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अधिसूचनाएं

रुग्ण माइक्रो (सूक्ष्म) और लघु उद्यमों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश

आरबीआइ/2012-13/273
ग्राआऋवि.एमएसएमइ एण्ड एनएफएस.सं.40/06.02.31/2012-13

01 नवम्बर 2012

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय / महोदया,

रुग्ण माइक्रो (सूक्ष्म) और लघु उद्यमों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश

हाल में आयी वैश्विक मंदी का आमतौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर और अधिक विशिष्ट रूप से माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) पर प्रतिकूल प्रभाव पडा है। ऐसी परिस्थितियों में एसएमई काफी अधिक प्रभावित हो जाते हैं, विशेष रूप से कारोबार ठप्प हो जाने के रूप में, जिसे झेलने की स्थिति में वे नहीं होते हैं और तत्काल रुग्ण बन जाते हैं । एमएसई के विभिन्न मंचों पर से हमें प्राप्त फीडबैंक एवं हमारे विश्लेषणों से पता चला है कि एसएसई उद्यमों में रुग्णता की पहचान करने में इतना ज्यादा विलंब होता है कि उनके लिए इससे उबरने की संभावना धूमिल हो जाती है। इस विलम्ब को दूर करने की दृष्टि से रुग्णता की पहचान में परिवर्तन करना जरूरी हो गया है ।

2. माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को होनेवाली समस्याओं का निर्धारण, विशेषत: संभाव्य रुप से अर्थक्षम रुग्ण यूनिटों के पुनर्वास के संबंध में, करने के लिए रिज़र्व बैंक ने पंजाब नैशनल बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ के.सी.चक्रवती की अध्यक्षता में एक कार्यकारी दल गठित किया था । उक्त कार्यकारी दल ने, अन्य बातों के साथ साथ, रुग्णता की परिभाषा में परिवर्तन करने और एसएमई यूनिटों की अर्थक्षमता का निर्धारण करने के लिए एक क्रियाविधि बनाने की सिफ़ारिश की थी ताकि एमएसई यूनिट की रुग्ण यूनिट के रूप में पहचान की प्रक्रिया तेज हो सके । रुग्णता की वर्तमान परिभाषा तथा रुग्ण एमएसई यूनिटों की अर्थक्षमता का निर्धारण करने संबंधी क्रियाविधि में संशोधन करने का प्रस्ताव एमएसएमई की 13 वी स्थायी परामर्शदात्री समिति के समक्ष रखा गया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार उक्त प्रस्ताव की जांच करने के लिए एक समिति गठित करेगी। एमएसएमई मंत्रालय ने समिति गठित की ओर उक्त समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 की तीसरी तिमाही समीक्षा के पैरा 83 में यह प्रस्तावित किया गया कि माइक्रो और लघु उद्यमों की वर्तमान रुग्णता की परिभाषा (एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में यथा परिभाषित) आशोधित की जाए ओर इस सेक्टर के रुग्ण यूनिटों की अर्थक्षमता का निधारण करने के संबंध में 16 जनवरी 2002 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएनएफएस. बीसी 57/ 06.04.01/ 2001-02 में उल्लिखित दिशानिर्देशों का अधिक्रमण करते हुए एक क्रियाविधि बनायी जाए।

3. संशोधित दिशानिर्देशों में किसी यूनिट की रुग्ण के रूप में पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी लाने, आरंभिक रुग्णता का पहले ही पता लगाने और किसी यूनिट को गैर-अर्थक्षम घोषित करने से पहले बैंकों द्वारा अपनायी जानेवाली एक क्रियाविधि बनाने पर बल दिया गया है। तदनुसार एमएसई सेक्टर के रुग्ण यूनिटों के पुनर्वास के लिए संशोधित दिशानिर्देश अनुबंध - I में दिए गए अनुसार जारी किए जाते हैं ।

