617 भारतीय रिज़र्व बैंक - अधिसूचनाएं
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अधिसूचनाएं

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025

आरबीआई/2025-26/380
एफएमआरडी.डीआईआरडी.सं.06/14.03.046/2025-26

08 दिसंबर 2025

रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव बाजारों के सभी सहभागी

प्रिय महोदय / महोदया

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025

कृपया दिनांक 16 जून 2025 की प्रेस प्रकाशनी का संदर्भ लें जिसमें मसौदा मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025 पर हितधारकों से टिपणी/फीडबैक आमंत्रित की गई थी।

2. प्राप्त फीडबैक के आधार पर, इन निदेशों को अंतिम रूप दिया गया है और एतदद्वारा जारी किया गया है।

3. इन निदेशों को रिज़र्व बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है।

4. ये निदेश 01 मार्च, 2026 से लागू होंगे।

भवदीया

(डिम्पल भांडिया)
मुख्‍य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग
9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, फोर्ट
मुंबई – 400 001

अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.07/14.03.046/2025-26 दिनांकित 08 दिसंबर 2025

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (इसके बाद इसे 'अधिनियम' कहा गया है) की धारा 45यू के साथ पठित धारा 45डबल्यू द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और अनुबंध-I में इंगित निदेशों का अधिक्रमण करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद इसे 'रिज़र्व बैंक' कहा गया है) निम्‍नलिखित निदेश जारी करता है। समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 1/2000-आरबी दिनांकित 03 मई 2000) एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियम, 2019 (अधिसूचना सं.फेमा 396/2019-आरबी दिनांकित 17 अक्टूबर 2019) का संदर्भ भी आमंत्रित किया जाता है।

1. इन निदेशों का संक्षिप्‍त शीर्षक, दायरा और प्रवर्तन

1.1 इन निदेशों को मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025 (इसके बाद, निदेश) कहा जाएगा।

1.2 ये निदेश ओवर-दी-काउन्‍टर (ओटीसी) बाजारों में और भारत में मान्‍यताप्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍जों पर किए गए रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (आईआरडी) लेनदेन के लिए अनुमेय होंगे।

बशर्ते सरकारी प्रतिभूतियों में वायदा संविदाएं ओटीसी बाज़ारों में दिनांक 21 फरवरी, 2025 के भारतीय रिज़र्व बैंक (सरकारी प्रतिभूतियों में वायदा संविदाएं) निदेश, 2025 के अनुसार की जाएंगी।

1.3 ये निदेश 01 मार्च, 2026 से लागू होंगे।

2. परिभाषाएं

2.1 इन निदेशों में, जब तक आशय अन्यथा संदर्भित न हो:

(i) 'बैक-टू-बैक व्यवस्था' का आशय ऐसी व्यवस्था से है जिसमें एक समुद्रपारीय संस्था (समुद्रपारीय शाखाओं, आईएफ़एससी इकाइयों, आईबीयू, सम्पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी इकाइयों या बाजार निर्माताओं के संयुक्त उद्यमों सहित) एक अनिवासी के साथ लेनदेन करती है और भारत में बाजार निर्माता (मार्केट-मेकर) के साथ तत्काल ऑफ-सेटिंग लेनदेन में प्रवेश कर जाती है। भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों के मामले में बैक-टू-बैक व्यवस्था मूल बैंक की किसी शाखा के माध्यम से की जाएगी।

(ii) 'बेंचमार्क ब्याज दर' का आशय किसी वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक द्वारा संचालित ब्याज दरों से है।

(iii) 'कंपनी' का वही आशय होगा जो कंपनी अधिनियम 2013 (2013 का 18) की धारा 2(20) में निर्धारित किया गया है।

(iv) 'इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी)' का वही आशय रहेगा जो समय-समय पर यथासंशोधित 16 जून 2025 के मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म) निदेश, 2025 के पैरा 2(ए) (ii) में निर्धारित किया गया है।

(v) 'यूरोपियन ब्याज दर कॉल/पुट ऑप्शन' का आशय ऐसी ब्याज दर कॉल/पुटऑप्शन संविदा से है जिसे केवल समापन तारीख को क्रियान्वित किया जा सकता है।

(vi) 'वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक (एफबीए)' का आशय ऐसा व्यक्ति है जो समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 28 दिसंबर, 2023 के भारतीय रिज़र्व बैंक (वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक) निदेश, 2023 के अंतर्गत प्राधिकृत वित्तीय बेंचमार्क(र्कों) के सृजन, परिचालन और प्रशासन को नियंत्रित करता है।

(vii) 'विदेशी मुद्रा निपटित ब्याज दर डेरिवेटिव (एफ़सीएस-आईआरडी)' का आशय एक रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव संविदा से है, जिसकी निपटान मुद्रा भारतीय रुपये (आईएनआर) से इतर है।

(viii) 'विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफ़पीआई)' का आशय एक ऐसे व्यक्ति से है जो समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 20219 के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत है।

(ix) 'वायदा दर करार (एफआरए)' का आशय दो प्रतिपक्षकारों के बीच नकद-निपटित ओटीसी डेरिवेटिव संविदा से है, जिसमें एक निर्दिष्ट वायदा अवधि के लिए किसी नोशनल मूलधन पर लगाई गई पूर्व-निर्धारित नियत दर (एफ़आरए दर) और पूर्वनिर्धारित अस्थिर ब्याज दर/मूल्य/सूचकांक के अंतर को क्रेता निपटान तारीख पर भुगतान या प्राप्त करेगा।

(x) 'ब्याज दर कॉल/पुट ऑप्शन' का आशय ऐसे ब्याज दर ऑप्शन से है जो क्रेता को भविष्य में निर्दिष्ट समाप्ती तारीख पर या उससे पहले ब्याज दर लिखत खरीदने/बेचने या किसी नोशनल मूलधन पर किसी पूर्व-निर्धारित मूल्य/दर पर ब्याज दर प्राप्त/भुगतान करने का अधिकार देता है पर यह उसके लिए बाध्यता नहीं है।

