दिनांक
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घटना
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मई 1960
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लक्ष्मी बैंक और बाद में पलाई सेंट्रल बैंक की विफलता से भारत में जमाराशियों के बीमा
की बात आगे बढ़ी।
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1960
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बैंकिंग क्षेत्र के समेकन के लिए बैंकों के पुनर्निर्माण / आवश्यक समामेलन की नीति
प्रारंभ की गई। आरबीआई अधिनियम संशोधन द्वारा यह अधिकार प्राप्त किया गया। 1960 से
1982 के बीच 200 से अधिक बैंक विलयित या परिसमाप्त किए गए।
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1961
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तृतीय पंच वर्षीय योजना की शुरुआत
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7 दिसंबर 1961
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जमाकर्ता रक्षा उपाय के रूप में जमाराशि बीमा की शुरुआत। इसका उद्देश्य था बैंकिंग
प्रणाली में जमाकर्ताओं का विश्वास बढ़ाना, जमाराशियों का संग्रहण बढ़ाना तथा बैंकिंग
प्रणाली की स्थिरता व वृद्धि को बढ़ावा देना।
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15 मई 1962
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भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, भारतीय सिक्का निर्माण (संशोधन अधिनियम), 1906
और मुद्रा अध्यादेश (करेंसी ऑर्डिनेंस), 1940 को गोआ, दमन और दीव की स्वतंत्रता के
बाद इन क्षेत्रों में लागू किया गया।
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1 मार्च 1962
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पी.सी. भट्टाचार्य गवर्नर नियुक्त
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मई 1962
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नई शाखा बैकिंग लाइसेंसिंग नीति में ‘बैंक रहित’ और ‘अल्पविकसित‘ इलाकों में कार्यालय
खोलने पर जोर।
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16 सितंबर 1962
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बैंकों का आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) समान रूप से उनकी मांग और मीयादी देयताओं
के 3% पर तथा 3 और 15% के बीच परिवर्तन की छूट के साथ निर्धारित।
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1962
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आरबीआई ऐक्ट में जोड़े गए अध्याय IIIए ने बैंकों व अधिसूचित वित्तीय संस्थानों द्वारा
अपने घटकों को दी गई ऋण सुविधाओं के संबंध में सूचना एकत्र करने का अधिकार बैंक को
दिया। 1974 में मीयादी ऋण सूचना का दायरा बढ़ाकर इसमें पुर्ववृत्त, वित्तीय लेन-देन
का इतिहास और किसी उधारकर्ता या उधारकर्ताओं के वर्ग की ऋण-पात्रता को शामिल किया गया।
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1962
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बैंकिंग विनियमन अधिनियम संशोधित। अनुसूचित बैंकों के लिए मांग और मीयादी देयताओं का
कम से कम 25% तरल आस्तियों (चलनिधि/लिक्विड एसेट्स) में रखना अपेक्षित।
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1 जुलाई 1962
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केंद्रीय भूमि बंधक बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों, अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को जो शेयरहोल्डर्स
थे, पुनर्वित्त (रिफाइनैंस) देने के लिए कृषि पुनर्वित्त निगम (एआरसी) स्थापित।
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26 अगस्त1963
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मद्रास में स्थापित स्टाफ ट्रेनिंग कॉलेज ने एक प्रायोगिक पाठ्यक्रम (पायलट कोर्स)
प्रारंभ किया जो सेवा क्षेत्र में शुरुआती मानव संसाधन प्रयासों को दर्शाता है।
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1 फरवरी 1964
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आरबीआई को बैंकेतर संस्थाओं की जमाराशि स्वीकार संबंधी गतिविधियिं के विनियमन का अधिकार।
आरबीआई में नया अध्याय IIIबी जोड़ा गया।
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फरवरी 1964
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यूनिट ट्रस्टा ऑफ इंडिया की स्थापना की गयी। यह छोटे निवेशकों को इक्विटी प्रकार के
निवेशों के लिए सहायता प्रदान करने और अर्थव्यिवस्थाव में वृद्धि के लिए संसाधनों को
जुटाने और निवेशों के लिए सहायक बनाने के लिए बनाया गया था।
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1 जुलाई 1964
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दीर्घावधि औद्योगिक वित्त देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुषंगी के रूप में आईडीबीआई
की स्थापना। सितंबर 1964 में उद्योग पुनर्वित्त निगम का कार्य हाथ में लिया।
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20 नवंबर 1965
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बैंक ऋण वृद्धि को योजना की अपेक्षाओं के अनुसार ढालने के लिए ऋण विनियम की शुरुआत।
आगे चलकर ऋण प्राधिकार योजना (सीएएस) के रूप में विकसित।
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1 मार्च 1966
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सहकारी बैंककारी प्रणाली को भारतीय रिज़र्व बैंक की विनियामक परिधि में लाया गया।
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मार्च 1966
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रुपए का 36.5% अवमूल्यन। यूएस डॉलर जो पहले रु.4.75 के बराबर था, बढ़कर रु.7.50 हो गया।
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6 जून 1966
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रूपये के मूल्य में 36.5 प्रतिशत का अवमूल्य किया गया।
यूएस डालर जो पहले 4.75 रूपये था वह बढ़कर 7.50 रूपये हो गया।
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2 जूलाई 1966
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12 सहकारी बैंक आरबीआई ऐक्ट की दूसरी अनुसूची में शामिल किए गए।
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17 अप्रैल 1967
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बैंक नोटों का आकार घटाया गया।
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