4. रुग्ण एमएसई यूनिटों के पुनर्वास पर विद्यमान दिशानिर्देशों की तुलना में उक्त कार्यकारी दलकी सिफारिशों के आधार पर दिशानिर्देशों में किए गए महत्वपूर्ण परिवर्तन सुलभ संदर्भ के लिए अनुबंध II में दिए गए हैं ।

5. इस बात पर बल देने की आवश्यकता नहीं है कि संभाव्य रूप से अर्थक्षम ऐसे एमएसई यूनिट जो पहले ही रुगण बने हैं या रुग्ण बन सकते हैं, को समय पर तथा पर्याप्त सहायता प्रदान करना केवल वित्तपोषक बैंकों की दृष्टि से ही नहीं अपितु इस क्षेत्र के समग्र औद्योगिक उत्पादन, निर्यात और रोजगार निर्माण में योगदान की दृष्टि से भी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की दृष्टि से भी नितांत महत्वपूर्ण हैं। अत: बैंक सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाएं तथा एमएसई सेक्टर के यूनिटों पुनर्वास के प्रयास करें; विशेष रुप से उन मामलों में जहां रुग्णता उद्यमों के नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियो के कारण आयी है। तथापि, उन यूनिटों के मामले में जिन्हें पुनजीवित नही किया जा सकता है, बैंक को कोई समझोता करने और/अथवा शीघ्रता से वसूली करने के अन्य उपाय प्रारभ करने चाहिए।

6. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

(सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुः यथोक्त


अनुबंध I

रुग्ण एमएसई यूनिटों के पुनर्वास
के लिए सामान्य दिशानिर्देश

ए – हैण्ड होल्डिंग स्टेज (चरण)

1. एमएसई को समय पर तथा पर्याप्त सहायता देना तथा रुग्णता के आसार नजर आने के प्रारंभिक चरण में ही उनका पुनर्वास करने के सकारात्मक आधार पर प्रयास किए जाने चाहिए। इस चरण को नीचे परिभाषित रूप से ' हैण्ड होल्डिंग स्टेज ' कहा जाएगा। इससे रूग्णता के पूर्व लक्षणों का पता चलने के बाद बैंकों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप सुनिश्चित हो सकेगा ताकि रूग्णता को प्रारंभिक स्तर पर ही रोका जा सके। किसी खाते को उसमें यदि निम्न बातें पाइ जाए तो 'हैण्ड होल्डिंग स्टेज' तक पहुंचा हुआ माना जाए :

क) वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने में प्रवर्तकों के नियंत्रण के बाहर के कारणों से छः महीनों से अधिक का विलंब होना;

ख) कंपनी को स्वीकृत सीमा के ऊपर दो वर्षों के लिए हानि अथवा एक वर्ष के लिए नकदी हानि होना;

ग) किसी वर्ष के दौरान मात्रा की दृष्टि से अनुमानित स्तर से 50 प्रतिशत से कम का क्षमता उपयोग अथवा मूल्य की दृष्टि से अनुमानित स्तर से 50 प्रतिशत से कम बिक्री होना;

2. बैंक शाखाओं को समय पर निवारक कार्रवाई करनी चाहिए जिसमें यूनिट के परिचालन की जांच और खातों की उचित संवीक्षा, मार्गदर्शन / समुपदेशन सेवा प्रदान करना, स्थपित जरूरत के अनुसार समय पर वित्तीय सहायता और गैर वित्तीय स्वरूप की कठिनाइयों को दूर करने में अथवा जहां अन्य एजेंसियों से सहायता जरूरी हो वहां यूनिट की मदद करना शामिल है। हैण्ड होल्डिंग चरण में निवारक कार्रवाई / उपाय करने में बैंकों को समयपरकता सुनिश्चित करने की दृष्टि से ऐसे यूनिटों को दिया जानेवाला हैण्ड होल्डिंग समर्थन ऐसे यूनिटों की पहचान होने के अधिकतम दो महीनों में प्रदान किया जाए।

आ. रूग्णता की परिभाष

3. माइक्रो या लघु उद्यम (एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में यथा परिभाषित) को रूग्ण तभी कहा जाए यदि

