दिनांक
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घटना
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जून 2000
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एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव के रूप में स्टॉक इंडेक्स फ्यूचर्स की शुरुआत।
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मार्च 2001
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किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत।
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19 अप्रैल 2001
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11 अगस्त से प्रारंभ सप्ताह में 15 दिनों से अधिक की परिपक्वता वाली अंतर बैंक सावधि
देयता को सीआरआर से छूट।
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19 अप्रैल 2001
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बैंकों को वरिष्ठ नागरिकों के लिए अधिक ब्याज वाली विशेष सावधि जमा योजना बनाने की
अनुमति।
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30 अप्रैल 2001
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विभिन्न बाजारों, यथा, सरकारी प्रतिभूति, फॉरेक्स और मुद्रा बाजारों में एकीकृत क्लीयरिंग
और निपटान की जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमिडेट स्थापित। फरवरी
2002 से कार्य प्रारंभ।
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जून 2001
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बेंकिंग में एक नए युग की घोषणा करते हुए आरबीआई ने इंटरनेट बैंकिंग के दिशा-निर्देश
जारी किए।
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21 नवंबर 2001
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पहली बार अस्थायी दर (फ्लोटिंग रेट) बॉण्ड की नीलामी।
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1 जनवरी 2002
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आरबीआई ने यूरो के लिए संदर्भ दर घोषित करने की शुरुआत की जिसने ऑस्ट्रिया, बेल्जियम,
फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लक्समबर्ग, पुर्तगाल, स्पेन और नीदरलैंड
की मुद्राओं का स्थान लिया।
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21 जून 2002
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आस्ति पुर्निर्माण कंपनियों की स्थापना तथा बैंकों व वित्तीय संस्थाओं द्वारा पैसे
की जल्द वसूली का मार्ग प्रशस्त करते हुए वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन
तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अध्यादेश लागू।
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7 सितंबर 2002
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बैंकों द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्रों में अपतटीय (ऑफशोर) बैंकिंग इकाई खोलने की योजना
प्रारंभ। ये इकाइयां एक तरह से भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएं होंगी, लेकिन भारत में
स्थित, होंगी।
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11 दिसंबर 2002
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91 दिनों के खजाना बिलों के नीलामी प्रारूप को समान कीमत नीलामी से बदलकर कई कीमत नीलामी
पद्धति वाला बनाया गया।
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जनवरी 2003
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चुनिंदा स्टॉक एक्सचेंजों ने सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा ट्रेडिंग की शुरुआत की।
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अप्रैल 2003
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बैंकों के जोखिम आधारित पर्यवेक्षण की शुरुआत।
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3 जून 2003
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एक्सचेंज ट्रेडेड इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव के दिशा-निर्देश जारी।
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7 अगस्तज 2003
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भारतीय समाशोधन निगम ने अपनी फॉरेक्स क्लीयरिंग प्रणाली एफएक्स क्लीयर लॉन्च की।
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6 सितंबर 2003
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वाई वी रेड्डी ने गवर्नर का कार्यभार ग्रहण किया।
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