(xi) 'ब्याज दर कैप' का आशय ब्याज दर कॉल आप्शनों की शृंखला (जिसे कैपलेट कहते हैं) से है, जिसमें ऑप्शन क्रेता को प्रत्येक उस अवधि के अंत में भुगतान प्राप्त होता है, जब पहले से ही सहमत दर (स्ट्राइक दर) की तुलना में अन्तर्निहित ब्याज दर अधिक होती है।

(xii) 'ब्याज दर कॉलर' का अर्थ ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जिसमें कोई बाजार सहभागी एक साथ ही ब्याज दर कैप खरीदता है और उसी ब्याज दर पर उसी परिपक्वता के लिए और नोशनल-मूलधन पर ब्याज दर फ्लोर का विक्रय भी करता है।

(xiii) 'ब्याज दर फ्लोर' से आशय ब्याज दर पुट आप्शनों की शृंखला से है, जिसमें आप्शन क्रेता को प्रत्येक उस अवधि के अंत में भुगतान प्राप्त होता है, जब अन्तर्निहित ब्याज दर स्ट्राइक दर से कम होती है।

(xiv) 'ब्याज दर वायदे' का आशय मानकीकृत ब्याज दर डेरिवेटिव संविदा से है जो संविदा के समय तय कीमत पर मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेजों पर किसी नोशनल प्रतिभूति या किसी अन्य ब्याज-धारक लिखतों या ऐसी लिखतों के सूचकांकों या निश्चित भावी तारीख की ब्याज दरों के क्रय अथवा विक्रय के लिए की जाती है। ब्याज दर वायदों में मुद्रा बाजार वायदे शामिल हैं।

(xv) 'ब्याज दर स्वैप' ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जिसमें किसी निर्दिष्ट अवधि के दौरान नोशनल मूलधन पर सहमत ब्याज भुगतानों की एक स्‍ट्रीम का विनिमय निहित होता है।

(xvi) 'ब्याज दर स्वैपेशन' का आशय ब्याज दर स्वैपों के ऑप्शन से है, जिसमें क्रेता को ब्याज दर स्वैप में प्रवेश का अधिकार मिलता है लेकिन यह बाध्यता नहीं है।

(xvii) 'सरकारी प्रतिभूति' का वही अर्थ होगा जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 (2006 का 38) की धारा 2(एफ) में परिभाषित किया गया है।

(xviii) 'हेजिंग' का आशय ऐसे डेरिवेटिव लेनदेन करने की गतिविधि से है जो तुलनपत्र स्तर पर या पोर्टफोलियो स्तर पर या व्यक्तिगत आस्ति या देयता स्तर पर रुपया ब्याज दर जोखिम को कम करने के लिए की जाती है।

(xix) 'ब्याज दर डेरिवेटिव' का आशय ऐसी वित्तीय डेरिवेटिव संविदा से है जिसका मूल्य किसी एक अथवा अधिक रुपया ब्याज दरों, रुपया ब्याज दर लिखतों की कीमतों, अथवा रुपया ब्याज दर सूचकांकों से निकाला जाता है।

(xx) 'लीवरेज्ड डेरिवेटिव' एक ऐसी ओटीसी डेरिवेटिव संविदा है जिसका संविदा अवधि के दौरान संभावित भुगतान (पे-आउट), संविदा की नोशनल राशि से अधिक हो सकता है या जिसके भुगतान (पे-आउट) की गणना में नोशनल राशि या अंतर्निहित ब्याज दर/कीमत/सूचकांक से 1.0 से अधिक के गुणक का प्रभावी गुणन शामिल होता है।

(xxi) 'बाजार निर्माता (मार्केट मेकर)' का आशय ऐसी संस्था से है जो प्रयोक्ताओं और अन्य बाजार निर्माताओं को कीमतें प्रदान की जाती हैं। मार्कट मेकर्स को को अंतर्निहित जोखिम नहीं भी हो सकता है।

(xxii) 'मुद्रा बाजार वायदा' का आशय ऐसे ब्याज दर वायदे से है जो किसी अन्य रुपया मूल्यवर्गित मुद्रा बाजार ब्याज दर अथवा मुद्रा बाजार लिखत पर आधारित होते हैं।

(xxiii) 'निवल मालियत' का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(57) में निर्दिष्ट किया गया है।

(xiv) 'अनिवासी' का अर्थ और इसमें वह शामिल है जो 'भारत से बाहर निवासी' व्यक्ति है, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(डबल्यू) में परिभाषित है।

(xxv) 'ओवर-दी-काउंटर (ओटीसी) बाजार' का आशय ऐसे बाजार से है जहां एक्सचेंजों को छोड़कर, किसी भी तरीके से डेरिवेटिव लेनलेन किए जाते हैं और इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी) पर किए गए लेनदेन शामिल होंगे।

(xxvi) 'मान्यता प्राप्त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज' का वही अर्थ होगा जो प्रतिभूति संविदा विनियमन अधिनियम, 1956 की धारा 2(फ) में निर्धारित किया गया है।

(xxvii) 'सम्बद्ध पक्षकार' का वही अर्थ होगा जो भारतीय लेखांकन मानक (इंड एएस) 24 - सम्बद्ध पक्षकार प्रकटीकरण के पैरा 9 या अन्तरराष्ट्रीय लेखांकन मानक (आईएएस) 24 - सम्बद्ध पक्षकार प्रकटीकरण के पैरा-9 या किसी अन्य समतुल्य लेखांकन मानक के अंतर्गत निर्धारित किया गया है। बशर्ते 'सम्बद्ध पक्षकार' पद में असोशिएट शामिल नहीं है, जैसा कि इंड एएस 24 या आईएएस 24 या किसी अन्य समतुल्य लेखांकन मानक में विनिर्दिष्ट है।

