआइआइ के चालू और एसजीएल खाते रिज़र्व बैंक के पास नहीं हैं,अत: वे अप्रत्यतक्ष रूप से अर्थात् एनडीएस-ओएम पर बैंकों और प्राथमिक व्या पारियों के माध्यषम से व्याबपार कर सकते हैं।

बैंक और प्राथमिक व्याकपारीअप्रत्य क्षसदस्यों् के प्रतिभूति और निधि खाते खोलकर उन्हेंकअभिरक्षण संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। अप्रत्य‍क्षसदस्यस ग्राहकों के खातों का उपयोग करते हुए उनके अभिरक्षकों के माध्यथम से आदेश दे सकते हैं। अंतत: ऐसे व्यायपारों का भुगतान उस अभिरक्षक के सीएसजीएल खाते तथा चालू खाते के माध्यदम से किया जाता है।

एनडीएस-ओएम की वर्तमानमें 130 वित्ती यसंस्था्नों की सदस्यतता है।

एसजीएल (सहायक सामान्यीलेजर खाता) – यह एक प्रतिभूति खाता है जो बैंकों और प्राथमिक व्याएपारियों द्वारा अपनी सरकारी प्रतिभूतियां रखने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखा जाता है। एसजीएल खाते में केवल उनकी स्वाीमित्वा वाली धारिताएं रखने की अनुमति होती है।

सीएसजीएल खाता – बैंकों और प्राथमिक व्याबपारियों को अपने ग्राहकों के खातों का अनुरक्षण करने की अनुमति है। ग्राहकों की धारिताएं भारतीय रिज़र्व बैंक में एक संयुक्तप खाते में रखी जाती हैं जिसे सीएसजीएल खाता कहते हैं।

एनडीएस-ओएम का सदस्यह कौन हो सकता है?

एनडीएस-ओएम की सदस्यसता के लिए निम्नालिखित अपेक्षाएं है :-

  • रिज़र्व बैंक के पास एसजीएल खाता रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता *इनफानेट (भारतीय वित्तीजय नेटवर्क) कनेक्टिविटी
  • सीसीआइएल की सदस्ययता

* म्युोच्युएअलफंड और बीमा कंपनियों जैसी संस्‍थाओं को, जो रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता खोलने हेतु पात्रनहीं हैं,उन्हेंा निपटान के लिए सीसीआइएल द्वारा नियत किए गए नामित समायोजन बैंकों (डीएसबी) में से किसी एक बैंक में निधि खाता खोलना आवश्य क होगा।

एनडीएस-ओएम पर व्यासपारक्योंड ?

  • एनडीएस-ओएमसहभागियों के नाम गुप्ती रखना सुनिश्चित करता है तथा,इस प्रकार बाजार का वस्तुइनिष्ठमूल्यवन सुनिश्चित करता है। चूंकि ओटीसीव्याकपार में सहभागी एक-दूसरे को पहचानते हैं, उनके समक्ष विपरितमूल्यरन हो सकता है। इस प्रणाली में तुरंत आधार पर व्याापार से पहले (अर्थात बोली/ऑफर) तथा व्यांपार के बाद (अर्थात् पिछले व्या पार का मूल्यस और उसकी मात्रा), दोनों की जानकारी उपलब्धा होती है। इसमें ओटीसी बाजार की तुलना में पारदर्शी और बेहतर मूल्यम जानने की सुनिश्चितता है जहां सूचना के प्रसार में 30 मिनट तक का विलंब हो सकता है। व्याचपार 5 करोड़ रुपए के मानक आकार तथा 5 करोड़ रुपए के गुणकोंमें होता है जिससे प्रणाली में पर्याप्त चलनिधिउपलब्धएहोतीहै। 5 करोड़रुपए से कम के छोटे आकार में व्यालपार हेतु, एक अलग ‘विषम मात्रा’ घटक (न्यूकनतमव्याेपार राशि केवल10,000 रुपए) भी उपलब्धज है। सहभागियों को बाजार की गहराई पता लगता है क्यों कि प्रणाली प्रत्येकि प्रतिभूति के लिए खरीदने/बेचने कीसंख्यापऔर कुल राशि दर्शाती है। यह ओटीसीबाजार में संभव नहींहै। इसमें परिचालनगत सुविधाका उच्चकस्त्र है क्योंाकिव्यानपार हेतु आदेश देने,व्या्पार करने तथा भुगतान की प्रक्रियापूर्णत:स्वशचालित है। एक बार प्रणाली में कारोबार पूरा होने पर, भुगतान के लिए इसकीपुष्टि समझी जाती है। ओटीसी बाजार में सौदोंकीपुष्टि एनडीएस पर करनी होतीहै, तभी वे भुगतान के लिए स्वी।कार माने जातेहैं।
  • एनडीएस-ओएम पर व्या पार होने पर साथ-साथ रिपोर्टिंग हो जाती है जबकि ओटीसीबाजार में सहभागियों को लेन-देन अलग से सूचित करने होते हैं।
एनडीएस-ओएम की विशेषताएं