  • उद्यम का कोई उधारकर्ता खाता तीन महीने या अधिक समय से एनपीए बना हुआ हो;

अथवा

  • पिछले लेखा वर्ष के दौरान उसकी निवल संपत्ति में 50 प्रतिशत संचित हानि होने के कारण निवल संपत्ति का क्षरण हुआ हो;

4. इससे बैंक रूग्ण यूनिटों को पुनर्जीवित करने के लिए उनकी पहचान करने की समय पर कार्रवाई करने में सक्षम होंगे। ऐसे एमएसई यूनिटों, जिन्हें हैण्ड होल्डिंग चरण में बैंकों के हस्तक्षेप द्वारा पुनर्जीवित नहीं किया जा सकेगा, को रूग्ण के रूप में वर्गीकृत किए जाने की जरुरत है बशर्ते वे ऊपर निर्दिष्ट दो शर्तों में से किसी एक का पालन करते हैं और अर्थक्षमता अध्ययन के आधार पर अर्थक्षम /संभाव्य रूप से अर्थक्षम यूनिटों को पुनर्वास पैकेज प्रदान किया जाए। पुनर्वास पैकेज को शीघ्रता से एक समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाना चाहिए। यूनिट के संभाव्य रूप से अर्थक्षम / अर्थक्षम घोषित हो जाने की तारीख से छः महीनों के भीतर पूर्णतः कार्यान्वित किया जाना चाहिए। यूनिट की संभाव्य रूप से अर्थक्षम/ अर्थक्षम के रूप में पहचान करने के छः महीनों के भीतर पुनर्वास पैकेज को पूर्णत: कार्यान्वित किया जाना चाहिए। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उक्त पहचान करते समय और पुनर्वास पैकेज को कार्यान्वित करते समय छः महीनों की अवधि के लिए 'हैण्डहोल्डिंग परिचालन' करे। इससे लघु यूनिट कम से कम ऐसे 'होल्डिंग परिचालन' की अवधि के दौरान नकदी ऋण खाते में से अपनी बिक्री-आय जमा की मात्रा तक निधियां आहरित कर सकेंगे।

5. जानबूझकर कुप्रबंधन के कारण यूनिट के रूग्ण बन जाने पर, जानबूझकर की गई चूक, अप्राधिकृत रूप से निधियों का विपणन, साझेदारों / प्रवर्तकों आदि के बीच विवाद आदि को रूग्ण यूनिट के रूप में वर्गीकृत न किया जाए और तदनुसार वे किसी राहत अथवा रियायतों के पात्र नहीं बन जाने चाहिए। ऐसे मामलों में बैंकों की देय राशियों की वसूली करने के उपाय किए जाने हेतु कदम उठाए जाने चाहिए। उधारकर्ता को जानबूझकर चूक करने के रूप में घोषित करना केवल रिज़र्व बैंक के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसरण में ही किया जाना चाहिए।

6. उपर्युक्त परिभाषा पोषण (नर्सिंग) कार्यक्रम बनाने के प्रयोजन के साथ साथ 31 मार्च 2012 को समाप्त होनेवाले वर्ष के डाटा रिपोर्टिंग के प्रयोजन के लिए अपनाई जा सकती हैं, बैंकों को उपर्युक्त परिभांषा तत्काल प्रभाव से अपनानी चाहिए।

इ. अर्थक्षमता

7. यूनिट की अर्थक्षमता का निर्णय यथाशीघ्र परंतु किसी भी परिस्थिति में यूनिट के रूग्ण बन जाने के 3 महीनों तक की लिया जाना चाहिए।

यूनिट को गैर-अर्थक्षम घोषित करने से पूर्व बैंकों के निम्नलिखित क्रियाविधि अपनानी चाहिए :