(xviii) 'निवासी' का अर्थ और इसमें वह शामिल है जो 'भारत में निवासी' व्यक्ति है, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(वी) में परिभाषित है।

(xxix) 'रिवर्स ब्याज दर कॉलर' का अर्थ ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जिसमें ब्याज दर फ्लोर की खरीद और उसी ब्याज दर पर उसी परिपक्वता के लिए और नोशनल मूलधन पर ब्याज दर कैप की बिक्री एक साथ करना निहित होता है।

(xxx) 'टर्नओवर' का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(91) में निर्दिष्ट किया गया है।

(xxxi) 'प्रयोक्ता' का आशय वैसे व्यक्ति से है जो डेरिवेटिव सौदे करते हैं लेकिन मार्केट-मेकर के रूप में नहीं करते हैं।

2.2 ऐसे शब्दों और अभिव्यक्तियों, जिनका प्रयोग तो किया गया है किंतु इन निदेशों में परिभाषित नहीं किया गया है, का वही आशय होगा जो अधिनियम में या विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 में निर्धारित किया गया है।

3. पात्र सहभागी

3.1 निम्नलिखित व्यक्ति आईआरडी बाज़ारों में सहभागिता करने के पात्र होंगे:

(i) निवासी

(ii) अनिवासी, इन निदेशों में यथानिर्दिष्ट सीमा तक।

3.2 कोई अनिवासी अपनी केन्द्रीकृत ट्रेजरी या अपनी समूह संस्था, जो लागू हो, के माध्यम से आईआरडी लेनदेन कर सकता है। ऐसे लेनदेन के मामले में बाजार निर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि केन्द्रीकृत ट्रेजरी/ समूह संस्था ऐसे सौदे करने के लिए प्रयोक्ता द्वारा प्राधिकृत है।

4. मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों पर ब्याज दर डेरिवेटिव

4.1 मान्यता प्राप्त एक्सचेन्ज को किसी भी मानकीकृत आईआरडी उत्पाद का प्रस्ताव करने की अनुमति है और उत्पाद डिजाइन, पात्र सहभागियों और आईआरडीउत्पाद के अन्य विवरणों को एक्सचेन्ज द्वारा अंतिम रूप दिया जा सकता है। कोई भी आईआरडी उत्पाद शुरू करने से पहले अथवा किसी विद्यमान उत्पाद में कोई संशोधन करने से पहले एक्सचेन्ज को रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी।

4.2 एक्सचेंज-ट्रेडेड आईआरडी में इस्तेमाल होने वाली कोई भी फ्लोटिंग ब्याज दर या कीमत या इंडेक्स एफबीए द्वारा प्रकाशित किया गया बेंचमार्क होगा।

4.3 कोई अनिवासी, हेजिंग के उद्देश्य से एक्सचेंज-ट्रेडेड आईआरडी में लेनदेन कर सकता है।

4.4 किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफ़पीआई) को निम्नलिखित शर्तों के अधीन ब्याज दर वायदे (आईआरएफ़) खरीदने या बेचने की अनुमति है:

(i) सभी एफ़पीआई की कुल लॉन्ग पोजीशन, जिनमें से प्रत्येक की किसी भी आईआरएफ़ लिखत में नेट लॉन्ग पोजीशन है, सभी आईआरएफ़ लिखतों को मिलाकर 5,000 करोड़ से अधिक नहीं होगी; और

(ii) किसी भी एफ़पीआई की कुल ग्रॉस शॉर्ट (बेची गई) पोजीशन, किसी भी समय, सरकारी प्रतिभूतियों और ब्याज दर वायदों में उसकी कंसोलिडेटेड लॉन्ग पोजीशन से अधिक नहीं होगी।

4.5 मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज यह सुनिश्चित करेंगे कि एक्सचेंजों में भाग लेने वाले प्रयोक्ताओं को आईआरडी उत्पादों से जुड़े जोखिमों के बारे में पर्याप्त रूप से जागरूक किया जाए।

4.6 एक्सचेंज-ट्रेडेड आईआरडी लेनदेन करने के लिए बाजार का समय भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा, भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से, निर्धारित किया जाएगा।

4.7 मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज आईआरडी लेनदेन से संबंधित रिटर्न, दस्तावेज और अन्य जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक या किसी अन्य एजेंसी को उस तरीके और फॉर्मेट में और उस समय सीमा के भीतर प्रदान करेंगे जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट की जाए।

4.8 इन निदेशों के जारी होने से पहले किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज को आईआरडी उत्पाद शुरू करने के लिए दी गई कोई भी मंजूरी इन निदेशों के तहत दी गई मानी जाएगी।

5. ओटीसी बाजार में ब्याज दर डेरिवेटिव

5.1 बाजार निर्माता

(i) निम्नलिखित संस्थाएं आईआरडी में बाजार निर्माता के रूप में कार्य करने की पात्र होंगी:

(ए) अनुसूचित बैंक

(बी) एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी)

(सी) एनबीएफ़सी - अपर लेयर (एनबीएफ़सी-यूएल)

(डी) भारतीय निर्यात-आयात बैंक, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक और राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक।

(ii) ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन के पक्षकारों में से कम से कम एक पक्षकर बाजार निर्माता या इस उद्देश्य के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत केंद्रीय प्रतिपक्षकर होगा।

5.2 प्रयोक्ता वर्गीकरण ढांचा

(i) ब्‍याज दर डेरिवेटव संविदाओं का प्रस्ताव करने के प्रयोजन से बाजार निर्माता द्वारा किसी प्रयोक्ता को 'खुदरा' अथवा 'गैर-खुदरा' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा:

