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मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट (01 अप्रैल, 2022 को अद्यतन किया गया)

आरबीआई/डीएनबीआर/2016-17/40
मास्टर निदेश डीएनबीआर.पीडी.001/03.10.119/2016-17

25 अगस्त, 2016
(01 अप्रैल, 2022 को अद्यतन किया गया)
(24 नवंबर, 2020 को अद्यतन किया गया)
(05 अक्तूबर, 2020 को अद्यतन किया गया)
(10 जुलाई, 2020 को अद्यतन किया गया)
(11 नवंबर, 2019 को अद्यतन किया गया)
(31 मई, 2018 को अद्यतन किया गया)

मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट

भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होकर कि यह जनता के हित में और बैंक को देश की वित्तीय प्रणाली को इसके हित में विनियमित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 (1934 की धारा 2) के धारा 45एनसी द्वारा प्राप्त शक्तिओं के उपयोग और ये सभी शक्तियां जो इस संबंध में उसे सक्षम बनाती हैं; के उपयोग द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम 1934) के निश्चित प्रावधानों से नीचे विनिर्दिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को छूट प्रदान करता है-

1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी के प्रावधानों से निम्नलिखित को छूट

एक गैर-बैंकिंग संस्था जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) के अंतर्गत भुगतान प्रणाली संचालित करने और प्रीपेड भुगतान उपकरण जारी करने के लिए अधिकृत है। यह छूट ऐसी गैर-बैंकिंग संस्थाओं को प्रीपेड भुगतान उपकरण जारी करने के लिए प्राप्त धन तक सीमित और प्रतिबंधित रहेगा।

2. आरबीआई अधिनियम की धारा 45-आईए, 45-आईबी और 45-आईसी से निम्नलिखित को छूट

(i) ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो-

  1. भारतीय रिजर्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 के तहत परिभाषित केवल सूक्ष्मवित्त ऋण प्रदान करती है, बशर्ते किसी परिवार का मासिक ऋण दायित्व मासिक घरेलू आय के 50 प्रतिशत से अधिक न हो; और

  2. कंपनी अधिनियम 1956, की धारा 25 के अथवा कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत लाइसेंस प्राप्त हो और

  3. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के तहत दिए गए परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार नहीं कर रही हो।

  4. जिसकी संपत्ति का आकार 100 करोड़ से कम है।

(ii) प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण कंपनियां अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग संस्था जो वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत बैंक के साथ पंजीकृत एक प्रतिभूतिकरण कंपनी अथवा एक पुनर्निर्माण कंपनी के रूप में पंजीकृत हो।

(iii) निधि कंपनी अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 के अधिनियम 1) की धारा 620A के तहत निधि कंपनी के रूप में अधिसूचित हो।

(iv) म्युचुअल बेनिफिट कंपनी- अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (x) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार म्युचुअल बेनिफिट कंपनी हो।

(v) चिट कंपनी- अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग कंपनी जो चिट फंड अधिनियम, 1982 (1982 का अधिनियम 40) की धारा 2 के खंड (बी) में दी गई परिभाषा के अनुसार चिट व्यापार कर रही हो।

(vi) बंधक गारंटी कंपनी- अर्थात ऐसी कोई अधिसूचित गैर-बैंकिंग कंपनी जो भारत सरकार के पूर्व अनुमोदन के साथ आरबीआई अधिनियम की धारा 45 आई (एफ)(iii) के अंतर्गत और बंधक गारंटी कंपनी के पंजीकरण योजना के अंतर्गत आरबीआई के साथ पंजीकृत हो।

(vii) मर्चेंट बैंकिंग कंपनी अर्थात निम्न शर्तों का अनुपालन करने वाली कोई भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी:

  1. यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा 12 के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास एक मर्चेंट बैंकर के रूप में पंजीकृत हो और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकिंग (नियम) 1992 तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकिंग (विनियम) 1992 के अनुसार मर्चेंट बैंकर के रूप में व्यापार कर रही हो;

  2. केवल अपने मर्चेंट बैंकिंग कारोबार के तहत प्रतिभूतियों का अधिग्रहण करती हो;