  • किसी यूनिट को केवल तभी गैर अर्थक्षम घोषित किया जाना चाहिए कि जब अर्थक्षमता अध्ययन में अर्थक्षमता की स्थिति प्रत्यक्ष पायी जाए। तथापि, अत्यंत लघु यूनिटों में अर्थक्षमता अध्ययन करना व्यवहार्य नहीं हो सकता है और इससे केवल कागजी कार्य ही बढ़ जाएगा। इस प्रकार, संयत्र और मशीनरी में 5 लाख रूपए तक का निवेश वाले माइक्रो (विनिर्माण) उद्यमों के लिए और उपकरणॉं में 2 लाख रूपए तक का निवेश वाले माइक्रो (सेवा) उद्यमों के लिए शाखा प्रबंधक अर्थक्षमता संबंधी निर्णय कर सकते हैं और इसे न्यायोचितता के साथ रिकार्ड (दर्ज) कर सकते हैं।

  • अर्थक्षमता अध्ययन में प्रमाणित प्रकार से यूनिट को गैर-अर्थक्षम घोषित किए जाने के लिए माइक्रो और लघु दोनों ही यूनिटों के लिए अगले उच्चतर प्राधिकारी / वर्तमान के मंजूरीकर्ता प्राधिकारी का अनुमोदन होना चाहिए। यदि यूनिट को गैर अर्थक्षम घोषित किया जाता है तो उस यूनिट को अगले उच्चतर प्राधिकारी के समक्ष अपना मामला रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। अगले उच्चतर प्राधिकारी को मामला प्रेजेंट करने संबंधी पद्धतियां बैंकों द्वारा इस संबंध में अपने बोर्डों की अनुमोदित नीतियों के अनुसार तैयार कराई जाए।

  • यूनिट के प्रवर्तकों को एक अवसर प्रदान करने के बाद ही अगले उच्चतर प्राधिकारी द्वारा ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए।

  • एक करोड रूपए और अधिक की ऋण सुविधावाले गैर अर्थक्षम घोषित रूग्ण यूनिट के लिए एक समिति दृष्टिकोण अपनाया जाए। ऐसे प्रस्तावों की जांच एक ऐसी समिति द्वारा की जाए जिसमें बैंक के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हों। समिति दृष्टिकोण से निर्णय की गुणवत्ता इसलिए बढ़ेगी कि सदस्यों की एकत्रित बुद्धिमानी इसमें प्रयुक्त होगी, विशेष रूप से पुनर्वास के प्रस्तावों पर निर्णय लेते समय।

  • उच्चतर प्राधिकारी का निर्णय प्रवर्तकों को लिखित रूप में सूचित किया जाना चाहिए। उक्त प्रक्रिया 3 महीनों तक के समय में एक चरणबद्ध रूप में पूरी की जानी चाहिए।

8. तथापि, बैंक अव्यवहार्य अथवा धोखाधड़ी के मामलों में उपर्युक्त क्रियाविधि अपनाए बिना ही निर्णय ले सकते हैं।

ई. संभाव्य रूप से अर्थक्षम यूनिटों के पुनर्वास के लिए राहत और रियायतें

9. बैंक अपने बोर्ड की अनुमोदित नीतियों के आधार पर अर्थक्षम / संभाव्य रूप से अर्थक्षम यूनिटों के पुनर्वास के लिए राहत एवं रियायतों पर निर्णय ले सकते हैं जैसा कि 12 सितंबर 2011 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. एसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.19/06.02.31/2011-12 में सूचित किया गया है।

उ. एक बारगी निपटान

10. बैंकों से अपेक्षित है कि वे एमएसई सेक्टर हेतु गैर-निष्पादक ऋणों की वसूली के लिए एक गैर विवेकसम्मत एक बारगी निपटान प्रणाली योजना बना लें जो 4 मई 2009 के हमारे परिपत्र सं. ग्राआऋवि. एसएमई एण्ड एनएफएस. बीसी. सं. 102/06.04.01/2008-09 में सूचित प्रकार से निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित हो। यह भी दोहराया जाता है कि बैंक द्वारा कार्यान्वित की जानेवाली एक बारगी निपटान योजना का बैंक की वेबसाइट पर डालते हुए तथा अन्य संभाव्य प्रसार माध्यमों के जरिए व्यापक रूप में प्रचार किया जाए। आप एमएसई उधारकर्ताओं को आवेदन प्रस्तुत करने तथा देय राशियों का भुगतान करने के लिए यथोचित समय प्रदान करें जिससे पात्र उधारकर्ताओं को उक्त योजना के लाभ दिए जा सकें।