(ii) निम्नलिखित गैर-खुदरा प्रयोक्ताओं के रूप में वर्गीकृत होने के पात्र होंगे:

(ए) संस्था जो अन्यथा बाजार निर्माता बनने के लिए योग्य हो।

(बी) एनबीएफसी (एचएफसी सहित), एक बाजार-निर्माता के अलावा;

(सी) भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा विनियमित बीमा कंपनी;

(डी) पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा विनियमित पेंशन फंड;

(ई) सेबी द्वारा विनियमित म्यूचुअल फंड;

(एफ) सेबी द्वारा विनियमित वैकल्पिक निवेश फंड;

(जी) निवासी, जिसके पास हाल ही में लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों के अनुसार (ए) न्यूनतम निवल मूल्य 500 करोड़; या (बी) न्यूनतम कारोबार 1,000 करोड़ हो,; तथा

(एच) व्यक्ति को छोडकर कोई अनिवासी।

(आई) एक प्रयोक्ता जो अन्यथा एक खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र है, इस शर्त के अधीन कि प्रयोक्ता इस संबंध में बाजार निर्माता से अनुरोध करता है और बाजार-निर्माता संतुष्ट है कि प्रयोक्ता के पास गैर-खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकरण के लिए उपयुक्त जोखिम प्रबंधन क्षमताएं हैं।

(iii) कोई भी प्रयोक्ता जो गैर-खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र नहीं है, उसे खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।

(iv) कोई भी प्रयोक्ता जो अन्यथा गैर-खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र है, उसके पास खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत होने के लिए बाजार निर्माता से अनुरोध करने का विकल्प होगा।

ओटीसी बाजार में ब्‍याज दर डेरिवेटव लेनदेन निम्नलिखित शर्तों के तहत होंगे:

(क) अनुसूचित बैंक, एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान ओटीसी बाजारों में ब्‍याज दर डेरिवेटव उत्पादों के लिए मार्केट-मेकर्स के रूप में कार्य करने के पात्र हैं।

5.3 उत्पाद

(i) बाजार निर्माता निम्नलिखित उत्पादों का प्रस्ताव खुदरा प्रयोक्ताओं को कर सकेंगे:

(ए) वायदा दर करार,

(बी) ब्याज दर स्वैप,

(सी) यूरोपियन ब्याज दर कॉल और पुट आप्शन, इस शर्त के अधीन कि खुदरा प्रयोक्ता केवल इन उत्पादों को खरीदेंगे,

(डी) ब्याज दर कैप और ब्याज दर फ्लोर, इस शर्त के अधीन कि खुदरा प्रयोक्ता केवल इन उत्पादों को खरीदेंगे,

(ई) ब्याज दर कॉलर और रिवर्स ब्याज दर कॉलर, इस शर्त के अधीन कि खुदरा प्रयोक्ता प्रीमियम का निवल प्राप्तकर्ता नहीं होगा।

(ii) बाजार निर्माता निम्नलिखित आईआरडी उत्पादों का प्रस्ताव इन निदेशों के पैरा 5.2(ii)(i) के अनुसार गैर-खुदरा के रूप में वर्गीकृत प्रयोक्ताओं सहित गैर-खुदरा प्रयोक्ताओं को कर सकेंगे:

(ए) खुदरा प्रयोक्ताओं को पेश किए जाने हेतु अनुमत सभी उत्पाद,

(बी) ब्याज दर स्वैप्शन, और

(सी) कोई भी अन्य आईआरडी उत्पाद, जिसमें नकद लिखतऔर/या अनुमत डेरिवेटिव घटक के रूप में हों, लेकिन इसमें लीवरेज्ड डेरिवेटिव और ऐसे डेरिवेटिव शामिल नहीं हैं जिनमें अंडरलाइंग के रूप में कोई डेरिवेटिव लिखत हो।

(iii) फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I (एडी कैट-I) लाइसेंस वाले बैंक, और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत एसपीडी, अनिवासियों को एफसीएस-आईआरडी संविदा की पेशकश कर सकते हैं। ये बाजार निर्माता आपस में एफसीएस-आईआरडी संविदाओं में लेनदेन भी कर सकते हैं।

(iv) फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और एसपीडी, प्रयोक्ताओं को संशोधित मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड एकमुश्त दर (एमएमआईएफओआर) के आधार पर आईआरडी में लेनदेन की पेशकश कर सकते हैं। ये बाजार निर्माता आपस में एमएमआईएफओआर के आधार पर आईआरडी में लेनदेन भी कर सकते हैं।

(v) आईआरडी उत्पाद जो एक बाजार-निर्माता द्वारा एक अनिवासी को पेश किए जा सकते हैं, इन निदेशों के पैरा 5.4 (iii) के अनुसार निर्दिष्ट प्रावधानों के अधीन होंगे।

5.4 उद्देश्य

(i) बाजार-निर्माता केवल हेजिंग के उद्देश्य के लिए एक निवासी खुदरा प्रयोक्ता (जिसमें वह प्रयोक्ता भी शामिल है जो इन निदेशों के पैरा 5.2(iv) के अनुसार खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत होने का विकल्प चुनता है) और इन निदेशों के पैरा 5.2(ii)(i) के अनुसार गैर-खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत एक निवासी प्रयोक्ता को आईआरडी उत्पादों की पेशकश करेगा।

(ii) बाजार-निर्माता, उद्देश्य के संदर्भ में किसी भी प्रतिबंध के बिना, निवासी गैर-खुदरा प्रयोक्ता को आईआरडी उत्पादों की पेशकश कर सकता है, लेकिन वैसे प्रयोक्ता को नहीं, जिसे उद्देश्य के संदर्भ में किसी भी प्रतिबंध के बिना इन निदेशों के पैरा 5.2(ii)(i) के अनुसार गैर-खुदरा प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