  3. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45आई(सी) में संदर्भित अन्य कोई भी वित्तीय गतिविधि नहीं करती हो; और

  4. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (xiii) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं करती हो/नहीं रखती हो।

इसके अतिरिक्त उपर्युक्त उप पैराग्राफ (i) से (vii) में शामिल कंपनियों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, मास्टर निदेश- प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और मास्टर निदेश -गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के प्रावधानों से छूट प्राप्त होगी।

(viii) आवास वित्त संस्थान- अर्थात ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा के खंड (डी) में परिभाषित एक आवास वित्त संस्थान है।

3. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-आईबी और 45-आईसी से निम्नलिखित को छूट

सरकारी कंपनियां- अर्थात आरबीआई अधिनियम की धारा 45-आई (एफ) में दी गई परिभाषा के अनुसार कोई भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- कंपनी अधिनियम 2013, की धारा 2 के खंड (45) में उल्लिखित परिभाषा के अनुसार एक सरकारी कंपनी होने के नाते निम्नलिखित अवधि में चरणबद्ध तरीके से मान्य किया जाता है-

धारा 45-आईबी

आस्तियों के प्रतिशत को बनाये रखना- बकाया जमाराशियों का 15%

31 मार्च 2019- बकाया जमाराशियों का 5%
31 मार्च 2020- बकाया जमाराशियों का 10%
31 मार्च 2021- बकाया जमाराशियों का 12%
31 मार्च 2022- बकाया जमाराशियों का 15%

धारा 45-आईसी

आरक्षित निधि

31 मार्च 2019

4. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-आईए, 45-आईबी, 45-आईसी, 45-एमबी और 45-एमसी से निम्नलिखित को छूट:

(i) बीमा कंपनी- अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कि बीमा का कारोबार कर रही हो, बीमा अधिनियम 1938 की धारा 3 के तहत (1938 का IV) जारी एक मान्य पंजीकरण प्रमाणपत्र धारण करती हो और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (xiii) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं करती हो अथवा नहीं रखती हो।

(ii) स्टॉक एक्सचेंज- अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कि प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 4 के तहत स्टॉक एक्सचेंज के रूप में पहचान रखती हो और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (xiii) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं करती हो अथवा नहीं रखती हो।

(iii) स्टॉक ब्रोकर या सब-ब्रोकर - ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कि स्टॉक ब्रोकर या सब-ब्रोकर का कारोबार कर रही हो, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का अधिनियम 15) की धारा 12 के तहत जारी एक मान्य पंजीकरण प्रमाणपत्र धारण करती हो और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (xiii) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं करती हो अथवा नहीं रखती हो।

इसके अतिरिक्त उपर्युक्त उप पैराग्राफ (i) से (iii) में शामिल कंपनियों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, मास्टर निदेश- प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और मास्टर निदेश -गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के प्रावधानों से छूट प्राप्त होगी।

5. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-आईए और 45-आईसी से निम्नलिखित को छूट:

वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ़) कंपनियां- अर्थात ऐसी कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो एक वैकल्पिक निवेश निधि कंपनी हो और जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का अधिनियम 15) की धारा 12 के तहत जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र धारण करती हो और जो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3 के उप-पैरा (xiii) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं करती हो/नहीं रखती हो।

इसके अतिरिक्त ऐसी कंपनियों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, मास्टर निदेश- प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और मास्टर निदेश -गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के प्रावधानों से छूट प्राप्त होगी।

6. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-आईए से निम्नलिखित को छूट:

अपंजीकृत कोर निवेश कंपनी अर्थात ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 में बताए अनुसार कोर निवेश कंपनी के प्रकृति की हो।

7. आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45-आईए (1) (बी) से निम्नलिखित को छूट:

कोर निवेश कंपनी अर्थात ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैराग्राफ 3 के उप पैराग्राफ (1) के खंड (viii) में दी गई परिभाषा के अनुसार प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण मूल निवेश कंपनी हो, बशर्ते कि वह उक्त निदेश में विनिर्दिष्ट पूँजी आवश्यकता और लीवरेज अनुपात की शर्तों को पूरा करती हो।

(जे पी शर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक


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