ऊ. शक्तियों का प्रत्यायोजित

11. सहमति प्रदान किए गए पुनर्वास पैकेज को लागू करने में होनेवाले विलंब को कम किया जाना चाहिए। यह पता चला है कि ऐसे विलंब के कारणों में से एक है राहत और रियायतों के लिए नियंत्रक कार्यालय से क्लियरेंस प्राप्त करने में लगनेवाला समय। चूंकि क्लियरेंस की प्रक्रिया में तेजी लाना अत्यंत जरूरी है, अतः बैंक विभिन्न स्तरों पर यथा जिला, क्षेत्र, अंचल और प्रधान कार्यालय स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों को निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप पुनर्वास पैकेज को मंजूरी प्रदान करने के लिए भी पर्याप्त शक्तियां प्रदान कर सकते हैं ।


अनुबंध II

वर्तमान दिशानिर्देशों की तुलना में रुग्ण एमएसई यूनिटों के पुनर्वास पर गठित कार्य दल की सिफारिशों के आधार पर दिशानिर्देशों में किए गए महत्वपूर्ण परिवर्तन

क्रम सं.

वर्तमान दिशानिर्देश

नए दिशानिर्देश

1.

एएमएसई यूनिट को रग्ण के रूप में तब माना जाएगा जब :
क) यदि यूनिट का कोई उधारकर्ता खाता छः महीनों से अधिक समय के लिए अवमानक स्तर का बना रह जाता है अर्थात् उसके किसी भी उधारकर्ता खाते के संबंध में मूलधन या ब्याज 1 वर्ष से अधिक अवधि के लिए अतिदेय बना रहता है। अतिदेय की अवधि एक वर्ष से अधिक होने की अपेक्षा अपरिवर्तित बनी रहेगी भले ही किसी खाते के अवमानक स्तर के रूप में वर्गीकरण के लिए वर्तमान अवधि को यथा-समय घटा भी दिया जाए ;

अथवा

ख) संचित नकदी हानियों के कारण निवल संपत्ति में पिछले लेखाकरण वर्ष के दौरान उसकी निवल संपत्ति के 50 प्रतिशत तक क्षरण हुआ हो तो ; और

और

ग) यूनिट कम से कम 2 वर्षों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन करता रहा हो।

एएमएसई यूनिट को रग्ण के रूप में तब माना जाएगा जब :
क) उद्यम का कोई उधारकर्ता खाता तीन महीने या अधिक समय के लिए एनपीए बना रहता है।

 

 

 

 

 

अथवा

ख) संचित नकदी हानियों के कारण निवल संपत्ति में पिछले लेखाकरण वर्ष के दौरान उसकी निवल संपत्ति के 50 प्रतिशत तक क्षरण हुआ हो।

यह शर्त कि यूनिट कम से कम 2 वर्षों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन करता रहा हो, हटा दी गई हैं।

2

यूनिट की अर्थक्षमता का निर्णय करने के लिए कोई निर्दिष्ट समयावधि नहीं है।

यूनिट की अर्थक्षमता संबंधी निर्णय शीघ्र परंतु किसी भी परिस्थिति में यूनिट के रूग्ण बन जाने के 3 महीनों के भीतर लिया जाए।

3

यूनिट को गैर अर्थक्षम घोषित करने के लिए कोई क्रियाविधि निर्दिष्ट नहीं की गई है।

यूनिट को गैर अर्थक्षम घोषित करने संबंध क्रियाविधि निर्धारित की गई है।

4

आरंभिक रुग्णता की अवधारणा बना ली गई थी, आरंभिक रुग्णता की कोई परिभाषा नहीं दी गई थी।

आरंभिक रुग्णता अथवा हैण्ड होल्डिंग चरण की परिभाषा दी गई है।


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