(iii) बाजार-निर्माता, इन निदेशों के पैरा 5.5 के तहत निर्दिष्ट प्रावधानों के अधीन (ए) हेजिंग के उद्देश्य के लिए अनिवासी व्यक्तियों और (बी) उद्देश्य के संदर्भ में किसी भी प्रतिबंध के बिना, व्यक्तियों को छोड़कर, अनिवासियों को - एफसीएस-आईआरडी उत्पाद सहित आईआरडी उत्पादों की पेशकश कर सकता है।

बशर्ते कि बाजार निर्माता केवल हेजिंग के उद्देश्य से एक अनिवासी को सरकारी प्रतिभूतियों पर आईआरडी संविदा की पेशकश करेंगे।

(iv) बाजार-निर्माता केवल हेजिंग के उद्देश्य से प्रयोक्ताओं को एमएमआईएफओआर पर आधारित आईआरडी उत्पादों की पेशकश करेगा।

5.5 अनिवासियों के साथ लेन-देन

(ए) बाजार निर्माता, ब्याज दर जोखिम हेजिंग के उद्देश्य से या अन्यथा, एक अनिवासी के साथ सीधे या बैक-टू-बैक व्यवस्था के माध्यम से, एफसीएस-आईआरडी लेनदेन सहित आईआरडी लेनदेन कर सकता है, जो निम्नलिखित के अधीन है:

(i) बैक-टू-बैक व्यवस्था एक विदेशी इकाई (विदेशी शाखाओं, आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू), पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों या बाजार निर्माताओं के संयुक्त उद्यमों सहित) के माध्यम से लागू की जा सकती है, बशर्ते कि विदेशी इकाई मेजबान क्षेत्राधिकार कानूनों और विनियमों के अनुसार डीलर/मार्केट-मेकर की क्षमता में डेरिवेटिव में सौदा करने के लिए पात्र हो।

(ii) बाजार निर्माता की भारत में निगमित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी/संयुक्त उद्यम इस तरह के लेनदेन कर सकता है, बशर्ते पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी/संयुक्त उद्यम एक बैंकिंग इकाई हो;

(iii) भारत में बाजार निर्माता के अपतटीय संबंधित पक्षों द्वारा वैश्विक स्तर पर किए गए आईआरडी लेन-देन की सूचना भारत में बाजार निर्माता या उसके संबंधित पक्षों द्वारा अनुबंध-II के अनुसार क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) के व्यापार भंडार (टीआर) को व्यक्तिगत रूप से दी जाएगी; और

(iv) बाजार निर्माता विदेशी इकाई (विदेशी शाखाओं, आईबीयू, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों और बाजार निर्माताओं के संयुक्त उद्यमों सहित) के माध्यम से किए गए एफसीएस-आईआरडी लेनदेन सहित आईआरडी लेनदेन के बारे में जानकारी प्रदान करेगा, जैसा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित तरीके और समय में अपेक्षित हो।

(बी) हेजिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए, अनिवासियों द्वारा बाजार निर्माताओं के साथ किए गए एफसीएस-आईआरडी में लेनदेन सहित आईआरडी लेनदेन, एक समग्र सीमा के अधीन होंगे, जैसा नीचे निर्दिष्ट किया गया है:

(i) एफसीएस-आईआरडी स्थितियों सहित सभी बकाया आईआरडी स्थितियों के आधार बिंदु का मूल्य (पीवीबीपी) 1,000 करोड़ (पीवीबीपी कैप) की राशि से अधिक नहीं होगा।

व्याख्या: पीवीबीपी कैप की गणना, प्रत्येक अनिवासी के पीवीबीपी का, गणितीय संकेतों को अनदेखा करते हुए, सकल जोड़ करके की जाएगी।

(ii) बाजार निर्माता, पीवीबीपी सीमा तक पहुंचने के बाद हेजिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किसी अनिवासी को किसी भी आईआरडी/एफसीएस-आईआरडी की पेशकश नहीं करेंगे।

(iii) सीसीआईएल दैनिक आधार पर पीवीबीपी सीमा के उपयोग की निगरानी और प्रकाशन करेगा। सीसीआईएल पीवीबीपी सीमा की गणना के लिए कार्यप्रणाली भी प्रकाशित करेगा।

(सी) अन्य शर्तें

(i) एफसीएस-आईआरडी लेनदेन को छोड़कर, एक अनिवासी के ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन से संबंधित सभी भुगतानों को अनिवासी के आईएनआर खाते के माध्यम से या, जहां अनिवासी का भारत में आईएनआर खाता नहीं है, भारत में एक अधिकृत डीलर बैंक के साथ बनाए गए वोस्ट्रो खाते के माध्यम से रूट किया जा सकता है। एफसीएस-आईआरडी लेनदेन से संबंधित सभी भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए जा सकते हैं। बाजार निर्माता ऐसे लेनदेन का पूरा विवरण रखेंगे।

(ई) अनिवासी यह सुनिश्चित करेगा कि एफसीएस-आईआरडी लेनदेन सहित उसके आईआरडी लेनदेन, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के लागू प्रावधानों और उसके तहत जारी नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुरूप हैं।

5.6 ओटीसी बाजारों में लेनदेन के लिए अन्य दिशानिर्देश

(i) ओटीसी बाजारों में आईआरडी में उपयोग की जाने वाली कोई भी फ्लोटिंग ब्याज दर या मूल्य या सूचकांक एफबीए द्वारा प्रकाशित एक बेंचमार्क होगा।

(ii) ब्रोकर के माध्यम से आईआरडी लेनदेन करने वाला बाजार-निर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि ब्रोकर को इस उद्देश्य के लिए फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) द्वारा मान्यता प्राप्त है।

