आरबीआई/2024-25/91
DoS.CO.PPG.SEC.12/11.01.005/2024-25
02 दिसंबर 2024
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अलावा)
महोदया / महोदय,
बैंकों में निष्क्रिय खाते / अदावी जमाराशि
उपर्युक्त विषय पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 1 जनवरी 2024 के परिपत्र DOR.SOG (LEG).REC/64/09.08.024/2023-24 का संदर्भ ग्रहण करें। इसमें बैंकों से अन्य बातों के अलावा बैंकों से यह भी अपेक्षित है कि वे ऐसे खातों/जमाराशियों की वार्षिक समीक्षा करें जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से ग्राहक द्वारा कोई लेन-देन नहीं हुआ है; छात्रवृत्ति राशि और/या सरकारी योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)/इलेक्ट्रॉनिक लाभ अंतरण (ईबीटी) जमा करने के लिए खोले गए खातों को कोर बैंकिंग समाधान से अलग करें ताकि ऐसे खातों के निष्क्रिय हो जाने पर भी डीबीटी जमा करने में सुविधा हो; और इन खातों/जमाराशियों के ग्राहकों का पता लगाने के लिए कदम उठाएं। इसमें ऐसे खातों/जमाराशियों को सक्रिय करने के लिए परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश, बैंकों द्वारा किए जाने वाले सार्वजनिक जागरूकता और वित्तीय साक्षरता अभियान जैसे ग्राहक जागरूकता उपाय भी शामिल हैं और ऐसे खातों/जमाराशियों को सक्रिय करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी बैंकों की वेबसाइटों और शाखाओं पर प्रदर्शित करनी है।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग ने हाल ही में एक विश्लेषण किया, जिसमें पता चला कि कई बैंकों में निष्क्रिय खातों/अदावी जमा की संख्या उनकी कुल जमा राशि के सापेक्ष तथा साथ ही निरपेक्ष रूप से भी अधिक थी। इसके कारणों में या तो लंबे समय तक निष्क्रियता या ऐसे खातों में केवाईसी का लंबित अद्यतन/आवधिक अद्यतन शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मामले सामने आए हैं जहां ग्राहक निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए बैंक शाखाओं से संपर्क करते समय असुविधा का सामना करते हैं, जिसमें ग्राहक विवरण में अनजाने में हुई गलतियाँ जैसे नाम बेमेल होना आदि शामिल हैं। यह भी देखा गया कि कुछ बैंकों में केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन के लिए लंबित खातों की संख्या बहुत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप बैंक की आंतरिक नीतियों के अनुसार ऐसे खातों में आगे के लेन-देन पर रोक लगा दी जाती है।
3. इसलिए, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे निष्क्रिय/फ्रीज़ किए गए खातों की संख्या को कम करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं और ऐसे खातों को सक्रिय करने की प्रक्रिया को मोबाइल/इंटरनेट बैंकिंग, गैर-गृह शाखाओं, वीडियो ग्राहक पहचान प्रक्रिया आदि के माध्यम से केवाईसी के निर्बाध अद्यतन को शामिल करते हुए आसान और झंझट रहित बनाएं। हालांकि डीबीटी/ईबीटी आदि जैसी विभिन्न केंद्रीय/राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के खातों को उनके खातों में ऐसी डीबीटी/ईबीटी राशियों के निर्बाध जमा की सुविधा के लिए अलग किया जाना आवश्यक है, ऐसे मामले देखे गए हैं जहां ऐसे लाभार्थियों के खाते अन्य कारकों जैसे केवाईसी के लंबित अद्यतन/आवधिक अद्यतन के कारण फ्रीज़ कर दिए गए हैं। चूंकि ये खाते ज्यादातर समाज के वंचित वर्गों के लोगों से संबंधित हैं, इसलिए बैंक ऐसे मामलों में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाकर खातों को सक्रिय करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं। बैंक निष्क्रिय/फ्रीज़ किए गए खातों को सक्रिय करने की सुविधा के लिए विशेष अभियान भी चला सकते हैं। इसके अलावा, बैंक आधार संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाली शाखाओं के माध्यम से ग्राहकों के लिए आधार अद्यतनीकरण की सुविधा भी प्रदान कर सकते हैं। एसएलबीसी को अलग से निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में स्थिति की सक्रिय निगरानी करें, ताकि ग्राहकों की असुविधा को न्यूनतम किया जा सके।
4. निष्क्रिय/फ्रीज़ किए गए खातों में कमी लाने में हुई प्रगति और इस संबंध में बैंकों द्वारा किए गए विशेष प्रयासों की निगरानी बोर्ड की ग्राहक सेवा समिति (सीएससी) द्वारा की जाएगी। इसके अलावा, बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे 31 दिसंबर 2024 को समाप्त होने वाली तिमाही से दक्ष पोर्टल के माध्यम से संबंधित वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक (एसएसएम) को तिमाही आधार पर इसकी रिपोर्ट दें।
5. इस परिपत्र की एक प्रति बोर्ड की सीएससी के समक्ष उसकी अगली बैठक में इस संबंध में पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी योग्य कार्य योजना के साथ रखी जाएगी।
भवदीय,
(तरुण सिंह)
मुख्य महाप्रबंधक
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