हालांकिपरिचालनगत सुविधा और बेहतर सुरक्षा के लिए इसकी बहुत-सी विशेषताएं हैं, इनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नाानुसार हैं :-

(i) बाजार निगरानी

यूजर द्वारा प्रणाली में लॉग-इन करने के बाद एनडीएस-ओएम का पहला पृष्ठब बाजार निगरानी है। इस पृष्ठद पर प्रत्येॉक प्रतिभूति के लिए तुरंत आधार पर प्रतिभूति वार ब्यो रा, बाजार की वर्तमान स्थिति जिसमें सर्वोत्तयमऑफर,व्यािपार किया गया पिछला मूल्या तथा आय और कुल व्यामपारित राशि उपलब्धु होती है।

बाजार निगरानी बाजार के विभिन्न‍ घटकोंके लिए उपलब्ध। है यथा, केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां (सीजी),राज्य सरकार की प्रतिभूतियां (एसजी), खजाना बिल (टीवी), विषम संख्या बाजार(ओडी) और यदा जारी बाजार (डब्यू सर आइ)।

बाजार निगरानी पृष्ठO से यूजर प्रणाली में उपलब्धाबोलियों और ऑफर्स के प्रतिभूति स्तोर के मूल्य//आय को निर्देश करते हुए ड्रिलडाउन कर सकते हैं। यह प्रत्येिक प्रतिभूति के लिए बोली और ऑफर की कुल संख्याआ और राशि देते हुए बाजार की गहराई भी दर्शाती है। http://www.ccilindia.com/OMHome.aspx पर भी उपलब्धई है।


(ii) आदेश देना/(बोलियांऑफर्स)

क्रीन पर 'place bid' आइकॉन को क्लिक करके अथवा बाजार निगरानी पृष्ठर पर सर्वोत्त मऑफरडबल क्लिक करके बोली लगाई जा सकती है। इसी प्रकार, बाजार निगारनीपृष्ठप पर उपलब्धयसर्वोत्तकम बोली को डबल क्लिक करके ऑफर दी जा सकती है।


  • बोली अथवा ऑफर देते हुए रखी जानेवाली बोली/ऑफर की पूरी राशि दिखाने अथवा ‘डीक्यूा’(प्रकट मात्रा) सिलेक्ट करके राशि का एक भाग दिखाने का चयन किया जा सकता है।
  • साथ ही, आदेश तीन प्रकार की अवधि के संमिश्रण से किया जा सकता है यथा,

(क) दिन – जो पूर्ण व्याथपार दिवस के लिए वैध है।

(ख)जीटीटी–'समय रहने तक' का अर्थ है आदेश विशिष्टअ अवधि तक वैध रहेगा।

(ग)आइओसी–'तत्कामल अथवा निरस्ता' का अर्थ है कि यह तुरंत निष्पागदि होगा अथवा मैंचिंग आदेश न मिलने पर निरस्ते हो जाएगा।

(iii) आदेश पुष्टि

एक बार आदेश का ब्योनरा भर कर प्रस्तुतत करने के बाद प्रणाली द्वारा आदेश का ब्योतरा एक बार फिर दर्शाया जाएगा (नीचे दर्शायी क्रीन देखें)। पुष्टि करने के बाद ही प्रणाली में आदेश जाता है।


(iv) संशोधन/निरसन बोलियां

एनडीएस-ओएम पर रखे गए आदेशों को उनकेमैच होने से पहले किसी भी समय संशोधित अथवा निरस्तव किया जा सकता है। इससे सदस्योंे को मूल्य उतार-चढ़ाव के अनुसार दिए गए आदेशों में सुधार की सुविधा होती है। साथ ही, सहभागी की आवश्ययकता के अनुसार, सभी आदेशों/सभी क्रय आदेशों/सभी विक्रय आदेशों/एक समय में किसी विशेष आदेश को निरस्त, करने की सुविधा भी उपलब्ध है।