(iii) आईआरडी लेनदेन का निपटान द्विपक्षीय रूप से या इस उद्देश्य के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी भी समाशोधन व्यवस्था के माध्यम से किया जाएगा। एक एफसीएस-आईआरडी लेनदेन को भी समकक्षों द्वारा द्विपक्षीय रूप से तय किया जा सकता है।

(iv) कोई बाजार सहभागी मूल प्रतिपक्ष के साथ स्थिति को खोलकर अथवा नवीयन1 के माध्यम से किसी अन्य पात्र बाजार सहभागी(यों) को स्थिति सौंपकर आईआरडी में अपनी स्थिति से बाहर निकल सकता है, जो 9 दिसंबर, 2013 को जारी अधिसूचना सं 2013 के तहत जारी किए गए परिपत्र डीबीओडी.नं.बीपी.बीसी.76/21.04.157/2013-14 के प्रावधानों के अधीन और इस शर्त के अधीन होगा कि नवीकृत ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन के लिए कम से कम एक पक्ष एक बाजार-निर्माता होगा। तथापि, उपरोक्त परिपत्र के पैराग्राफ 2, पैराग्राफ 5.1 और पैराग्राफ 5.2 के तहत प्रावधान इन निदेशों के अनुसार किए गए आईआरडी लेनदेन पर लागू नहीं होंगे।

(v) आईआरडी लेनदेन के लिए निपटान आधार और अन्य बाजार परिपाटियों को एफआईएमएमडीए द्वारा,जहां संभव हो, बाजार सहभागियों के परामर्श स, निर्दिष्ट किया जा सकता है।

(vi) ओटीसी बाजार में आईआरडी लेनदेन के लिए बाजार का समय प्रत्येक व्यावसायिक दिन पर सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक या समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। एक बाजार-निर्माता अपतटीय बाजार घंटों से परे एफसीएस-आईआरडी लेनदेन कर सकता है।

(vii) बाजार निर्माता समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में बाजार निर्माता) निदेश, 2021 [अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.08/02.03.247/2021-22, दिनांक 16 सितंबर, 2021] का पालन करेगा।

(viii) बाजार सहभागियों को दिनांक 15 मार्च, 2019 के आरबीआई परिपत्र सं.एफएमआरडी.एफएमएसडी.11/11.01.012/2018-19 के माध्यम से जारी समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक (बाजार दुरुपयोग निवारण) निदेश, 2019 का पालन करना होगा।

(ix) बाजार-निर्माता प्रयोक्ताओं से ऐसे दस्तावेजों की मांग कर सकता है जो वह इन निदेशों की अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए आवश्यक समझता है।

5.7 रिपोर्टिंग

(ए) व्यापार भंडार को रिपोर्ट करना

(i) बाजार निर्माता अपने द्वारा किए गए सभी ओटीसी आईआरडी लेनदेन को सीधे या अपनी विदेशी संस्थाओं (विदेशी शाखाओं, आईबीयू, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों या बाजार निर्माताओं के संयुक्त उद्यमों सहित) के माध्यम से निम्नलिखित समयसीमा के अनुसार सीसीआईएल के टीआर को रिपोर्ट करेगा:

I. अनिवासियों के साथ एफसीएस-आईआरडी लेनदेन और संरचित डेरिवेटिव लेनदेन के अलावा, बाजार-निर्माता द्वारा किए गए सभी आईआरडी लेनदेन (ग्राहक ट्रेडों सहित) की सूचना लेनदेन के 30 मिनट के भीतर दी जाएगी।

II. अनिवासियों के साथ या तो सीधे या बैक-टू-बैक व्यवस्था के माध्यम से बाजार-निर्माता द्वारा किए गए सभी एफसीएस-आईआरडी लेनदेन, अगले कारोबारी दिन के दोपहर 12:00 बजे से पहले रिपोर्ट किए जाएंगे।

III. दिन के दौरान बाजार-निर्माता द्वारा किए गए सभी संरचित डेरिवेटिव लेनदेन की सूचना उस दिन के लिए सीसीआईएल की टीआर बंद होने से पहले दी जाएगी।

नोट:

(ए) रिपोर्टिंग आवश्यकता ईटीपी से मेल खाने वाले अनाम ऑर्डर पर किए गए ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन पर लागू नहीं होगी और ईटीपी द्वारा सीसीआईएल के टीआर को सीधे रिपोर्ट की जाएगी।

(बी) 5.7 (ए (i)(I) और (III) के प्रयोजन के लिए, संरचित डेरिवेटिव का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 16 सितंबर, 2021 के मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में मार्केट-मेकर) निदेश, 2021 में दिया गया है।

(ii) बाजार-निर्माता इन निदेशों के पैरा 5.5(ए)(iii) में निर्दिष्ट रिपोर्टिंग आवश्यकता का अनुपालन भी सुनिश्चित करेगा।

(iii) बाजार निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहक ओटीसी आईआरडी व्यापार के रिपोर्टिंग विवरण में यह भी शामिल रहे कि व्यापार हेजिंग या अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया है।

(iv) बाजार निर्माता सीसीआईएल के टीआर को सभी अनवाइंडिंग और नोवेशन विवरण की रिपोर्ट करेंगे।

(v) बैक-टू-बैक व्यवस्था के तहत किए गए लेनदेन के लिए, अनिवासी ग्राहक के विवरण सहित व्यापार विवरण टीआर को सूचित किया जाएगा।

(vi) टीआर में अनिवासियों और ग्राहक लेनदेन के साथ लेनदेन का मिलान करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि अनिवासियों और ग्राहकों को लेनदेन विवरण की रिपोर्ट/पुष्टि करने की आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट किए गए लेन-देन के संबंध में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बाजार-निर्माता जिम्मेदार होंगे।

