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गणतंत्र भारत: योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था 1950 से 1960

दिनांक घटना
अक्टूबर 1950 बैंकिंग विकास विभाग बना और साथ ही कार्यपालक निदेशक का नया पद।
1951 भारतीय रिज़र्व बैंक (संशोधन) अधिनियम, 1951 ने यह अधिकार दिया कि पार्ट बी राज्यों के साथ करार के बाद बैंक उनका बैंकर बने।
प्रथम पंच वर्षीय योजना का प्रारंभ
1 जनवरी 1952 बिल मार्केट स्कीम की शुरुआत हुई ताकि बैंक स्वयं परिसमापनशील बिलों पर रिज़र्व बैंक से अग्रिम ले सकें। इसका उद्देश्य मौसमी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुद्रा का प्रसार होने देना था।
1 अगस्त 1952 राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 लागू हुआ। इससे राज्यों को मंझोले व लघु उद्योगों की ऋण जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय निगम बनाने में सहायता मिली। एसएफसी की पूँजी की बैंक होल्डिंग को आईडीबीआई ने 1976 में ले लिया (टेक ओवर कर लिया)।
अगस्‍त 1954 अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण समिति रिपोर्ट प्रस्तुत। इसके सुझावों से ग्रामीण ऋण को केंद्रीय बैंक के सक्रियतावाद में केंद्रीय स्थान मिला। इससे आगे चलकर भारतीय स्टेट बैंक बना।
14 सितंबर 1954 बैंक कर्मियों को ट्रेनिंग देने के लिए बॉम्बे (मुंबई) में बने बैंकर्स ट्रेनिंग कॉलेज का उद्घाटन।
1 अप्रैल 1955 लगभग 48 करोड़ बकाया शेष (ओएस) के परिचालन वाले हाली सिक्का रुपया पूर्व हैदराबाद राज्य में वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) नहीं रही। इनका स्थान भारतीय रुपए ने ले लिया।
1 जुलाई 1955 1 जुलाई को इम्पिरीयल बैंक ऑफ़ इंडिया, राज्य के स्वामित्व वाली संस्था भारतीय स्टेट बैंक के रूप में परिवर्तित हो गया। इसके आसन्न उद्देश्यों में से एक था अतिरिक्त शाखाओं की स्थापना, विशेषत: जिला मुख्यालयों में। सहकारी व अन्य बैंकों को धन-प्रेषण व दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा ग्रमीण बचत संघटन का प्रयास भी इससे अपेक्षित था।
दूसरी पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ
17 मई 1956 पहली बार चयनात्मक ऋण नियंत्रण का प्रयोग
6 अक्टूबर 1956 नोट निर्गम (ईश्यू) में परिवर्तन। 40% स्वर्ण व विदेशी मुद्रा भंडार का रिज़र्व मेंटेन करने की अपेक्षा वाली अनुपातिक रिज़र्व प्रणाली के स्थान पर न्यूनतम रिज़र्व प्रणाली वाली नोट निर्गम (ईश्यू) व्यवस्था आ गई।
14 जनवरी 1957 गवर्नर सर बेनेगल रामा राउ का त्यागपत्र।
14 जनवरी 1957 के. जी आम्बेगांवकर 28 फरवरी तक के लिए गवर्नर नियुक्त।
1 मार्च 1957 एचवीआर अयंगार गवर्नर नियुक्त
31 अक्टूबर 1957 नोट ईश्यू के लिए न्यूनतम रिज़र्व में और ढील।
1959 भारतीय स्टेट बैंक (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959 ने भारत के पूर्ववर्ती रजवाड़ों (रियासतों/प्रिंसली स्टेट्स) के बैंक बनाए। ये थे बैंक ऑफ बीकानेर, बैंक ऑफ़ जयपुर, बैंक ऑफ़ इंदौर। बैंक ऑफ़ मैसूर, बैंक ऑफ़ पटियाला, बैंक ऑफ़ हैदराबाद, बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र और बैंक ऑफ़ त्रावणकोर भारतीय स्टेट बैंक के अनुषंगी बनाए गए। बैंक ऑफ बीकानेर और बैंक ऑफ़ जयपुर को 1963 में समामेलित कर स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर बनाया गया।
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