(v) न्यूनन खेप व्या पार

खुदरा निवेशकों द्वारा छोटे आकार में व्यांपार को सुविधाजनक बनाने के लिए एनडीएस-ओएम में एक अलग घटक बनाया गया है जिसमें न्यूरनतमव्या पार 10,000 रुपए का है। इससे सहकारी बैंकों,भविष्यै निधियों और अन्यववित्तीायसंस्थाानों को,5 करोड़ रुपए से कम, छोटे आकार में कारोबार करने में सुविधा होगी। चूंकि मूल्यअ पारदर्शी हैं और इस मंच में कारोबार में नाम गुप्ता रखा जाता है,अत: छोटे सहभागियों के हितों की रक्षा होती है।

(vi) "यदा जारी" व्यायपार

"जब और यदि जारी" (आम तौर पर "यदा जारी" (डब्यूे क आइ) के रूप में जाने जाते है) व्याधपार, प्रतिभूति के नीलामी और वास्तनव में जारीसमय के भीतर, होतेहैं। "यदा जारी" अथवा"डब्यूमी आइ"प्रतिभूतियां वे प्रतिभूतियां हैं जो जारीकिए जाने के लिए प्राधिकृत हैं पर अभी वास्तभव में जारीनहींहई हैं। सभी "यदा जारी" लेन-देन "परंतु" के आधार पर होतेहैं अर्थात उनका निपटान तभी किया जाता है, यदि और जब, वे जारीहोतीहैं। "यदा जारी" बाजार में व्यारपार केवल एनडीएस-ओएम पर ही अनुमत है। इससे नीलाम की जा रही प्रतिभूतियों का मूल्यीजानने के साथ-साथ नीलाम होने वालीप्रतिभूतियोंके सुचारु वितरण में सहायता मिलती है।

(vii) बाजार पूछताछ

दिन के दौरान, बाजार पूछताछ में ब्योसरा दर्शाया जाएगा जैसे – दिन का अधिक, कम, अंतिम,भारित औसत आय तथा मूल्यज और किसी भी चयनित प्रतिभूति का पिछले दिन का अंतिम मूल्यन।

(viii) रिपोर्टें

यूजर्स के लिए एनडीएस-ओएम पर नीचे दिए ब्योभरे के अनुसार रिपोर्टों का सृजन किया जा सकता है –


  • गतिविधिलॉग – इस रिपोर्ट में प्रतिभूति वार आदेशों – दिए गए,व्या‍पार किए गए तथा निरस्ति किए गए –विस्तृ तब्योिरे की रिपोर्ट समय के ब्योपरे के साथ होती है।
  • निवल निधि की स्थिति – यह रिपोर्ट व्यारपारी की निधि की स्थिति,निवल आधार पर उस दिन के लिए, उस दिन किए गए क्रय और विक्रय को हिसाब में लेते हुए तथा मुआवजा राशि हिसाब में लेते हुए, दर्शाती है।
  • पिछलेव्याबपार – दिन के दौरान किए गए व्यांपार की सूची प्रत्येोकव्यारपार के ब्योनरे सहित सूचीबद्ध की जाती हैं।
  • बकाया आदेश – व्यापारी द्वारा दिए गए आदेशजो अभी मैच किए जाने हैं,इस रिपोर्ट में सूचीबद्ध किए जातेहैं।
  • स्टॉक शेष – इस रिपोर्ट में सदस्य के स्तकर पर प्रत्येरक प्रतिभूति में शेष दर्शाया जाता है।
  • "यदा जारी" स्थिति रिपोर्ट - यह भी एक सदस्य स्तपर की रिपोर्ट है जिसमें प्रत्येयक प्रतिभूति की निवल क्रय,निवल विक्रय सीमा और स्थिति दर्शाई जाती है।
एनडीएस-ओएम पर सौदों के भुगतान


  1. सहभागीएनडीएस-ओएम पर आदेश देते हैं।
  2. एनडीएस-ओएम आदेश का मिलान करता है और व्यािपार हो जाता है।
  3. सीसीआइएल भुगतान प्रणाली को व्यालपार का ब्योिरा भेजा जाता है।
  4. सीसीआइएलसदस्योंत को निवल निधि और प्रतिभूति दायित्वए भेजता है।
  5. सीसीआइएल भारतीय रिज़र्व बैंक को दिन के अंत में निवल समायोजन फाइलें प्रस्तु त करता है।
  6. DvP(सुपुर्दगी बनाम भुगतान) में किए गए निधि और प्रतिभूति निपटान – दोनों निधि और प्रतिभूति चरण निवल आधार पर निपटाए जाते हैं।
उपयोगी लिंक
भारतीयरिज़र्व बैंक www.rbi.org.in
भारिबैंवित्तीवय बाजार निगरानी http://www.rbi.org.in/Scripts/financialmarketswatch.aspx
सीसीआइएल www.ccilindia.com
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