(vii) बाजार निर्माता यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी बहियों और टीआर के बीच बकाया शेष राशि का मिलान किया जाए और निरंतर आधार पर समवर्ती लेखा परीक्षा की जाए।

(viii) रिपोर्टिंग प्रारूप रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से सीसीआईएल द्वारा दर्शाए गए अनुसार होंगे।

(बी) विनियामक रिपोर्टिंग

एफसीएस-आईआरडी सहित आईआरडी में लेन-देन से उत्पन्न सीमा पार विप्रेषण की सूचना बैंकों द्वारा अगले महीने के 10वें दिन तक केंद्रीकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (सीआईएमएस) के माध्यम से रिज़र्व बैंक को नीचे दिए गए प्रारूप में प्रत्येक माह के लिए दी जाएगी:

  आवक प्रेषण
(आईएनआर में)
जावक प्रेषण
(आईएनआर में)
हेजिंग के लिए    
हेजिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए    

6. विवेकपूर्ण मानदंड, लेखांकन और पूंजीगत अपेक्षाएँ

(i) बाजार सहभागियों को आईआरडी लेन-देन के लिए उनके संबंधित विनियामकों द्वारा जारी पूंजी पर्याप्तता, एक्सपोजर मानदंडों, संबंधित पार्टी लेनदेन, केवाईसी/एएमएल आवश्यकताओं आदि से संबंधित लागू विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन करना होगा।

(ii) बाजार सहभागियों द्वारा आईआरडी लेन-देन का लेखांकन संबंधित विनियामकों द्वारा जारी विनियामक दिशा-निदेशों/अनुदेशों के साथ पठित अधिसूचित और लागू लेखा मानकों के अनुसार होगा। यदि अधिसूचित लागू लेखांकन मानकों या संबंधित नियामक ने आईआरडी अनुबंधों के लिए लेखांकन विधि निर्धारित नहीं किया है, तो इस संबंध में भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान द्वारा जारी मार्गदर्शन, यदि कोई हो, का पालन किया जाएगा।

7. रिज़र्व बैंक द्वारा मांगी गई सूचना प्रदान करने का दायित्व:

रिज़र्व बैंक आईआरडी लेनदेन में काम करने वाले व्यक्तियों या एजेंसियों से, जिसमें पात्र प्रतिभागी, ईटीपी ऑपरेटर और एक्सचेंज शामिल हैं, से सूचना या विवरण मांग सकता है या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है, और ऐसे व्यक्ति/एजेंसियां ऐसी जानकारी, विवरण या स्पष्टीकरण रिज़र्व बैंक द्वारा विनिदष्ट समय के भीतर प्रस्तुत करेंगी।

8. आंकड़ों का प्रसार:

रिज़र्व बैंक या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य एजेंसी, जनहित में, आईआरडी बाजार में लेनदेन से संबंधित किसी भी अनाम डेटा को प्रकाशित कर सकती है।

9. निदेशों का उल्लंघन:

यदि कोई व्यक्ति इन निदेशों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो रिज़र्व बैंक, सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने के बाद, कानून के अनुसार कोई दंडात्मक या नियामक कार्रवाई करने के अलावा, उस व्यक्ति को एक बार में एक महीने से अधिक की अवधि के लिए आईआरडी बाजारों में भाग लेने से मना कर सकता है। इस तरह की कार्रवाई को रिज़र्व बैंक द्वारा सार्वजनिक किया जा सकता है।

10. ये निर्दश, निदेशों के प्रभावी होने की तारीख से दर्ज किए गए आईआरडी लेनदेन पर लागू होंगे। मौजूदा निदेशों के प्रावधान आईआरडी संविदा की परिपक्वता या रद्द होने तक उक्त निदेशों के अनुसार किए गए आईआरडी संविदाओं पर लागू रहेंगे।


अनुबंध-I

अधिक्रमित परिपत्रों की सूची

(ए) मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव) निदेश, 2025 द्वारा हटाए गए परिपत्रों की सूची

  1. एफएमआरडी.डीआईआरडी.05/14.03.046/2022-23, दिनांक 08 अगस्त, 2022

  2. एफएमआरडी.डीआईआरडी.12/14.03.046/2021-22, दिनांक 10 फरवरी, 2022

  3. एफएमआरडी.डीआईआरडी.19/14.03.046/2018-19, दिनांक 26 जून, 2019

  4. एफएमआरडी.डीआईआरडी.6/14.03.001/2017-18, दिनांक 01 मार्च, 2018

  5. डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.82/21.04.157/2010-11, दिनांक 16 मार्च, 2011

  6. डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं.34/21.04.157/2009-10, दिनांक 28 अगस्त, 2009

  7. डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.91/21.04.157/2004-05, दिनांक 20 मई, 2005

(बी) रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 द्वारा अधिक्रमित परिपत्रों की सूची

  1. एफएमआरडी.डीआईआरडी.13/14.03.041/2018-19, दिनांक 27 मार्च, 2019

  2. एफएमआरडी.डीआईआरडी.9/14.01.020/2017-18, दिनांक 14 जून, 2018

  3. एफएमआरडी.डीआईआरडी.12/14.01.011/2016-17, दिनांक 29 दिसंबर, 2016

  4. एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2016-17, दिनांक 28 अक्टूबर, 2016

  5. एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2014-15, दिनांक 12 जून, 2015

  6. आईडीएमडी.पीसीडी.09/14.03.01/2013-14, दिनांक 19 दिसंबर, 2015

  7. आईडीएमडी.पीसीडी.08/14.03.01/2013-14, दिनांक 5 दिसंबर, 2013

  8. आईडीएमडी.पीसीडी.2191/14.03.01/2012-13, दिनांक 28 जनवरी, 2013

  9. आईडीएमडी.पीसीडी.16/14.03.01/2011-12, दिनांक 30 दिसंबर, 2011

  10. आईडीएमडी.पीसीडी.17/14.03.01/2011-12, दिनांक 30 दिसंबर, 2011

  11. आईडीएमडी.पीसीडी.28/14.03.01/2010-11, दिनांक 7 मार्च, 2011

  12. आईडीएमडी.पीडीआरडी.सं.1056/03.64.00/2009-10, दिनांक 1 सितंबर, 2009

  13. एफएमडी.एमएसआरजी.सं.39/02.04.003/2009-10, दिनांक 28 अगस्त, 2009

  14. डीबीओडी.बीपी.बीसी.56/21.04.157/2008-09, दिनांक 13 अक्तूबर, 2008

  15. आईडीएमडी.पीडीआरएस.4802(ए)/03.64.00/2002-03, दिनांक 11 जून, 2003

  16. एमपीडी.बीसी.187/07.01.279/1999-2000, दिनांक 07 जुलाई, 1999


अनुबंध-II

बाजार निर्माताओं के संबंधित पक्षों द्वारा किए गए लेनदेन की रिपोर्टिंग

एसपीडी के अलावा बाजार निर्माता द्वारा रिपोर्टिंग

1. रिपोर्टिंग इकाई: बाजार निर्माता अपने अपतटीय संबंधित पक्षों द्वारा किए गए अपतटीय रुपया आईआरडी लेनदेन के आवश्यक विवरण की रिपोर्ट सीसीआईएल के व्यापार भंडार (टीआर) को देगा। बाजार निर्माता की संबंधित इकाई अपने द्वारा किए गए रुपये आईआरडी लेनदेन के विवरण को स्वतंत्र रूप से सीसीआईएल के टीआर को रिपोर्ट करने का विकल्प भी चुन सकती है।

2. लेनदेन का कवरेज: भारत में बाजार निर्माता के संबंधित पक्षों द्वारा विश्व स्तर पर किए गए सभी रुपये आईआरडी लेनदेन की सूचना टीआर को दी जाएगी।

3. रिपोर्टिंग अपेक्षाएं: बाजार निर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि उसके अपतटीय संबंधित पार्टियों द्वारा किए गए सभी लेनदेन की रिपोर्ट की जाए। परिचालन लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, ऐसी रिपोर्टिंग निम्नलिखित अपेक्षाओं के अधीन होगी:

(i) बाजार निर्माता को बैक-टू-बैक व्यवस्था के तहत लेनदेन और संबंधित पक्षों द्वारा भारत में अन्य बाजार निर्माताओं के साथ किए गए लेनदेन की रिपोर्ट टीआर को करने की आवश्यकता नहीं है;

(ii) बाजार निर्माता के पास उन लेनदेन की रिपोर्ट नहीं करने का विकल्प होगा जहां संविदा का सकल नोशनल मूल्य यूएस $ 1 मिलियन या समकक्ष से अधिक नहीं है;

(iii) बाजार निर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि 01 जनवरी, 2027 से, उसके द्वारा रिपोर्ट किए गए लेनदेन सभी आईआरडी लेनदेन के सकल नोशनल मूल्य का कम से कम 80 प्रतिशत है, जो अपतटीय संबंधित पार्टियों द्वारा अपतटीय रूप से किए गए हैं;

(iv) बाजार निर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि 01 जनवरी, 2028 से, उसके द्वारा रिपोर्ट किए गए लेनदेन सभी आईआरडी लेनदेन के सकल नोशनल मूल्य का कम से कम 90 प्रतिशत है, जो बाजार निर्माता और उससे संबंधित पक्षों द्वारा अपतटीय रूप से किए गए हैं;

(v) रिपोर्टिंग आवश्यकता की गणना के उद्देश्य से, ऊपर (i) और (ii) में इंगित वित्तीय लेनदेन को बाहर रखा जा सकता है।

4. रिपोर्ट किए जाने वाले लेनदेन का विवरण: बाजार निर्माता कवर किए गए लेनदेन के सभी तत्वों की रिपोर्ट करेगा जो वित्तीय लेनदेन के बारे में सार्थक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रासंगिक हैं। इसमें लेन-देन पर लागू होने वाले काल्पनिक मूल्य, प्रतिपक्ष का नाम, परिपक्वता तिथि, ब्याज दर विनिर्देश आदि शामिल होंगे, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं होंगे। केंद्रीय प्रतिपक्ष को केवल उन मामलों में प्रतिपक्ष के रूप में रिपोर्ट किया जा सकता है जहां वित्तीय लेनदेन एक अनाम ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर किया जाता है और केंद्रीय प्रतिपक्ष द्वारा समाशोधित किया जाता है। रिपोर्टिंग प्रारूप रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से सीसीआईएल द्वारा दर्शाए गए अनुसार होंगे।

5. रिपोर्टिंग के लिए कट-ऑफ समय: लेनदेन को अधिमानतः लेनदेन की तारीख पर ही रिपोर्ट किया जाएगा, लेकिन किसी भी स्थिति में यह लेनदेन की तारीख से दो कार्य दिवसों के भीतर किया जाए।

एसपीडी द्वारा रिपोर्टिंग

एसपीडी के संबंधित पक्षों द्वारा टीआर को रिपोर्टिंग, विनियमन विभाग द्वारा दिनांक 28 नवंबर, 2025 को जारी भारतीय रिज़र्व बैंक (स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर्स) निदेश, 2025, के अनुसार होगी।


1 नवीयन एक ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए दो प्रतिपक्षों (हस्तांतरणकर्ता, जो मौजूदा संविदा से बाहर निकलता है, और शेष पक्ष) के बीच एक संविदा का प्रतिस्थापन है, जिसमें शेष पक्ष और एक तीसरे पक्ष (हस्तांतरिती) के बीच एक नई संविदा की जाती है। हस्तांतरिती, शेष पक्ष का नया प्रतिपक्ष बन जाता है।


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